₹500 प्रति दिन कमाने के लिए शेयर मार्केट टिप्स
₹500 प्रति दिन कमाने के लिए शेयर मार्केट टिप्स : इंट्राडे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग आदि जैसी विभिन्न रणनीतियों से शेयर बाजार में प्रति दिन ₹500 कमाना संभव है। आपको बस बुनियादी युक्तियों और अनकहे नियमों का पालन करने की आवश्यकता है।
₹500 प्रति दिन कमाने के लिए शेयर मार्केट टिप्स
शेयर मार्केट से पैसे कैसे कमाए
इंट्रा-डे ट्रेडिंग
बेचने के लिए खरीदना या उसी दिन किसी शेयर को खरीदने के लिए बेचना इंट्राडे ट्रेडिंग कहलाता है। इसलिए लाभ और हानि तय है और दैनिक मूल्यांकन किया जाता है। ऐसी स्थिति में व्यापारी अपने डीमैट खाते में अपने शेयरों की डिलीवरी प्राप्त करने के लिए T+1 दिन तक प्रतीक्षा नहीं करते हैं।
- यह एक कम मूल्य लेकिन उच्च मात्रा का व्यापार है |
- सभी ट्रेडों में कम मात्रा में जोखिम के साथ-साथ लाभ भी होता है।
- समय के साथ, स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है? उसी निवेश की उच्च चक्रवृद्धि के परिणामस्वरूप उच्च रिटर्न मिलता है।
- मौलिक विश्लेषण के बजाय तकनीकी विश्लेषण (विशेष रूप से मूल्य क्रिया) के आधार पर व्यापार अधिक किया जाता है|
- अगर आपको घाटा हो रहा है, और आपके बैंक में पैसा है, तो आप ट्रेड को डिलीवरी मोड में बदलने का विकल्प चुन सकते हैं।
यदि आपके लक्ष्य रोजाना निर्धारित हैं, तो इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए सबसे अच्छी रहेगी। दैनिक और साप्ताहिक कीमतों, मूविंग एवरेज, रिलेटिव स्ट्रेंथ आदि जैसे तकनीकी मापदंडों पर ध्यान दें। अगर आपको लगता है कि कोई स्टॉक या ईटीएफ अंडरवैल्यूड है, यानी इसकी कीमत में अस्थायी गिरावट है, तो इसे खरीदें और कीमत जाने का इंतजार करें। यूपी।
यहां तक कि अगर आप प्रतिदिन केवल 1.05% का औसत लाभ कमाते हैं (यानी कई ट्रेडों में, केवल एक नहीं), यहां तक कि 250 दिनों में भी (लगभग जितने दिन शेयर बाजार हर साल खुला रहता है), केवल ₹10,000 की औसत राशि। राशि को लगभग ₹1.4 लाख (10,000 1.0105250=136,169) में बदला जा सकता है। 250 दिनों में लगभग ₹1.26 लाख का लाभ, औसतन आप प्रति कार्य दिवस ₹500 से अधिक कमाते। चूंकि यह पद्धति विकास की चक्रवृद्धि दर पर निर्भर करती है, गुलाब का वास्तविक लाभ समय के साथ बढ़ता जाएगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग
डिलीवरी ट्रेडिंग तब होती है जब आप शेयर खरीदते हैं और उन्हें कुछ समय के लिए होल्ड करते हैं – परिभाषा के अनुसार आप शेयरों की डिलीवरी लेने के लिए T+1 या T+2 दिनों की प्रतीक्षा करते हैं। एक बार जब आप उन्हें खरीद लेते हैं, तो वे आपके डीमैट खाते में दिखाई देंगे, जहां आप उन्हें जब तक चाहें रख सकते हैं।
इस मामले में, मान लें कि आप एक साप्ताहिक लक्ष्य बनाते हैं – यदि आपका प्रारंभिक निवेश ₹10,000 है, तो आपको एक वित्तीय वर्ष में ₹1.43 लाख कमाने के लिए प्रति सप्ताह लगभग 5.25% अर्जित करने की आवश्यकता होगी।
स्विंग ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग में, आप कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर स्टॉक से मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। आज आप किसी शेयर को किसी कीमत पर खरीदते हैं और उसकी कीमत बढ़ने का इंतजार करते हैं। कुछ हफ्तों या कुछ महीनों (6-8 महीने तक) के बाद, कीमत अधिक होने पर आप इसे बेच देते हैं।
