राजस्थान में रियासत काल के सिक्के QUIZ :

करनाल: ₹10 के सिक्के नहीं लेने पर आपके खिलाफ हो सकती है कानूनी कार्रवाई, 'अफवाह से बचें'

करनाल में 10 रुपये के सिक्कों को लेकर लोग जागरूक नहीं है. दुकानदार और ग्राहक नकली समझकर सिक्के लेने से साफ मना कर रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की और लोगों बातचीत में लोगों ने बताए कि क्यों ने सिक्के लेने से बचते हैं.

करनाल: 10 रुपये के सिक्कों के लेन-देन को लेकर आम जनता में अभी तक भ्रम फैला हुआ है.रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के बावजूद दुकानदार और ग्राहक सिक्के को लेने में आनाकानी कर रहे हैं. इन सिक्कों के प्रयोग ना होने से और प्रचलन से बाहर जाने से अर्थव्यवस्था धन की भी हानि हो रही है.

10 रुपये के सिक्कों से बच रहे लोग

बता दें कि सिक्कों के नकली होने की अफवाहों के चलते एक और दुकानदार इन सिक्कों द्वारा भुगतान लेने से बच रहे हैं तो वहीं दूसरी और ग्राहक भी इन सिक्कों को लेने से इंकार कर रहे हैं. इन सिक्कों की वैधता को लेकर संशय की स्थिति होने के कारण दुकानदारों और ग्राहकों के पास 10 रुपये के सिक्कों का स्टॉक इकट्ठा होता जा रहा है. इसमें अति मूल्यवान करेंसी प्रचलन से बाहर होती जा रही है और बाजार में 10 रुपये के सिक्के का फ्लो निरंतर कम होता जा रहा है.

ग्राहक और दुकानदार सिक्कों को लेने में करते है आनाकानी

समस्या की शुरुआत 2011 में हुई जब रिजर्व बैंक ने एक बार फिर 10 रुपये के सिक्के को नई डिजाइन में जारी किया जिसमें पृष्ठ भाग पर रुपये का संकेतिक चिन्ह रुपये छपा था. कुछ दुकानदारों ने सिक्के को रुपये का संकेतिक चिन्ह ना होने के कारण नकली मानते हुए लेने से इनकार कर दिया. सोशल मीडिया पर निरंतर इस प्रकार की अफवाहों के चलते अंत में आरबीआई ने दिशा निर्देश जारी करते हुए 2016 में इन सिक्कों की वैधता को लेकर लोगों को जागरूक भी किया.

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ये है वजह

बैंकों व प्रशासन की उदासीनता के चलते लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है और लोग अपने रिजर्व बैंक द्वारा जारी अपने ही देश की मुद्रा को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं जिससे लोगों के पास सिक्कों का अनुपयोगी ढेर जमा हो रहा है और इन सिक्कों की ढलाई और वितरण में लगे संसाधन बर्बाद हो रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड स्तर पर इस समस्या का जायजा लिया और आम जनता से लेकर बैंक अधिकारियों व लीड डिस्टिक मैनेजर का रुख जानने की कोशिश की.

दुकानदार राजेश गुप्ता भी चाहते हैं कि 10 रुपये के सिक्के का आदान प्रदान हो. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा है कि कुछ ऐसे ठोस कदम उठाए जाए कि इन सिक्कों के आदान-प्रदान में कोई दिक्कत ना आए. वहीं ग्राहक तरुण ने बताया कि वो कई प्रदेशों में घूम चुका है उसे 10 के स्थिर सिक्कों के प्रकार सिक्के को लेकर कहीं भी कोई दिक्कत नहीं आई जितनी उसे करनाल में देखने को मिल रही है.

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सिक्के ना लेने वालों होगी कार्रवाई

स्टेट बैंक के चीफ मैनेजर नॉर्मल ढुल ने भी लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वो 10 के सिक्कों का खुलकर आदान प्रदान करें. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चार प्रकार के 10 रुपये के सिक्कों को डिजाइन किया गया है जो सभी वैध है. आरबीआई ने भी साफ शब्दों में कहा है कि ये सभी सिक्के वैध हैं. इन सिक्कों को न लेने पर एक तरह से अपराध माना गया है. बैंक की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई भी सिक्के लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

आप इस विचार को कि गुप्तकालीन सिक्काशास्त्रीय कला की उत्कृष्टता का स्तर बाद के समय में देखने को नहीं मिलता, किस प्रकार सिद्ध करेंगे?

उत्तर :

हल करने का दृष्टिकोण:

• कथन के पक्ष में तर्क

सिक्कों में प्रयुक्त धातु, सिक्के का आकार तथा स्वरूप, सिक्कों की माप, निर्माण विधि सिक्काशास्त्रीय कला के विभिन्न पहलू हैं। चूँकि सिक्के उस काल की आर्थिक स्थिति के स्थिर सिक्कों के प्रकार साथ संस्कृतिक और राजनीतिक दशाओं का भी वर्णन करते है। अत: इतिहास तत्त्व में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।

गुप्ताकालीन राजाओं ने सोने-चांदी-तांबे तथा निक्षित धातु के विभिन्न आकार के सिक्के चलाए जिनमें रानी प्रकार, धनुधीरी तथा वीणावादन प्रकार अंकित कराई। इन सिक्कों पर हिंदू पौराण्कि पंरपरओं को भी दर्शाया गया। सिक्कों पर उत्कीर्ण किवदंतियाँ इस काल की कलात्मक उत्कृष्टता की उदाहरण हैं।

