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Swing trading क्या है? स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक सिलेक्शन कैसे करें?

आप चाहें तो mutual funds मे भी निवेश कर सकते हैं परंतु यह सिर्फ एक पुराना तरीका है जिसमें सिर्फ लॉन्ग टर्म स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? में स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा कारगर विकल्प है जिससे मदद से आप अपने पैसे पर कम समय में अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं ।

स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग तथा scalping समान ही है परंतु जो इसे अन्य प्रकारों से भिन्न बनाती है वह यह है कि इसमें आपके पास अपने निवेश संबंधी निर्णय को लेने के लिए पर्याप्त समय होता है जिसमें आप अपने तार्किक विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेते हैं

आज के इस आर्टिकल में हम स्विंग ट्रेडिंग क्या है तथा उससे संबंधित विषयों के बारे में अध्ययन करेंगे ।

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Swing trading क्या है?

Swing trading, trading एक ऐसा प्रकार है जिसमें किसी कंपनी के शेयर को 1 दिन से अधिक समय के लिए खरीदा जाता है शेयर को खरीदने से लेकर बेचने की अवधि 1 दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए हो सकती है।

यह ट्रेडिंग मार्केट में short term gain तथा medium term gains के लिए की जाती है यह ट्रेडिंग का एक ऐसा रूप होता है जिसमें ट्रेडिंग एक तय समय के लिए की जाती है स्विंग ट्रेडिंग मे इस तय समय में हुए मार्केट में शेयर के प्राइस मूवमेंट से लाभ प्राप्त किया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग कम समय में ज्यादा प्रभावी होती है क्योंकि जहां एक तरफ निवेशकों को अपने निवेश पर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न अर्जित करने के लिए 1 साल या उससे अधिक का समय देना होता है वही एक स्विंग ट्रेडर का उद्देश्य कम समय में अच्छे लाभ कमा कर अपने लक्ष्यों की पूर्ति करना होता है क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग की मदद से आप हफ्ते मैं अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।

इस ट्रेडिंग का उपयोग कोई भी आम व्यक्ति लॉयर डॉक्टर, बिजनेसमैन ,आर्किटेक्ट या कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की जॉब करता है वह कर सकता है।

इस ट्रेडिंग की मदद से आप शॉर्ट टर्म में शेयर के प्राइस मूवमेंट से पैसे कमा सकते हैं जिसमें टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके आप शेयर के प्राइस मूवमेंट का पता लगाकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आने वाले समय में किसी शेयर में कितनी वृद्धि हो सकती है।

Swing trading में stock selection कैसे करें?

स्विंग ट्रेडिंग अन्य ट्रेडिंग के सिद्धांतों पर ही कार्य करती है ।परंतु इसमें व्यक्ति के पास अपने निर्णय लेने हेतु समय होता है। जिससे वह अपने नुकसान को सीमित कर सकता है। जिस प्रकार अन्य ट्रेडिंग प्रकारों में लाभ तथा हानि दोनों हो सकती हैं उसी प्रकार इसमें भी जोखिम रहता है। इसलिए यदि आप अच्छी तरह से स्टॉक का चयन करें तो आप अपने नुकसान को कम तो कर ही सकते हैं ।साथ ही साथ अपने लाभ की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

स्टॉक चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

मौलिक विश्लेषण

सर्वप्रथम किसी कंपनी के स्टॉक के चयन हेतु आपके पास उस कंपनी के विषय में कुछ मौलिक विश्लेषण होने चाहिए जैसे कि उस कंपनी का वैल्यूएशन कितना है वह कंपनी किस क्षेत्र में कार्यरत है तथा इससे पहले उसने कैसा कार्य किया है।

लिक्विडिटी

स्विंगट्रेडिंग करने से पहले आपको उसकी तरलता यह लिक्विडिटी के बारे में जान लेना चाहिए यदि उस शेयर की लिक्विडिटी अच्छी है तो आप कम समय में उससे अच्छा रिटर्न कमा पाएंगे।

ट्रेंड व मार्केट चाल

स्विंग ट्रेड करते समय आपको टेक्निकल एनालिसिस की आवश्यकता होती है जिसकी मदद से आप उस कंपनी के पुराने डाटा के आधार पर आने वाले समय में उस शेयर में होने वाले बदलाव का अनुमान लगा सकते हैं इसके आधार पर आपको उसके ट्रेंड शेयर की औसत चाल तथा उसके प्राइस मूवमेंट की जानकारी मिल जाएगी।

अन्य स्टॉक के साथ तुलना

किसी कंपनी को चयन करने से पहले आपको उस कंपनी के सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ उसकी तुलना करनी चाहिए जिससे आपको शेयर की जानकारी अच्छी तरीके से हो सके।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?

मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग करने से पहले आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि इसका समय काल 1 दिन से कुछ हफ्ते तक का होता है अतः आपको इसके विश्लेषण हेतु टाइम फ्रेम की आवश्यकता होती है। जिससे आप उसका सटीक आंकलन करके लाभ प्राप्त कर सकें।

चार्ट का अध्य्यन मे आपको मार्केट का विस्तृत आंकलन करने की आवश्यकता होती है इसके लिए आप चार्ट के weekly टाइम फ्रेम या day time frame का उपयोग कर सकते हैं साथ ही ट्रेडिंग की प्लानिंग हेतु 1घंटे या 4घंटे के टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें?

यदि आपको स्विंग ट्रेडिंग से लाभ प्राप्त करना है तो आपको सही समय पर शेयर में एंट्री करने की आवश्यकता होती है।यह तय करने हेतु आपको मार्केट में विभिन्न रणनीतियां का उपयोग करना है। तथा किसी की सहायता से आप अपना लाभ भी तय कर सकते हैं।

Support and resistance

शेयर बाजार में सपोर्ट और रेजिस्टेंस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि सपोर्ट मार्केट में खरीदारी को प्रदर्शित करता है ।अर्थात यहां खरीदारी का ज्यादा दबाव होता है ।तथा रेजिस्टेंस सप्लाई को अर्थात् बिकवाली को प्रदर्शित करता है तो यदि आप किसी शेयर मे एंट्री लेते हैं तो आप यह सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस की सहायता से कर सकते हैं।यदि मार्केट कहीं स्ट्रांग सपोर्ट बना रहा है तो आप वहां छोटे स्टॉपलॉस के साथ एंट्री लेने की योजना बना सकते हैं तथा रेजिस्टेंस पर उसको बेच सकते हैं।

मूविंग एवरेज

मूविंग एवरेज मार्केट की औसत चाल को बताने का कार्य करता है चार्ट के तकनीकी विश्लेषण में 21,33,50 ,100,एवं 200 मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाता है। यह मार्केट के पिछले कुछ दिनों की औसत चाल के अनुसार आपको भविष्य में आने वाले उतार चढ़ाव का डाटा बताता है।इसकी सहायता से आप अपनी एंट्री की योजना बना सकते हैं।

इंडिकेटर का उपयोग

मार्केट में कई तरह के इंडिकेटर उपलब्ध हैं जो आपको मार्केट की भिन्न-भिन्न दशाओं से अवगत कराते हैं आप इन इंडिकेटर्स का उपयोग करके प्रवेश करने तथा बाहर निकलने की रणनीति को बना सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग मार्केट में कम समय में निवेश करके मुनाफा कमाने हेतु कारगर है। परंतु यदि आपस में सफल होना चाहते हैं तो आपको इसे सावधानी के साथ रिस्क मैनेजमेंट की सहायता से करना चाहिए। क्योंकि यदि आपको अपने लाभ के साथ-साथ अपने नुकसान के बारे में भी पता रहेगा तो आप मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव से अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकेंगे।

स्विंग ट्रेडिंग क्या है? इसके फायदे और नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग क्या है? – स्विंग ट्रेड, स्टॉक का चयन कैसे करें? (Stock selection for swing trading) , फायदे, नुकसान, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में अंतर, स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े सवाल और जवाब

स्विंग ट्रेडिंग क्या है, swing trading kya hai

स्विंग ट्रेडिंग, ट्रेडिंग का वो तरीका है जिसमें कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों तक किसी स्टॉक (या किसी फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट) में निवेश करके प्रॉफिट बनाया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक का चयन करते समय Technical Analysis के अलावा Fundamental Analysis का भी उपयोग किया जाता है।

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स्विंग ट्रेडिंग क्या है? | Swing Trading in Hindi