अगर आपकी खरीदारी के बाद कीमत गिरती है, तो आपको नुकसान होता है। यदि आप इसे अधिक कीमत पर बेचते हैं, तो आपको अच्छा लाभ होने की संभावना है |
इस तरह के व्यापारों को मौलिक विश्लेषण की आवश्यकता होती है लेकिन केवल थोड़े समय के लिए – हाल की और आने वाली घटनाओं और रणनीति पर अधिक आधारित। तेज अनुपात, बिक्री में वृद्धि, उत्पाद लॉन्च, नई रणनीति घोषणाएं आदि जैसे मूलभूत तत्व महत्वपूर्ण संकेतक साबित हो सकते हैं।
यदि आप एक मासिक लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो आपको ₹10,000 को ₹1.45 लाख में बदलने के लिए 25% का मासिक लाभ कमाना होगा (और इस प्रकार ₹500 से अधिक दैनिक लाभ – केवल कार्य दिवसों पर)।
डेरिवेटिव ट्रेडिंग
यदि आप विकल्पों में व्यापार कर रहे हैं, तो आपके पास एक विशिष्ट समय सीमा के भीतर एक निर्दिष्ट मूल्य पर एक शेयर का व्यापार करने का अधिकार है, लेकिन दायित्व नहीं है। एक वायदा अनुबंध के लिए आपको भविष्य में एक निर्दिष्ट तिथि पर शेयर खरीदने या बेचने की आवश्यकता होती है, जब तक कि आपकी स्थिति उस तिथि से पहले बंद नहीं हो जाती। डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक फायदा यह है कि आपको केवल मार्जिन आवश्यकताओं का निवेश करके व्यापार मूल्य की पूरी राशि का निवेश/जोखिम नहीं करना पड़ता है और डेरिवेटिव खरीद और बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।
डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए समय सीमा उपलब्ध समाप्ति तिथि (मासिक या साप्ताहिक) के अनुसार भिन्न हो सकती है और आपके द्वारा व्यापार के लिए चुने गए पूर्वानुमान के आधार पर भी। इसलिए इस रणनीति में दैनिक लक्ष्य निर्धारित करना जल्दबाजी साबित हो सकता है।
इसलिए, डेरिवेटिव्स को समझना मुश्किल है और उच्च इनाम अनुपात हैं। यदि आप शेयर बाजार व्यवसाय में नए हैं, तो यह सबसे अच्छा होगा यदि आप पर्याप्त अनुभव प्राप्त करने तक विकल्प और व्यापार में काम करना बंद कर दें।
शेयर बाजार में निवेश के टिप्स
- तरल शेयरों में व्यापार, जैसे कि उच्च वॉल्यूम या कम लॉट साइज वाले – इंट्राडे ट्रेडर के लिए, बाजार की स्थितियों और कीमतों के अनुकूल होते ही अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है।
- शांत और धैर्यवान रहें, भावुक और लालची न हों- यदि आपकी रणनीति और लक्ष्य अच्छा है, तो लक्ष्य पर टिके रहें और गति अधिक होने पर ही आगे बढ़ें। इंट्राडे में पहले से ही काफी जोखिम है- इसे न जोड़ें।
- अपने जोखिम जोखिम को कम करने के लिए स्टॉप लॉस का उपयोग करें।
- बाजार की अस्थिरता से सावधान रहें – विशेष रूप से इंट्राडे ट्रेडिंग में जहां मूल्य कार्रवाई एक अधिक महत्वपूर्ण पैरामीटर है।
विशेष रूप से स्विंग ट्रेडिंग के लिए अवधारणाओं और वर्तमान मामलों दोनों पर शोध करें। - अपने विविधीकरण का अनुकूलन करें – जोखिम को कम करने के लिए आपको विविधीकरण करना होगा लेकिन इतना नहीं कि आप उन्हें समय पर ट्रैक न कर सकें।
निष्कर्ष
अब जब आप जानते हैं कि शेयर बाजार से प्रति दिन ₹500 कैसे कमाए जाते हैं, तो ऐसे प्लेटफॉर्म पर अपनी ट्रेडिंग करना महत्वपूर्ण हो जाता है जो आपको सर्वोत्तम संचालन और मार्गदर्शन देता है।
स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है?
