US में बॉन्ड यील्ड बढ़ने क्यों डरे बाजार, जानिए बॉन्ड यील्ड का बाजारों पर क्यों होता है असर

अमेरिका में 10 साल की बॉन्ड यील्ड बढ़ने से दुनियाभर के बाजारों में कोहराम मचा हुआ है.

अमेरिका में 10 साल की बॉन्ड यील्ड बढ़ने से दुनियाभर के बाजारों में कोहराम मचा हुआ है। बॉन्ड यील्ड बढ़ने का बाजारों में क्यों है हाहाकार और करेंसी पर इसका क्या असर दिखेगा ये बताते हुए सीएनबीसी आवाज़ के बैंकिंग एडीटर प्रदीप पंड्या ने बताया कि अमेरिका में 10 साल की बांड यील्ड 1.61 फीसदी तक पहुंच गया है। यूएस में बॉन्ड यील्ड साल भर के उच्चतम स्तर पर है।

बॉन्ड यील्ड बढ़ने से डर क्यों?

आमतौर पर देखने को मिलता है कि जब-जब बॉन्ड यील्ड में उछाल आता है, इक्विटी मार्केट पर दबाव बढ़ जाता है। हाल के दिनों में भी ऐसा नजारा देखने को मिला, जब शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट में बॉन्ड यील्ड में तेजी का भी योगदान रहा। लगातार 5 सेशन में शेयर बाजार में गिरावट आई, वहीं दूसरी ओर बेंचमार्क 10 ईयर गवर्मेंट बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 6.20 फीसदी हो गई। बॉन्ड यील्ड और मार्केट में कनेक्शन पर नजर डालें तो साफ होता है कि बॉन्ड यील्ड बढ़ने से लोग शेयर बाजार से पैसे निकलकर बांड में डालने लगते हैं। इक्विटी मार्केट में ज्यादा जोखिम होता है। ऐसे में निवेशकों को लगता है कि जब बॉन्ड जैसे कम जोखिम वाले निवेश में अच्छा रिटर्न मिल रहा तो इक्विटी निवेश का जोखिम क्यों लिया जाए। बॉन्ड यील्ड बढ़ने से दुनियाभर के बाजारों से FII निवेशकों का पैसा निकलने का डर पैदा हो जाता है और बाजार गिरने लगता है। ऐसा होने पर कर्ज लेकर निवेश करने वाले FII को पोजीशन काटनी पड़ती है जिससे खतरा और बढ़ जाता है।

बॉन्ड यील्ड में बढ़त इकोनॉमी की ऊंची ब्याज दरों को दर्शाता है। उच्च ब्याज दरें कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज लागत को बढ़ा देती हैं। इससे उनके लिए और कर्ज लेना मुश्किल हो जाता है। इसका कंपनियों के मुनाफे और शेयरधारकों के रिटर्न पर असर पड़ता है। डेट की अधिक मात्रा वाले कंपनियों के शेयर खासतौर पर प्रभावित होते हैं। उच्च ब्याज दरें होम लोन ईएमआई जैसी चीजों पर लागत को बढ़ाकर कंज्यूमर को भी प्रभावित करती हैं और इकोनॉमी में डिमांड घट जाती स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है? है।

भारतीय बाजारों में भी यील्ड बढ़े

भारत में 10 साल के सरकारी बांड की यील्ड 6.18 फीसदी से बढकर 6.23 फीसदी पर आ गई है। आज होने वाला 24000 करोड़ रुपए का ऑक्शन डिजॉल्व होने का डर है। देश में बॉन्ड यील्ड अगस्त 2020 के बाद के उच्चतम स्तर पर है। बांड की यील्ड बढ़ने के साथ ही रुपए में भी गिरावट दिख रही है। बजट के बाद रुपया पहली बार 73 के नीचे गया है। आज रुपए में करीब 70 पैसे की गिरावट आई है। डॉलर में रिकवरी के चलते रुपया कमजोर हुआ है।

शेयर बाजार की वो गलती…जिससे डूब जाती है आम आदमी की पूरी रकम

Stock Market Tips-शेयर बाजार में कई बार पैसा लगाने वालों के लिए ये खबर बेहद जरूरी है. क्योंकि अक्सर कुछ गलतियां लोगों की पूरी कमाई को डूबो देती है.

