Over-Optimistic ना हों. Realistic रहें

स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए?

किसी भी न्यूज़ या इवेंट के कारण प्राइस ऍक्शन और अस्थिरता के आधार पर ट्रेडिंग को न्यूज़ या इवेंट बेस्ड ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है। न्यूज़ या इवेंट या तो निर्धारित होते है या अचानक हो सकते हैं। अनुसूचित समाचार पहले से ही नियोजित होते हैं, जबकि अचानक आने वाले न्यूज़ इवेंट्स अनिर्धारित या अनियोजित होते हैं। एक अनुसूचित घटना पर उचित उम्मीदों के साथ ट्रेड कर सकते हैं, लेकिन अनिर्धारित न्यूज़ या इवेंट्स पर ट्रेड करना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो स्पष्टीकरण के अधीन हैं।

समाचार और घटनाएँ ग्लोबल या डोमेस्टिक हो सकती हैं। ग्लोबल न्यूज़ दुनिया भर के मार्केट्स को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2008 के सबप्राइम मॉर्गेज क्राइसिस ने दुनिया भर के मार्केट्स को झटका दिया था। डोमेस्टिक न्यूज़ इवेंट्स जैसे चुनाव परिणाम का स्थानीय प्रभाव हो सकता है।

न्यूज़ या इवेंट्स का व्यापक वर्गीकरण

कॉर्पोरेट: कॉर्पोरेट न्यूज़ या इवेंट्स कंपनी विशिष्ट होते हैं। यह एक प्रोडक्ट, मर्जर और एक्वीजीशन, डिमर्जर, अर्निंग्स आदि का शुभारंभ हो सकता है। तिमाही अर्निंग्स जैसे इवेंट्स निर्धारित किए जाते हैं क्योंकि एक्सचेंजों को इसके बारे में सूचित करना होता है। तिमाही अर्निंग्स के परिणाम का काफी अनुमान लगाया जा सकता है और उसके अनुसार ट्रेडों की योजना बनाई जा सकती है। हालांकि, कुछ अनिर्धारित कॉर्पोरेट इवेंट्स या अनाउंसमेंट हैं जो स्टॉक प्राइस पर प्रभाव का अनुमान लगाने में चुनौतियों का सामना कर सकती हैं।

डेटा संचालित: ये अनुसूचित इवेंट्स हैं जैसे कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) की द्वि-मासिक पॉलिसी रिव्यु, इंफ्लेशन जैसे डेटा जारी करना, ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट्स (जीडीपी) में वृद्धि जैसे तिमाही मैक्रो संकेतक, रोजगार डेटा इत्यादि। ये डेटा पॉइंट्स ट्रेडों के लिए तदनुसार योजना बनाने की अनुमति देते हैं। हालांकि, कई बार मैक्रो इंडिकेटर्स मार्केट को चौंका सकते हैं। अप्रत्याशित की उम्मीद करने के बारे में सावधान रहना होगा। उदाहरण के लिए, विशेष रूप से अमेरिका में प्रकाशित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस इन्वेंटरी जैसी रिपोर्टों के दौरान, इन मार्केट्स और इन ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों में उस समय के आसपास अत्यधिक अस्थिरता पाई जा सकती है। कई वेबसाइट इकनॉमिक कैलेंडर देती हैं जिसमें वे तिथियां होती हैं जिन पर विभिन्न इकनॉमिक डेटा जारी होने की उम्मीद होती है।

पॉलिसीस: मैक्रो-इकोनॉमिक न्यूज़ जैसे पॉलिसीस में बदलाव या नई नीतिगत पहल, टैक्सेशन इंडस्ट्रियल पॉलिसीस में बदलाव जो आम तौर पर देश में सभी को प्रभावित करते हैं। उन्हें विशेष उद्योगों तक ही सीमित रखा जा सकता है।

उदाहरण के लिए, बजट में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर कॅपिटल गेन्स टॅक्स की घोषणा स्टॉक की कीमतों को प्रभावित कर सकती है। इसी तरह, 20 वर्षों में वाहनों को स्क्रैप करने जैसी पॉलिसीस पर सरकार का निर्णय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकता है। जिससे नए वाहनों की मांग बढ़ेगी और ऑटोमोबाइल सेक्टर को मदद मिलेगी।

