भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ
Year: Apr, 2019
Volume: 16 / Issue: 5
Pages: 1844 - 1850 (7)
Publisher: Ignited Minds Journals
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E-ISSN: 2230-7540
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Published URL: http://ignited.in/I/a/303629
Published On: Apr, 2019 भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ
Article Details
प्राचीन भारत में उत्तरापथ के व्यापारिक महत्व का ऐतिहासिक अध्ययन | Original Article
Manoj Kumar Verma*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 119.42 अरब डॉलर पर
नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) अमेरिका बीते वित्त वर्ष (2021-22) में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इससे दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक रिश्तों का पता चलता है। इस तरह भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था। आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर था।
वित्त वर्ष के दौरान चीन को भारत का निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था।
वहीं इस दौरान चीन से भारत का आयात बढ़कर 94.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर पर था। वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 72.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 44 अरब डॉलर रहा था।
व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्षों में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद व्यापार भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। वैश्विक कंपनियां अपने कारोबार का भारत और अन्य देशों में विविधीकरण कर रही हैं।
खान ने कहा, ‘‘आगामी बरसों में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा। भारत, अमेरिका की हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) पहल में शामिल हुआ है। इससे आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।’’
भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), बेंगलूर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते अमेरिका और भारत की कंपनियों के पास प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के काफी अवसर हैं।
जोशी ने बताया कि भारत द्वारा अमेरिका को मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों, पालिश हीरों, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल आदि का निर्यात किया जाता है। वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है।
अमेरिका उन कुछ देशों में है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 32.8 अरब डॉलर का है। 2013-14 से 2107-18 तक और उसके बाद 2020-21 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
पारस्परिक लाभ: भारत – अमेरिका व्यापारिक सहयोग
पिछले सप्ताह ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन की भारत यात्रा ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और ‘अमेरिका के अपरिहार्य भागीदारों में से एक’ के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किए जाने के तथ्य को रेखांकित किया है। व्यापक आर्थिक, व्यापारिक एवं रणनीतिक चुनौतियों में उलझा वर्तमान वैश्विक माहौल दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए अपने व्यापारिक संबंधों को पारस्परिक रूप से लाभकारी तरीके से गहरा करना और भी अधिक जरूरी बनाता है। दिल्ली में, सुश्री येलेन ने इस बात पर जोर दिया कि “संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत एक ऐसी दुनिया में अपनी पारस्परिक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में रुचि रखते हैं जहां कुछ सरकारें व्यापार को एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं”। अमेरिका खास तौर पर आपूर्ति-श्रृंखला में आने वाले व्यवधानों के लिहाज से अपनी नाजुक स्थिति को दुरूस्त करने के लिए उत्सुक है और इसलिए वह भारत के साथ ‘फ्रेंडशोरिंग’ की रणनीति अपना रहा है। ‘फ्रेंडशोरिंग’ की यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला में ‘भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी जोखिम पेश करने वाले देशों’ पर उसकी निर्भरता को कम करने की योजना का एक प्रमुख तत्व है। यूक्रेन पर हमले का हवाला देते हुए और मास्को द्वारा यूरोप को प्राकृतिक गैस की अपनी आपूर्ति को एक ‘हथियार’ के तौर पर इस्तेमाल किए जाने के साथ - साथ सौर पैनलों जैसे उत्पादों के उत्पादन में चीन के वर्चस्व की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने चुनिंदा आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने में मदद के उद्देश्य से विकासशील देशों में स्थानीय भागीदारों को विकसित करने की वाशिंगटन की दिलचस्पी को रेखांकित किया।