शेयर बाजार की वो गलती. जिससे डूब जाती है आम आदमी की पूरी रकम

सोशल मीडिया पर मिली एक स्टॉक टिप (Stock Market Tips)ने रजत के लाखों रुपये डुबो दिए हैं. आप सोच रहे होंगे कि शायद उनके साथ कोई ऑनलाइन फ्रॉड हुआ होगा, लेकिन, ऐसा नहीं है रजत तो शेयर बाजार (Share Bazaar) में ऊंचा रिटर्न कमाने के चक्कर में बर्बाद हो गए. अब पूरी कहानी आप भी जानना चाहते होंगे तो हुआ दरअसल यूं कि शेयर बाजार में तेजी से मोटा मुनाफा कूटने के लिए रजत भी बेकरार थे. वे बस इस इंतजार में थे कि स्टॉक्स (Stocks) की कंही से कोई ऐसी टिप मिले कि वे पैसा लगाएं और पूंजी धड़ाधड़ दोगुनी-तिगुनी हो जाए. रजत के दिमाग में अभी खलबली चल ही रही थी कि किसी ने एक व्हॉट्सऐप ग्रुप पर उन्हें जोड़ लिया और इस ग्रुप में एक स्टॉक में पैसा लगाने की राय दी गई. मोटे मुनाफे का पूरा गणित बता दिया गया.बस रजत ने आगापीछा सोचे बगैर झोंक दी मोटी पूंजी और बैठ गए कि अब होगा पैसा डबल, लेकिन ऐसा हुआ नहीं एक-दो दिन चढ़ने के बाद स्टॉक बुरी तरह गिरने लगा.

रजत की लगाई पूंजी का 80 फीसदी हिस्सा खत्म हो चुका है तो इससे ये सबक मिलता है कि बिना जांचे-परखे सोशल मीडिया के जरिए मिलने वाली टिप्स पर पैसा न लगाएं, लेकिन तमाम लोग इन हथकड़ों का शिकार हो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बाजार की कम जानकारी होती है.

सेबी ने 6 लोगों को प्रतिबंधित किया

शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी ने हाल में ही एक ऐसा मामला पकड़ा है जिसमें कुछ लोग अपने फायदे के लिए सोशल मीडिया के जरिए लोगों का पैसा शेयर बाजार में फंसाते थे. सेबी ने इस मामले में 6 लोगों को पूंजी बाजार में प्रतिबंधित भी कर दिया है.

सेबी ने जिस मामले में यह कार्रवाई की है, उसे लेकर जुलाई और अक्टूबर में शिकायत मिली थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने के लिए ट्विटर और टेलीग्राम पर सलाह देकर शेयरों की कीमतों को बनावटी तौर पर प्रभावित कर रहे हैं तो आप समझ लीजिए कि कुछ इस तरह से आपको चूना लगाने की तैयारी होती है.

मोटे मुनाफे के नाम पर आपका पैसा डुबोने वाले लोग छोटी-छोटी कंपनियों को चुनकर उनके शेयरों को बड़ी मात्रा में खरीदने की सोशल मीडिया के जरिए सलाह देते हैं.

आमतौर पर सोशल मीडिया पर सलाह देने से पहले ये लोग कंपनी के शेयर खुद खरीदकर रख लेते हैं और सोशल मीडिया पर सलाह के बाद जब शेयर भागता था तो मुनाफा बटोर अपने शेयर बेचकर निकल जाते हैं.

इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप, ईमेल, ट्विटर, फेसबुक जैसे हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह से ठगी का मायाजाल चलाया जा रहा है.

आपके पैसे के साथ खिलवाड़ करने वाले ये लोग अपने यहां एनालिस्ट्स और रिसर्चर्स के होने का भी दावा करते हैं..बस लोग यहीं फंस जाते हैं. झटपट पैसा कमाने के लालच में तमाम निवेशक इनके झांसे में फंस जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई डुबा बैठते हैं.