जिओपोलिटिकल: जिओपोलिटिकल इवेंट्स का दुनिया भर के मार्केट्स पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। वे ग्लोबल इवेंट्स की रेंज हैं जिनमें युद्ध, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, प्रवास और ब्रेक्सिट जैसी प्रमुख पॉलिटिकल इवेंट्स शामिल हो सकती हैं।

ब्लैक स्वान इवेंट्स : वे अप्रत्याशित, नकारात्मक और दुर्लभ इवेंट्स हैं जिनके गंभीर परिणाम होते हैं। कई लोग कोविड-19 को एक काले हंस की घटना मानते हैं, हालांकि उस दृष्टिकोण को ब्लैक स्वान की अवधारणा पेश करने वाले सांख्यिकीविद् नसीम निकोलस तालेब ने चुनौती दी है। ब्लैक स्वान के समय में ट्रेडिंग करना वास्तव में चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

न्यूज़ और इवेंट्स के आधारित ट्रेडिंग

  • न्यूज़ या इवेंट्स पर ट्रेडिंग करने के लिए अनुभव और स्टॉक पर उनके प्रभाव को समझने की क्षमता की आवश्यकता होती है
  • न्यूज़ से लाभ उठाने में सक्षम होने के लिए न्यूज़ की सही व्याख्या करने में सक्षम होना चाहिए
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या न्यूज़ को पहले ही कीमत में शामिल कर लिया गया है या यदि कीमत में बदलाव के लिए और जगह बाकि है

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे न्यूज़ का ट्रेड किया जा सकता है लेकिन आइए हम दो व्यापक तरीकों पर टिके रहें:

दिशात्मक ट्रेड : इस ट्रेड में, न्यूज़ से सकारात्मक अपेक्षा के आधार पर कीमत बढ़ती है। जैसे ही खबर आती है, कीमत बढ़ती रहती है, और जब खबर कन्फर्म होती है, तो इस ट्रेंड की पुष्टि भी होती है। यह नकारात्मक न्यूज़ के विपरीत है।

रिवर्सल ट्रेड: इस ट्रेड में सकारात्मक खबर की उम्मीद से शेयर की कीमत ऊपर होती है। हालाँकि, जैसे ही न्यूज़ आती है, कीमत गति को जारी रखने में विफल रहती है। यह या तो एक विशेष सीमा में रहता है या तेजी से नीचे जाने लगता है। कोई भी यहां अपना लॉन्ग ट्रेड बुक कर सकता है और शॉर्ट के लिए जा सकता है। यह नकारात्मक न्यूज़ के विपरीत है।

न्यूज़ ट्रेडिंग में प्रमुख पॉइंट्स में से एक आपके स्टॉप लॉस का स्थान है। न्यूज़ का एक पार्ट हमेशा अस्थिरता को ट्रिगर करता है जिसके परिणामस्वरूप तेज कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। यदि कोई स्टॉप लॉस नहीं रखता है तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।

फायदे और नुकसान

फायदे : यदि यह एक नियमित डेटा-संचालित या एक नियोजित कॉर्पोरेट घटना है तो ट्रेड की योजना बनाई जा सकती है । ट्रेड को एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस से ही प्लान किया जा सकता है। एक ही दिन में कई ट्रेड के अवसर संभव हैं।

नुकसान: न्यूज़ बेस्ड ट्रेडिंग में रिस्क भी होती हैं। रातोंरात पोजीशन लेना जोखिम भरा है क्योंकि खबर नकली हो सकती है या इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है। जैसे ही न्यूज़ प्रवाह के साथ अस्थिरता का निर्माण शुरू होता है, बिड/आस्क स्प्रेड का परिणाम बड़े पैमाने पर हाई इंपैक्ट कॉस्ट में हो सकता है। ट्रेडर को ट्रेड दक्षिण की ओर जाते ही उससे बाहर निकलने के लिए कुशल और फुर्तीला होना चाहिए।

Stop Loss क्या होता है – स्टॉप लोस क्या है – Share पर स्टॉप लोस कि पूरी जानकारी

शेयर मार्किट में जब हम ट्रेडिंग करते है तो Stop Loss हमारे लिए सबसे ज्यादा कीमती चीज़ होती है . स्टॉप लोस का उपयोग सबसे ज्यादा ट्रेडर्स करते है .

