विदेशी मुद्रा तकनीकी विश्लेषण के बुनियादी अवधारणाओं
तकनीकी विश्लेषण बनाने में विदेशी मुद्रा बाजार, व्यापारियों को समझना चाहिए और ऐसी शर्तों के रूप में - क्या रुझान है के उपयोग के लिए, चैनल, और समर्थन के स्तर प्रतिरोध के स्तर के बीच अंतर क्या है चार्ट्स, का अध्ययन द्वारा प्राप्त जानकारी का उपयोग कर, यह स्थिति प्रविष्टि और समझते हैं और वहाँ हो जाएगा जब प्रवृत्ति फ्रैक्चर या इसकी निरंतरता की भविष्यवाणी करने के लिए बाहर निकलें, के लिए सबसे अच्छा क्षणों की पहचान करने के लिए संभव है.
फिबोनैकी रेट्रासमेंट लेवल्स
नंबरों के फिबोनैकी अनुक्रम एक इतालवी गणितज्ञ लियोनार्डो पिसानो (फिबोनाची), हालांकि, इस क्रम में लंबे समय से पहले उसे पूर्व में ज्ञात किया गया था करने के लिए यूरोप धन्यवाद में लोकप्रिय हो गया। क्रम संख्या, जहां प्रत्येक बाद नंबर का योग है की एक श्रृंखला प्रस्तुत पिछले दो: 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, आदि इसके अलावा, इस क्रम की संख्या में से किसी में बांटा गया है, तो निम्नलिखित संख्या, तो परिणाम 0.618 के लगभग बराबर हो जाएगा, और अगर यह पिछले संख्या में बांटा गया है, तो परिणाम 1,618 हो जाएगी। इस क्रम प्रसिद्ध व्यापारी राल्फ इलियट द्वारा वित्तीय बाजार में इस्तेमाल किया गया था। लहरों के अपने सिद्धांत में, राल्फ गौर किया है कि पिछले एक की अगली लहर की ऊंचाई के अनुपात 1,618 के लगभग बराबर है.
विदेशी मुद्रा रुझान: तकनीकी विश्लेषण में ट्रेंड लाइन्स
परिसंपत्ति मूल्यों की प्रचलित दिशा के आधार पर तीन प्रकार के रुझान हैं:
सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस स्तरों: तकनीकी विश्लेषण
तकनीकी विश्लेषण में लोस एंड हाई ट्रेंड के उनके उपयुक्त नामों द्वारा पहचाने जाते हैं , सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस स्तरों को क्रमश: जो कर रहे हैं . इन स्तरों पर कर रहे क्षेत्रों में जहां ज्यादातर व्यापारियों खरीदने या बेचने के लिए या तो तैयार हैं .
नाला: तकनीकी विश्लेषण
चैनल एक तकनीकी विश्लेषण का मुख्य विचार है। यह एक सतत गलियारे एक मोटे तौर पर स्थिर चौड़ाई के साथ कीमत उतार चढ़ाव के रूप में परिभाषित किया गया है .
आधारभूत विश्लेषण क्या है?
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कार्बनिक रसायन- कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें
लैसाने का प्रयोग निम्न में से .
Updated On: 27-06-2022
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नाइट्रोजन सल्फर क्लोरीन ये सभी
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Aap ko kya acha nahi laga
प्रश्न लहसुन का प्रयोग निम्न में से किस की गुणात्मक विश्लेषण में किया जाता है पहला विकल्प नाइट्रोजन दूसरा साल पर तीसरा क्लोरीन चौथा यह सब ठीक है जो लेंस ने परीक्षण में क्या होता है जो कार्बनिक यौगिक में परमाणु एक दूसरे सह संयोजक बंधुओं द्वारा जुड़े होते हैं ठीक है और जो कार्बनिक योगिक होता है वह जाली विलेन में आए नहीं होता ठीक है तो इसलिए क्या करते हैं जो कार्बनिक योगिक होता है उसमें क्या करते हैं वह उसको सोडियम से संगलन कर देते हैं फ्यूज कर देते मतलब तो में सोडियम का लाभ प्राप्त हो जाता है तो उस सोडियम के लवर को जल्दी मिलियन जो होता है जेल में डाल देते हैं और विलीन कर देते हैं और मतलब जेल में आए नहीं तो हो जाता है वह सोडियम लवण इसे फिर क्या होता है जब जल में आए नहीं तो जाएगा चयनित होने से हमें मिलता क्या सोडियम निष्कर्ष या उसको हम बोलते लेंस नहीं मिलियन ठीक है फिर उस लेस ने विलेन का उपयोग करके ठीक है हम नाइट्रोजन सल्फर क्लोरीन ब्रोमीन और आयु
तत्वों की उपस्थिति की पहचान कर लेते हैं ठीक है मैं लिख देता हूं सोडियम लवण चल में विलीन करने पर आए नहीं तो जाती इस प्रकार प्राप्त सोडियम रो रो के जलीय विलयन को सोडियम निष्कर्ष वाले असली विलेन कहते हैं और इस निष्कर्ष की जो सोडियम निष्कर्ष है और लेस न्यायालय ने भी लेना है इसका उपयोग करके नाइट्रोजन सल्फर क्लोरीन ब्रोमीन ठीक है और आयोडीन ठीक तत्वों की उपस्थिति की पहचान करने में करते हैं और कार्बनिक योगिक में नाइट्रोजन सल्फर क्लोरीन ब्रोमीन और आयोडीन तत्वों की उपस्थिति की पहचान करने की विधि क्या कहलाती लैस ने परीक्षण कहलाती थी क्या तो यहां पर विकल्प दिया गया है कि इसमें कौन-कौन सा परीक्षण करते हैं नाइट्रोजन का सल्फर का भी दिया गया है ठीक और हां सल्फर का भी करते दिखे यहां पर चल पर लिखा है नाइट्रोजन नाइट्रोजन का भी करते हैं क्लोरीन लिखा है क्लोरीन हां हेलो
सर्वेक्षण पद्धति के आधारभूत तत्त्व क्या हैं? इस पद्धति का प्रमुख लाभ क्या है? - Sociology (समाजशास्त्र)
सर्वेक्षण पद्धति के आधारभूत तत्त्व क्या हैं? इस पद्धति का प्रमुख लाभ क्या है?