आसान भाषा में कहें तो स्विंग ट्रेडिंग में एक से अधिक ट्रेडिंग सत्र में मध्यम या छोटी अवधि के लिए पोजीशन को होल्ड करना होता है, लेकिन आमतौर पर स्विंग ट्रेडिंग में ये होल्डिंग पीरियड कई हफ्तों या कुछ महीनों से अधिक नहीं होना चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग का टारगेट कम समय में शेयर का प्राइस बढ़ने पर प्रॉफिट बुक कर लाभ कमाना है। स्विंग ट्रेडिंग में कुछ ट्रेडर काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले स्टॉक की तलाश करते हैं, तो कुछ स्टेबल रहने वाले स्टॉक को सेलेक्ट करते हैं लेकिन दोनों ही कंडीशन में टारगेट अल्प अवधि में प्रॉफिट बुक कर लाभ कमाना ही होता है।

एक अच्छा स्विंग ट्रेडर किसी एक स्टॉक से बहुत ज्यादा प्रॉफिट की उम्मीद नहीं रखता बल्कि छोटे प्रॉफिट को बुक कर अपने दुसरे स्टॉक की तलाश शुरू कर देता है।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए अच्छे स्टॉक का चयन कैसे करें?

एक स्विंग ट्रेडर के तौर पर आपको ये बिल्कुल साफ़ होना चाहिए कि आपको कितने प्रतिशत प्रॉफिट के बाद निकल जाना है, 4 से 15% का प्रॉफिट स्विंग ट्रेडिंग के लिए पर्याप्त है लेकिन ट्रेड लेने से पहले आपको ध्यान रखना है कि आपको केवल ऐसे स्टॉक का चयन करना है जिसका फंडामेंटल स्ट्रांग हो।

आपको स्विंग ट्रेड लेने से पहले रिस्क और रिवॉर्ड रेश्यो को भी ध्यान में रखना होगा। जैसे मान लीजिए आपने कोई ट्रेड लिया जिसमें हर शेयर में आप ज्यादा से ज्यादा 100 रुपए का रिस्क लें सकते हैं और कम से कम प्रति शेयर 300 रुपए के प्रॉफिट के बाद ही आप पोजीशन से एग्जिट लेंगें। 100 रुपए का रिस्क लेकर केवल 75 रुपए का प्रॉफिट लेकर निकल जाना बिल्कुल भी बुद्धिमानी नहीं है। आप चाहे तो टोटल इन्वेस्ट किए गए Amount के परसेंटेज के आधार पर भी रिस्क और रिवॉर्ड तय कर सकते हैं। यानी तब आपका रिस्क-रिवॉर्ड स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? रेश्यो 1:3 का होना चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक सिलेक्ट करते समय इन बातों को जरूर ध्यान दें-

  • स्विंग ट्रेड के लिए आप Friday को मार्केट बंद होने के बाद Friday, Saturday या Sunday किसी भी दिन स्टॉक का चयन कर सकते हैं।
  • स्विंग ट्रेड सिलेक्ट करते समय ध्यान रखें की केवल 100 रुपए से ऊपर वाले स्टॉक को ही सेलेक्ट करें क्योंकि हमें पैनी स्टॉक्स से बचना है। ऐसा इसलिए क्योंकि पैनी स्टॉक्स को Operators द्वारा आसानी से Manipulate किया जा सकता है।
  • स्टॉक में अच्छा वॉल्यूम होना चाहिए यानी ऐसा शेयर जिसमें बेचे और खरीदे जाने वाले शेयर की संख्या यानी वॉल्यूम ज्यादा है।
  • Upper और Lower सर्किट लगने पर स्टॉक को Ignore करना चाहिए क्योंकि उस पर हमारा Control नहीं होता है।
  • स्विंग ट्रेडिंग के लिए हमें ऐसे स्टॉक का चयन करना चाहिए जिसका फंडामेंटल स्ट्रांग है और शेयर ने पिछले हफ्ते निफ़्टी या सेंसेक्स से ज्यादा रिटर्न दिया है।
  • ऐसे स्टॉक को सिलेक्ट करें जिनका मार्केट कैप 1000 करोड़ से ज्यादा है।
  • स्टॉक अपने 52 वीक हाई के आसपास होना चाहिए, अगर स्टॉक अपने 52 वीक हाई से लगभग 10-15% नीचे है तो आप ऐसे स्टॉक का चयन कर सकते हैं।
  • शुरुवात में आप कोशिश कीजिए की आप मार्केट कैप के अनुसार Top 100 कम्पनीज में से ही स्टॉक सिलेक्ट करें।
  • जो भी स्टॉक आपने सिलेक्ट किया है उसका कैंडल चार्ट Open करके उसका Resistance और Support लेवल नोट कर लें और उसी के अनुसार एंट्री और एग्जिट लें।

