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जिस व्यक्ति की कुण्डली में बुध जितने अच्छे होते हैं उतना ही वह व्यक्ति शेयर बाजार से धन कमाता है उतना ही अच्छा सटोरिया और शेयर ब्रोकर होता है।
जब व्यक्ति मंगल प्रधान होता है तो तेजड़िया बनता है और शनि प्रधान जातक मन्दड़िया बनता है।
अब आते है गृह के अनुसार कौन से गृह कैसी कम्पनियो का शेयर का प्रतिनिधित्व करते है ।
सूर्य जो अधिकांश समय बुध से साथ रहता है बुध को शाक्ति प्रदान करता है।
चंद्र से जल,चांदी, आईसक्रीम,शिपिंग, मोती, चावल की कम्पनियो की तेजी मंदी देखी जाती है।
मंगल से फार्मा सैक्टर, होटल,रियल एस्टेट,अस्त्र शस्त्र इत्यादि कम्पनियो की तेजी मंदी देखी जाती है। मंगल बद से मांस उद्योग।
बुध से वस्त्र उद्योग , बीमा कम्पनी, दलाली,प्रिंटिंग,सभी कृषि उत्पाद इत्यादि कम्पनियो का तेजी मंदी देखी जाती है।
गुरु से सोने , हवाई उद्योग की तेजी मंदी देखी जाती है।
शुक्र से रत्न उद्योग, फैशन उद्योग,विवाह से सम्बन्धित उद्योग,साज श्रंगार, फिल्म चलचित्र इत्यादि उद्योग में तेजी मंदी देखी जाती है।
शनि से शराब उद्योग, केमिकल,चमड़ा उद्योग, सभी शूज उद्योग, कंसट्रकसन उद्योग लोहा आयरन स्टील उद्योग,टायर टयूब उद्योग , मार्बल उद्योग, सभी गाड़ियों के उद्योग मे तेजी मन्दी देखी शेयर बाजार की सीमाये शेयर बाजार की सीमाये जाती है।
राहु से सभी इलेक्ट्रिकल, कीट नाशक, खाल उद्योग,इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में तेजी मंदी देखी जाती है।
विषय बहुत विस्तृत है शब्दों की अपनी सीमाये है।
यदि आप शेयर बाजार में धन लगाना चाहते हैं तो अपनी जन्म कुंडली का सूक्ष्म विश्लेशण किसी योग्य विशेषज्ञ से कराये और बुध गृह के बलाबल का विचार कराये।
VARUN K PANDEY
VAIDIK &SPIRITUAL PHILOSOPHER
ASTROLOGER &VASTU ADVISOR
9454543333

GYANGLOW

अर्थव्यवस्था में श्रम बाजार का अर्थ श्रम की मांग और आपूर्ति के साथ कार्य करता है। श्रम बाजार में श्रम की मांग, फार्म की मांग और आपूर्ति श्रमिक की श्रम की पूर्ति है।

श्रम बाजार वह शब्द है जिसका उपयोग अर्थशास्त्री श्रम के लिए सभी विभिन्न बाजारों के लिए करते हैं। कोई एकल श्रम बाजार नहीं है। बल्कि हर तरह के श्रम के लिए अलग बाजार है। श्रम काम के प्रकार (जैसे खुदरा बिक्री बनाम वैज्ञानिक), कौशल स्तर (प्रवेश स्तर या अधिक अनुभवी), और स्थान (प्रशासनिक सहायकों के शेयर बाजार की सीमाये लिए बाजार शायद विश्वविद्यालय के अध्यक्षों के बाजार की तुलना में अधिक स्थानीय या क्षेत्रीय है) से भिन्न होता है। जबकि प्रत्येक श्रम बाजार अलग है, वे सभी समान तरीके से काम करते हैं। उदाहरण के लिए, जब एक श्रम बाजार में मजदूरी बढ़ती है, तो वे दूसरों में भी बढ़ जाती हैं। अर्थशास्त्री जब श्रम बाजार की बात करते हैं, तो वे इन समानताओं का वर्णन कर रहे हैं।

