नवभारत टाइम्स 03-10-2022

रुपया 17 पैसे की तेजी के साथ 82.65 प्रति डॉलर पर

मुंबई, 26 दिसंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले सोमवार को रुपया 17 पैसे की तेजी के साथ 82.65 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। घरेलू शेयर बाजार में तेजी तथा विदेशों में डॉलर के कमजोर होने से रुपये में यह बढ़त देखने को मिली।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.79 के स्तर पर खुला और कारोबार के अंत में यह 17 पैसे की तेजी दर्शाता 82.65 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 82.63 के उच्चस्तर और 82.83 के निचले स्तर को छुआ।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका निवेशकों को यह चिंता सता रही है कि अमेरिकी के मजबूत आर्थिक आंकड़ों की वजह से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए फेडरल रिजर्व ब्याज दर में और वृद्धि करने की सोच सकता है।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका 0.11 प्रतिशत घटकर 104.31 रह गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 3.63 प्रतिशत बढ़कर 83.92 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 721.13 अंक बढ़कर 60,566.42 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने शुक्रवार को 706.84 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

भाषा राजेश राजेश अजय

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

1991 में दिवालिया होने के कगार पर थे आज दुनिया के विकास का इंजन हैं हम

भारतमें आर्थिक उदारीकरण के 25 साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान भारत दिवालिया होने के कगार से उठकर आर्थिक शक्ति बना है। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को पेश बजट में इकोनॉमी को निजी क्षेत्र के लिए पूरी तरह खोलने का फैसला किया। हालांकि राजीव गांधी और चंद्रशेखर की सरकार में भी सुधार के छोटे कदम उठाए गए, लेकिन वे नाकाफी साबित हुए। सरकारी घाटा और महंगाई काफी बढ़ गई थी। 1990-91 में केंद्र सरकार का घाटा 8.4% और केंद्र-राज्य दोनों का 12.7% तक पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका भंडार एक अरब डॉलर से भी कम रह गया था। तब आईएमएफ से और कर्ज लेने के लिए 67 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था। अब हमारे पास 557 टन यानी दुनिया का 10वां सबसे बड़ा सोने का भंडार है। आर्थिक सुधार के बहुत से कदम आईएमएफ की कड़ी शर्तों के नतीजे थे, फिर भी इसकी बदौलत हमने कई मुकाम हासिल किए हैं। 1991 में हम तीसरी दुनिया में गिने जाते थे। लेकिन अब भारत दुनिया का विकास इंजन बन गया है। तब जी-77 में शुमार भारत अब दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के समूह जी-20 का सदस्य है। परचेजिंग पावर या खरीदने की क्षमता के लिहाज से चीन और अमेरिका के बाद हम तीसरे नंबर पर हैं।

बीएसई मार्केट कैप

1,485 (24 जुलाई 1991)

10684946 करोड़ रुपए

3.65 लाख करोड़ रु (अप्रैल 1994)

जीडीपी 12.5 गुना बढ़ गई

जीडीपी(लाख करोड़ रु.) 10.8135

जीडीपीग्रोथ रेट 1.1%7.6%

जीडीपीमें कृषि 23%14%

जीडीपीमें सर्विसेज 42.5%60%

जीडीपीमें मैन्युफैक्चरिंग 16.4%16.2%

प्रतिव्यक्ति जीडीपी (रुपए) 7,000 98,983

निर्यात(अरब डॉलर) 18262

घरेलूबचत (जीडीपी का) 22.9%33%

1970 के दशक में 7 बजट तैयार करने में मदद करने वाले मनमोहन सिंह ने खुद 1991-92 का बजट पेश किया। बजट भाषण के समापन में उन्होंने कहा- ‘दुनियाहमारी आवाज साफ-साफ सुन ले। भारत अब जाग गया है। हम आगे बढ़ेंगे। हम जीतेंगे।’

डॉलर के मुकाबले रुपया 42 पैसे टूटकर 81.82 पर

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नवभारत टाइम्स 03-10-2022

मुंबई, तीन अक्टूबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजारों में भारी बिकवाली और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया सोमवार को 42 पैसे की गिरावट के साथ 81.82 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

कारोबारियों के अनुसार, मजबूत डॉलर सूचकांक और विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी का भी स्थानीय मुद्रा पर असर पड़ा।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.65 प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के दौरान 81.98 के निचले स्तर तक गया।

अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 42 पैसे की गिरावट के साथ 81.82 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 81.40 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक श्रीराम अय्यर ने कहा, ‘‘कमजोर जोखिम भावना के बीच सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ और कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी वृद्धि की संभावना के बीच तेल आयातकों ने डॉलर का रुख किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विदेशी निवेशकों की निकासी को लेकर बढ़ती चिंताओं के चलते घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट आई और इसका असर स्थानीय मुद्रा पर भी पड़ा।’’

शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘कमजोर घरेलू बाजारों और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से आज भारतीय रुपये में 0.51 प्रतिशत की गिरावट आई है। निराशाजनक व्यापक आर्थिक आंकड़ों का भी रुपये पर असर पड़ा।’’

भारत का विनिर्माण पीएमआई सितंबर में गिरकर 55.1 पर आ गया, जो 55.80 के अनुमान और पिछले महीने के 56.2 से कम है।

वहीं, बीएसई का तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 638.11 अंक या 1.11 प्रतिशत विदेशी मुद्रा के लिए आसान तरीका टूटकर 56,788.81 पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 207 अंक की गिरावट दर्ज की गई।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.30 प्रतिशत चढ़कर 112.45 पर पहुंच गया।

इसके अलावा वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 4.12 प्रतिशत की तेजी के साथ 88.65 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 590.58 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।

एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार से सितंबर महीने में 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की है।

अब IFFCO जल्द लॉन्च करेगी भारत में नैनो DAP, केंद्र सरकार घटेगा सब्सिडी बोझ, जानें क्या होगी इसकी कीमत?

The Chopal: देश में नैनो लिक्विड यूरिया पेश करने के बाद सहकारी संस्था इफ्को का अगला लक्ष्य जल्द ही नैनो डीएपी फर्टिलाइजर उतारने का है. यह एक ऐसा बढ़िया कदम है जो भारत को विदेशी मुद्रा की बचत करने और सरकारी सब्सिडी को भी काफी कम करने में बहुत मदद करेगा. ये नैनो डीएपी किसानों के लिए खेती को काफी आसान बनाएगा वहीं लागत को भी कम करेगा, इफ्को का लक्ष्य 600 रुपये में आधा लीटर नैनो डीएपी उर्वरक को बाजार में उतारने का भी है. इफ्को के प्रबंध निदेशक यू एस अवस्थी ने डिजिटल मीडिया मंच ‘रूरल वॉयस’ द्वारा आयोजित एक कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इफ्को नैनो-पोटाश, नैनो-जिंक और नैनो-कॉपर उर्वरक भी लाने की योजना पर काम कर रही है.

अब तक देश भर में नैनो यूरिया की 4.85 करोड़ बोतलों की बिक्री

जून 2021 में सहकारी संस्था इफ्को ने पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में नैनो यूरिया को तरल रूप में भी पेश किया। इसने नैनो यूरिया का उत्पादन करने के लिए विनिर्माण संयंत्र भी देश में स्थापित किए हैं. अवस्थी ने बताया कि इफ्को ने अब तक नैनो यूरिया की पांच करोड़ बोतलों का उत्पादन किया है, जिनमें से 4.85 करोड़ बोतलें बेची भी जा चुकी हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नैनो यूरिया की कीमत पारंपरिक यूरिया से कम भी है और यह अधिक प्रभावी और सुविधाजनक भी है. नैनो यूरिया पर कोई सरकारी सब्सिडी भी नहीं है और इसे 240 रुपये प्रति बोतल की दर से बेचा भी जा रहा है.

घटेगी किसानों की भी लागत

प्रबंध निदेशक ने कहा कि कंपनी ने नैनो डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) भी विकसित किया गया है और इस उत्पाद को बाजार में पेश करने के लिए सरकार की मंजूरी के लिए पहले ही आवेदन भी कर चुकी है. उन्होंने घोषणा की कि नैनो-डीएपी की आधा लीटर की बोतल 600 रुपये तक में बेची जाएगी. इसकी एक बोतल डीएपी के एक बैग के बराबर भी होगी, जिस डीएपी बैग की कीमत 1,350 रुपये तक है. यानि किसानों की लागत भी कुछ घटेगी.

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अब तक देश भर में नैनो यूरिया की 4.85 करोड़ बोतलों की बिक्री

जून 2021 में सहकारी संस्था इफ्को ने पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में नैनो यूरिया को तरल रूप में भी पेश किया। इसने नैनो यूरिया का उत्पादन करने के लिए विनिर्माण संयंत्र भी देश में स्थापित किए हैं. अवस्थी ने बताया कि इफ्को ने अब तक नैनो यूरिया की पांच करोड़ बोतलों का उत्पादन किया है, जिनमें से 4.85 करोड़ बोतलें बेची भी जा चुकी हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नैनो यूरिया की कीमत पारंपरिक यूरिया से कम भी है और यह अधिक प्रभावी और सुविधाजनक भी है. नैनो यूरिया पर कोई सरकारी सब्सिडी भी नहीं है और इसे 240 रुपये प्रति बोतल की दर से बेचा भी जा रहा है.

घटेगी किसानों की भी लागत

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