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

  • स्विंग ट्रेडिंग में आपको कम समय में प्रॉफिट मिल जाता है।
  • कम प्रॉफिट का टारगेट होने के कारण टारगेट हिट करने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
  • स्टॉक में एंट्री लेने के लिए उसके गिरने का इंतज़ार नहीं करना पड़ता।
  • स्टॉक के फंडामेंटल स्ट्रांग होने के कारण नुकसान होने की संभवना कम होती है।
  • यह एक लेस स्ट्रेस यानी कम तनाव वाली ट्रेडिंग है।
  • अगर आप शेयर बाजार में नए हैं तो भी इसे Try कर सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

  • शार्ट टर्म में एग्जिट लेने के कारण आपको बड़ा प्रॉफिट नहीं मिल पता है।
  • स्टॉक से जुडी रोजाना आने वाली हर छोटी बड़ी खबर से शेयर के प्राइस में उतार-चढ़ाव आता है।
  • एक दिन से ज्यादा होल्ड करने के कारण शेयर में गैप अप और गैप डाउन का भी सामना करना पड़ता है।
  • डे ट्रेडिंग करने वालों को धैर्य के साथ स्टॉक में बने रहने में प्रॉब्लम आती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

स्विंग ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के बीच का अंतर (Swing trading vs Day trading) आमतौर पर होल्डिंग टाइम का है। स्विंग ट्रेडिंग में अक्सर कम से कम एक दिन से ज्यादा के लिए शेयर को होल्ड किया जाता है, जबकि डे ट्रेडिंग में बाजार बंद होने से पहले पोजीशन को क्लोज करना होता हैं।

क्योंकि हमें स्विंग ट्रेडिंग में एक दिन से ज्यादा के लिए पोजीशन को होल्ड करना होता है इसलिए हमें गैप अप और गैप डाउन का भी सामना करना पड़ता है।

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े सवाल और इनके जवाब

सवाल – स्विंग ट्रेडिंग में हम अपने पोर्टफोलियो में स्टॉक को कितने दिन तक रख सकते हैं

जवाब – आमतौर पर स्विंग ट्रडिंग में आप स्टॉक को 1 दिन से ज्यादा या कुछ हफ्ते तक रख सकते हैं लेकिन कोशिस करें की आपको स्टॉक को 3 हफ्ते से ज्यादा होल्ड ना करना पड़े।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने?

स्विंग ट्रेडिंग के लिए ऐसा स्टॉक चुने जो अपने 52 वीक हाई के आसपास हो, अगर स्टॉक अपने 52 वीक हाई से लगभग 10-15% नीचे है तो आप ऐसे स्टॉक का चयन कर सकते हैं।

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उम्मीद करते हैं आपको स्विंग ट्रेडिंग क्या है (Swing trading in hindi) और उससे जुडी जानकारी अब मिल गयी है, अगर अभी भी आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके हमें बता सकते हैं, धन्यवाद।

Swing Trading क्या है? | स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?

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दोस्तों आप में से बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में शेयर्स को खरीदने और बेचने में इन्वेस्टमेंट करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि स्विंग ट्रेडिंग क्या होती है और स्विंग ट्रेडिंग कैसे की जाती है अगर नही, तो आइये आज हम आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है तो जो कैंडिडेट स्विंग ट्रेडिंग बारे में पूरी जानकारी चाहते है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े.

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स्विंग ट्रेडिंग क्या है (What is Swing Trading in Hindi)

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जहाँ पर ट्रेडर्स शेयर्स को खरीदने के कुछ दिन के बाद बेचते हैं मतलब कि एक दिन से ज्यादा के लिए शेयर्स खरीदते हैं और थोड़े समय तक होल्ड करने के बाद दाम बढ़ने पर शेयर्स को बेच देते है जिससे उन्हें कुछ न कुछ फायदा हो जाता है.

एक अच्छी स्विंग ट्रेडर की ओप्पोर्चुनिटी को ढूंढने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का और कभी-कभी फंडामेंटल एनालिसिस का भी उपयोग करता है साथ ही चार्ट के माध्यम से मार्केट ट्रेंड और पैटर्न्स का विश्लेषण करता है. स्विंग ट्रेडिंग को मंथली ट्रेडिंग भी कहा जाता है क्योंकि एक महीने के अंदर ही शेयर्स को खरीदना और बेचना होता है स्विंग ट्रेडिंग से महीने का 5% से 10% तक रिटर्न कमाया जा सकता है स्विंग ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता है.

स्विंग ट्रेडिंग कैसे शुरू कर सकते है ?