सभी बाजारों की तरह श्रम बाजार में भी मांग और आपूर्ति होती है। फर्में श्रम की मांग क्यों करती हैं? एक नियोक्ता आपके श्रम के लिए आपको भुगतान करने को तैयार क्यों है? ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि नियोक्ता आपको पसंद करता है या सामाजिक रूप से जागरूक है। बल्कि, यह इसलिए है क्योंकि आपका श्रम नियोक्ता के लिए कुछ लायक है-आपके काम से फर्म को राजस्व मिलता है। एक नियोक्ता कितना भुगतान करने को तैयार है? यह आपके द्वारा फर्म में लाए गए कौशल और अनुभव पर निर्भर करता है।

श्रम बाजारों की विभिन्न विशेषताएं क्या हैं?

श्रम बाजारों की विभिन्न विशेषताएं इस प्रकार हैं:

एक वस्तु बाजार एक भौतिक स्थान को संदर्भित करता है जहां एक विशेष वस्तु के खरीदार और विक्रेता लेनदेन में शामिल होने के लिए इकट्ठा होते हैं जबकि एक श्रम बाजार को एक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है जिसके द्वारा एक विशेष प्रकार के श्रम की आपूर्ति और उस प्रकार के श्रम की मांग संतुलित होती है। एक अमूर्त।

दूसरे, कमोडिटी बाजार के विपरीत, श्रम बाजार में विक्रेता और खरीदार के बीच संबंध अस्थायी नहीं होते हैं और ऐसे व्यक्तिगत कारक, जिन्हें कमोडिटी बाजार में नजरअंदाज किया जा सकता है, श्रम बाजार में महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

तीसरा, एक वस्तु बाजार के विपरीत, एक श्रम बाजार में पूर्ण गतिशीलता की कमी होती है जो एक ही प्रकार के काम के लिए मजदूरी दरों की विविधता को जन्म देती है और हमें एक सामान्य मजदूरी दर नहीं मिलती है जिस पर बाजार दर स्वाभाविक रूप से होती है। दूसरे शब्दों में, श्रम बाजार अनिवार्य रूप से एक अपूर्ण बाजार है।

चौथा, मजदूरी निर्धारण श्रम बाजार की एक अनिवार्य विशेषता है, जहां (यूनियनों की अनुपस्थिति में) श्रम का खरीदार आम तौर पर कीमत निर्धारित करता है, लेकिन वस्तु बाजार में, यह आमतौर पर विक्रेता होता है जो कीमत निर्धारित करता है।

श्रम बाजार में जो कीमत निर्धारित की जाती है वह कुछ समय के लिए तय हो जाती है। नियोक्ता नहीं चाहते हैं कि मांग और आपूर्ति की स्थिति में हर बदलाव के साथ मजदूरी दरों में उतार-चढ़ाव हो।

पांचवां, श्रम बाजार वस्तु बाजार की तुलना में कहीं अधिक जटिल है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आलू कलकत्ता में बेचा जाता है या बंबई में विक्रेता को बेचा जाता है।

लेकिन यह इंसान के बारे में सच नहीं है। किसी व्यक्ति का पेशा या मौद्रिक इनाम जो भी हो, प्रत्येक व्यक्ति को लगता है कि वह एक अच्छे व्यवहार का हकदार है और उसके व्यक्ति की गरिमा का सम्मान किया जाना चाहिए।

एक विस्तारित अर्थव्यवस्था के श्रम बाजार की छठी आवश्यक विशेषता यह है कि अधिकांश व्यक्ति कर्मचारी हैं जबकि अपेक्षाकृत छोटे अल्पसंख्यक या तो कार्यरत व्यक्तियों के रूप में या रोजगार इकाइयों के नियोजित प्रबंधकों के रूप में कार्य करते हैं। चूंकि विशाल बहुमत मजदूर हैं, वे अल्पकालिक वेतन-स्तर, काम के घंटे और काम करने की स्थिति में रुचि रखते हैं।

औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप औसत रोजगार इकाई आकार में बड़ी हो गई है, इसकी सौदेबाजी की शक्ति का विस्तार हुआ है, साथ ही, व्यक्तिगत कार्यकर्ता की सौदेबाजी की शक्ति सिकुड़ गई है और सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए लगभग अर्थहीन हो गई है।

इसलिए, व्यक्तिगत कार्यकर्ता उसके लिए काफी बुनियादी कारकों के निर्धारण पर नियंत्रण खो देता है, जैसे कि मजदूरी, उसके काम के घंटे आदि। इस प्रकार, औद्योगीकरण श्रम बाजारों के भीतर खरीदारों और विक्रेताओं की सौदेबाजी की शक्ति में अलग-अलग रुझान पैदा कर रहा है।

अंत में, श्रम बाजारों के भीतर एक और विकास, जो कि औद्योगीकरण के कारण होता है, वह रहा है जिसे प्रो। केर ने बाजारों के 'बाल्कनाइजेशन' (यानी अलगाव की डिग्री) कहा है। यह श्रम बाजारों के भीतर संस्थागत नियमों के विकास को संदर्भित करता है।

श्रम संघों आदि की सदस्यता और वरिष्ठता नियमों जैसे संस्थागत नियमों का श्रम बाजारों पर कुछ अनिश्चित प्रभाव पड़ता है, जैसे कि श्रम गतिशीलता का धीमा होना और श्रम बाजारों में गैर-प्रतिस्पर्धी समूहों के बीच बाधाओं को मजबूत करना।

बाल्कनाइजेशन' का समग्र प्रभाव श्रम बाजारों के भीतर प्रतिस्पर्धा की बढ़ती खामियों में योगदान देना है।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि श्रम बाजार पूर्ण रोजगार की अवधि के दौरान अवसाद की अवधि की तुलना में अधिक पर्याप्त रूप से प्रदर्शन करता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि पूर्ण रोजगार की अवधि में व्यापक बेरोजगारी की अवधि की तुलना में अधिक रोजगार खुले हैं। यह पूर्ण रोजगार की अवधि के दौरान वेतन अंतर को कम करने के लिए एक स्पष्टीकरण प्रदान करता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में किए गए हाल के अनुभवजन्य अध्ययनों से संकेत मिलता है कि सामूहिक सौदेबाजी के अभाव में, नियोक्ता सख्ती से तुलनीय परिस्थितियों में एक ही इलाके में समान ग्रेड के श्रम के लिए विविध दरों का भुगतान करने के लिए अनिश्चित काल तक जारी रहेंगे।

इस प्रकार, श्रम बाजार पूर्ण प्रतिस्पर्धा के मानदंड की विशेषता नहीं है। कोई वेतन नहीं है जो बाजार को नियमित करेगा।

श्रम बाजार स्थिरता और तरलता की कमी और समान नौकरियों के लिए दरों की विविधता की विशेषता है। किसी विशेष नियोक्ता द्वारा पेश किए गए श्रम की कीमत में वृद्धि से अन्य फर्मों के कर्मचारियों को कम वेतन प्राप्त करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ने और उच्च वेतन नियोक्ता के पास जाने का कारण नहीं बनता है।

हमने देखा है कि श्रम बाजार को निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन श्रम बाजारों की सीमाओं को परिभाषित करना आसान नहीं है।

कुछ श्रमिकों के लिए श्रम बाजार दायरे में राष्ट्रीय (यहां तक ​​कि अंतरराष्ट्रीय) है जबकि कुछ श्रमिकों की गतिशीलता अत्यधिक प्रतिबंधित है। बाजार की सीमा कुछ हद तक कार्यकर्ता की शिक्षा और कौशल पर निर्भर करती है।

