नई दिल्ली: MCD Polls Result- दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली ज़बरदस्त जीत के लिये जनता को बधाई देते हुए कहा कि “दिल्ली की सफ़ाई के लिये केन्द्र सरकार और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद चाहता हूँ।”

ब्राजील : बस हादसे में 42 की मौत

रियो डि जिनेरो: दक्षिणी ब्राजील में एक बस के गहरे खड्ड में गिर जाने के कारण कम से कम 42 यात्रियों की मौत हो गयी. स्थानीय सरकार के प्रवक्ता क्लाडियो थामस ने बताया कि बचाव कार्य जारी रहने के दौरान और शवों के मिलने के बाद मृतकों की संख्या बढ गयी है. उन्होंने बताया कि बचावकर्मी अभी भी जिंदा बचे लोगों की तलाश में जुटे हैं लेकिन सांता कैटरीना राज्य में हादसा स्थल पर पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड रहा है.

इस बीच, बचाए गए तीन घायल बच्चों ने अस्पताल में दम तोड दिया. थामस ने मृतकों की संख्या बढने की आशंका जतायी है. प्रवक्ता ने बताया कि टूर बस में 50 यात्री सवार थे और यह रात के समय जंगल से गुजरते 1300 फुट की उंचाई से नीचे गिर गयी. समझा जाता है कि हाईवे पर एक मोड पर चालक वाहन से नियंत्रण खो बैठा जिसके चलते हादसा हुआ लेकिन हादसे के सही कारणों का अभी पता लगाया जा रहा है. बचावकर्मियों ने काफी मुश्किलों के बाद 12 लोगों को बाहर निकाला है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

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कांग्रेस मुक्त भारत अब हकीकत बनने की ओर

कांग्रेस मुक्त भारत अब हकीकत बनने की ओर

नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने एक बार फिर कमाल दिखा दिया. इस जोड़ी की बदौलत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दक्षिणी राज्य कर्नाटक में अकेले सबसे बड़ी पार्टी के रुप में जीत हासिल कर सत्ता की कमान संभालने का इंतजार कर रही है. प्रधानमंत्री का करिश्मा और ‘अंत भला तो सब भला’ वाली अमित शाह की रणनीति ने मिलकर जबरदस्त सत्ता विरोधी रुझान की अनुपस्थिति के बावजूद सत्तारूढ़ कांग्रेस को धूल चटा दिया. वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद भाजपा ने एक तरह से 21 वें राज्य में अपना कब्जा जमा लिया.

इस जीत के साथ यह कयास लगाए जाने लगे है कि देश में आम चुनाव समय से पहले भी हो सकते हैं. हालांकि भाजपा नेताओं ने इस कयासबाजी को सिरे से ख़ारिज किया है. वैसे भी, दूसरा कार्यकाल पाने की खातिर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में कटौती करने का कोई खास कारण नहीं दिखायी देता क्योंकि इस जीत से पार्टी के भीतर चिंता पैदा करने वाले राजस्थान जैसे राज्य में भी प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने पक्ष में कर लेने का आत्मविश्वास जगा है. इसके बरक्स, सरकार जनोन्मुखी रवैया अपनाते हुए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से समाज के दो सबसे वंचित तबकों -किसानों और दलितों - को लुभाने के लिए आगे बढ़ेगी. वह इन योजनाओं के फैलने तक इंतज़ार करेगी और फिर अगले साल के शुरू में निर्धारित आम चुनावों के लिए कदम बढ़ायेगी.