बाजार के जानकार आम निवेशकों को इस तरह के लोगों से बचने स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है? की सलाह दे रहे हैं जो अपने फायदे के लिए किसी और को फंसा देते हैं. सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च हेड येशा शाह का कहना है कि महामारी के दौर में शेयर बाजार अच्छा रिटर्न दे रहा है और कई लोग खुद को मार्केट एक्सपर्ट मानने लगे है.

ऐसे ही कुछ तथाकथित मार्केट एक्सपर्ट जो सेबी में रजिस्टर भी नहीं हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से निवेशकों को शेयर खरीदने या बेचने का ज्ञान दे रहे हैं. कुछ लोग तो अपने फायदे के लिए निवेशकों को ठग रहे हैं.

निवेशक भी मुनाफा चूकने के डर से ऐसे लोगों के झांसे में फंसकर नुकसान उठा रहे हैं. निवेशकों को ठगने वालों के खिलाफ सेबी तो कार्रवाई कर ही रहा है लेकिन निवेशकों को भी सावधान रहने की जरूरत है.

मनी 9 की भी यही सलाह है, लालच में आकर ऐसे लोगों के जाल में न फंसें जो अपने फायदे के लिए आपका पैसा मार्केट में फंसा दें. सोशल मीडिया से मिली सलाह पर शेयर बाजार में पैसा लगाना भी ठीक नहीं है. पैसा लगाने से पहले या तो निवेशक खुद रिसर्च करें या सेबी से मान्यता प्राप्त सलाहकार की मदद लें.

Eye Opener: शेयर बाजार में क्यों लगाना चाहिए पैसा? ये 7 कारण खोल देंगे आपकी आंखें!

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. लेकिन आमतौर पर वे . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 10, 2022, 16:16 IST

हाइलाइट्स

व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver).
निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी महंगाई के साथ-साथ बढ़ती है.
बढ़ती जनसंख्या के दौर में बेहतर काम करने वाली कंपनियां मूल्यवान हो जाती है.

नई दिल्ली. निवेश करने वाले अधिकतर लोग मानते हैं कि लगातार बढ़ती महंगाई दर को मात देने के लिए निवेश का सबसे अच्छा साधन इक्विटी (शेयर मार्केट) है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. एक्सपर्ट्स इक्विटी के पुराने रिटर्न को देखते हुए ऐसा कहते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. वे यह नहीं पूछते कि इस बात की क्या गारंटी है कि यदि इतिहास में अच्छा रिटर्न दिया है तो भविष्य में भी अच्छा रिटर्न मिलेगा ही?

यह सवाल पूछना जरूरी इसलिए है ताकि आपको इसका जवाब मालूम हो. इस प्रश्न का उत्तर जानकर आप यकीनन एक अच्छे निवेशक बन जाएंगे और आपकी वेल्थ के बढ़ने के चांस भी बढ़ जाएंगे.

हम स्टॉक मार्केट की बात कर रहे हैं तो यहां इसका मतलब ब्रॉड मार्केट इंडेक्स से समझा जाए. इंडेक्स कुछ स्टॉक्स की एक बास्केट की तरह हैं, जो ओवरऑल शेयर मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कह सकते हैं कि इनकी चाल से पूरे बाजार की चाल समझी जा सकती है. तो हम आपको बता रहे हैं मूल सवाल के जवाब, जिसे लोग अक्सर पूछते नहीं है.

7 जवाब कर देंगे आपको “लाजवाब”
मुद्रास्फीति या महंगाई
जैसे-जैसे चीजों की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे उन चीजों को बनाने वाली कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट भी बढ़ता है. इसके साथ ही कंपनी के स्टॉक की वेल्यू भी बढ़ती है. इसे यूं भी समझा जा सकता है कि स्टॉक इंडेक्स के स्तर के ऊपर जाना एक तरह से इन्फ्लेशनरी ग्रोथ ही है. महंगाई भी एक कारण है कि व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver). एक निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी मुद्रास्फीति के साथ-साथ बढ़ती है, परंतु एक बचतकर्ता का पैसा बढ़ता नहीं है.