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सर्वेक्षण परिणामात्मक समष्टि अनुसंधान पद्धति है। इसकी कोशिश किसी विषय पर समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना है।
Acidic and Basic radical test: लवण विश्लेषण :Write in this way
Salt analysis (Acidic and Basic radical test) is done to find out acidic and basic radicals present in it. Salt analysis is a qualitative analysis. लवण विश्लेषण द्वारा यह ज्ञात किया जाता है कि दिए गए लवण के नमूने में कौन सा धनायन (Cation) तथा कौन सा ऋणायन (Anion) उपस्थित है | लवण की थोड़ी सी मात्रा को परखनली में लेकर विभिन्न अभिकर्मक मिलाकर परीक्षण किया जाता है तो उसमे उत्पन्न गैस का रंग , गंध , तीक्ष्णता या विलयन का रंग , अवक्षेप (precipitate), अवक्षेप की घुलनशीलता आदि प्रेक्षणों से कुछ निष्कर्ष निकलता है जिससे लवण में उपस्थित अम्लीय मूलक (Anion) अथवा क्षारीय मूलक(Cation) का पता चल जाता है I लवण विश्लेषण को गुणात्मक विश्लेषण (Qualitative Analysis) भी कहते है I
प्रयोग संख्या – 03
उद्देश्य :- दिए गए लवण (मिश्रण ) में एक अम्लीय मूलक तथा एक क्षारीय मूलक की पहचान कीजिये I
आवश्यक उपकरण :-टेस्ट ट्यूब,फ़िल्टर पेपर ,बर्नर, स्प्रिट लैम्प , टेस्ट ट्यूब होल्डर ,अभिकर्मक इत्यादि I
प्रेक्षण तालिका :- अम्लीय मूलक की पहचान करना –
क्र0सं0 | प्रयोग | प्रेक्षण | निष्कर्ष |
1 | मिश्रण +तनु H2SO4 (ठन्डे में) थोड़ा सा गर्म करने पर | कोई क्रिया नहीं | प्रथम समूह अनुपस्थित |
2 | (i) मिश्रण + सांद्र H2SO4 थोड़ा सा गर्म करने पर | तीक्ष्ण गंधयुक्त गैस | द्वितीय समूह संभव |
(ii) परखनली के मुख पर NH4OH से भीगी छड़ लाने पर | सफ़ेद धुआं निकलता है | Cl – निश्चित | |
(iii)मिश्रण + तनु HNO3 +AgNO3 | सफ़ेद अवक्षेप , NH4OH में विलेय | Cl – निश्चित |
रासायनिक अभिक्रियाएं :-
प्रेक्षण तालिका :- क्षारीय मूलक की पहचान करना –
क्र0सं0 | प्रयोग | प्रेक्षण | निष्कर्ष |
1 | मिश्रण + NaOH थोड़ा सा गर्म करने पर | अमोनिया की गंध आती है | NH4 + संभव |
2 | परखनली के मुख पर NH4OH से भीगी छड़ लाने पर | सफ़ेद धुआं निकलता है | NH4 + निश्चित |
रासायनिक अभिक्रियाएं :-
परिणाम :- दिए गए लवण में उपस्थित एक अम्लीय मूलक तथा एक क्षारीय मूलक निम्न हैं –
(i) अम्लीय मूलक …. Cl – ( क्लोराइड आयन )
(ii) क्षारीय मूलक …… NH4 + ( अमोनियम आयन )
image
प्रयोग संख्या – 04
उद्देश्य :- दिए गए लवण (मिश्रण) में एक अम्लीय मूलक तथा एक क्षारीय मूलक की पहचान कीजिये I
आवश्यक उपकरण :-टेस्ट ट्यूब,फ़िल्टर पेपर ,बर्नर, स्प्रिट लैम्प , टेस्ट ट्यूब होल्डर ,अभिकर्मक इत्यादि I
प्रेक्षण तालिका :- अम्लीय मूलक की पहचान करना –
क्र0सं0 | प्रयोग | प्रेक्षण | निष्कर्ष |
1 | मिश्रण +तनु H2SO4 (ठन्डे में) | रंगहीन , गंधहीन गैस बुदबुदाहट के साथ निकलती है | CO3 – – संभव |
2 | गैस को चूने के पानी में प्रवाहित करने पर | चूने का पानी दूधिया हो जाता है | CO3 – – निश्चित |
रासायनिक अभिक्रियाएं :-
(चूने का पानी)
प्रेक्षण तालिका :- क्षारीय मूलक की पहचान करना –
रासायनिक अभिक्रियाएं :-
परिणाम :- दिए गए लवण में उपस्थित एक अम्लीय मूलक तथा एक क्षारीय मूलक निम्न हैं –
मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