इंजीनियरों और डॉक्टरों जैसे उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों को कई अलग-अलग इलाकों में उपयुक्त रोजगार मिलने की संभावना है। ऐसे श्रमिकों के दूसरी नौकरी में जाने की संभावना है जो बेहतर भुगतान करती है।

विशिष्ट कौशल लिपिकों, अकुशल श्रमिकों आदि के बिना श्रमिकों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने में कठिनाई होती है। उनके श्रम बाजारों की सीमाएं गृह क्षेत्र तक सीमित रहने की संभावना है।

श्रम की गतिशीलता में आयु भी एक महत्वपूर्ण कारक है। सामान्य तौर पर, युवा श्रमिक श्रम बल में अपने पुराने समकक्षों की तुलना में अधिक गतिशील होते हैं।

250 अरब डॉलर से अधिक की वर्थ वाले मस्क के पास क्या इतना कैश है कि वह ट्विटर को खरीद पाएं?

एलन मस्क की अधिकांश संपत्ति टेस्ला के शेयरों में है

एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने के लिए 43 अरब डॉलर का ऑफर किया है. उन्होंने यह ऑफर ऑल कैश डील के तहत किया है. लेकिन क्या उ . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : April 15, 2022, 09:42 IST

नई दिल्ली . दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने सोशल मीडिया साइट में 9% की हिस्सेदारी वाली बात का खुलासा करने के बाद उसे पूरी तरह खरीदने की इच्छा जाहिर कर दी है. मस्क ने इसके लिए ट्विटर को 43 अरब डॉलर का ऑफर भी दिया है. इस पर ट्विटर का कहना है कि वह फिलहाल ऑफर पर विचार कर रही है और जो सभी हितधारकों के लिए उचित होगा वह कदम उठाया जाएगा.

लेकिन क्या ट्विटर को खरीदना इतना आसान काम होगा. क्या दुनिया का सबसे अमीर शख्स चुटकी बजाते ही 43 अरब डॉलर की डील सील कर सकता है. खबरों के मुताबिक तो ऐसा नहीं लगता है. ब्लूमबर्ग का कहना है कि इसके लिए मस्क को या तो अपने शेयर बेचने होंगे या फिर बाहर से कर्ज लेना होगा. दोनों ही सूरतों में मस्क के पास कैश में इतना पैसा नहीं है कि वह आसानी से ट्विटर का अधिग्रहण कर सकें. आइए मस्क के दोनों विकल्पों को समझते हैं.

पहला विकल्प शेयर बिक्री
मस्क की नेट वर्थ 282 अरब डॉलर के करीब है जो कि टेस्ला के शेयरों के उतार-चढ़ाव से बदलती रहती है. इस बात का मुख्य बिंदु भी यही है. मस्क की अधिकांश संपत्ति शेयरों में है जबकि उन्होंने ट्विटर को डील ऑफर पूरी तरह कैश में की है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, मस्क के पास फिलहाल 3 अरब डॉलर कैश है. इस आंकड़े के अनुसार यह साफ है कि उन्हें ट्विटर को खरीदने के लिए टेस्ला में अपने शेयरों के एक बड़े हिस्से को बेचना होगा. मस्क को इसके टेस्ला में अपना 1/5वां हिस्सा या 3.64 करोड़ शेयर बेचने होंगे. एकमुश्त इतनी बड़ी शेयर बिकवाली से टेस्ला के शेयरों की कीमत औंधे मुंह पलट सकती है.

