Patent Search and Analysis
ABOUT THE COURSE:
Patents are legal documents which provide the basis of an invention and the extent to which rights are covered in relation to an invention. One of the indicators for a country’s innovative ability is patenting index and patents are considered to be the highest in the innovative index. Search for patent information is undertaken for various purposes. Understanding technology trends, gaining an insight into lead technologies, forming a part of literature search before embarking on R&D, determining patentability of an invention, freedom to operate searches before product entry into market are some of the predominant reasons for patent search. The need for customised products, rapid production and global marketing necessitates scouting for technologies worldwide. Skilled patent professionals are a requirement for any successful organisation. The past decade has also witnessed the growth of IP filing from academia as well. Patent search is an important component of literature search for identification of new areas of innovation. Objectives of the course: This course will focus on providing the students/participants • To develop skills to conduct patent search and analysis • To develop practical insights into specific types of patent search • To enable understanding of the techno-legal aspects of patent search and analysis
पेटेंट कानूनी दस्तावेज हैं जो एक आविष्कार का आधार प्रदान करते हैं और एक आविष्कार के संबंध में किस हद तक अधिकार शामिल हैं। किसी देश की अभिनव क्षमता के संकेतकों में से एक सूचकांक पेटेंट है और पेटेंट को अभिनव सूचकांक में उच्चतम माना जाता है। पेटेंट सूचना शोध विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं। प्रौद्योगिकी रुझानों को समझना, प्रमुख तकनीकों में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना, अनुसंधान और विकास पर लगने से पहले साहित्य शोध का एक हिस्सा बनाना, एक आविष्कार की पेटेंट क्षमता का निर्धारण करना, बाजार में उत्पाद को उतारने से पहले अनुसंधान को संचालित करने की स्वतंत्रता पेटेंट शोध के कुछ प्रमुख कारण हैं। अनुकूलित उत्पादों की आवश्यकता, तेजी से उत्पादन और वैश्विक विपणन दुनिया भर में प्रौद्योगिकियों के लिए स्काउटिंग की आवश्यकता है। कुशल पेटेंट पेशेवर किसी भी सफल संगठन के लिए एक आवश्यकता है। पिछले दशक ने शिक्षाविदों द्वारा आईपी फाइलिंग के विकास को भी देखा है। पेटेंट शोध, नवाचार के नए क्षेत्रों की पहचान के लिए साहित्य शोध का एक महत्वपूर्ण घटक है। पाठ्यक्रम का उद्देश्य: यह पाठ्यक्रम छात्रों / प्रतिभागियों को निम्नलिखित प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगा • पेटेंट शोध और विश्लेषण करने के लिए कौशल विकसित करना • पेटेंट शोध के विशिष्ट प्रकारों में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि विकसित करना • पेटेंट शोध के तकनीकी-कानूनी पहलुओं की समझ को सक्षम करना और विश्लेषण
INTENDED AUDIENCE: Students belonging to Engineering and Science streams, LL.B in IP Law, LL.B, Masters in IP Law, PG Diploma in IP Law
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Course layout
Week 1: Inventions and Patent Eligibility
Patentability criteria for inventions
Prior Art categories
Disclosure Norms
Patent Specification – Description and Claims
Week 2: How to read a patent document - Patent Anatomy
Introduction to Patent search
Fundamentals of Patent Search
Fields for Search -Keyword Search -Classification Search – IPC, CPC, USPC, F term -Combination Search -Concept based search
Week 3: Public search databases IPO EPO USPTO Patent Scope
Subscribed databases search
Differences between public search and subscribed database search
Week 5 : Types of Patent search
Patent Landscape Search
Clearance Search Advantages and Limitations of each type of search
व्यवहारवाद का अर्थ और परिभाषा Meaning and Definition of Behaviourism
वाटसन ( Watson) के अनुसार , मनोविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की शुद्ध वस्तुनिष्ठ एवं प्रयोगात्मक शाखा है। इसका सैद्धांतिक उद्देश्य व्यवहार का अनुमान लगाना तथा उसका नियंत्रण करना है। इस प्रकार मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान न होकर व्यवहार का विज्ञान है " । साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे CTET टीचिंग चैंपियन बैच- Join Now से जुड़ जाना चाहिए।
बी . एफ . स्किनर ( B.F Skinner) के अनुसार , " अधिगम प्रतिशील व्यवहार अनुकूलन की एक प्रक्रिया है। व्यवहारवादी अथवा सहचार्यवादी सिद्धांत की विचारधारा के अंतर्गत उद्दीपन एक अभिकारण या शक्ति है जो ग्रहिता (Receptor) के बाहर एक वस्तु है तथा जो उपयुक्त ग्रहिता में अनुक्रियां उत्तेजित करने में समर्थ है। व्यवहार केवल उद्दीपन का ही परिणाम है , चाहे उत्तेजक उद्दीपन बाहा हो या आंतरिक।"
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जे . एस . स्टीफंस ( Stephens) के अनुसर , " जब व्यवहारवाद सफलतापूर्वक प्रचलित था, यह संबंधवाद की एक पराकाष्टा का प्रतिनिधित्व करता था। पुराने गौरवमय संबंदवादी प्राय: संबंधों अथवा बंधनों की चर्चा करते थे। वे विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग अपने S - R ( उद्दीपन - अनुक्रीय) सूत्र को बिना किसी भेद के दोनों प्रकार की मानसिक और शारीरिक घटनाओं पर लगाते थे ।
व्यवहारवाद की स्थापना जे .
