एनाम ब्रोकिंग के प्रमुख धर्मेश मेहता की बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत
उन्होंने इस पर भी विस्तार से चर्चा की कि बिना किसी विदेशी गठजोड़ के आखिर भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया एनाम क्यों सफल है। उन्होंने ब्रोकिंग उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा भी की। भारतीय ब्रोकिंग उद्योग का चेहरा बहुत तेजी से बदल रहा है और यह एक दशक पहले के ब्रोकिंग उद्योग से पूरी तरह अलग है।
भारतीय ब्रोकरों के लिए भविष्य किस प्रकार बदल रहा है?
भारतीय ब्रोकरों में आज नए तरह का आत्मविश्वास है क्योंकि इससमय ब्रोकिंग उद्योग बहुत महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है । जिन निवेशकों ने पहले आई मंदी के दौर में खुद को बचा लिया,उनका भाग्य बन गया। इसकी वजह है कि तब से ब्रोकिंग उद्योग केराजस्व में कई गुना का इजाफा हो चुका है।
अब बड़े घरेलू ब्रोकिंग फर्म भी प्रतिभाओं को अपनी ओर खींच रहे यहां तक कि विदेशी ब्रोकिंग फर्म की प्रतिभाओं को भी। इसके अलावा वे कर्मचारियों को ब्रोकिंग कंपनी में हिस्सेदारी भी उपलब्ध करा रही हैं। इसके अलावा छोटी ब्रोकिंग कंपनियों ने भी अपनी मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग का तरीका बदल दिया है। सभी ब्रोकिंग कंपनियां वैल्यू एडेड सेवाओं पर फोकस कर रही है।
एनाम हमेशा से ब्रोकिंग बाजार का एक प्रमुख खिलाड़ी रहा है लेकिन अभी तक आपने किसी भी प्रकार का विदेशी गठजोड़ नहीं किया है?
हां,लंबे समय से बाजार में हमारी अच्छी खासी हिस्सेदारी रही है और हम अपनी हिस्सेदारी को बरकरार रखेंगे। हम संस्थागत और वैयक्तिक दोनों सेगमेंट में 25 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़े वितरक हैं।
भारत में निवेश में शोध को शुरु करने का श्रेय एनाम को ही जाता है और हमारी ब्रोकिंग कंपनी अपने शोधों की क्वालिटी और विचारों के लिए जानी जाती है। हमने ही सबसे पहले टेक्नोलॉजी, मीडिया,रिटेल,रियल एस्टेट सीमेंट और पॉवर जैसे क्षेत्रों में निवेश करना शुरु किया।
ब्रोकिंग उद्योग के सामने कौन सी चुनौतियां है?
आने वाले दिनों की सबसे बड़ी चुनौती योग्य प्रतिभाओं की कमी और उपयुक्त अधिसंरचना का अभाव है। आगे चलकर टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी और घरेलू ब्रोकिंग कंपनियों को खुद को नई तकनीकों से लैस करना भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया पड़ेगा। घरेलू ब्रोकिंग कंपनियों के उत्पादों गहराई भी एक बड़ा मामला है।
हालांकि एफआईआई पर ऐसी कोई पाबंदी नही है जिससे राजस्व में बाधाएं उत्पन्न हो। जैसे जैसे भारत में म्युचुअल फंड उद्योग बदल रहा है,वर्तमान रोक पर विचार करने की जरुरत है।
डायरेक्ट मार्केट एक्सेस (डीएमए) का छोटे निवेशकों पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है?
डीएमए मूलरुप से उन निवेशकों केलिए है जिनके पास निवेश की लंबी योजनाएं है। इस कदम से प्रापियेटरी कारोबार या आर्बिटेज कारोबार कम आकर्षक और ज्यादा प्रतियोगी हो जाएगा।
विनियामक आईपीओ के प्रावधानों में कुछ फेरबदल करने जा रहा है जैसे आईपीओ लाने के पहले 100 फीसदी पेमेंट के बारे में प्रावधान, क्या इससे आईपीओ बाजार प्रभावित होगा?
ये प्रावधान सिस्टम के लिए अच्छे हैं। इससे यह परिवर्तन होगा कि योग्य निवेशक ही आईपीओ खरीद पाऐंगे और आईपीओ की ओवरसब्सक्रिप्शन का अनुपात भी घटेगा। यह आईपीओ बाजार की स्थायित्व के लिए ठीक है।
सेकंडरी बाजार पर आपकी क्या राय है?
