वर्तमान में, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत ग्राहक योगदान एवं उसपर निवेश रिटर्न के लिए के लिए कर लाभ पाने के पात्र है। इसके अलावा, एनपीएस से बाहर निकलने पर वार्षिकी की खरीद मूल्य पर भी कर नहीं लगाया जाता है और केवल ग्राहकों की पेंशन आय सामान्य आय का हिस्सा मानी जाती है उसपर ग्राहक के लिए लागू उचित सीमांत दर लगाया जाता है। इसी तरह के कर उपचार एपीवाई के ग्राहकों के लिए लागू है।

खाता खोलने के लिए प्रक्रिया

विदेश में पढ़ाई का सपना, सही योजना से ही हो सकता है पूरा, समझिए कैसे

कई अभिभावकों का सपना होता है कि उनके बच्चे विदेश जाकर पढ़ाई करें, लेकिन ये इतना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लिए चाहिए होती है अच्छी खासी रकम और एक सटीक प्लानिंग. यह कोई छोटा वित्तीय लक्ष्य नहीं होता. फंड जुटाना भी खासा मुश्किल होता है क्योंकि कई फैक्टर ऐसे होते हैं जिस वजह से पैसे का हिसाब किताब या अनुमान गड़बड़ा जाता है.

जो रकम विदेशी यूनिवर्सिटी वसूलती है उसमें होने वाला बदलाव हो या फिर करंसी के एक्सचेंज रेट में बदलाव - फंड इकट्ठा करने की पूरी प्रक्रिया पर इसका उल्टा असर पड़ता है.

बनाएं एक पुख्ता योजना

बच्चे की शिक्षा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक मुकम्मल योजना होनी चाहिए. इस लक्ष्य की प्रकृति ऐसी होती है कि यह आवश्यक रकम का हिसाब गड़बड़ा सकती है और वास्तविक भुगतान के वक्त तनाव की स्थिति ला देती है. लेकिन, इससे निपटने का रास्ता भी है. इसके लिए कुछ मूलभूत बातों को जानना जरूरी है और यह सुनिश्चित करना भी कि योजना पुख्ता तरीके से बनाई गई हो. समय रहते योजना बनाना, महंगाई को ध्यान में रखना और अपने पास एक बफर टाइम रखना जरूरी है. तभी राह आसान हो सकती है.

विदेशी शिक्षा के लिए आवश्यक रकम आम तौर पर मोटी होती है और हर साल कई लाख रुपये की जरूरत होती है. इसके लिए योजना पर अमल की प्रक्रिया थोड़ा पहले शुरू करें. जितनी जल्दी यह प्रक्रिया शुरू होगी, सहूलियत उतनी ज्यादा होगी. कई तरह के फायदे होंगे. उदाहरण के लिए अगर 15 साल बाद बच्चे की शिक्षा के लिए 50 लाख रुपये की जरूरत है तो हर महीने 10,000 रुपये का निवेश कर 12 प्रतिशत सालाना जोड़ते रहना होगा. तभी लक्ष्य हासिल होगा. अगर इसमें पांच साल की देरी करते हैं तो लक्ष्य पूरा करने के लिए महज 10 साल पास में होते हैं. ऐसी सूरत में दुगुने से ज्यादा यानी 22,000 रुपये प्रति महीना निवेश की जरूरत होती है.

महंगाई का रखें ध्यान

अगर लक्ष्य लंबी अवधि का हो तो धन जुटाते वक्त महंगाई को ध्यान में रखना जरूरी है. यह काम तब और जटिल हो जाता है जब बात विदेशी शिक्षा की आती है क्योंकि यहां रकम जोड़ने में दो अतिरिक्त फैक्टर का ध्यान रखना पड़ता है. एक तरफ शिक्षा महंगी होती चली जाती है जब यूनिवर्सिटी की ओर से कोर्स के नाम पर फीस लगातार बढ़ाई जाने लगती है. दूसरी तरफ रुपये की वैल्यू गिरती रहती है. अतीत के रुझानों को देखते हुए इस गिरावट को ध्यान में रखना जरूरी हो जाता है. इसकी वजह से आवश्यक फंड के लिए ज्यादा पैसों की आवश्यक्ता होती है.

शिक्षा के लिए वित्तीय जरूरत पूरा करने की राह में कई चौंकाने वाली बातें सामने आती हैं. यह बदलाव इस रूप में भी हो सकता है कि अध्ययन का अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश स्वरूप ही बदल जाए. यहां तक कि कोर्स की समय अवधि भी बढ़ाई जा सकती है. फंड थोड़ा बढ़ाकर रखने से इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है. बफर के तौर पर अतिरिक्त रकम होगी तो चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