अमित शाह ने एक बार फिर प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने और स्थानीय मुद्दों के साथ जातियों एवं समुदायों के समीकरणों के प्रबंधन की क्षमता को दर्शाया है. भाजपा ने कांग्रेस को लिंगायतों के वोट हासिल करने के बारे में शोर मचाने दिया, लेकिन उसके नेता लिंगायत मठों के ऊपर अथक मेहनत करके इस समुदाय एमएसीडी संकेतक समझाया के लोगों को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि उनका भविष्य सिर्फ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही सुरक्षित है. पार्टी ने तटीय कर्नाटक एवं राज्य के उन इलाकों, जहां हिन्दू – मुस्लिम मुद्दा वर्षों से हावी है, में जमकर विभाजनकारी एवं साम्प्रदायिक कार्ड खेला और वोटों के ध्रुवीकरण में सफलता हासिल की. पार्टी किसानों को भी यह समझाने में सफल रही कि कृषि की बदहाली के लिए सिद्धारमैया सरकार जिम्मेदार है और केंद्र एवं राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने से उनकी समस्या के समाधान में आसानी होगी.

निश्चित रूप से, दिल्ली में व्हाट्स एप्प पर होने वाली बहसें कर्नाटक की वास्तविकता को प्रभावित करने में असफल रहीं. भाजपा ने पुराने मैसूर इलाके में जनता दल – एस को कांग्रेस से भिड़ने के लिए छोड़ दिया. अमित शाह ने जनता दल – एस के नेता देवेगौडा और उनके सुपुत्र एच डी कुमारस्वामी के साथ संवाद की पर्याप्त गुंजाइशें छोड़े रखीं ताकि गठबंधन की जरुरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके और अपना ध्यान राज्य के अन्य क्षेत्रों पर केन्द्रित रखा. वोक्कालिगा वोटों को पूरी तरह से देवेगौडा के लिए छोड़ दिया गया. और इसके बरक्स लिंगायतों को यह समझाने में सारा जोर लगा दिया गया कि कांग्रेस पार्टी को उनके हितों की कोई चिंता नहीं है. दरअसल, कर्नाटक के दौरे के दौरान सिद्धारमैया के चुनाव क्षेत्र चामुंडेश्वरी तक में वोक्कालिगा समुदाय के लोगों ने खुलकर कहा कि वे उनके पक्ष में वोट नहीं डालेंगे, बल्कि उनका वोट वर्तमान विधायक और जनता दल – एस के उम्मीदवार को जायेगा. एक ग्रामवासी ने कहा, “उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया, और अब हमारा वोट चाहते हैं.” उसके इस कथन से यह साफ़ हो गया था कि लिंगायतों को लुभाने की कांग्रेस पार्टी की रणनीति वोक्कालिगा समुदाय के लोगों को रास नहीं आई.

अमित शाह की मेहनत की पुष्टि इस बात से होती है कि उन्होंने पूरे राज्य में लगभग 50 हजार किलोमीटर का दौरा किया. उन्होंने विभिन्न समुदायों को साथ लाकर उनका गठबंधन बनाने में खूब मेहनत की. यही वजह है कि भाजपा के पास अलग – अलग इलाकों, यहां तक कि कुछ चुनाव क्षेत्रों, के लिए अलग – अलग तर्क थे. शहरी इलाकों में साम्प्रदायिकता की चाशनी में लपेटकर विकास का वादा किया गया. गौरतलब है कि कई शहरी इलाकों में वोटरों ने खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट डालने की बात कही. प्रधानमंत्री की 21 रैलियों, पहले सिर्फ 15 रैलियां तय की गयी थीं, से निकले संदेशों ने कर्नाटक के विभिन्न इलाकों के वोटरों पर खासा असर डाला. इन संदेशों में कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं से लेकर विकास के अभाव, (येद्दयुरप्पा और रेड्डी बंधुओं के भाजपा से जुड़े होने के बावजूद) भ्रष्टाचार और सिद्धारमैया के कुशासन से जुड़े सवाल थे. इन सारे सवालों को साम्प्रदायिकता की चाशनी में लपेटकर परोसा गया और इन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं के माध्यम से तटीय इलाकों में तीखा बनाया गया.

ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी अभी भी चुनौती की गंभीरता को समझ पाने में नाकाम है. पार्टी उम्रदराज नेताओं की संकीर्ण एवं पुरानी सोच और नये नेताओं की सोच, जो अभी बनने की प्रक्रिया में ही है, के बीच फंसी हुई है. कांग्रेस के आज के वरिष्ठ नेता उन नेताओं में से नहीं है जिन्हें इंदिरा गांधी ने अत्यधिक स्वतंत्र या आरामतलब होने की वजह से बाहर निकाल फेंका था. बल्कि वे ऐसे नेताओं का मिलाजुला समूह हैं जिन्हें क्षेत्रीय राजनीति की पर्याप्त समझ नहीं है. और सिद्धारमैया जैसे नेता, जो क्षेत्रीय राजनीति को बखूबी समझते हैं, तीन साल तक एक लचर सरकार चलाते रहे. चौथे साल में अचानक नींद से जागे और क्षेत्रीय अस्मिता का कार्ड खेलने की कोशिश करने लगे और उस लिंगायत समुदाय को अपने साथ लाने का प्रयास करने लगे जिसके हितों को पहले कभी उन्होंने तवज्जो नहीं दिया. भाजपा ने इसे अवसरवाद करार दे दिया और बाजी मार ले गयी.

बंदर और बिल्ली के ये संकेत, जीवन में लाते हैं Good Luck

Animal Superstitions: वैसे तो बंदर और बिल्ली से जुड़ी बहुत सारी बाल कथाएं, बाल्यकाल में दादी-नानी सुनाती हैं। क्या आप जानते हैं, ज्योतिष विज्ञान में इन दोनों के संकेतों को बहुत महत्व दिया जाता है। इनसे जुड़ी किसी भी हरकत को शुभ-अशुभ माना जाता है। कुछ लोग तो इसे अंधविश्वास मानते हैं लेकिन बड़ी संख्या में लोग इसके शकुन-अपशकुन पर यकीन रखते हैं-

Omens of a Cat बिल्ली संबंधी शकुन
बिल्ली एमएसीडी संकेतक समझाया के आगे आने को कुछ लोग अशुभ मानते हैं। यदि बिल्ली रास्ता काट ले अर्थात एक ओर से दूसरी ओर को निकल जाए तो हानिकारक होती है।

कुछ लोगों के मत के अनुसार बिल्ली द्वारा रास्ता काटने का फल अनिष्टकारक तभी होता है जब कि वह बाएं से दाईं ओर को रास्ता काटे, अन्यथा खराब फल नहीं होता।

यदि यात्रारंभ में बिल्ली सामने से अपने मुख में आहार लिए हुए आए तो शुभ समझना चाहिए।

यदि मुुंह में मांस भरे हुए बिल्ली सामने आए तो सामान्य फल देती है किन्तु मुख में मांस भरे हुए बोले तो शुभ फल वाली होती है।

यदि बिल्ली खाली मुख शब्द करे तो यह शकुन शुभ नहीं माना जाता।

यदि बिल्ली बिलाव या दो बिल्लियां परस्पर लड़ाई करती हुई दिखाई दें तो उनके प्रभाव से देखने वाले को अपयश प्राप्त होना, समझना चाहिए।

यदि किसी कार्य के लिए जाते समय बिल्ली बाईं ओर रहे तो शुभकारी है। इसी प्रकार घर लौटते समय दाईं तरफ हो तो श्रेष्ठ फल उत्पन्न करती है।

रात्रि में सोते समय बिल्ली ऊपर आ पड़े तो वह शकुन मृत्युकारक बताया गया है।

यदि बिल्ली किसी के माथे को चाटे तो उसे राज भय की प्राप्ति हो सकती है अथवा पत्नी से बिछोह हो सकता है।

यदि किसी स्त्री के मस्तक को चाटे तो उसके पति के लिए घातक होना मानते हैं।

Omens of a Monkey बंदर संबंधी शकुन
यदि घर से बाहर जाते हुए जातक को प्रात:काल में बाईं ओर बंदर दिखाई दे तो यह शुभ शकुन होगा। इसके फलस्वरूप धन की प्राप्ति होनी चाहिए। यदि एमएसीडी संकेतक समझाया घर से जाते समय बंदर का शब्द सुनाई दे तो जिस कार्य से जा रहे हैं वह शीघ्र ही सिद्ध होगा। इससे मुकद्दमे या लॉटरी में जीत का अनुमान भी लगा सकते हैं।