वो लोग जो Intraday Trading करते है या अन्य प्रकार कि ट्रेडिंग करते है उनके लिए स्टॉप लोस बहुत जरुरी है .

स्टॉप लोस को समझने के लिए आपको ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी होना चाहिए. बिना ट्रेडिंग कि जानकारी के आप stop loss को ठीक से नहीं समझ पाएँगे .

तो अगर आप ट्रेडिंग के बारे में जानना चाहते है कि ट्रेडिंग क्या है या ट्रेडिंग कैसे करते है एवं इंट्राडे या डे ट्रेडिंग कैसे करे तो हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े .

अगर आप ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में जान गए है तो चलिए अब जानते है Stop Loss शब्द के बारे में कि stop loss का मतलब क्या है.

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Stop Loss Meaning in Hindi

Stop Loss का Meaning हिंदी में = “रुका नुक्सान” होता है , आसान भाषा में समझे तो एक ऐसी इस्थिती जहाँ पर नुकसान रुक जाये .

चलिए अब जानते है stop loss के बारे में कि स्टॉप लोस क्या होता है .

Stop Loss Kya Hota Hai

ट्रेडिंग में stop loss एक ऐसा विकल्प होता है जिसकी मदद से आप एक कीमत को तय करते है जहाँ पर जाकर आपका नुकसान रुक जाये .

उदाहरण के लिए मान लेते है कि आपने 125 रूपए प्रति शेयर कि कीमत से शेयर ख़रीदे और आपको लगता है कि जिस कंपनी के शेयर अपने ख़रीदे है उनकी कीमत बढ़ेगी .

कीमत बढ़ कर 140 रूपए प्रति शेयर तक जाएगी. लेकिन तभी Share कि Price घटना शुरू हो गई और गिरते-गिरते शेयर कि कीमत 100 रूपए प्रति शेयर हो गई .

अब आपको पता चला कि इस कंपनी के शेयर कि कीमत आज बढ़ने कि जगह और घटेगी, ऐसी इस्थिती में अपने सोचा कि चलो अब शेयर को 100 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर बैच देते है ताकि ज्यादा नुकसान न हो .

लेकिन जब तक आप शेयर को बेचने के लिए तैयार हुए तब तक शेयर कि कीमत और घट गई और अब शेयर कि कीमत घट कर 90 रूपए प्रति शेयर हो गई .

अब ऐसी इस्थिती में आपको 35 रूपए प्रति शेयर का नुकसान हो गया.

लेकिन अगर अपने यहाँ stop loss लगाया होता तो आपको इतना नुकसान स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए? नहीं होता , क्योंकि आपके stop loss कि कीमत तक पहुच कर आपके ट्रेडिंग अकाउंट से शेयर अपने आप बाजार में बिक जाते .

Stop Loss लगाने से क्या होगा

उदाहरण के लिए अपने जो शेयर 125 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर ख़रीदे है उनपर आप ने 100 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर Stop Loss लगा दिया.

अब मान लेते है कि उस शेयर कि कीमत गिरना शुरू हो गई और गिरते-गिरते 100 रूपए प्रति शेयर पर पहुच गई . तो आपके ट्रेडिंग अकाउंट से शेयर तुरंत 100 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर बिक जायेंगे . इस तरह आपको केवल 25 रूपए प्रति शेयर का नुकसान होगा.

अब आप जान गए है कि स्टॉप लोस क्या होता है एवं स्टॉप लोस क्या है. अगर आप ट्रेडिंग करने के लिए जानना चाहते है कि ट्रेडिंग करते समय stop loss कैसे लगते है तो उसके लिए हमारी नीचे दी गई पोस्ट पढ़े .