यद्यपि वैश्विक दृष्टि से तरलता बनी हुई है लेकिन मानसून तक बाजार में एक दायरे में ही कारोबार होगा। बाजार केसही दिशा में संचालन के लिए महंगाई,तेल की कीमतें और चुनाव प्रमुख बाधाएं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव के हालात बने रहेंगे। तेल एवं गैस,खनन,विनिर्माण और इंजीनियरिंग जैसे कुछ क्षेत्र हैं जिनके आउटपरफार्म करने के आसार हैं।
दुनिया में इस वजह से है टॉप पर Nifty, Zerodha के फाउंडर ने समझाया पूरा गणित
Indian Stock Market: दुनिया के बड़े-बड़े बाजारों जैसे एसएंडपी 500 और निक्की की तुलना में भारतीय शेयर बाजार ज्यादा एक्सपेंसिव है. शेयर ब्रोकिंग सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ ने दो इंडिकेटर्स के जरिए इसका पूरा गणित समझाया है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 25 जून 2022,
- (अपडेटेड 25 जून 2022, 7:17 PM IST)
- Nifty-50 का इंडेक्स पीई रेशियो 19.9
- शेयर मार्केट का बफेट इंडिकेटर 94%
भले ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 (Nifty 50) इंडेक्स अपने अभी अपने रिकॉर्ड हाई से 16 फीसदी नीचे आ गया है, लेकिन इसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) दुनिया के अन्य स्टॉक मार्केटों की तुलना में सबसे ज्यादा एक्सपेंसिव है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि जेरोधा (Zerodha) और ट्रू-बीकन (True Beacon) के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) ने इसका पूरा गणित समझाया है. कामथ के मुताबिक अमेरिका और जापान के बाजार भी भारत से सस्ते हैं.
इंडेक्स पीई अनुपात आधिक
निखिल कामथ का दो इंडिकेटर्स के आधार पर कहना है कि भारतीय शेयर बाजार दुनिया के अन्य देशों के बाजारों से एक्सपेंसिव है. पहला उन्होंने बताया कि निफ्टी-50 का इंडेक्स पीई रेशियो (Index PE Ratio), एसएंडपी 500 (S&P) और निक्की 225 (Nikkei) से भी ज्यादा है, जो कि इसे सबसे महंगा बाजार बनाता है. रिपोर्ट के मुताबिक हाई पीई इंडेक्स रेशियो ज्यादा होने का मतलब होता है कि बाजार की जो टोटल वैल्यू है उसके अनुपात में उतना रिटर्न नहीं है. ऐसे में निफ्टी दुनिया के सबसे महंगे शेयर बाजारों में से एक है.
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पीई रेशियो (प्राइस अर्निंग रेशियो) की गणना इंडेक्स मार्केट कैप (Market Cap) को ग्रॉस इनकम से डिवाइड करके निकाली जाती है. आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब निफ्टी पर लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू और उनसे हासिल होने वाले रिटर्न का अनुपात है. निफ्टी का इंडेक्स पीई अनुपात अभी 19.9 है, जबकि एसएंडपी और निक्की का क्रमशः 18.95 और 18.79 है. इसके अलावा ब्रिटेन, जापान, शंघाई, ब्राजील और जर्मनी जैसे अन्य बाजारों के प्रमुख इंडेक्स भारत की तुलना में और भी ज्यादा सस्ते हैं.
बफे इंडिकेटर के हिसाब से यहां
दूसरा संकेतक बफे इंडिकेटर (Buffett Indicator) है. इसका जिक्र करते हुए कामथ ने कहा कि इसके आधार पर भी भारतीय शेयर बाजार सबसे महंगे बाजारों में से एक है. इस इंडिकेटर को दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे ने शुरू किया था, इस इंडिकेटर में देश की जीडीपी से इंडेक्स मार्केट कैप को डिवाइड करके गणना की जाती है. पीई रेशियो की तरह ही हाई बफे इंडिकेटर भी महंगे बाजार की ओर संकेत करता है.
कामथ के शेयर किए आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका का बफे इंडिकेटर 138.9 फीसदी, जबकि जापान का 113 फीसदी है. इसके बाद 94 फीसदी के साथ भारत को नंबर आता है, जो कि ब्रिटेन (89 फीसदी), ब्राजील (53 फीसदी), चीन (58.7 फीसदी) और जर्मनी (47.4 फीसदी) से कहीं ज्यादा है. गौरतलब है कि जेरोधा भारत में म्युचुअल फंड और बॉन्ड समेत अन्य वित्तीय सेवाएं देती है.