लेकिन गुप्तोत्तर काल में जहाँ एक ओर सिक्कों के उपयोग में कमी आई। वहीं इनमें नैतिकता तथा कलात्मकता का अभाव भी देखने को मिलता है। माप में भी गुप्तकालीन सिक्कों की अपेक्षा बाद के काल में सिक्कों में गिरावट देखने को मिलती है। मुद्राओं में निर्गत करने वाले राजाओं के नाम का भी उल्लेख नहीं मिलता हैं व्यापार में गिरावट के साथ ही निम्न कोटि की मिश्रधातु के बने सिक्कों का प्रचलन वदा।

अत: जिस प्रकार की विविधता कलात्मकता तथा गुणवत्ता हमें गुप्तकालीन सिक्कों में देखने को तथा गुणवत्ता हमें गुप्तकालीन सिक्कों में देखने को मिलती है बाद के कालों मे उसका अभाव देखने को मिलता है।

10 रुपये के कई सिक्‍के पर नकली कोई नहीं

देश में दस रूपये के विभिन्न प्रकार के सिक्कों पर जनता के बीच भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए रिजर्व बैंक ने संज्ञान लिया है

देश में दस रूपये के विभिन्न प्रकार के सिक्कों पर जनता के बीच भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए रिजर्व बैंक ने संज्ञान . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : April 10, 2017, 12:26 IST

देश में दस रुपये के विभिन्न प्रकार के सिक्कों पर जनता के बीच भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए रिजर्व बैंक ने संज्ञान लिया है. रविवार को बैंक ने कहा है कि कोई भी 10 का सिक्का अमान्य नहीं है और सभी सिक्के चलन में हैं.

देश के कई हिस्सों में दस रुपये के नकली सिक्कों की अफवाहों की वजह से जनता को दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

बैंक का कहना है कि शेरावाली की फोटो वाला सिक्का, संसद की तस्वीर वाला सिक्का, बीच में संख्या में ‘10’ लिखा हुआ सिक्का, होमी भाभा की स्थिर सिक्कों के प्रकार तस्वीर वाला सिक्का, महात्मा गांधी की तस्वीर वाला सिक्का सहित अन्य सभी सिक्के मान्य हैं.

क्या कहते स्थिर सिक्कों के प्रकार हैं एक्सपर्ट ?

कॉरपोरेट मामलों के वकील शुजा ज़मीर का इस मामले पर कहना है कि भारत की स्थिर सिक्कों के प्रकार वैध करेंसी को लेने से इनकार करने पर राजद्रोह का मामला बनता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (1) के तहत ये अपराध है क्योंकि मुद्रा पर भारत सरकार वचन देती है.

लीगल टेंडर नहीं लिया है वापस

आरबीआई ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने वक्त पर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक थीम पर सिक्के जारी किए हैं और सिक्कों में 2011 में रुपये का चिह्न करने के बाद बदलाव आया. आपको बता दें कि आरबीआई ने किसी भी 10 के सिक्के का लीगल टेंडर वापस नहीं लिया है और सारे सिक्के वैध हैं.

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स्थिर सिक्कों के प्रकार

'प्रकाश के अपवर्तन' के कारण जल में पड़ा हुआ सिक्का अपनी सतह से ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है। प्रकाश से जुड़ी इस घटना को इस प्रकार समझा जा सकता है–

'Refraction of light' A coin lying in water appears to be raised above its surface. This phenomenon related to light can be understood as–

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उत्तल और अवतल लेंसों के उपयोग | Uses Of Convex And Concave Lenses

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मानलो जल में कोई सिक्का O पड़ा हुआ है। O से दो प्रकाश किरणें OP और OQ चलती हैं। ये प्रकाश किरणें सघन माध्यम (जल) से विरल माध्यम (वायु) में जाती हैं। माध्यम परिवर्तित करते समय प्रकाश किरण OP अभिलंब NN' से दूर हट जाती है। साथ ही प्रकाश किरण OQ भी माध्यम परिवर्तित करते समय अभिलंब MM' से दूर हट जाती है। इस घटना से अपवर्तित किरणें PR और QS प्राप्त होती हैं। ये दोनों किरणें फैलती जाती हैं। अतः ये दोनों अपसारी किरणें हैं। इसलिए प्रकाश किरणें PR और QS बिन्दु O के ऊपर स्थित बिन्दु I से आती हुई प्रतीत होती हैं। इससे बिन्दु O का आभासी प्रतिबिंब बिन्दु I पर दिखाई देता है। अतः वायु (विरल माध्यम) से देखने पर जल में पड़ा हुआ सिक्का अपनी सतह से ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है।

Assume a coin O is lying in water. Two light rays OP and OQ travel from O. These light rays travel from a denser medium (water) to a rarer medium (air). While changing the medium, the light ray OP moves away from the normal NN'. Also the light ray OQ also moves away from the normal MM' while changing the medium. This incident gives the refracted rays PR and QS. Both these rays spread. Hence, these two are divergent rays. Hence the light rays PR and QS appear to be coming from the point I above the point O. This gives a virtual image of point O at point I. Therefore, a coin lying in water appears raised above its surface when viewed through air (rare medium).

जल में पड़े सिक्के के समान ही 'प्रकाश के अपवर्तन' के कारण जल में तैरती हुई मछली भी अपनी वास्तविक स्थिति से ऊपर दिखाई देती है। इसी प्रकार तालाब के तल पर प्रत्येक बिन्दु अपने वास्तविक स्थान से ऊपर उठा हुआ प्रतीत होता है। इसलिए तालाब कम गहरा प्रतीत होता है।

Like a coin lying in water, a fish floating in water appears above its original position due to 'refraction of light'. Similarly every point on the bottom of the pond appears to be raised above its original position. Therefore the pond appears to be less deep.

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

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