अगर आप के मान में Stop Loss Kya Hota Hai से जुड़े कोई सवाल है जो आप पूछना चाहते है तो comment करके पूछ सकता है हम आपको तुरंत जबाब देंगे .

स्टॉपलॉस लगाकर करें कॉन्ट्रा ट्रेड, अनिल सिंघवी की राय- बाजार में Over-Optimistic ना हों

बैंक निफ्टी 22000 के लेवल तक पहुंच चुका है. अगर 31 अगस्त के हाई लेवल को देखें तो बैंक निफ्टी में 3000 प्वाइंट की सेलिंग आई है. क्या 22000 के लेवल पर बैंक निफ्टी को सपोर्ट मिलेगा?

अनिल सिंघवी के मुताबिक, बैंक निफ्टी की 22250 नीचे कल की क्लोजिंग परेशान करने वाली है.

बाजार ने एक बार फिर अच्छी शुरुआत की है. मंगलवार को सभी इंडेक्स हरे निशान में खुले हैं. लेकिन, बैंकिंग की बात करें तो अभी भी सेलिंग जारी है. बैंक निफ्टी 22000 के लेवल तक पहुंच चुका है. अगर 31 अगस्त के हाई लेवल को देखें तो बैंक निफ्टी में 3000 प्वाइंट की सेलिंग आई है. क्या 22000 के लेवल पर बैंक निफ्टी को सपोर्ट मिलेगा या फिर अभी स्ट्रक्चर कमजोर नजर आ रहा है. ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी के मुताबिक, बैंक निफ्टी का स्ट्रक्चर अभी भी कमजोर है.

बैंक निफ्टी काफी कमजोर
अनिल सिंघवी के मुताबिक, बैंक निफ्टी की 22250 नीचे कल की क्लोजिंग परेशान करने वाली है. बैंक निफ्टी ने अपना क्लोजिंग लेवल तोड़ा है. तीन दिन पहले तक बैंक निफ्टी 22267 की क्लोजिंग थी. जब निफ्टी 11278 पर बंद हुआ था. आखिरी उम्मीद यह की जा सकती है कि 22000 का लेवल नहीं टूटा है. लेकिन, बैंक निफ्टी बहुत वीक नजर आ रहा है. अगर किसी को ट्रेड करना है तो वो लॉन्ग निफ्टी और शॉर्ट बैंक निफ्टी होना चाहिए.

निफ्टी के लिए भी चैलेंज
अनिल सिंघवी के मुताबिक, अगर बाजार गिरेगा तो बैंक निफ्टी आपको ज्यादा मुनाफा देगा और अगर बाजार चढ़ेगा तो निफ्टी की आउटपरफॉर्मेंस रहने की संभावना ज्यादा है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि बैंक निफ्टी कमजोर है. आखिरी लेवल 22000-21900 मान कर चल सकते हैं. अगर इसके नीचे बैंक निफ्टी आज क्लोजिंग देता है तो और गिरावट नजर आ सकती है. अभी तक निफ्टी ने बैंक निफ्टी को टूटने से बचाया है. लेकिन, अगर बैंक निफ्टी 22000 के नीचे ट्रेड करता है तो निफ्टी के लिए ऊपरी लेवल पर ट्रेड कर पाना चैलेंज होगा.

Over-Optimistic ना हों. Realistic रहें

किन लेवल्स का रखें ध्यान
अनिल सिंघवी का मानना है कि बैंक निफ्टी में फिलहाल यह ताकत नहीं है कि वो निफ्टी को ऊपरी लेवल पर ले जाए. लेकिन, इतनी ताकत है कि निफ्टी को नीचे की ओर धकेलने का काम करे. इसलिए 21900 के अहम सपोर्ट लेवल पर ध्यान रखना चाहिए. अगर वो टूटता है तो बैंक निफ्टी में कमजोरी बढ़ सकती है और निफ्टी पर भी प्रेशर बढ़ सकता है. लेकिन, अगर अहम सपोर्ट लेवल से बाउंस बैक करके बैंक निफ्टी 22450-22650 तक आ जाता है तो निफ्टी में 11550-11600 के लेवल आ सकते हैं.