सरकार की टेस्ला को दो टूक, कहा- भारत में लगाना है कंपनी, तो भारतीयों को देना होगा रोजगार
भारत ने टेस्ला पर अपना रुख बिल्कुल साफ कर दिया है. सरकार ने कहा है कि अगर भारत में कंपनी स्थापित करना चाहते हैं, तो भारतीयों को रोजगार में प्राथमिकता देनी होगी.
Published: February 9, 2022 8:54 AM IST
भारत सरकार ने टेस्ला (Tesla) पर अपना रुख बिल्कुल साफ कर दिया है. सरकार का कहना है कि हमने टेस्ला (Tesla) से कहा है कि अगर भारत में कंपनी स्थापित करना चाहते हैं तो यहां के लोगों को रोजगार देना होगा. भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने मंगलवार को कहा कि ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है जहां बाजार भारत हो, लेकिन रोजगार के चीन हो. अमेरिका स्थित इलेक्ट्रिक वाहन प्रमुख टेस्ला (Tesla) को तब तक छूट नहीं दी जाएगी जब तक कि वह भारत में विनिर्माण गतिविधियों में भाग नहीं लेती है.
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मंत्री ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा को यह भी बताया कि कंपनी ने अभी तक सरकार की नीति के अनुसार योजनाओं के लिए आवेदन नहीं किया है.
पिछले साल, एलन मस्क की अगुवाई वाली कंपनी ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर आयात शुल्क में कमी की मांग की थी, लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय ने फर्म से किसी भी कर रियायत पर विचार करने से पहले देश में अपने प्रतिष्ठित ईवी का निर्माण शुरू करने के लिए कहा.
गुर्जर ने कहा कि सरकार के पास ऑटोमोबाइल और ऑटो घटकों के साथ-साथ उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी के निर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन हैं. दोनों योजनाएं घरेलू और विदेशी संस्थाओं के लिए खुली हैं.
टेस्ला पर एक सवाल के जवाब में, मंत्री ने कहा, “कंपनी चीन और भारत के बाजार से श्रमिकों को चाहती है. मोदी सरकार में यह संभव नहीं है … हमारी सरकार की नीति है कि अगर भारत के बाजार का उपयोग करना है, तो नौकरी के अवसरों को भारतीयों को देना होगा.”
मंत्री का यह जवाब कांग्रेस सदस्य के सुरेश के एक सवाल के जवाब में आया कि क्या सरकार टेस्ला को भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करेगी और देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के बड़े पैमाने पर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
मंत्री ने कहा, “सदस्य से पूछना चाहते हैं कि क्या वे चाहते हैं कि भारत का पैसा चीन जाए? उस कंपनी ने हमारी नीति के अनुसार आवेदन नहीं किया है. उसके लिए (कंपनी), भारत के दरवाजे खुले हैं, वे आ सकते हैं और नीति के अनुसार आवेदन कर सकते हैं, कंपनी स्थापित करें , हमारे लोगों को रोजगार दो, सरकारी राजस्व बढ़ाओ.”
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं हैं और फायदा यह है कि भारत में उन्नत तकनीक आएगी और पुर्जे भी यहां बनाए जाएंगे. लोगों को रोजगार मिलेगा और उपभोक्ताओं को सस्ते वाहन मिलेंगे.
बता दें, पिछले महीने, टेस्ला के संस्थापक और सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने कहा था कि कंपनी भारत में अपने उत्पादों को लॉन्च करने के लिए सरकार के साथ कई चुनौतियों का सामना कर रही है.