स्वॉट विश्लेषण क्या होता है
एक छात्र के रुप में सफल होने के लिए आपको एक विशेष रणनीति की आवश्यकता होती है। रणनीतिक निर्णय लेते समय, विचार करने के लिए बहुत सारे कारक होते हैं। संबंधित परिस्थितियों, विकल्पों और आंकड़ों से अभिभूत होना आसान है। स्वॉट आंतरिक विशलेषण है। इसकी सहायता से हम अपनी खुबियों, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों के बारे में जान सकते है । इसमें हमें अपने आप से कुछ सवाल पुछकर उनका उत्तर देना है। सामान्य तौर पर यह पाया गया है कि जितनी आसानी विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग से हम दुसरों की कमियों और खुबियों का मुल्यांकन कर सकते उतनी आसानी से स्वयं का मुल्यांकन नहीं कर पाते है। परन्तु ये बात भी सच है कि जितनी सटीकता और वास्तविकता से हम अपना मुल्यांकन कर सकते है ऐसा ओर कोई दूसरा व्यक्ति नहीं कर सकता है। हमारी खुबियां और कमियां हम से बेहतर भला और कौन जान सकता है ?
स्वॉट (SWOT) में व्यवसाय उद्यम या परियोजना का लक्ष्य उल्लिखित करना और आंतरिक और बाह्य कारक, जो उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुकूल और प्रतिकूल हैं, उनको पहचानना शामिल है। एसडब्ल्यूओटी ये चार श्रेणियां वर्णन करती हैं कि क्या निर्णय का एक पहलू नकारात्मक या सकारात्मक है, और क्या यह संगठन के लिए बाहरी या आंतरिक है। गहन स्वॉट विश्लेषण ध्वनि रणनीतिक योजना की रीढ़ हो सकती है। आप सही रुप से स्वॉट का अनुसरण करके अपने करियर को एक नई दिशा दे सकते हैं। स्वॉट ना केवल आपकी कमजिरयों औऱ शक्तियों को बताता है बल्कि यह आपको भय और आप क्या करना चाहते हैं उसे भी बताता है। आपको आपके लक्ष्य के प्रति एकाग्र करने में स्वॉट अहम भूमिका अदा करता है।
स्वॉट का मूल्याकंन कैसे करें
एक अच्छा SWOT विश्लेषण सही प्रश्न पूछने से शुरू होता है। नीचे एक खाका है जिसे आपने अपने स्वॉट विश्लेषण पर शुरू किया है। जैसे कि आप इसे पूरा करते समय अपने आप से निम्नलिखित प्रश्न पूछने का प्रयास करें, और उपयुक्त सेल में प्रत्येक के लिए सबसे मुख्य जवाब की कल्पना करें। जितना हो सके, दिमाग पर जोर डालें। प्रत्येक चतुर्थांश के लिए विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग चार या पांच वस्तुओं पर ध्यान देने की कोशिश करें। इसके अलावा, विशिष्ट और ठोस रहें, अस्पष्ट बयानों से बचें।
SWOT स्वॉट विश्लेषण इतना प्रभावशाली होता है कि इससे आपको नए करियर के अवसर ढूंढ़ने में सहायता मिल सकती है और आप अच्छी तरह से इनका उपयोग विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग कर सकते हैं। साथ ही आप अपने आप के कमजोर बिंदुओं को समझकर, बिना निष्क्रिय रहे इन जोखिमों को संभाल सकते हैं और इनका निवारण कर सकते हैं। सबसे पहले एक पेन और कागज साथ में लें और किसी एकान्त और शांत जगह पर चले जाएं । यह शांत जगह आपका कमरा, छत, कुछ भी हो सकती है । अब कागज को चार बराबर हिस्सों में बांट लें और उसके चार भागों में अंग्रजी के अक्षर S (Strengths) ताकत, W (Weaknesses) कमजोरियां, O (Opportunities) अवसर और T (Threats) खतरें को लिखें । विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग इसमें से पहले और तीसरे हिस्से वाली चीजें आपके लिए उपयोगी है तथा दुसरे और चौथे हिस्से वाली चीजें कि नुकसानदायी हो सकती है।
अब एक एक करके नीचे दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर संबंधित भाग में लिखते जाएं। याद रखें इन सवालों के उत्तर आपको विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग पुरी निष्पक्षता और ईमानदारी से देने है। जवाब लिखने में किसी तरह की जल्दबाजी न करें ।
- मेरे अंदर क्या कौशल और क्षमताएं विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं?