जनसंख्या वृद्धि
बढ़ती जनसंख्या का मतलब आमतौर पर कंपनियों के लिए एक बड़ा योग्य बाजार होता है. और जो कंपनियां अपने बड़े और बढ़ते बाजार को सफलतापूर्वक सामान बेचती हैं, समय के साथ वे और अधिक मूल्यवान हो जाती हैं.

टेक्नोलॉजी का बढ़ता दायरा
आंकड़ों के स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है? आधार पर भी कहें तो जितने ज्यादा लोग होंगे, उतने ही अधिक जीनियस और अविष्कार करने वाले सामने आएंगे. जैसे कि वैश्विक जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन्सान की तरक्की और अविष्कारों की गति भी तेज हो रही है. और इसी के आधार पर कंपनियों का प्रॉफिट भी लगातार अच्छा हो रहा है, क्योंकि टेक्नोलॉजी के बिना इतनी बड़ी जनसंख्या को हर पक्ष से मैनेज करना मुश्किल है.

स्टॉक की नेचुरल सिलेक्शन
एक इंडेक्स में आमतौर पर बाजार की बड़ी और बेहतरीन कंपनियां शुमार होती हैं. यदि कोई कंपनी क्वालिफिकेशन क्राइटेरिया में फेल होती है तो उसे इंडेक्स से बाहर करके स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है? किसी दूसरी बेहतरीन कंपनी को इंडेक्स में शामिल कर लिया जाता है. ऐसे में निवेशक को विशेष तौर पर स्टॉक चुनने की कोई टेंशन नहीं रहती, क्योंकि यह एक नेचुलर सिलेक्शन है, जो हमेशा आउटपरफॉर्म करता है.

लम्बे समय में जोखिम भी देते हैं लाभ
यदि आप शार्ट टर्म के लिए बाजार में पैसा डालते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना रहती है, लेकिन यदि आप लम्बी अवधि के लिए फाइनेंशियल मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो आपको फायदा ही होगा. चूंकि शार्ट टर्म में जोखिम होता है तो लॉन्ग टर्म में आपको उस जोखिम के बदले में प्रीमियम मिलता है. इसे बाजार की भाषा में रिक्स प्रीमियम कहा जाता है.

सेंट्रल बैंक की भूमिका
जब इकॉनमी में जरूरी से अधिक महंगाई पैदा होती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में इजाफा करके इसे शांत करने की कोशिश करता है, जिससे कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाती है. इसके उलट, जब अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम कर देता है, जिससे लोग ज्यादा खर्च करते हैं और आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं. मतलब, अर्थव्यवस्था को सुचारी रूप से चलाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार निगरानी करता है.

नीचे जाने के बाद बाजार ऊपर क्यों आता है?
बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं. आते हैं और गुजर जाते हैं. ये सदा के लिए टिकाऊ नहीं हो सकते. लेकिन क्यों? इसके कुछ कारण है-

जितना लम्बा टिकेंगे, जीतने के चांस उतने ज्यादा!
भारतीय इक्विटी मार्केट का इतिहास कहता है कि इसने लगभग 16 फीसदी का सालाना कम्पाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है. बाजार में समय कैसे निवेशक को फायदा पहुंचाता है, उसे एक डेटा से समझना चाहिए. पिछले 33 वर्षों के सेसेंक्स के आंकड़े बयान करते हैं कि 15 फीसदी सालाना रिटर्न पाने के लिए यदि आप 1-2 साल तक टिकते हैं तो आपके चांस 50 फीसदी होते हैं. यदि आप 7 साल के लिए निवेश में बने रहते हैं तो सालाना आधार पर 15 फीसदी रिटर्न पाने के चांस बढ़कर 66 फीसदी हो जाते हैं. इसी तरह 15 साल तक टिके रहने की स्थिति में चांस 70 फीसदी बन जाते हैं.