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आज का दिन क्यों है अहम
अनिल सिंघवी के मुताबिक, बाजार के ट्रेड के लिहाज से आज का दिन काफी इंट्रस्टिंग रहने वाला है. रेंज भी आज दोनों तरफ ट्रेड के मौके भी दे. इस वक्त आपको ओवर-ऑप्टिमिस्टिक नहीं होना है. साथ ही मंदी में भी नहीं आना है. बाजार के ट्रेड को लेकर रियलिस्टिक रहिए. किसी भी वक्त कोई भी खबर आ सकती है जो बाजार को ऊपर-नीचे कर सकती है. ट्रेडर्स को स्ट्रिक्ट स्टॉपलॉस लगाकर सिस्टम में डालने हैं. थोड़ा डीप स्टॉपलॉस रखें. शॉर्ट पोजिशन में स्टॉपलॉस लगाने हैं.

क्या करना चाहिए
दोनों तरफ इंट्राडे में ट्रेडर्स के लिए रिस्क रहेगी. ऐसे में कॉन्ट्रा ट्रेड करना बेहद जरूरी होगा. मजबूत शुरुआत होगी और गैप के साथ खुलेंगे तो वहां बिकवाली का सोचना है. कमजोर शुरुआत होगी और गैप से नीचे आते हैं तो वहां से खरीदारी का सोचना चाहिए. डेटा देखकर ट्रेड करने की कोशिश करनी चाहिए.

Trailing Stop loss – ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ?(What is Trailing Stop-loss)

दोस्तों आज हम सीखेंगे कि ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ? ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें?

ट्रैलिंग स्टॉप-लॉस के लाभ.

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें?

वास्तव में, इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। और ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के जरिए आप अपनी इनकम को और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए बने रहें।

स्टॉप लॉस क्या है -What is Stop Loss?

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस शब्द स्टॉप लॉस (Stop -Loss) से आया है।

हमें स्टॉप लॉस के बारे में जानने की जरूरत है।

स्टॉप लॉस का मतलब है अतिरिक्त नुकसान से बचना। शेयर बाजार में लाभ और हानि दोनों होते हैं।

शेयर की मूल्य वृद्धि जितनी अधिक होगी, आपका लाभ उतना ही अधिक होगा।

लेकिन शेयर की मूल्य गिरावट जितनी अधिक होगी, आपका नुकसान उतना ही अधिक होगा। यदि शेयर की कीमत में अनियमित रूप से गिरावट जारी रहती है, तो आपको अधिक नुकसान होता है।

तो आपको इस अतिरिक्त नुकसान से बचने के लिए स्टॉप लॉस (Stop -Loss) का उपयोग करने की आवश्यकता है।

शेयर खरीदने से पहले आपको यह तय करना होगा कि शेयर की कीमत कितनी बढ़ जाएगी और अगर कीमत कम हो जाती है तो आप कितना नुकसान उठा सकते हैं।

मान लीजिए आपने 120 रुपये में एक शेयर खरीदा।

Stop Loss – Example

आप 140 रुपये या 20 रुपये के लाभ का लक्ष्य निर्धारित करते हैं, और आपको इसके विपरीत सोचना होगा, यदि शेयर की कीमत गिरती है, तो आप तय करते हैं कि आपके पास 5 रुपये या 7 रुपये का नुकसान करने की शक्ति है।

120-140 = 20/- प्रति शेयर लाभ

120-113 = 7/- प्रति शेयर हानि

यदि शेयर की कीमत गिरती है और 7 रुपये से नीचे आती है, तो शेयर अपने आप बिक जाएंगे।

देखा गया कि शेयर 120 रुपये से कमकर 100 रुपये हो गए, लेकिन जब से आपने स्टॉप लॉस का इस्तेमाल किया है तो आपको प्रति शेयर अधिकतम 7 रुपये का नुकसान होगा।

इस तरह आप अतिरिक्त नुकसान से बचेंगे। स्टॉप लॉस का उपयोग शेयरों को स्वचालित रूप से बेचने के लिए किया जाता है। आप जानते हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान शेयरों में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।

बहुत से लोग हैं जो इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में हर दिन घाटा कर रहे हैं, इन घाटे का मुख्य कारण स्टॉप लॉस का उपयोग नहीं करना है।

दूसरा सवाल है कि स्टॉप लॉस कैसे लगाया जाए?