- मैं किन क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर सकता हुं?
- मेरा विलक्षण गुण क्या है?
- कौन से व्यक्तिगत गुण, मूल्य मुझे सफलता दिलाएंगें ?
- मेरी ताकत क्या है?
- मुझे इससे कितना लाभ हुआ है?
- क्या मैं किसी और से बेहतर क्या कर सकती हूं?
- लोग मुझमें कौन सी खासियत देखते हैं?
- कौन - कौन से नकारात्मक विचार मेरे अंदर है?
- मेरी क्षमताओं में किन चीजों की कमी है?
- मुझे कौन से कौशल हासिल करने है?
- मैं अपने जीवन के कौन से क्षेत्रों में सुधार कर सकता हूं ?
- मेरे करियर में कमी आने के क्या कारण हैं?
- लोग मुझमें कौन-कौन सी कमजोरियाँ देख रहे हैं?
- क्या मैं इनमें सुधार कर सकता हूं?
- मुझे किससे बचना चाहिए?
- मेरे लिए कौन से अवसर उपलब्ध है?
- कौन-सी परिस्थितियां मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता करेंगीं ।
- कौन-से लोग मेरी सहायता और सहयोग कर सकते है ?
- मुझे किन बाधाओं का सामना करना है ?
- कौन-से विचार मेरे विकास में बाधक है ?
- कौन-से डरों ने मुझे जकड़ा हुआ है ?
- कौन-से लोग मेरी प्रगति में बाधा बन सकते हैं ?
अब लिखे गए आपके इन जवाबों को दो - तीन बार तसल्ली से पढें । एस हिस्से में जितने जवाब है वह सब आपके लक्ष्य को हासिल करने में आपके सहायक तत्व है। डब्लयू वाले हिस्से में लिखे हुए जवाब आपकी सफलता और अच्छे काम में बाधक तत्व हैं। अब ये आपके ऊपर है कि आप अपनी इन कमजोरियों से कैसे निपटते है? ओ हिस्से में लिखे हुए जवाब आपके लिए सफलता के द्वार है। ये द्वार कभी- कभी ही खुलते है। इसलिए आपके सामने लिखे हुए ओ हिस्से के जवाबों को अच्छे से पढें और इनका फायदा उठायें। अब टी हिस्से के जवाबों को पढें। ये सभी आपकी सफलता की राह के कांटें हैं जिनसे आपको बचना है। स्वॉट का मकसद - अपनी परिसंपत्तियाँ, संसाधन, लोग, संस्कृति, सिस्टम, आपूर्तिकर्ताओं के संबंध में संगठन का आंतरिक मूल्यांकन करना है। प्रबंधन संगठन की शक्ति और कमजोरी का आकलन कर सकता है।
व्यवहारवाद का अर्थ और परिभाषा Meaning and Definition of Behaviourism
वाटसन ( Watson) के अनुसार , मनोविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की शुद्ध वस्तुनिष्ठ एवं प्रयोगात्मक शाखा है। इसका सैद्धांतिक उद्देश्य व्यवहार का अनुमान लगाना तथा उसका नियंत्रण करना है। इस प्रकार मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान न होकर व्यवहार का विज्ञान है " । साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे CTET टीचिंग चैंपियन बैच- Join Now से जुड़ जाना चाहिए।
बी . एफ . स्किनर ( B.F Skinner) के अनुसार , " अधिगम प्रतिशील व्यवहार अनुकूलन की एक प्रक्रिया है। व्यवहारवादी अथवा सहचार्यवादी सिद्धांत की विचारधारा के अंतर्गत उद्दीपन एक अभिकारण या शक्ति है जो ग्रहिता (Receptor) के बाहर एक वस्तु है तथा जो उपयुक्त ग्रहिता में अनुक्रियां उत्तेजित करने में समर्थ है। व्यवहार केवल उद्दीपन का ही परिणाम है , चाहे उत्तेजक उद्दीपन बाहा हो या आंतरिक।"
Safalta App पर फ्री मॉक-टेस्ट Join Now के साथ किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करें।
जे . एस . स्टीफंस ( Stephens) के अनुसर , " जब व्यवहारवाद सफलतापूर्वक प्रचलित था, विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग यह संबंधवाद की एक पराकाष्टा का प्रतिनिधित्व करता था। पुराने गौरवमय संबंदवादी प्राय: संबंधों अथवा बंधनों की चर्चा करते थे। वे अपने S - R ( उद्दीपन - अनुक्रीय) सूत्र को बिना किसी भेद के दोनों प्रकार की मानसिक और शारीरिक घटनाओं पर लगाते थे ।
व्यवहारवाद की स्थापना जे .
