'विदेशी मुद्रा बाजार'

Dollar vs Rupee Rate Today: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.60 के स्तर पर लगभग सपाट रुख के साथ खुला और कारोबार के अंत में यह 15 पैसे की तेजी के साथ 82.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी फंडों की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है.

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.30 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 10 पैसे की तेजी के साथ 82.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान रुपये ने 82.08 के उच्चस्तर और 82.33 के निचले स्तर को छुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 82.38 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.

Dollar vs Rupee Rate Today: विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी पूंजी की निकासी से स्थानीय मुद्रा प्रभावित हुई और उसमें बढ़त सीमित रही है.

Dollar vs Rupee Rate: विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी और ताजा विदेशी फंड प्रवाह ने रुपये की गिरावट को रोक दिया है.

विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि विदेशी बाजार में कमजोर डॉलर और ताजा विदेशी पूंजी प्रवाह ने नुकसान को सीमित कर दिया.

Dollar Vs Rupee : अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया.

कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर (Dollar) सूचकांक में मजबूती से अमेरिकी मुद्रा (American ) के मुकाबले रुपया गुरुवार को 55 पैसे गिरकर 82.17 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया.

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.65 प्रति डॉलर के भाव पर खुला और जल्द ही 81.78 के स्तर पर गिर गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस की तुलना में रुपये में 38 पैसे की गिरावट दर्ज की गई.

घरेलू शेयर बाजार (Share Market) में गिरावट और विदेशी बाजारों में डॉलर (Dollar) के मजबूत होने के कारण अंतरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की विनिमय दर 26 पैसे की गिरावट के साथ 80 रुपये प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुई.विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों?

जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा

भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।

बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक आठ जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान देश की आईएमएफ की रिजर्व पोजिशन 49 मिलियन डॉलर घटकर 4.966 बिलियन डॉलर रह गई है। एक जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान यह भंडार 5.008 अरब डॉलर कम होकर 588.314 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है जब भारतीय रुपया कमजोर होकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रुपया फिलहाल फिसलते हुए डॉलर के मुकाबले लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के पास पहुंच गया है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की खबरों के बाद यह जान लेना अहम हो जाता है कि आखिर यह विदेशी मुद्रा भंडार है क्या? अगर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो रही तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ने वाला है? दरअसल, भारत की बात करें तो हमारे देश का विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रखी गई धनराशि और परिसंपत्तियां हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिजर्व ट्रेंच शामिल होती हैं। अगर देश को जरूरत होती है तो वह विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर अपने विदेशी ऋण का भुगतान कर सकता है।

देश में विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने का असर सबसे पहला असर रुपये की मजबूती पर पड़ता है, जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है रुपये की कीमत कम होती जाती है। हमने हाल के दिनों में देखा है कि रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है। शुक्रवार को भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरकर 79.72 रुपये प्रति डॉलर रह गई है।

आपको बता दें कि देश में जैसे-जैसे रुपये की कीमत कम होती जाती है देश का आयात मूल्य बढ़ने लगता है और निर्यात मूल्य घटने लगता है। ऐसी स्थिति में देश का व्यापार घाटा बढ़ने लगता है। हमारा देश बीते कुछ महीनों से इस स्थिति का सामना कर रहा है। बीते जून महीने में व्यापार घाटा बढ़कर अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 25.6 अरब डॉलर हो गया है।

व्यापार घाटा को कम करने की कवायद के तहत ही रिजर्व बैंक ने बीते सोमवार (11 जुलाई) को विदेश व्यापार रुपये में करने की भी सुविधा दे दी है। इसका इस्तेमाल कर वर्तमान परिस्थितियों में रूस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ व्यापार किया जा सकता है, जिससे रुपये को थोड़ी राहत मिल सकती है। आपको बता दें कि भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है और रूस तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अगर दोनों देशों के बीच रुपये में कारोबार शुरू होता है तो इससे रुपये को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलेगी।

देश में जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है रुपया मजबूत होता जाता है। इससे देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता जाता और रुपये की कीमत में स्थिरता बनी रहती है। विदेशी रुपया भंडार बढ़ने से रुपये में आई मजबूती का फायदा विदेशों में निवेश करने वाले कारोबारियों पर भी पड़ता है। ऐसा होने से उन्हें अपनी मुद्रा का कम से कम निवेश करना पड़ता है।

Currency Falling: 80 को टच करते ही एक्शन, रुपये को बचाने के लिए ये है RBI का प्लान

रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया प्रयासों के बाद भी रुपया डॉलर (USD) के मुकाबले पहली बार 80 से भी नीचे गिर गया. हालांकि बाद में यह कुछ सुधरा, लेकिन अभी भी डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के साइकोलॉजिकल लेवल के आस-पास ही ट्रेड कर रहा है.