जब आप कोई शेयर खरीदते हैं, तो आपको शेयर की कीमत दर लिखकर ऑर्डर बॉक्स (Order Box) में स्टॉप लॉस के लिए एक अलग घर मिलेगा।

उस स्थिति में, पहले खरीद आदेश (Order) पूरा करें।

फिर सेल ऑर्डर(Sell Order) चुनें और स्टॉपलॉस बॉक्स (Stop Loss Box) में स्टॉप लॉस प्राइस (Stop loss Price) दर्ज करें।

Stop Loss

Stop Loss

अब सवाल यह है कि किसी शेयर को कितना पैसा रोका जाए, यह महत्वपूर्ण है।

मान लीजिए आप 100 रुपये के शेयर पर 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगाते हैं।

10000 रुपये के शेयर पर 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगाते हैं।

यह गलत तरीका है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सा स्टॉक खरीदते हैं, बड़ा या छोटा, स्टॉप लॉस बनाने का मुख्य तरीका उस स्टॉक के Support में स्टॉप लॉस लगाना है।

Support क्या है जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Read – What is Support & Resistance

दूसरा तरीका यह है कि लाभ और लॉस अनुपात 2:1 या 3:1 . होना चाहिए।

दूसरे शब्दों में, यदि आपके पास 1 टका खोने की क्षमता है, तो आपको 3 टका का लक्ष्य रखना होगा।

आइए अब अपने मुख्य विषय पर आते हैं – Trailing Stop loss

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस वह राशि है जिसे आप नुकसान की क्षमता रखते हैं, उस नुकसान की मात्रा और कम हो जाती है।

मैंने इस मामले में स्टॉपलॉस का उदाहरण दिया।

आपके पास प्रति शेयर 7 रुपये नुकसान की शक्ति है। यदि शेयर खरीदने के बाद भी शेयर की कीमत बढ़ती रहती है, तो मान लीजिए कि यह एक 120 से बढ़कर 125 रुपये हो जाती है।

फिर आपको स्टॉप लॉस को और कम करना होगा।आप स्टॉप लॉस को 7 रुपये से घटाकर तीन रुपये या चार रुपये कर सकते हैं।

फिर देखने को मिला कि शेयर 130 रुपये तक पहुंच गया।

उस स्थिति में आप अपने शेयरों के खरीद मूल्य के करीब 120 रुपये पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।

फिर देखने को मिला कि शेयर 135 रुपये तक पहुंच गया। तब आप अपना स्टॉप लॉस 125 रुपये कर सकते हैं।

एक शब्द में, शेयर की कीमत बढ़ने पर स्टॉप लॉस कमना चाहिए।

जब आप देखते हैं कि ट्रेलिंग स्टॉप लॉस आपके स्टॉक की कीमत से ऊपर पहुंच गया है, तो आप समझ सकते हैं कि आपको किसी भी तरह के नुकसान की कोई संभावना नहीं है, आपको 100% लाभ होगा।

दूसरा सवाल है कि ट्रेलिंग स्टॉप (Trailing Stop loss) कैसे लगाया जाए?

अब प्रश्न यह है कि आप ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करते हैं?