Investment Tips : नए साल से निवेश में आजमाना है हाथ! ये फॉर्मूले देंगे साथ

News18 हिंदी लोगो

News18 हिंदी 1 दिन पहले News18 Hindi

सबसे पहले हम बात करते हैं इमरजेंसी फंड की. कोरोना महामारी ने हमें यह सब अच्‍छी तरह से दे दिया है कि मुसीबत के समय हाथ में पैसे होना कितना जरूरी है. ऐसे में आपको आपात फंड अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश जरूर बनाना चाहिए. एक आदर्श आपात फंड आपके 6 महीने के खर्चे के बराबर धनराशि होनी चाहिए. इसे आप बचत खाते या लिक्विड म्‍यूचुअल फंड में रख सकते हैं.
दूसरा मंत्र है निवेश की जल्‍द शुरुआत, जो आपको कम पैसों में भी बड़ा फंड बनाने का मौका देता है. दरअसल, जब आप सिप या म्‍यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है. यानी अगर आप जनवरी, 2023 में इसकी शुरुआत करते हैं तो जितना लंबा समय आप अपने निवेश के साथ बिताएंगे, उतना ही मोटा फंड बनेगा.
आपने सिप के जरिये निवेश की शुरुआत कर दी है तो हर साल स्‍टेप अप करना मत भूलिए. इसका मतलब है कि इस साल आपने जितने पैसों का निवेश किया है, अगले साल उससे कम से कम 10 फीसदी ज्‍यादा रकम का निवेश कीजिए. यह आपकी सैलरी में होने वाली वृद्धि या अतिरिक्‍त कमाई पर निर्भर करता है.
निवेश करना तो ठीक बात है, लेकिन इसकी रणनीति आपके टैक्‍स बचत के इर्द-गिर्द हो तो ज्‍यादा बेहतर रहेगा. हमें सबसे पहले आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की टैक्‍स छूट का लाभ उठाना चाहिए. सिर्फ इस निवेश से ही हाई ब्रेकेट वाले टैक्‍सपेयर्स को 45 हजार रुपये की बचत हो जाएगी.

© "News18 Hindi" अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना बेहतर होगा. अपना पूरा पैसा एक ही म्‍यूचुअल फंड में रखने के बजाए अलग-अलग विकल्‍पों में लगाएं. जरूरी है कि आपके पोर्टफोलियो में अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश इक्विटी, डेट के साथ पीपीएफ, एफडी जैसे विकल्‍पों को भी रखा जाए.

अटल पेंशन योजना

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भारत सरकार का सह योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए यानी 5 साल के लिए उन ग्राहकों को उपलब्ध है जो 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2016 की इस अवधि के दौरान इस योजना में शामिल होते हैं और जो किसी भी वैधानिक और सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल नहीं हैं एवं आयकर दाताओं में शामिल नहीं हैं। सरकार का सह-योगदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पात्र स्थायी सेवानिवृत्ति खाता पेंशन संख्या को केंद्रीय रिकार्ड एजेंसी से ग्राहक द्वारा वर्ष के लिए सभी किस्तों का भुगतान की पुष्टि प्राप्त करने के बाद वित्तीय वर्ष के अंत में लिए ग्राहक के बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये का एक अधिकतम अंशदान जमा किया जाएगा। वैसे लाभार्थी जो वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं, एपीवाई के अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित अधिनियमों के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्य एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हो सकते है:

निवेश के टिप्स: नए साल में निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं! इस फॉर्मूले को ध्यान में रखें

Investment Tips: Want To Start Investing In The New Year! keep this formula in mind

जैसा कि वर्ष 2022 केवल दिन दूर है, बहुत से लोग नए साल यानी 2023 में कुछ नया करने की सोच रहे होंगे। इस प्रकार, एक निवेशक के लिए अपनी रणनीति और लक्ष्य निर्धारित करने के लिए नया साल महत्वपूर्ण है। अगर आप भी नए साल में निवेश करना चाहते हैं तो हम आपको बता रहे हैं कुछ खास फॉर्मूले, जो आपको एक सफल निवेशक बनने में मदद कर सकते हैं।

कोरोना महामारी ने लोगों को समझा दिया है कि किसी भी समय हाथ में पैसा होना बहुत जरूरी है, खासकर मुसीबत के समय। इसके लिए हम सबसे पहले इमरजेंसी फंड की बात करेंगे। जरूरत के हिसाब से इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए। अर्धश इमरजेंसी फंड छह महीने की सैलरी के बराबर होता है। इस रकम को आप सेविंग अकाउंट या लिक्विड म्यूचुअल फंड में रख सकते हैं

यूएस इक्विटी ईटीएफ में निवेश की छिपी हुई लागत

यह ज्ञान, से प्राप्त हुआ व्यवहार वित्त प्रयोग यह दिखाते हुए कि बहुत अधिक जानकारी “मायोपिक लॉस एवेर्शन” की ओर ले जाती है, निवेशकों को यह विश्वास दिला सकती है कि उन्हें “इसे सेट करना चाहिए और इसे भूल जाना चाहिए”। हालांकि, विशेषज्ञ जोर देते हैं कि आपको पता होना चाहिए कि आपके पास क्या है, और यहां तक ​​कि यदि आप उसी एक्सपोजर को बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको यह देखने के लिए जांच करनी चाहिए कि ऐसा करने का कोई अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश सस्ता तरीका है या नहीं।

तेजी से विकसित हो रहे निवेश कोष उद्योग में अक्सर ऐसा हो सकता है। सबसे पहले, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आमतौर पर अपने म्यूचुअल फंड अतिरिक्त फंड का ही करें निवेश समकक्षों की तुलना में बहुत कम फीस देते हैं, और यह आंशिक रूप से बताता है कि वे क्यों बाजार हिस्सेदारी हासिल करना जारी रखें. लेकिन ईटीएफ बाजार के भीतर भी, मूल्य प्रतिस्पर्धा भयंकर रही है, इसलिए यह जाँचने योग्य है कि क्या आपके पास पहले से मौजूद ईटीएफ का कम शुल्क वाला संस्करण लॉन्च किया गया है।

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