एक ओर जहां वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, वहीं भारत के राज्य मध्य प्रदेश में किसान अपने गेहूं की अधिक से अधिक कीमत मांग रहे हैं। ऐसा तब है, जबकि खरीद सीजन को शुरू हुए एक माह से अधिक समय बीत गया है।
अभी राज्य में किसानों को निजी व्यापारियों से 2,200 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है और आने वाले हफ्तों में कीमतों में और वृद्धि होने की उम्मीद है। गेहूं के अच्छी क्वालिटी के बदले किसानों को कहीं-कहीं 2,500 रुपये प्रति क्विंटल भी मिल रहे हैं।
जो कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक हैं।
राज्य में आमतौर पर स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है? अप्रैल के दूसरे सप्ताह में खरीद का मौसम शुरू हो जाता है और अधिकांश खरीद इस समय (मई के मध्य) तक समाप्त हो जाती है, लेकिन इस साल अभी भी जोरदार खरीद हो रही है क्योंकि कीमतों में वृद्धि की उम्मीद के चलते किसान धीरे-धीरे किश्तों में अपनी फसल बाजार में ला रहे हैं।
ग्वालियर की डबरा मंडी के एक व्यापारी जितेंद्र गुप्ता कहते हैं कि मौजूदा रुझानों के अनुसार, कीमतें हर हफ्ते बढ़ रही हैं, कभी-कभी तो दो या तीन दिन के बाद ही कीमतें बढ़ जाती हैं। कीमतों में 50 से 60 स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है? रुपये प्रति क्विंटल में बढ़ोत्तरी हो रही है। वह बताते हैं कि पिछले हफ्ते कीमतें लगभग 2290 रुपये थीं और आज किसानों को 2350 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है।
इस मंडी में कम से कम आस-पास के तीन जिलों और उत्तर प्रदेश राज्य के कुछ आसपास के क्षेत्रों के किसानों की भीड़ देखी जाती है।
यहां के किसानों ने बताया कि पिछले साल इस समय तक खरीद लगभग पूरी हो चुकी थी, लेकिन इस बार रूस यूक्रेन संकट के बाद गेहूं की ऊंची कीमतों को देखते हुए किसान कड़ी नजर रख रहे हैं और अपनी फसल बेचने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं।
डाउन टू अर्थ ने ग्वालियर जिले की दो मंडियों में कई किसानों से बात की। किसानों ने कहा कि कीमतों में लगातार होती वृद्धि को देखते हुए उन्होंने अपनी कुल गेहूं की फसल में से आधा या एक चौथाई हिस्सा स्टॉक कर लिया है।
मसलन, ग्वालियर के उरवा गांव के स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है? किसान गब्बर सिंह जाट 12 मई को पहली बार अपनी फसल का महज 35 फीसदी हिस्सा बेचने के लिए डबरा मंडी आए थे। वह कहते हैं, "पिछले साल, मैंने अब तक अपनी पूरी फसल सरकार को बेच दी थी, लेकिन इस बार मैं अच्छी कीमत का इंतजार कर रहा हूं।"
जाट ने गेहूं की उच्च उपज वाली राज 4120 किस्म की बुआई की थी, जिससे लगभग 230 क्विंटल उपज हुई है, लेकिन 12 मई को वह 80 क्विंटल फसल लेकर डबरा मंडी आए और 2345 रुपये प्रति क्विंटल का रेट उन्हें मिला। उनकी फसल की खुली नीलामी 2280 रुपये से शुरू हुई और आखिरकार 2345 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी।
वह बताते हैं कि लगभग 10 दिन पहले कीमत 2250 रुपये प्रति क्विंटल थी और मुझे पता था कि यह बढ़ेगा। बाकी 150 क्विंटल मैं आने वाले दिनों में बेच दूंगा। उनके गेहूं की किस्म बांग्लादेश, श्रीलंका और ओमान जैसे अन्य देशों में भी निर्यात की जाती है।