आपको अलग से कोई ट्रेलिंग स्टॉप लॉस नहीं उठाना पड़ेगा। स्टॉप लॉस ऑर्डर देने से पहले आपको स्टॉप लॉस बदलने का विकल्प मिलेगा।

जिससे आप अपने स्टॉप लॉस को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस (Stop loss) आपको अतिरिक्त नुकसान से बचाने की कोशिश करता है

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस (Trailing Stop loss) आपके प्रॉफिट मार्जिन को बढ़ाने की कोशिश करता है।

तो अगर आप शेयर बाजार में काम करना चाहते हैं।

तो आपको इन दो तरीकों को ध्यान में रखकर काम करना होगा।

अगर आपको शेयर बाजार के बारे में ज्यादा अनुभव नहीं है।

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मेरी आखिरी पंक्ति

मुझे आशा है कि आपको यह लेख Trailing Stop loss – ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ?(What is Trailing Stop-loss) पसंद आया होगा। यदि आपका कोई प्रश्न या टिप्पणी है, तो बेझिझक हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।

Stop Loss क्या होता है?

Stop Loss:- जब भी हम शेयर मार्केट में किसी शेयर को खरीदते हैं तो हमारा उद्देश्य होता है कि जब शेयर की किमत बढ़ जाएगी तब हम उसे बेच देंगे और उससे मुनाफा जो है वह कमा लेंगे, लेकिन हर समय ऐसा नहीं होता कभी-कभी शेयर की प्राइस हमारे खरीदने के बाद कम हो जाती है तो ऐसे नहीं हम क्या करें ऐसे में अगर हम शेयर को नहीं बेचते तो हमें और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है इसी नुकसान को कम करने के लिए हम स्टॉपलॉस का उपयोग करते हैं जिसमें हमारे जो हमने खरीदा है उसकी प्राइस एक निश्चित से कम हो जाने पर शेयर ऑटोमेटिक सेल हो जाता है इसी प्राइज को हम स्टॉपलॉस कहते हैं!

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शेयर मार्केट में हर ट्रेड में हमारा फायदा हो ये जरुरी नहीं है, ऐसे में जो हमारा गलत ट्रेड है उसमे कम नुकसान इसके लिए स्टॉपलॉस रखना जरुरी है

जब हम स्टॉपलॉस रखते है तब हमे यह पता होता है की हमे इसे ट्रेड में कित्तना नुक़सान हो सकता है जिससे हम अपने रिस्क को कैलकुलेट कर शक्ति है!

स्टॉपलॉस कैसे रखे :- दोस्तों स्टॉपलॉस रखना एक तरह के कला है जिसमें हमे अपने स्टॉपलॉस को इसे तरह से उस जगह रखना होता है जिसके बाद शेयर वहा से अपना ट्रेन्ड करे आमतौर पर जो शेयर का सपोर्ट होता है उससे थोड़ा निचे हम स्टॉपलॉस रखते है जिससे शेयर अपने सपोर्ट को ब्रेक करने के बाद जब वह निचे जाए तो हमे कम नुक़सान हो !

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते समय हमे अपना स्टॉपलॉस पहले से कैलकुलेट कर लेना होता है जब हम स्टॉपलॉस नहीं लगाते तो हमे बहुत ज्यादा नुक़सान हो सकता है ! बहुत से लोग जो शेयर मार्केट में नए नए आए हुए हैं बी स्टॉप लॉस नहीं रखते ऐसे में उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है स्टॉप लॉस में ना केवल इंट्राडे ट्रेडिंग में रखना चाहिए बल्कि डिलीवरी में भी हमें अपना स्टॉप लॉस पता होना चाहिए !

आप सभी ने इसका नाम जरूर सुना होगा होगा जो की ऑप्शन ट्रेडिंग में उपयोग होता है, इसमें सबसे पहले आप कैश या Furute में किसी स्टॉक स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए? को खरीदते है और उसके बाद आप ने जिस शेयर या इंडेक्स को ख़रीदा हुआ है उसके Call Option को बेचा जाता है, जब आप Call को बेचते … Read more

आप के लिए ऐसा टॉपिक शायद पहली बार या फिर बहुत दिन के बाद पढ़ रहे होंगे, इससे पहले आप सभी ने मार्केट से प्रॉफिट कैसइ बनाए इन जैसे आर्टिकल और पोस्ट पढ़ा होगा, लेकिन कोई आपको यह नहीं बताएगा जब आप को प्रॉफिट हो तब आपको क्या करना है, बहुत से लोगो की यह … Read more

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