संविधान की आधारभूत संरचना का तात्पर्य संविधान में आधारभूत विश्लेषण क्या है? निहित उन प्रावधानों से है, जो संविधान और भारतीय राजनीतिक और लोकतांत्रिक आदर्शों को प्रस्तुत करता है। इन प्रावधानों को संविधान में संशोधन के द्वारा भी नहीं हटाया जा सकता है। वस्तुतः ये प्रावधान अपने आप में इतने महत्त्वपूर्ण हैं कि इनमें नकारात्मक बदलाव से संविधान का सार-तत्त्व, जो जनमानस के विकास के लिये आवश्यक है, नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा।
यद्यपि संविधान में आधारभूत ढाँचा वस्तुनिष्ठ रूप से उल्लिखित नहीं है किंतु न्यायालय के विभिन्न वादों के निर्णयों के माध्यम से इसे स्पष्टत: समझा जा सकता है। भारत में संविधान की आधारभूत संरचना के सिद्धांत को केशवानंद भारती मामले से जोड़ कर देखा जा सकता है। संविधान के 24वें संशोधन पर विचार करते समय न्यायालय ने निर्णय दिया कि विधायिका अनु. 368 के तहत संविधान की मूल संरचना को नहीं बदल सकती। न्यायालय का एक तर्क यह था कि संविधान सभा का महत्त्व वर्तमान के विधायिका की तुलना में अधिक है, इसलिये विधायिका संविधान के सार-तत्त्व को नहीं बदल सकती। साथ ही इसमें संविधान की सर्वोच्चता, आधारभूत विश्लेषण क्या है? संविधान की धर्मनिरपेक्षता, व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा जैसे तत्त्वों को संविधान की आधारभूत संरचना का भाग बताया गया है।
आगे, न्यायपालिका के विभिन्न निर्णयों में इसे महत्त्व प्रदान करते हुए कई अन्य महत्त्वपूर्ण प्रावधानों को संविधान के आधारभूत ढाँचे का भाग बताया गया। इसे निम्न रूप में देखा जा आधारभूत विश्लेषण क्या है? सकता है :-
- इंदिरा गाँधी मामले में न्यायिक समीक्षा तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को संविधान की आधारभूत अवसंरचना का भाग माना गया।
- मिनर्वा मिल्स मामले में न्यायिक समीक्षा के अलावा मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धांतों के बीच संतुलन को संविधान के आधारभूत ढाँचे का भाग माना गया।
- उसी प्रकार सेन्ट्रल कोलफील्ड मामले में ‘न्याय तक प्रभावी पहुँच’, भामसिंह जी मामले में ‘कल्याणकारी राज्य की अवधारणा’ तथा इंदिरा साहिनी मामले में कानून के शासन को आधारभूत ढाँचे का भाग माना गया।
- आधारभूत ढाँचे के निर्णय में एस. आर. बॉम्बे मामला एक मील का पत्थर है। इसमें न्यायालय ने संघवाद, लोकतंत्र, ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ तथा सामजिक न्याय जैसी अवधारणाओं को महत्त्व प्रदान किया।
वास्तव में संविधान में आधारभूत अवसंरचना को स्पष्ट नहीं किये जाने के कारण इसका निर्धारण न्यायपालिका के विवेक पर ही निर्भर करता है। विवेकाधीन शक्ति होने के कारण यह सिद्धांत भी विवादों से परे नहीं है। उदाहरण के लिये हाल में ही न्यायपालिका द्वारा न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन को संविधान के आधारभूत ढाँचे के विरूद्ध बताना विवाद का विषय है, क्योंकि न्यायधीशों की नियुक्ति की वर्तमान व्यवस्था शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के अनुकूल नहीं है।
किन्तु, इसे सीमा मान कर संविधान के आधारभूत ढाँचे के सिद्धांत के महत्त्व को कम नहीं। किया जा सकता है। यह विधायिका की संविधान संशोधन की शक्ति को नियंत्रित कर विधायिका की निरंकुशता से बचाता है और लोकतंत्र के आधार को सुदृढ़ करता है।
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