आजम के इसी भाषण का विरोध करते हुए महिलाओं ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। सपा नेता के इसी बयान पर भड़की महिलाओं रामपुर थाने में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अब आगामी दिनों में सपा नेता के खिलाफ क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।
फैलता है और आयोग
आठ दिसंबर (एपी) चीन ने सामान्य जीवन बहाल करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बीच बृहस्पतिवार को अपनी सख्त ‘शून्य कोविड’ नीति में कुछ ढील दी।
इस बात को लेकर हालांकि घबराहट भी है कि ढील दिए जाने के बाद कोविड संक्रमण का प्रकोप तेजी से फैल सकता है।
देश में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 21,165 नए मरीज मिले हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि मरीजों की कम फैलता है और आयोग संख्या की वजह संक्रमण में कमी है या कम परीक्षण किया जाना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) ने बुधवार को महामारी-रोधी नियमों में रियायत दी, जिसमें लॉकडाउन में ढील शामिल है। इसके साथ ही अब अधिकांश सार्वजनिक स्थलों में प्रवेश के लिये कोविड-19 परीक्षण की नकारात्मक रिपोर्ट दिखाने की शर्त को भी हटा लिया गया है।
आयोग ने कहा कि वायरस से लड़ने में “सकारात्मक परिणाम” मिलने और वर्तमान ओमीक्रॉन स्वरूप के पिछले स्वरूपों की तुलना में कम खतरनाक होने की मान्यता के कारण नियमों में रियायत दी गई है।
Azam Khan: अभी-भी नहीं सुधर रहे हैं आजम खान, अब चुनाव आयोग पर कर दी ऐसी टिप्पणी, पुलिस ने की ये बड़ी कार्रवाई
साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात है। वे BJP के विरोध में चुनाव-प्रचार करने उतरे। लेकिन, प्रचार के दौरान उन्होंने PM मोदी और CM योगी के विरोध में अभद्र बयानबाजी कर दी। जिससे खफा होने के बाद बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया।
December 3, 2022
नई दिल्ली। ‘पहले तोलो फिर बोलो’….हिंदी की यह कहावत समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की मौजूदा दुर्गति पर बिल्कुल चरितार्थ होती नजर आ रही है। जिस तरह से सपा नेता को बिना कुछ सोचे समझे बोलने की वजह से अपना सबकुछ गंवाना पड़ा है, उसे देखते हुए उन पर यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। चलिए, थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं और फैलता है और आयोग आपको बताते हैं कि अपने अभद्र बयानों को लेकर उन्हें क्या-क्या गंवाना पड़ा है।
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साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात है। वे BJP के विरोध में चुनाव-प्रचार करने उतरे। लेकिन, प्रचार के दौरान उन्होंने PM मोदी और CM योगी के विरोध में अभद्र बयानबाजी कर दी। जिससे खफा होने के बाद बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया।
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नई दिल्ली। ‘पहले तोलो फिर बोलो’….हिंदी की यह कहावत समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की मौजूदा दुर्गति पर बिल्कुल चरितार्थ होती नजर आ रही है। जिस तरह से सपा नेता को बिना कुछ सोचे समझे बोलने की वजह से अपना सबकुछ गंवाना पड़ा है, उसे देखते हुए उन पर यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। चलिए, थोड़ा फ्लैश बैक में चलते हैं और आपको बताते हैं कि अपने अभद्र बयानों को लेकर उन्हें फैलता है और आयोग क्या-क्या गंवाना पड़ा है।
माध्यमिक शिक्षा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य
माध्यमिक शब्द का अर्थ है - मध्य की । माध्यमिक शिक्षा प्राथमिक और उच्च शिक्षा के मध्य की शिक्षा है । अंग्रेजी में इसके फैलता है और आयोग लिए सेकेण्डरी शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका अर्थ है - दूसरे स्तर की । पहले स्तर की प्राथमिक और उसके बाद दूसरे स्तर की यह सेकेण्डरी शिक्षा । आज किसी भी देश में माध्यमिक शिक्षा प्राथमिक और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी होती है ।
माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य
सन् 1947 ई. में, जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो शिक्षा के इस महत्वपूर्ण स्तर के लिए उद्देश्यों का पुनर्निधारण करने की आवश्यकता हुई, क्योंकि स्वतंत्र भारत में नये समाज का निर्माण करना था तथा नई फैलता है और आयोग परिस्थितियों के अनुकूल बालकों का विकास करना था। माध्यमिक शिक्षा के सुधार हेतु आवश्यक सुझाव देने के लिए माध्यमिक शिक्षा आयोग (मुदालियर आयोग) का गठन किया गया। आयोग ने अपने प्रतिवेदन में माध्यमिक शिक्षा के लिए बड़े स्पष्ट तथा महत्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित किये। आयोग ने निम्नांकित उद्देश्यों का निर्धारण किया-
1. जनतन्त्रात्मक नागरिकता का फैलता है और आयोग विकास करना- भारतवर्ष विश्व का सबसे बड़ा जनतन्त्रात्मक देश है। जनतन्त्रात्मक शासन प्रणाली बड़ी कोमल होती है। इसके असफल होने की अनेक सम्भावनाएँ रहती हैं। जनतन्त्रात्मक शासन-व्यवस्था की सफलता सुनागरिकों पर निर्भर फैलता है और आयोग करती हैं। जनतन्त्र देश के लिए सत्यवादी स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष विचार वाले अनुशासित, सहयोगी तथा उदार राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत नागरिकों की आवश्यकता पड़ती है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर आयोग ने सिफारिश की कि माध्यमिक शिक्षा को छात्रों में इस प्रकार के आवश्यक गुणों का विकास करना चाहिए।
माध्यमिक शिक्षा की मुख्य धाराएँ
सी.बी.एस.ई व आई.सी.एसई. के सन्दर्भ में पाठ्यक्रम व परीक्षा प्रणाली आज की शिक्षा प्रणाली मुख्य रुप से तीन बोर्ड पर आधारित है, जो कि है-
- सी.बी.एस.ई.
- आई.सी.एस.ई.
- राष्ट्रीय स्तर का बोर्ड ( स्टेट बोर्ड )
पाठ्यक्रम में परिवर्तन एक सतत् प्रक्रिया है। अत: सी.बी.एस.ई व आई.सी.एस.ई. बोर्ड के द्वारा प्रत्येक वर्ष इसमें कुछ-न-कुछ नये परिवर्तन अवश्य ही किये जाते हैं। यह परिवर्तन किताबों से, कोर्स से तथा पाठ्यक्रम से संबंधित होते हैं।
शिक्षक प्रक्रिया त्रिमुखी है। इसके 03 आयाम हैं-1 शिक्षक, 2 विधाथ्र्ाी 3 पाठ्यक्रम। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में शिक्षक एक महत्वपूर्ण तत्व है। उसके बिना कोई शिक्षण नहीं हो सकता। पर्याप्त ज्ञान नहीं प्रदान किया जा सकता है और विधार्थियों का उचित विकास सम्भव नहीं है। इस संदर्भ में ही पुरातन काल में भारतीय चिन्तकों ने शिक्षक को अत्यन्त आदर का स्थान दिया था।
7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी! इस महीने की सैलरी के साथ मिलेगा 38,692 रुपये का एरियर
DA Arrear Latest News: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए होली का फैलता है और आयोग त्योहार जबरदस्त रहने वाला है. केंद्रीय कर्मचारियों ( Central Government Employees) और पेंशनर्स ( Pensioners) के लिए बेहद अच्छी खबर है. लंबे इंतजार के बाद , महंगाई भत्ते ( Dearness Allowance) में 3% की बढ़ोतरी फिक्स हो गई है. यानी अब कर्मचारियों और पेंशनर्स को 34% के हिसाब से महंगाई भत्ता ( DA Hike) मिलेगा. औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ( AICPI Index) के दिसंबर 2021 के सूचकांक में एक अंक की कमी हुई है. आपको बता दें कि महंगाई भत्ते के लिए 12 महीने के सूचकांक का औसत 351.33 हुआ है जिसका औसत 34.04% (Dearness Allowance) है. लेकिन , महंगाई भत्ता हमेशा पूर्णांक में ही दिया जाता है. यानी जनवरी 2022 से कुल महंगाई भत्ता 34% मिलना तय है.
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