कर्ज है दूसरा विकल्प
अगर शेयर बेचना टेस्ला के शेयरों की कीमत के लिए खतरा हो सकता है तो फिर दूसरा रास्ता है कि वह टेस्ला और स्पेसएक्स में अपने पदों के बल पर कर्ज लें. हालांकि, टीएमटी रिसर्च के नील कैंपलिंग का कहना है कि इस डील में इतनी बड़ी रकम खर्च होने वाली है कि यह एक उग्र अधिग्रहण के रूप में सामने आ सकता है. लेकिन कर्ज लेने की भी एक सीमा है. ब्लूमबर्ग का कहना है कि दुनिया के सबसे अमीर शख्स के लिए कर्ज लेने की सीमाए हैं. मस्क पहले ही अपने शेयरों के बल पर 20 अरब डॉलर का कर्ज ले चुके हैं और अब वह अपनी 2 होल्डिंग्स के बूते केव 35 अरब डॉलर का ही कर्ज ले पाएंगे. वरिष्ठ क्रेडिट विश्लेषक रॉबर्ट शिफमैन के अनुसार, इस डील के साथ कई शर्तें जुड़ी दिख रही हैं जिनमें से वित्त की कमी को पूरा करना है एक चुनौती है. वह कहते हैं कि इन्हीं कारणों से इस सौदे का सफल होना थोड़ा कठिन दिखाई दे रहा है.

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विधानसभा में दो विधेयक पास, जज बनेंगे लोकायुक्त और मंडी को मिली यूनिवर्सिटी

विपक्ष ने विरोध करते हुए किया वॉकआउट, विश्वविद्यालय को बताया चुनावी स्टंट

विधानसभा में दो विधेयक पास, जज बनेंगे लोकायुक्त और मंडी को मिली यूनिवर्सिटी

Update: Wednesday, December 15, 2021 @ 10:16 AM

धर्मशाला। विधानसभा में मंगलवार को ध्वनिमत से शेयर बाजार की सीमाये दो विधेयक पास हो गए। सबसे पहले शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज (Suresh Bhardwaj) ने लोकायुक्त संशोधन विधेयक को पारित करने के लिए सदन में प्रस्तुत किया। लोकायुक्त संशोधन विधेयक को लेकर माकपा विधायक राकेश सिंघा (Rakesh Singha) ने सदन में संशोधन प्रस्तुत किए। संशोधनों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए राकेश सिंघा ने कहा कि मौजूदा स्वरूप में विधेयक के पारित होने की स्थिति में इसके गंभीर राजनीतिक और कानूनी परिणाम होंगे। इसका राजनीतिक खामियाजा बीजेपी (BJP) को भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि सीएम का ओहदा हाई कोर्ट (High Court) के मुख्य न्यायाधीश से कम नहीं। लिहाजा मुख्य न्यायाधीश से नीचे के न्यायाधीशों द्वारा सीएम (CM) के खिलाफ जांच किए जाने की स्थिति में हम पद की गरिमा को गिरा रहे हैं। उन्होंने लोकायुक्त कानून में सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें वापस लेने की मांग की। संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की विपक्ष की मांग नामंजूर किए जाने से नाराज विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट (Walkout) किया। चर्चा का उत्तर देते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में लोकायुक्त का पद काफी समय से खाली पड़ा है। सरकार इस पद को भरना चाहती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Superem Court)और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम के माध्य़म से की जाती है। कई बार सरकारें सीएम के खिलाफ कोर्ट ऑफ इनक्वायरी अथवा न्यायिक जांच के आदेश देती है। उस स्थिति में भी जज ही मामले की जांच करते हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार उन्मूलन कानून के तहत दर्ज मामलों में सीएम और मंत्रियों को सत्र न्यायालय में भी पेश होना पड़ता है। लिहाजा यह कहना जायज नहीं कि लोकायुक्त के पद पर हाई कोर्ट की जज की नियुक्ति से सीएम के पद की गरिमा घटेगी। उन्होंने सदन में संशोधन कानून पारित करने का आग्रह किया। इसके बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में ध्वनिमत से लोकायुक्त संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया।

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मंडी में सरदार पटेल विश्वविद्यालय का रास्ता साफए विधानसभा में विधेयक पास