रुपये में तेज गिरावट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 20 जुलाई 2022, 4:33 PM IST)
  • रुपये को बचाने के लिए योजना तैयार
  • हो सकता है 100 बिलियन डॉलर खर्च

अमेरिकी डॉलर (USD) में आ रही रिकॉर्ड रैली (Dollar Rally) के कारण दुनिया भर की करेंसीज (Global Currencies) बिखरते जा रही हैं. भारतीय करेंसी (Indian Currency) की हालत तुलनात्मक रूप से बेहतर है, लेकिन इसके बाद भी रुपया लगातार गिर रहा है. इसी सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 80 के भी पार निकल गया. सिर्फ इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो चुका है. ऐसे में रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये को बचाने की खास तैयारी की है.

इतना खर्च करने को तैयार RBI

रॉयटर्स की एक रिपार्ट के अनुसार, रुपये विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों? को तेज गिरावट से बचाने के लिए रिजर्व बैंक (RBI Intervention) अरबों डॉलर खर्च करने से भी पीछे नहीं हटेगा. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेंट्रल बैंक रुपये को बचाने के लिए अपने कुल विदेशी मुद्रा भंडार (RBI Forex Reserve) का छठवां हिस्सा खर्च करने को तैयार है. इसका मतलब हुआ कि रुपये की तेज गिरावट की स्थिति में रिजर्व बैंक बाजार में करीब 100 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा झोंक सकता है.

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मंगलवार को रुपये ने बनाया रिकॉर्ड

आपको बता दें कि भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है. इस सप्ताह मंगलवार को शेयर बाजारों (Share Market) में गिरावट के बीच रुपये ने गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया था. रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया प्रयासों के बाद भी रुपया डॉलर (USD) के मुकाबले पहली बार 80 से भी नीचे गिर गया. हालांकि बाद में यह कुछ सुधरा, लेकिन अभी भी डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के साइकोलॉजिकल लेवल के आस-पास ही ट्रेड कर रहा है. रुपये को ये स्थिरता प्रदान करने में रिजर्व बैंक का हाथ है.

इतना है RBI के पास फॉरेक्स रिजर्व

रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के देखें तो यह पिछले साल सितंबर की शुरुआत में 642.450 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था. उसके बाद से रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक 60 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो चुका है. हालांकि इस गिरावट के बाद भी आरबीआई दुनिया में पांचवां सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाला सेंट्रल बैंक है. रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के फॉरेक्स रिजर्व में आई गिरावट का एक कारण वैल्यूएशन में आया बदलाव तो है ही, लेकिन रुपये को बचाने के लिए डॉलर बेचकर किया गया दखल भी इस गिरावट के लिए जिम्मेदार है.

रुपये को उथल-पुथल से बचाने की कवायद

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'रुपये में उथल-पुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने डॉलर खर्च करने का इरादा साफ कर दिया है. उन्होंने ऐसा करने का संकेत दिया है. अगर जरूरत पड़ी तो रिजर्व बैंक रुपये को बचाने के लिए 100 बिलियन डॉलर तक खर्च करने को तैयार है.' हालांकि रिजर्व बैंक ने अभी तक इस बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है. रिजर्व बैंक का इस बारे में हमेशा ये रुख रहा है कि वह रुपये को स्थिर रखने या गिरावट से बचाने के लिए दखल नहीं देता है. रिजर्व बैंक सिर्फ तभी बीच में आता है, जब रुपया अचानक से तेज गिरावट का शिकार हो रहा हो.