सुश्री येलेन की यह यात्रा द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में निहित अवसरों और चुनौतियों को भी उजागर करती है। वाशिंगटन में बैठी वर्तमान सरकार ने खास तौर पर व्यापार के मसले में ट्रम्प प्रशासन के भारत विरोधी फैसलों की वजह से रिश्तों में आई दरार को पाटने के लिए कई कदम उठाए हैं। ट्रम्प प्रशासन के भारत विरोधी फैसलों में वरीयता की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत भारतीय निर्यातकों के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच की सुविधा को वापस लेने के साथ-साथ भारत को उसकी मुद्रा संबंधी चलन को लेकर उसे फिर से अमेरिका की ट्रेजरी की ‘निगरानी
सूची’ में डालने का 2020 का निर्णय भी शामिल है। हालांकि अमेरिका द्वारा जीएसपी के तहत मिलने वाली सुविधाओं को बहाल किया जाना अभी बाकी है और इसलिए दोनों देशों के निर्यातकों को अभी भी विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा इस तथ्य के बावजूद हो रहा है कि अमेरिका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है। दरअसल, अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रशासन ने भारत के संदर्भ में अपने निवेश माहौल आकलन में यह दर्ज किया है कि “डेटा स्थानीयकरण उपायों के सख्त कार्यान्वन और संभावित विस्तार, बढ़े हुए टैरिफ समेत नए संरक्षणवादी उपायों. और भारतीय-विशिष्ट मानकों के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं होने की स्थिति ने उत्पादकों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से प्रभावी ढंग से काट दिया है और द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश में विस्तार को सीमित कर दिया है”। अब जबकि भारत जी-20 की अध्यक्षता की बागडोर संभालने के लिए तैयार है, चुनांचे सुश्री येलेन द्वारा विशेष रूप से दिए गए अमेरिकी समर्थन के मुखर आश्वासन के मद्देनजर नई दिल्ली के पास जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक आर्थिक और व्यापार एजेंडे को अधिक समानता की ओर ले जाने का मौका है। विशेष रूप से व्यापार के मामले में आपसी विश्वास और सहयोग बढ़ाने से दोनों पक्षों को काफी फायदा होगा।
भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ
भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का 41वां संस्करण नई भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ दिल्ली, दिल्ली में 14 – 27 नवंबर, 2022 को आयोजित किया गया
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (MoCI) के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 14 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली, दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) के 41वें संस्करण का उद्घाटन किया।
- IITF भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ 2022 का विषय “वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल” है और इसे 14 से 27 नवंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था।
- यह MoCI के एक प्रभाग, भारत व्यापार संवर्धन संगठन (ITPO) द्वारा आयोजित किया गया था।
14-दिवसीय मेगा-इवेंट ने अतिरिक्त महत्व लिया क्योंकि यह “आजादी का अमृत महोत्सव” समारोह के साथ मेल खाता था।
भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) (41वां संस्करण) – 2022
i. IITF 2022 के भागीदार राज्य बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र हैं, जबकि फोकस राज्य उत्तर प्रदेश और केरल हैं।
ii. IITF 2022 में 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के प्रदर्शकों ने भाग लिया, जिसमें लेह (लद्दाख) ने इस साल पहली बार भाग लिया।
iii. 41वें IITF में भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बहरीन, बेलारूस, ईरान, नेपाल, थाईलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यूनाइटेड किंगडम (UK) सहित 12 देशों के विदेशी प्रदर्शक भी शामिल थे।
iv. MSME पैवेलियन में महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों का उच्चतम प्रतिशत (74%) देखा गया।
41वां IITF 2022: MoH&FW ने आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रीब्यूशन टुवर्ड्स पब्लिक कम्युनिकेशन एंड आउटरीच के लिए पुरस्कार जीता
2022 में 41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) के पवेलियन को “आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रीब्यूशन टुवर्ड्स पब्लिक कम्युनिकेशन एंड आउटरीच” के लिए सम्मानित किया गया।
- हेल्थ पवेलियन का विषय ‘हील इन इंडिया, हील बाय इंडिया’ था।
हेल्थ पवेलियन ने हाल ही में लॉन्च किए गए PM TB-मुक्त भारत अभियान, राष्ट्रीय सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) और आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) सहित MoH&FW की कई पहलों, योजनाओं और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
- इसका उद्घाटन डॉ. V. K. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), NITI आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) द्वारा किया गया था।
41वां IITF 2022: अफगानिस्तान ने फॉरेन सेक्टर में स्वर्ण पदक जीता
अफगानिस्तान को 2022 में 41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में ‘फॉरेन सेक्टर’ में ‘स्वर्ण पदक’ प्रदान किया गया।