मध्य प्रदेश भारत में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। राज्य में विशेष रूप से उगाई जाने वाली शरबती और कठिया (दुरुम) जैसी गेहूं की किस्मों की मांग मौजूदा संकट के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में गेहूं की फसल में कमी के कारण भी मध्य प्रदेश में कीमतें अधिक हैं।
ग्वालियर के मुरार मंडी में एक अन्य किसान बीरेंद्र पाल ने 9 मई तक अपनी 200 क्विंटल फसल का सिर्फ 25 क्विंटल 2280 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा है।
किसानों और व्यापारियों दोनों ने कहा कि निजी खरीद अगले एक महीने तक जारी रहेगी। ग्वालियर की मुरार मंडी के एक गेहूं व्यापारी आशीष पटेल ने कहा कि अभी भी बहुत सारी फसल है जो बाजार में आना बाकी है। खरीद मजबूत होगी और कीमतें और बढ़ेंगी।
पंजाब और हरियाणा की तरह मध्यप्रदेश में भी सरकारी खरीद में तेजी से गिरावट आई है क्योंकि निजी व्यापारियों द्वारा दी जाने वाली कीमत से एमएसपी काफी कम है। डबरा मंडी के अधिकारियों ने बताया कि मंडी में 12 मई तक बिकने वाले सभी 11 लाख टन गेहूं की खरीद निजी व्यापारियों ने कर ली है।
कुल मिलाकर, 30 अप्रैल, 2022 तक, सरकारी एजेंसियों ने राज्य में 34.04 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो 2021-22 के विपणन सत्र में 128.16 लाख टन की खरीद से बहुत कम है।
दावा: देश के गोदामों में गेहूं-चावल का पर्याप्त स्टॉक, गेहूं और चावल की कीमतों में वृद्धि सामान्य
नई दिल्ली। देश में महंगाई की रफ्तार को सरकार असमान्य नहीं मानती। दावा किया गया कि देश में गेहूं और चावल की कीमतों में वृद्धि सामान्य है। अगर अनाज की कीमतों में कोई असामान्य वृद्धि होती है, तो सरकार बाजार में हस्तक्षेप करेगी। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि सरकारी गोदामों में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक है। गेहूं-चावल किसी भी चीज की कमी नहीं है। जरूरत पड़ने पर इसे बाजार में उतारा जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें सामान्य से ऊपर नहीं है। इसे असामान्य नहीं कहा जा सकता है।
खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं की थोक कीमत 14 अक्तूबर 2021 को 2,331 रुपये प्रति क्विंटल थी। इससे पहले 2020 में इसी दिन यह कीमत 2,474 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसलिए पिछले साल से चालू वर्ष में गेहूं कीमतों में हुई वृद्धि की तुलना करना उचित नहीं है। इसकी तुलना 2020 में प्रचलित कीमतों के साथ की जानी चाहिए। 2020 के मुकाबले इस साल 14 अक्तूबर को थोक गेहूं की कीमतों में 11.42 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 2,757 रुपये प्रति क्विंटल रही। खुदरा गेहूं की कीमतों में 12.01 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 31.06 रुपये प्रति किलोग्राम रही।
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खाद्य सचिव ने कहा कि यह वृद्धि न्यूनतम समर्थन मूल्य, ईंधन और परिवहन और अन्य खर्चों में वृद्धि के हिसाब से ही है। अभी चिंता की कोई बात नहीं है। सरकार के पास अपने गोदामों में गेहूं और चावल दोनों का संतोषजनक भंडार है। इसका कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार की ओर से जरुरत के मुकाबले अधिक खरीद किया जाना है।