(Disclaimer: यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशिक की गई है. यदि आप किसी भी शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

जब किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने वाले लोग अधिक हों और उसके कम शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों, तो शेयरों का भाव बढ़ जाता है

शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

अब हम आपको बताते हैं कि किस वजह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता है और शेयरों के भाव चढ़ते-गिरते हैं:
आम समझ यह है कि जब किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने वाले लोग अधिक हों और उसके कम शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों, तो शेयरों का भाव बढ़ जाता है. इसके साथ ही कई अन्य वजहें भी हैं, जिनकी वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव आता है.

यदि दो देशों के बीच कारोबारी और रणनीतिक संबंध बेहतर बनने की उम्मीद हो तो अर्थव्यवस्था की तरक्की के हिसाब से निवेशक शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं.

मसलन भारत-चीन के बीच बेहतर कारोबारी संबंध से अमेरिकी या यूरोपीय निवेशकों को भारत की ग्रोथ रेट बेहतर होने की उम्मीद बढ़ जाती है. वे भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना शुरू करते हैं.

इन कारणों का भी पड़ता है असर:
* भारत कृषि प्रधान देश है. अगर मौसम विभाग मानसून की स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है? अच्छी बारिश का अनुमान लगाता है तो शेयर बाजार में तेजी आती है. निवेशक यह अनुमान लगाते हैं कि अच्छी बारिश से अनाज का ज्यादा उत्पादन होगा. मतलब यह कि कृषि आधारित उद्योग की तरक्की ज्यादा होगी.

इन उद्योग में ट्रैक्टर, खाद, बीज, कीटनाशक, बाइक एवं FMCG कंपनियां शामिल हैं. निवेशकों को लगता है कि इन कंपनियों का कारोबार और मुनाफा बढ़ेगा. इनसे जुड़ी कंपनियों के शेयरों की खरीदारी बढ़ जाती है.

* यदि रिज़र्व बैंक मैद्रिक नीति की घोषणा में ब्याज दर में कमी करे तो कर्ज की दर सस्ती होगी. इससे बैंक से लोन लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी और अंत में बैंकों का लाभ बढ़ेगा. इस वजह से निवेशक बैंक एवं NBFC के शेयरों की खरीदारी करते हैं और उनके भाव में तेजी आती है.

* RBI की मौद्रिक समीक्षा (ब्याज दर में कमी या वृद्धि), सरकार की राजकोषीय नीति (कर की दरों में तेजी-नरमी), वाणिज्य नीति, औद्योगिक नीति, कृषि नीति आदि में किसी बदलाव की वजह से इन क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है.

*अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बदलाव पर दुनिया भर की नजरें होती हैं. निवेशक मानते हैं कि अगर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ीं तो विदेशी निवेशक भारत जैसे बाजार से पैसे निकल कर वहां लगायेंगे. इस वजह से यहां शेयर बाजार में बिकवाली शुरू हो जाती है. इससे बाजार में कमजोरी आती है.

*अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम भी शेयरों के भाव पर असर डालते हैं. हाल में शुरू ट्रेड वार, उत्तर-कोरिया विवाद, रूस-अमेरिका विवाद की वजह से युद्ध की आशंका की वजह से निवेशक शेयर से पैसे निकाल कर सोने में निवेश करते हैं. इस वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है.

* बजट पेश करने के दौरान की गयी सरकार की पॉजिटिव या निगेटिव घोषणाओं की वजह से भी शेयरों के भाव ऊपर-नीचे होते हैं.स्टॉक मार्केट से डर क्यों लगता है?

* देश में राजनीतिक स्थिरता (बहुमत की सरकार या गठबंधन की), राजनीतिक वातावरण जैसे कारण भी निवेशकों के निर्णय को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. राज्यों के विधानसभा नतीजे भी शेयर बाजार पर असर डालते हैं. मौजूदा सरकार की जीत से उसकी नीतियों के जारी रहने का भरोसा बना रहता है, इससे निवेशक खरीदारी शुरू करते हैं जिससे बाजार में तेजी आती है.