(With PTI Inputs)
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न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड
स्वामित्व - ढाँचा
प्रभात खबर न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड के स्वामित्व मे है। न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड के शेयरों को झावर परिवार के 6 व्यक्तियों और 21 कंपनियों के बीच विभाजित किया गया है।
न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड के व्यक्तिगत शेयरों को इस प्रकार विभाजित किया गया है, बृज किशोर झावर 6.07%, राजीव झावर 12.54%, प्रशांत झावर 19.05, अनुप्रिया झावर 3.97% और अनुपमा झावर 0.14% एयर झावर परिवार के पास कंपनी का 41.77% हिस्सा है।
कंपनियों में, न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड के प्रमुख शेयर हैं, उमिल शेयर एंड स्टॉक ब्रोकिंग सर्विसेज लिमिटेड के 30.54%, उषा मार्टिन वेंचर्स लिमिटेड 11.37%, पीटरहाउस इंवेस्टमेंट्स इंडिया लिमिटेड 5.69% और उषा ब्रेको लिमिटेड 6.52% है।
बृज किशोर झावर और प्रशांत झावर के पास उमिल शेयर एंड स्टॉक ब्रोकिंग सर्विसेज लिमिटेड में से प्रत्येक की 50% हिस्सेदारी है और इस कंपनी के माध्यम से न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड की 30.54% हिस्सेदारी है।
झावर फैमिली के पास उषा मार्टिन वेंचर्स लिमिटेड की 98% हिस्सेदारी और पीटरहाउस इनवेस्टमेंट्स इंडिया लिमिटेड की 96.79% हिस्सेदारी है, इन कंपनियों के पास 11.14% हिस्सेदारी और 5.50% हिस्सेदारी न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड की है।
इस प्रकार झावर परिवार के पास उषा ब्रेको लिमिटेड की 100% हिस्सेदारी है और इस कंपनी के माध्यम से न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड की 6.52% हिस्सेदारी है।
इसलिए न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड में झावर परिवार की कुल हिस्सेदारी 95.47% है
2020-2030 भारत का दशक होगा और भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बाजार बनेगा: मॉर्गन स्टेनली
अमेरिकी निवेश बैंकिंग फर्म मॉर्गन स्टैनली ने 'व्हाई दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में उम्मीद की है कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और अगले दशक में वैश्विक आर्थिक विकास में इसका पांचवां हिस्सा होगा।
मॉर्गन स्टेनली की यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान से मेल खाती है जिसके अनुसार 2027-28 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। भारत के शीर्ष बैंक एसबीआई भारत मे मुख्य ब्रोकिंग कंपनिया ने भी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में 2029 तक भारत को विश्व की तीसरी सबसे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है ।
हालांकि मॉर्गन स्टैनली ने अपने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि ये पूर्वानुमान अनुकूल घरेलू और वैश्विक कारकों पर निर्भर करेंगे।
मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं
- अगले दशक में भारत की जीडीपी मौजूदा 3.4 ट्रिलियन डॉलर से दोगुनी होकर 8.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। यह उम्मीद करता है कि भारत हर साल अपने सकल घरेलू उत्पाद में $ 400 बिलियन से अधिक जोड़ेगा , जो विश्व में केवल अमेरिका और चीन ने ही किया है।
- चार प्रमुख कारक - जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन से भारत के तेजी से विकास को सुगम बनाने की संभावना है,
- जीडीपी में विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) की हिस्सेदारी 2031 तक 15.6% से बढ़कर 21% हो जाएगी, जिसका मतलब है कि उत्पादन 447 बिलियन डॉलर से बढ़कर लगभग 1.49 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा।
- प्रति वर्ष $35,000 से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या आने वाले दशक में पांच गुना बढ़कर 25 मिलियन से अधिक होने की संभावना है।
- भारत की निजी खपत 2022 में 2 ट्रिलियन डॉलर से दोगुनी से अधिक होकर दशक के अंत तक 4.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी, एक आकार जो लगभग 2015 में चीन के समान होगा,
- 2031 तक भारत का वैश्विक निर्यात बाजार हिस्सा दोगुना से अधिक 4.5 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
- अगले दशक में भारत का सेवा निर्यात लगभग तिगुना होकर 527 बिलियन अमरीकी डॉलर (2021 में 178 बिलियन अमरीकी डॉलर से) हो जाएगा।
- 2031 तक ई-कॉमर्स की पैठ 6.5 प्रतिशत से लगभग दोगुनी होकर 12.3 प्रतिशत हो जाएगी।
- अगले 10 वर्षों में भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 650 मिलियन से बढ़कर 960 मिलियन हो जाएगी जबकि ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों की संख्या 250 मिलियन से बढ़कर 700 मिलियन हो जाएगी।
- 2021-2030 में वृद्धिशील वैश्विक कार बिक्री का लगभग 25 प्रतिशत भारत से होगा और उम्मीद है कि 2030 तक यात्री वाहनों की कुल बिक्री का 30 प्रतिशत बिजली से चलने वाले होंगे।
- प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र में भारत का कार्यबल 2021 में 5.1 मिलियन से दोगुना होकर 2031 में 12.2 मिलियन हो जाएगा।
- भारत में हेल्थकेयर की पैठ वर्त्तमान के 30-40 प्रतिशत से बढ़कर 60-70 प्रतिशत हो सकती है, जिससे औपचारिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में 400 मिलियन नए लोग शामिल होंगे।
- अगले दशक में ऊर्जा निवेश में 700 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की उम्मीद है ।
मॉर्गन स्टेनली के बारे में
मॉर्गन स्टेनली एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंकिंग फर्म है जिसे 1935 में न्यूयॉर्क शहर में स्थापित किया गया था।
यह मुख्य रूप से धन प्रबंधन, निवेश बैंकिंग, स्टॉक ब्रोकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं के व्यवसाय में है ।
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