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अध्यक्ष अशोक केके मीणा ने कहा कि सरकार के पास एक अक्तूबर तक 205 लाख टन के बफर मानदंड के मुकाबले गेहूं का भंडार 227 लाख टन था। वहीं, 103 लाख टन के बफर मानदंड के मुकाबले चावल का स्टॉक 205 लाख टन था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी आवश्यकताओं के लिए मुफ्त अनाज की आपूर्ति के बाद भी एक अप्रैल 2023 तक गेहूं और चावल का अनुमानित स्टॉक सामान्य बफर मानदंडों से बहुत अधिक होगा।
Mandi Bhav: गेहूं में दिखी बढ़त तो चने में उतार-चढ़ाव, बाकी उपजों का जानें बाजार हाल
गेहूं के दाम में बढ़त देखी जा रही है. कुछ दिनों से इसमें और अधिक तेजी है. ऐसे में गेहूं के दाम बढ़ने से आटे के दाम भी तेज होंगे. चने के भाव में मामूली बढ़त देखी गई जबकि कई मंडियों में इसके दाम स्थिर रहे. एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले सीजन में चने के रेट गिरेंगे, इसलिए किसानों को अपनी उपज मंडियों में निकाल देनी चाहिए.
मंडियों में गेहूं के भाव में तेजी देखी जा रही है
- Noida,
- Dec 28, 2022,
- Updated Dec 28, 2022, 7:34 PM IST
गेहूं के बाजार में बुधवार को चमक देखी गई. कई मंडियों में बढ़े हुए दाम पर गेहूं की बिकवाली हुई है. यह खबर इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि हाल के कई दिनों से गेहूं और आटे के दाम में उछाल देखा जा रहा है. हालिया ट्रेंड इस बात की ओर इशारा करता है कि गेहूं में महंगाई बने रहने की संभावना है. गुजरात की जंबुसर मंडी में गेहूं के भाव में 100 रुपये की बढ़त देखी गई. अन्य मंडियों की बात करें तो वहां भी कुछ ऐसा ही रुख रहा. देश की कृषि उपज मंडियों में गेहूं की आवक भी सामान्य बनी हुई है.
बात सबसे पहले गेहूं के हाजिर भाव की. बुधवार को गुजरात की जंबुसर मंडी में गेहूं का भाव 2400 रुपये रहा, जबकि मंगलवार को यह रेट 2300 रुपये प्रति कुंटल पर चल रहा था. इस तरह गेहूं के भाव में 100 रुपये की तेजी देखी गई. यह आंकड़ा एगमार्कनेट का है. गुजरात की राजकोट मंडी में 27 दिसंबर को गेहूं का भाव 2625 रुपये था जो 28 दिसंबर को 2700 रुपये पर पहुंच गया. इस मंडी में सीधा 375 रुपये की बढ़त देखी गई.
गेहूं में दिखी बढ़त
यूपी की अलीगढ़ मंडी में भी गेहूं के भाव में तेजी दर्ज हुई. यहां 27 दिसंबर को गेहूं का रेट 2740 रुपये था जो 28 दिसंबर को बढ़कर 2750 रुपये पर पहुंच गया. यहां प्रति कुंटल 10 रुपये की तेजी देखी गई. लखीमपुर मंडी में गेहूं के भाव में 20 रुपये की बढ़त देखी गई. मंगलवार को यह भाव 2530 रुपये था जो बुधवार को चढ़कर 2550 रुपये पर दर्ज किया गया.
चालू वित्त वर्ष का हाल देखें तो गेहूं की बुआई लक्ष्य से आगे चल रही है. कृषि मंत्रालय ने बताया है कि इस साल 16 दिसंबर तक देश में 286.50 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है. इसी अवधि में पिछले साल 278.25 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई की गई थी. इस तरह अभी तक 8 लाख हेक्टेयर की बढ़त देखी जा रही है.