- फॉरेन सेक्टर में, थाईलैंड को ‘रजत पदक’, तुर्किये को ‘कांस्य पदक’ और बहरीन को विशेष प्रशंसा प्रमाणपत्र दिया गया।
41वां IITF 2022: केरल पवेलियन ने राज्य और UT श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता
केरल को भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2022 के 41वें संस्करण में ‘राज्य और केंद्र शासित प्रदेश’ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पवेलियन के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
- केरल पवेलियन ने केरल की विशिष्ट वास्तुकला का जश्न मनाया और बेपोर, कोझिकोड, केरल में कुशल कारीगरों द्वारा बनाए गए शो पर आधारित था।
- जिनान C.B. ने केरल पवेलियन को डिजाइन किया, जो मेले के विषय “वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल” पर आधारित है।
नोट: मध्य प्रदेश (MP) ने अपनी विशेष प्रस्तुति के लिए कांस्य पदक प्राप्त किया।
41वां IITF 2022: ओडिशा पवेलियन को मिला ‘प्रदर्शन में उत्कृष्टता का प्रमाणपत्र’
भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) के 41वें संस्करण में, ओडिशा पवेलियन को “राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश” की श्रेणी में प्रतिष्ठित “स्पेशल अप्प्रेसिएशन सर्टिफिकेट फॉर एक्सीलेंस इन डिस्प्ले” से सम्मानित किया गया।
हाल के संबंधित समाचार:
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (MoCI) के वाणिज्य विभाग के पास उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों (अक्टूबर 2022 तक) के अनुसार, रूस 2021 में 25वें स्थान से भारत का 7वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। यूनाइटेड स्टेट्स (US) 57,632.37 मिलियन अमरीकी डालर के व्यापार की मात्रा के साथ FY23 के अप्रैल-अगस्त से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (MoCI) के बारे में:
केंद्रीय मंत्री – पीयूष गोयल (राज्यसभा – महाराष्ट्र)
राज्य मंत्री (MoS) – अनुप्रिया पटेल; सोम प्रकाश
भारतीय व्यापार का इतिहास
प्राचीन काल से लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना तक भारत अपने शानदार धन के लिए प्रसिद्ध भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ था। भारतीय व्यापार इतिहास दर्शाता है कि 12 वीं से 16 वीं शताब्दी तक लगातार राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद देश अभी भी समृद्ध था। मुस्लिम शासकों द्वारा राजनीतिक और आर्थिक नीतियां देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचारित है |
भारत अपने वस्त्रों के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है । गुजरात से कपड़ा अरब देशों और दक्षिण-पूर्वी एशिया में भेजे गए थे। भारत के व्यापार इतिहास में हार्ड्वुड फर्नीचर है, हालांकि महंगी तक्षकला मुगल शैली से प्रेरित थे, लेकिन फर्नीचर को यूरोपीयेन डिजाइन पर आधारित किया गया था। प्राचीन और मध्ययुगीन भारत में कालीनों का उपयोग किया गया था लेकिन कालीन बुनाई का कौशल केवल 16 वीं शताब्दी में मुगल युग के दौरान नई ऊंचाई पर पहुंच गया था | दक्षिण भारत में आकृति पत्थर, हाथीदांत, मोती और कछुए के शैल में सजावटी कामों की एक विशाल विविधता का उत्पादन किया गया था। पर्ल मछली पकड़ना यहाँ एक प्रमुख उद्योग था।
दिल्ली को एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ में, देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने वाले सुव्यवस्थित सड़कों ने व्यापार की सुविधा प्रदान की। नदी मार्गों ने देश के विभिन्न हिस्सों के बीच व्यापार को भी बढ़ावा दिया। अरब व्यापारियों ने रेड सी और मेडटरैनीअन पोर्ट्स के माध्यम से यूरोपीय देशों को भारतीय माल उपलब्ध कराया ।
18 वीं शताब्दी में ब्रिटिश सत्ता के उदय ने देश की समृद्धि को एक घातक झटका लगा । ब्रिटिशों ने अन्य देशों के साथ भारत के विदेशी व्यापार संबंधों को बाधित करने के लिए आयात और निर्यात दोनों पर भारी शुल्क लगाया |
1947 में जब भारत ने अंग्रेजों से स्वतंत्रता हासिल की, तब तक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से व्यापार के लिए तैयार थी। बढ़ती भारतीय आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए शायद ही कोई उत्पादन सुविधाएं हैं। भारतीय व्यापार के इतिहास में पिछले कुछ दशकों ने देश को आत्मनिर्भर करने केलिए उत्पादन क्षमता बनाने के लिए संघर्ष कर रहे है। सरकार इस पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि अर्थव्यवस्था को एक अविकसित स्थिति से विकसित राष्ट्र बनाया जा सके।
भारत आज एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था से अधिक है। दार्जिलिंग चाय, भारतीय खादी, बॉम्बे डक, कश्मीरी कालीन, भारतीय मसाले और सूखे फल, कुछ ऐसे प्रसिद्ध उपहार हैं जो भारत ने दुनिया को दिया है। शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आर्थिक स्तर में सुधार हुआ है। भारतीय व्यापार का इतिहास उल्लेखनीय है। भारतीय व्यापार को बहुत लाभ हुआ है और दुनिया को भी |देश को यह एहसास हो गया है कि अपने स्वयं के संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना ही सही है |
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