स्विंग ट्रेडिंग शुरू करने के लिए किसी भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अमाउंट और डीमैट अकाउंट होना जरूरी होता है क्युकी ट्रेडिंग अकाउंट शेयर को खरीदने के लिए और डीमैट अकाउंट ख़रीदे हुए शेयर्स को रखने के लिए जरूरी है.

Swing Trading काम कैसे करती है?

स्विंग ट्रेडर का काम किसी भी स्टॉक को खरीदने से पहले मार्केट का ट्रेंड शेयर्स की कीमत में उतार-चढ़ाव ट्रेडिंग चार्ट में बनने वाले पैटर्न का विश्लेषण करना होता है. सिम्पल तौर पर एक स्विंग ट्रेडर उन शेयर्स पर विश्लेषण करता है जिसमें ट्रेडिंग अधिक होती है. अन्य तरह की ट्रेडिंग की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में ज्यादा रिस्क होता है क्युकी इसमें गैप रिस्क शामिल होता है, अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई अच्छी खबर आती हैं तो स्टॉक के प्राइस मार्केट खुलने के बाद अचानक से ही बढ़ जाते हैं लेकिन अगर मार्केट के बंद होने के बाद कोई बुरी खबर आती हैं तो मार्केट खुलने के बाद स्टॉक के प्राइस में भारी गैप डाउन भी देखने को मिलती हैं इस तरह के रिस्क को ओवरनाईट रिस्क’ कहा जाता है.

स्विंग ट्रेडिंग करने के फायदे क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग करने के निम्नलिखित फायदे है-

  • स्विंग ट्रेडिंग में शेयर्स को कुछ दिनों या कुछ हफ्तों के लिए होल्ड करके रखा जाता है इसलिएइंट्राडे की तुलना में लाइव मार्केट में ज्यादा समय रहने की जरूरत नहीं होती है.
  • स्विंग ट्रेडिंग मेंट्रेडर्स को बाजार के साइडवेज़ होने पर एक अच्छा रिटर्न मिलता है.
  • स्विंग ट्रेडिंग जॉब या बिज़नेस करने वाले लोगो के लिए सबसे अच्छा होता हैं.
  • स्विंग ट्रेडिंग में छोटे-छोटे स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? रिटर्न्स साल में एक अच्छा रिटर्न भी बन जाता है.
  • इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग करना आसान होता हैं क्युकी इसमें सिर्फ आपको सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस आना चाहिए.
  • इंट्राडे की तुलना में स्विंग ट्रेडिंग में स्ट्रेस लेवेल कम कुछ होता है.

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग करने के कुछ नुकसान भी है-

  • स्विंग ट्रेडिंग में ओवरनाईट और वीकेंड रिस्क भी रहता है.
  • स्विंग ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? गैप रिस्क भी शामिल होता है
  • अगर किसी तरह से मार्केट का अचानक ट्रेंड बदल जाता है तो यहां काफी देय भी नुकसान हो सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग कैसे करे?

सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस: स्विंग ट्रेडिंग स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? में स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? सुपोर्ट एंड रेसिसिटेंस बहुत जरूरी होता है तो इसीलिये आप भी यही कोशिश यही करना कि सपोर्ट पर ब्रेकआउट के बाद शेयर्स ख़रीदे और रेजिस्टेंस पर ब्रेकडाउन पर बेच दे.
न्यूज़ बेस्ड स्टॉक: एक स्विंग ट्रेडर ऐसे शेयर्स को चुनता है जिसमें बाजार की किसी खबर का असर हो और उस खबर के कारण वह स्टॉक किसी एक दिशा में ब्रेकआउट देने की तैयारी में हो या ब्रेकआउट दे चुका हो, वह खबर बुरी या अच्छी किसी भी प्रकार की हो सकती है खबर अच्छी हुई तो ऊपर की तरफ ब्रेक आउट होगा, नहीं तो नीचे की तरफ ब्रेडडाउन होगा.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निक्स: स्विंग ट्रेडिंग के स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? लिए आपको हमेशा हाई Liquidity शेयर्स को चुनना होता है इसके अलावा शेयर में एंट्री और एग्जिट के लिए MACD, ADX और Fast Moving Average का यूज किया जा सकता है.

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आज आपने क्या सीखा?

हमे उम्मीद है कि हमारा ये (swing trading kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने आपको स्विंग ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.

हमारी ये (swing trading kya hai) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.

  • nupur praveen
  • Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्‍कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.

यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर

शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें? के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न

भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.

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