यदि वानर की गति दाहिनी ओर हो तो सामान्य रूप से हितकर रहेगी। यदि वाम गति वाला है तो वह अशुभ शकुन का रूप धारण किए होता है।

यदि घर से चलते समय किसी के मुख से बंदर का स्वर सुनाई दे तो वह शुभ नहीं होता।

यदि मध्याह्न काल में बंदर दाईं ओर अथवा बाईं ओर मिले तो यह होते हुए कार्य को बिगाडऩे वाला शकुन है।

यदि चलते समय बंदर किसी ऊंची अट्टालिका पर इस प्रकार बैठा हो कि जातक को उसके नीचे से ही जाना पड़े तो यह शकुन भी अच्छा नहीं माना जाता है परंतु ऊंची अट्टालिका पर बैठा हुआ बंदर यदि ठीक सिर के ऊपर नहीं आता तो उसके फल में परिवर्तन होगा।

यदि वह बाईं ओर होता है तो लाभकारी है परंतु दाईं ओर रहने पर साधारण लाभ ही रहेगा।

यदि जातक को सायंकाल को कहीं जाना हो और बंदर बाईं ओर मिले तो यह लक्षण शुभ समझा जाएगा।

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MCD Polls Result: MCD चुनाव में AAP की जीत पर केजरीवाल ने कहा एमएसीडी संकेतक समझाया ‘दिल्ली की सफ़ाई के लिये प्रधानमन्त्री का आशीर्वाद चाहता हूँ

MCD Polls Result

नई दिल्ली: MCD Polls Result- दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली ज़बरदस्त जीत के लिये जनता को बधाई देते हुए कहा कि “दिल्ली की सफ़ाई के लिये केन्द्र सरकार और प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद चाहता हूँ।”

दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि “इतनी बड़ी जीत के लिये दिल्ली के लोगों को बधाई..दिल्ली के लोगों ने अपने बेटे और अपने भाई (केजरीवाल) को इस लायक़ समझा कि इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दे दी।” उन्होंने कहा कि “लोगों ने हमें शिक्षा, स्वास्थ्य व बिजली की ज़िम्मेदारी दी थी जिसे हमने बख़ूबी कर दिखाया है।” (MCD Polls Result)

और जो आज दिल्ली के लोगों ने हमें सफ़ाई करने, भ्रष्टाचार दूर करने और पार्कों को ठीक करने की ज़िम्मेदारी दी है, इस ज़िम्मेदारी को भी वे बख़ूबी अन्जाम देंगे।” अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि “जितने प्रत्याशी जीते हैं उन सबको बहुत-बहुत बधाई, हम सबको मिलकर काम करना है।” (MCD Polls Result)

उन्होंने कहा कि “मेरी सभी से अपील है कि राजनीति आज तक थी, हमें मिलकर काम करना है.. मैं भाजपा और काँग्रेस सभी का सहयोग चाहता हूँ।” केजरीवाल ने कहा कि “जिन लोगों एमएसीडी संकेतक समझाया ने हमें वोट दिया उनका बहुत बहुत धन्यवाद और जिन्होंने उनको वोट नहीं दिया है, उनसे मेरा कहना है कि..पहले आपका काम करेंगे।” (MCD Polls Result)

Bengaluru Mob Lynching

अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि “हमें दिल्ली को ठीक करने के लिये केन्द्र सरकार का सहयोग चाहिये। मैं प्रधानमन्त्री मोदी जी से दिल्ली आशीर्वाद चाहता हूँ। हमें दिल्ली का कूड़ा साफ़ करना है, भ्रष्टाचार को दूर करना है और लूटपाट ख़त्म करनी है।” केजरीवाल ने कहा “जैसे हमने सरकार में दिल्ली साफ़ की है, वैसे ही नगर निगम को साफ़ करना है।”
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