* समूह प्रभाव (herd effect) की वजह से भी शेयर बाजार में अधिक बिकवाली या खरीदारी की जाती है. इसकी वजह कभी कोई अफवाह या गुप्त जानकारी हो सकती है. बड़ी संख्या में एक साथ बिकवाली या खरीदारी की वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव होता है. कभी-कभी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव डर या अनिश्चितता की वजह से भी होता है.

हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिएयहां क्लिक करें.

Share Market Crash: जानिए कोरोना के नए वैरिएंट की खबर के बाद लॉकडाउन के डर से किस सेक्टर के शेयरों की हुई सबसे ज्यादा पिटाई

Stock Market Fear: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट मिलने से एयरलाइंस, होटल्स और ट्रैवल पोर्टल जैसी कंपनियों के स्टॉक्स की सबसे ज्यादा पिटाई हुई है.

By: ABP Live | Updated at : 26 Nov 2021 01:25 PM (IST)

Stocks Fallen Sharply Due to New Variant Fear: शुक्रवार का दिन शेयर बाजार के लिये ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ है. साउथ अफ्रीका में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट मिलने की वजह से सेंसेक्स और निफ्टी औंधे मुंह जा गिरा है. फार्मा छोड़कर बााजार में सभी सेक्टर की पिटाई हुई है लेकिन एक सेक्टर जो सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के नए वैरिएंट मिलने से डरा हुआ है वो है एयरलाइंस, होटल्स और ट्रैवल पोर्टल जैसी कंपनियों के स्टॉक्स.

इन कंपनियों में निवेशित निवेशकों को लगता है कोरोना के नए वैरिएंट का प्रकोप बढ़ा तो कई देशों में फिर से लॉकडाउन लग सकता है और भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता है जिसका सबसे बुरा असर एयरलाइंस होटल्स, ट्रैवल पोर्टल और मल्टीप्लेक्स स्टॉक्स पर पड़ेगा जो कोरोना के दोनों लहर में लगाये गये लॉकडाउन के सकंट से अबतक नहीं उबर पाये हैं.

होटल, एयरलाइंस शेयरों की पिटाई

बात करते हैं होटल सेक्टर की तो INDIAN HOTELS 7.62 फीसदी की गिरावट के साथ 189.70 रुपये, East India Hotels 4.39 फीसदी गिरकर 131.70 रुपये, ORIENTAL HOTELS 4.20 फीसदी की गिरावट के साथ 36.50 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. एयरलाइंस सेक्टर के शेयरों पर नजर डालें तो INTERGLOBE AVIATION (INDIGO) 8.24% गिरकर 1,900.45 रुपये, SPICEJET 5.13% गिरकर 76.80 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग पोर्टल Easy Trip के शेयर में भी गिरावट है और ये 4.46 फीसदी गिरकर 528 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. रेलवे ट्रैवल ऑनलाइन बुंकिंग से जुड़ी कंपनी IRCTC भी 2.55 फीसदी गिरावट के साथ 844 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

News Reels

मल्टीप्लेक्स कंपनियों के शेयर भी फिसले

Multiplex अभी खुलें ही हैं लेकिन कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के डर के चलते PVR 8.81% गिरकर 1425 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. INOX Leisure 7.60% गिरकर 381 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

WHO की बैठक

दरअसल इन कंपनियों के निवेशकों में बेचेनी है. कई यूरोपीय देशों ने साउथ अफ्रीका से फ्लाइट्स के आने पर रोक लगाने का फैसला ले लिया है. तो कुछ ने रोक लगा दी है. World Health Organization (WHO) कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर 26 नवंबर को स्पेशल मीटिंग करने वाला है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें

Published at : 26 Nov 2021 01:25 PM (IST) Tags: share market news Share Market Update South Africa new Variant Stock Market Fear Share Market Crash Stocks Fallen Sharply Due to New Variant Fear Corona Virus New Variant हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

रेटिंग: 4.72
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 820