बाकी उपजों का हाल
देश की अलग-अलग मंडियों में चने के भाव में उठापटक देखी गई. चने के भाव कहीं उतरे तो कहीं चढ़ते हुए देखे गए. इसके साथ ही मूंगफली के भाव में मिलाजुला रुख देखा गया. कहीं इसके भाव बढ़े तो कहीं रेट में स्थिरता देखी गई. बुधवार को मंडियों में चने की आवक सामान्य देखी गई. इसके भाव कहीं बढ़े तो कहीं मंदी देखी गई. राजस्थान की गोलूवाला मंडी में चने के दाम में 150 रुपये की गिरावट रही जबकि गुजरात की राजकोट मंडी में 35 रुपये की तेजी देखी गई.
गोलूवाला मंडी में चने का रेट 4500 रुपये रहा जबकि यूपी की लखीमपुर में 5670 रुपये रहे. मंगलवार को इसी मंडी में चने का भाव 5690 रुपये दर्ज किया गया था. अलीगढ़ मंडी में मंगलवार को चने का भाव जहां 5550 रुपये था, वह बुधवार को 10 रुपये की बढ़त के साथ 5560 रुपये हो गया. राजकोट मंडी में मंगलवार को चना 4550 रुपये प्रति कुंटल की दर से बिका जबकि बुधवार को इसका भाव 4585 रुपये हो गया. यहां 35 रुपये की तेजी देखी गई.
चने पर एक्सपर्ट सलाह
चने के भाव में बड़ी तेजी नहीं देखी गई, लेकिन ज्यादातर मंडियों में मामूली बढ़त जरूर रही. इस बारे में कमोडिटी एक्सपर्ट अनुज गुप्ता ने 'डीडी किसान' से कहा कि इस बार भी चने की बंपर उपज मिलने की संभावना है. आने वाले समय में मंडियों में चने की स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है? नई उपज की आवक बढ़ेगी जिससे चने के रेट में नरमी देखने को मिलेगी. इस बार चने की अच्छी बुआई हुई है जिससे उपज भी अधिक मिलने की संभावना है. अनुज गुप्ता कहते हैं कि चने के भाव में अभी स्थिरता या हल्के उतार-चढ़ाव देखे जाएंगे.
किसानों के लिए सलाह है कि वे अपनी चने की उपज को लेकर मंडी जा सकते हैं, अभी अच्छे दामों में बेच सकते हैं. बाद में जब नई उपज आएगी और मंडियों में नई फसल की खेप बढ़ेगी तो दाम में नरमी देखने को मिलेगी. इससे किसानों को अपनी पुरानी उपज बेचने में घाटे का सामना करना पड़ सकता है. किसानों को अभी अपनी फसल बेचकर निकलने की सलाद दी जा रही है क्योंकि आने वाले समय में भावों में नरमी देखने को मिल सकती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर किसानों के पास चने का स्टॉक है तो उसे मंडियों में निकाल दें. यही फायदे की बात होगी.
सेब-मूंगफली में उतार-चढ़ाव
अब बात सेब की. हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा मंडी में सेब का भाव प्रति कुंटल 6000 रुपये रहा जबिक राजस्थान की जोधपुर मंडी में 4000 रुपये, यूपी की अलीगढ़ मंडी में 5500 रुपये और यूपी की ही लखीमपुर मंडी में 5630 रुपये रहा. सभी भाव सेब की क्वालिटी और उसकी आवक पर निर्धारित हैं. एगमार्कनेट के अनुसार गुजरात की स्टॉक की कीमतों में क्या वृद्धि होती है? राजकोट मंडी में मूंगफली के भाव में बुधवार को 50 रुपये की तेजी देखी गई. 27 दिसंबर को इसका भाव 6000 रुपये तो 28 दिसंबर को 6050 रुपये दर्ज किया गया.
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