अध्ययन में हम औरों के विचारों का विश्लेषण करते हैं
एक बार संत अप्पार के पास एक जिज्ञासु आया और बोला - 'महात्मन्, मैंने अनेक विषयों का गंभीर अध्ययन किया है। मुझे तमाम शास्त्र व ग्रंथ मुंहजबानी याद हैं। लोग जब मुझे विद्वान कहते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और मेरे अहं को तुष्टि भी मिलती है, किंतु इन सबसे शांति व आनंद नहीं मिलता। विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग एकांत में मेरे तर्क स्वयं मुझे ही छलनी करने लगते हैं। एक तर्क मेरे ऊपर हंसता है तो दूसरा उसे निरुत्तर करने के लिए अन्य अनेक तर्कों के तीर चलाता है। कृपया मेरा समाधान करें।"
संत अप्पार उसकी बात सुनकर बोले - 'वत्स, तुमने अध्ययन तो बहुत किया है, अब आवश्यकता है स्वाध्याय करने की। स्वाध्याय से ही तुम्हारी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।" जिज्ञासु विस्मित हुआ और बोला - 'महात्मन्, मैं अभी तक स्वाध्याय ही तो कर रहा था। मैं तो इसके अलावा और कुछ जानने-समझने आया था।"
यह सुनकर संत अप्पार के अधरों पर मुस्कान बिखर गई। उन्होंने उसे समझाते हुए कहा - 'वत्स, अभी तक तुमने जो किया, वह अध्ययन है ना कि स्वाध्याय। अध्ययन का अर्थ है - दूसरों के लिपिबद्ध विचारों का अनुशीलन करना, पढ़ना। ग्रंथ में निहित तथ्यों, घटनाओं व विचारों का तर्कसंगत संबंध स्थापित करना, समालोचना करना व व्याख्या करना ही अध्ययन है। स्वाध्याय इससे सर्वथा भिन्न है।" आगंतुक बड़े ध्यान से संत की बातें सुन रहा था।
संत ने आगे कहा - 'स्वाध्याय जीवन के सिद्धांतों का चिंतन-मनन करना है। जीवन का आधार क्या है, यह कैसे क्रियाशील, गतिशील है और कैसे विकास के सोपानों को पार करता चला जाता है, ये सब ही जीवन के सिद्धांतों में सम्मिलित हैं। जीवन के सिद्धांत सत्कर्म, सदाचार व सद्भाव पर आधारित हैं। सत्कर्म की परिणति पर चिंतन करना, सदाचारपूर्ण व्यवहार बन पा रहा है या नहीं, इस पर विचार करना, औरों के प्रति हमारे मनोभाव कैसे हैं, इसका अवलोकन करना ही स्वाध्याय है। स्वाध्याय के लिए अध्ययन मात्र एक माध्यम है। अध्ययन में हम औरों के विचारों का विश्लेषण करते हैं, जबकि स्वाध्याय में हम स्वयं के विचारों एवं भावनाओं का अध्ययन करते हैं। स्वाध्याय का विषय हमारे विचार, भाव व आत्मा होते हैं। स्वाध्याय अंतरतम में गोते लगाना एवं अनुभव प्राप्त करना है, विश्लेषण में व्यावहारिक अनुप्रयोग जबकि अध्ययन में यह सुविधा प्राप्त नहीं है।"
जिज्ञासु को स्वाध्याय का मर्म ज्ञात हो गया और वह संत को प्रणाम कर वापस चल पड़ा।
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