सीएम के गृह जिला मंडी (Mandi) में प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालय की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश विधानसभा ने आज सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी, हिमाचल प्रदेश स्थापना और विनियमन विधेयक 2021 को बहुमत से पारित कर दिया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री गोबिंद ठाकुर (Education Minister Gobind Thakur) ने घोषणा की कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए जितना भी धन अपेक्षित होगाए उसका वर्ष 2022-23 के बजट में प्रावधान कर दिया जाएगा। कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी को चुनावी स्टंट करार दिया और कहा कि सरकार इस तरह की अधूरी घोषणाएं कर लोगों के दिल नहीं जीत सकती।

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नहीं बढ़ेगी आय सीमाए विपक्ष ने घेरी सरवीन

आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए आय सीमा 35 हजार रुपए ही रहेगी। इस आय सीमा को बढ़ाने का फिलहाल सरकार का कोई इरादा नहीं है। यह जानकारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीन चौधरी (Sarveen Choudhary)ने विधायक इंद्रदत्त लखनपाल (MLA Indradutt Lakhanpal), सतपाल रायजादा (Satpal Raizada) व अरुण कुमार (Arun Kumar) के संयुक्त सवाल के जवाब में दी। मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न तरह की पेंशन में पिछली सरकार से दोगुना बजट दिया जा रहा है। उन्होंने अपने विभाग की कुछ उपलब्धियां गिनाई, लेकिन विपक्ष के विधायक प्रश्न का जवाब न देने के कारण उनसे नाराज हो गए और हंगामा करने लगे। विपक्षी विधायकों का कहना था कि जो सवाल किया हैए मंत्री उसका जवाब दे और सदन का समय बर्बाद न करे।

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ठेकेदारों के खिलाफ होगी कार्रवाई

जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Mahendra Singh Thakur) ने कहा कि जानबूझ कर सड़कों का काम लंबित करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विधायक रोहित ठाकुर (Rohit Thakur) के सवाल के उत्तर में महेंद्र सिंह ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के टेंडर पूरी पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से करवाए जाते हैं। इसमें काम को पूरा करने के लिए निश्चित अवधि भी तय होती है। यदि कोई ठेकेदार जानबूझकर काम को लटकाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। रोहित ठाकुर ने जुब्बल-कोटखाई की कुछ सड़कों के काम लंबित होने का मामला उठाया था। उनका कहना था कि एक ही ठेकेदार को कई काम आबंटित कर दिए हैं। पूर्व सरकार के समय से चले आ रहे यह काम अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं।

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किराए के कमरे में चल रहे जयनगरए दाड़लाघाट कालेज

सदन में अर्की के नवनिर्वाचित विधायक संजय अवस्थी (Sanjay Awasthi) ने अपना पहला सवाल किया। उन्होंने जयनगर और दाड़लाघाट कालेज का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दोनों जगहों पर कालेज किराए के मकान में चल रहे हैं। बरसात के दिनों में छात्रों को ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। इसके अलावा कालेज में शौचालय न होने से उन्हें खासी दिक्कत हो रही है। शेयर बाजार की सीमाये इस सवाल पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि जयनगर के लिए पांच करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है और 87 लाख रुपए जारी कर दिया गया है। यह मामला एफसीए क्लीयरेंस में फंसा हैए जिसकी स्वीकृति मिलते ही तेजी से काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दाड़लाघाट कालेज को 2ण्26 करोड़ जारी कर दिया है। उन्होंने शौचालयों का शीघ्र निर्माण करने के आदेश विभाग को जारी कर दिए हैं।

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घाटे में चल रहे सरकारी डिपो होंगे बंद

खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग (Rajendra Garg) ने बताया कि प्रदेश में 72 सरकारी डिपो घाटे में चल रहे हैं। इनमें से 13 डिपुओं को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि दुकानों को बंद करने से पहले वहां वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही हैए ताकि लोगों को दिक्कत न हो। वे धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया (Vishal Naihariya) के सवाल का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने बताया कि धर्मशाला में भी 3 ऐसी दुकानें हैए जिन्हें बंद किया जाना हैए लेकिन इससे पहले जनहित में वैकल्पिक इंतजाम किया जाएगा।

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