आठ साल में 25% गिरी रुपये की वैल्यू

ऐतिहासिक आंकड़ों को देखें तो रुपये की वैल्यू डॉलर के मुकाबले लगातार कम होते गई है. अभी प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर के लगातार मजबूत होने से भी रुपये की स्थिति कमजोर हुई है. करीब दो दशक बाद डॉलर और यूरो की वैल्यू बराबर हो चुकी है, जबकि यूरो (Euro) लगातार डॉलर से ऊपर रहता आया है. भारतीय रुपये की बात करें तो दिसंबर 2014 से अब तक यह डॉलर के मुकाबले करीब 25 फीसदी कमजोर हो चुका है. रुपया साल भर पहले डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को कहा था कि रुपये में हालिया गिरावट का कारण कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Prices) में आई तेजी और रूस-यूक्रेन के बीच महीनों से जारी जंग (Russia-Ukraine War) है.

डेली अपडेट्स

मुद्रास्फीति दर: बाज़ार मुद्रास्फीति में परिवर्तन मुद्रा विनिमय दरों में परिवर्तन का कारण बनता है। उदाहरण के लिये दूसरे देश की तुलना में कम मुद्रास्फीति दर वाले देश की मुद्रा के मूल्य में वृद्धि देखी जाती है।

    इसमें निर्यात, आयात, ऋण आदि सहित कुल लेन-देन शामिल हैं।

उत्पादों के आयात पर अपने विदेशी मुद्रा कोअधिक खर्च करने के कारण चालू खाते में घाटा, निर्यात की बिक्री से होने वाली आय से मूल्यह्रास का कारण बनता है और यह किसी देश की घरेलू मुद्रा की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव को बढ़ावा देता है।

सरकारी ऋण: सरकारी ऋण केंद्र सरकार के स्वामित्व वाला ऋण है। बड़े सरकारी कर्ज वाले देश में विदेशी पूंजी प्राप्त करने की संभावना कम होती है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ जाती है।

इस मामले में,विदेशी निवेशक अपने बॅाण्ड की विक्री खुले बाज़ार में करेंगे, यदि बाज़ार किसी निश्चित देश के भीतर सरकारी ऋण का अनुमान लगाता है। परिणामतः इसकी विनिमय दर के मूल्य में कमी आएगी।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भुगतान सन्तुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किससे/किनसे चालू खाता बनता है? (2014)

  1. व्यापार संतुलन
  2. विदेशी संपत्ति
  3. अदृश्य का संतुलन
  4. विशेष आहरण अधिकार

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 1, 2 और 4

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • भुगतान संतुलन (BoP) दो मुख्य पहलुओं से बना है: चालू खाता और पूंजी खाता।
  • BoP का चालू खाता वस्तुओं, सेवाओं, निवेश आय और हस्तांतरण भुगतानों के प्रवाह व बहिर्वाह को मापता है। सेवाओं में व्यापार (अदृश्य); माल के रूप में व्यापार (दृश्यमान); एकतरफा स्थानांतरण; विदेशों से प्रेषण; अंतर्राष्ट्रीय सहायता चालू खाते के कुछ मुख्य घटक हैं। जब सभी वस्तुओं और सेवाओं को संयुक्त किया जाता है, तो वे एक साथ मिलकर किसी देश का व्यापार संतुलन (BoT) को दर्शाता है। अतः कथन 1 और 3 सही हैं।
  • BoP का पूंजी खाता किसी देश के निवासियों और बाकी दुनिया के बीच उन सभी लेनदेन को रिकॉर्ड करता है, जो देश के निवासियों या उसकी सरकार की संपत्ति या देनदारियों में बदलाव का कारण बनते हैं
  • निजी अथवा सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा ऋण और उधार; निवेश; विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन पूंजी खाते के घटकों के कुछ उदाहरण हैं। अतः कथन 2 और 4 सही नहीं हैं। इसलिये विकल्प (c) सही उत्तर है।

मेन्स:

प्रश्न.भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवश्यकता का औचित्य सिद्ध कीजिये। हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों और वास्तविक एफडीआई के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक एफडीआई बढ़ाने के लिये उठाए जाने वाले उपचारात्मक कदमों का सुझाव दीजिये।

रुपये में कैसे होगा अंतरराष्ट्रीय व्यापार? केंद्र सरकार का जोर क्यों

rbi

यूएस डॉलर (USD) के बजाय भारतीय रुपये (INR) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) इस पहल के तरीकों पर चर्चा करने के लिए देश के बैंकों, विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालयों सहित हितधारकों के साथ बैठक कर रहा है. बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय बैंक संघ, बैंकों के प्रतिनिधि निकाय और उद्योग निकायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.

सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों से कहा जाएगा कि वे निर्यातकों को रुपये के कारोबार पर बातचीत करने के लिए कहें. हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद बदले अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में भारत सरकार ने रुपये में कारोबार को बढ़ाने के विकल्प पर विचार तेज किया हुआ है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार रुपये में कैसे हो सकता है? साथ ही सरकार क्यों इस पर जोर दे रही है?

क्या है पृष्ठभूमि

भारतीय रिजर्व बैंक ने 11 जुलाई को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि उसने "आईएनआर (INR) में चालान, भुगतान और निर्यात / आयात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का फैसला किया है." आरबीआई ने कहा था, "भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा देना और आईएनआर में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन विदेशी मुद्रा में व्यापार समाचार क्यों? करना उसका मकसद है."

भारत और अन्य देशों के बीच रुपये में व्यापार निपटान की अनुमति देने के कदम को मुख्य रूप से रूस के साथ व्यापार को लाभान्वित करने के लिए देखा गया था. इससे डॉलर के बहिर्गमन को रोकने और रुपये के मूल्यह्रास को "बहुत सीमित सीमा" तक धीमा करने में मदद मिलने की उम्मीद थी.

कैसे होगा मौद्रिक लेन-देन

किसी भी देश के साथ व्यापार लेनदेन का निपटान करने के लिए भारत में बैंक व्यापार के लिए भागीदार देश के कॉरेस्पॉन्डेंट बैंक/बैंकों के वोस्ट्रो खाते खोलेंगे. भारतीय आयातक इन खातों में अपने आयात के लिए INR में भुगतान कर सकते हैं. आयात से होने वाली इन आय का उपयोग भारतीय निर्यातकों को भारतीय रुपये में भुगतान करने के लिए किया जा सकता है. वोस्ट्रो खाता एक ऐसा खाता है जो एक कॉरेस्पॉन्डेंट बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है. उदाहरण के लिए, एचएसबीसी वोस्ट्रो खाता भारत में एसबीआई द्वारा आयोजित किया जाता है.

मौजूदा सिस्टम क्या है

वर्तमान में नेपाल और भूटान जैसे अपवादों के साथ किसी कंपनी द्वारा निर्यात या आयात हमेशा विदेशी मुद्रा में होता है. इसलिए आयात के मामले में भारतीय कंपनी को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है. मुख्य रूप से यह यूएस डॉलर है, लेकिन पाउंड, यूरो या येन वगैरह भी हो सकता है. भारतीय कंपनी को निर्यात के मामले में विदेशी मुद्रा में भुगतान किया जाता है और कंपनी उस विदेशी मुद्रा को रुपये में बदल देती है. क्योंकि उसे ज्यादातर मामलों में अपनी आवश्यकताओं के लिए रुपये की आवश्यकता होती है.

अपेक्षित उपयोग

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई के आदेश में ऐसा नहीं कहा गया था कि इस व्यवस्था का मुख्य रूप से रूस के लिए उपयोग किए जाने की उम्मीद थी. "यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर प्रतिबंध हैं और देश स्विफ्ट सिस्टम (विदेशी मुद्रा में भुगतान के लिए बैंकों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रणाली) से दूर है. इसका मतलब है कि भुगतान विदेशी मुद्रा में नहीं करना है और इस व्यवस्था से रूस और भारत दोनों को मदद मिलेगी. ”

व्यवस्था का विस्तार

सबनवीस ने कहा कि इसकी संभावना नहीं है कि इस व्यवस्था को अन्य देशों तक बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं, लेकिन अन्य इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं. क्योंकि उन्हें अपने आयात के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता हो सकती है." उन्होंने कहा कि श्रीलंका भी हमें डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा में भुगतान करना चाहता है. हालांकि, इस व्यवस्था से रुपये की गिरावट को किसी भी हद तक रोकने में मदद की उम्मीद नहीं थी. रुपया सभी वैश्विक मुद्राओं की तरह डॉलर के मुकाबले मूल्यह्रास ( कीमत का गिरना) कर रहा है. इसकी सामान्य प्रवृत्ति अब कई महीनों से लगातार कमजोर होती जा रही है.

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