कैसे होती है सर्कुलर ट्रेडिंग
सर्कुलर ट्रेडिंग में प्रोमोटर और ऑपरेटर मिलकर शेयर की कीमतों को चढ़ाते हैं।
3 दिसंबर 2010
सीएनबीसी आवाज़
सर्कुलर ट्रेडिंग में प्रोमोटर और ऑपरेटर की मिली-भगत होती है। प्रोमोटर और ऑपरेटर मिलकर शेयर की कीमतों को चढ़ाते हैं।
सबसे पहले प्रोमोटर और ऑपरेटर सर्कुलर ट्रेडिंग का उद्देश्य तय करते हैं। सर्कुलर ट्रेडिंग इंस्टीट्यूशनल निवेशकों या फिर रिटेल निवेशकों को शेयर बेचने के लक्ष्य के साथ की जाती है।
कंपनी ऑपरेटर को मार्केट प्राइस से कम कीमत पर शेयर ट्रांसफर करती है। ऑपरेटर को शेयर प्रेफरेंशियल ट्रेडिंग कैसे की जाती है? अलॉटमेंट या ऑफ-मार्केट सौदे के जरिए दिए जाते हैं। साथ ही, इस सौदे में कुछ नकदी भी शामिल होती है, जिसके जरिए ऑपरेटर बाजार से और शेयर खरीदता है।
ऑपरेटर द्वारा उस कंपनी के बड़ी संख्या में शेयर खरीदे जाने से बाजार में शेयर के दाम तेजी से बढ़ते हैं। पहले से ही कम कीमत पर शेयर होने से ऑपरेटर के लिए शेयरों का औसत भाव काफी कम होता है।
पहले से तय कीमत तक शेयर के चढ़ने के बाद क्यूआईपी या एफसीसीबी के जरिए इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को ऊंचे दाम में प्रोमोटर अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच देते हैं। ऑपरेटर भी शेयरों को बढ़ी हुई कीमत में बेचकर मुनाफा कमा लेता है।
या फिर सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए प्रोमोटर और ऑपरेटर रिटेल निवेशकों को ठगते हैं। शेयर की कीमत काफी बढ़ जाने के बाद प्रोमोटर और ऑपरेटर बाजार में अपनी हिस्सेदारी बेच देते हैं। बाद में शेयर के दाम गिरने पर प्रोमोटर्स फिर से कम कीमत पर शेयर खरीद लेते हैं। सौदे से होने वाले मुनाफे का बंटवारा पहले से ही तय किया जाता है।
ट्रेडिंग कैसे की जाती है?
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ट्रेडिंग कैसे की जाती है?
अल्गो ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग प्रकार है जिससे शेयर बाजार मे ट्रेडिंग की जाती है। हलाकि साधारण ट्रेडिंग के मुकाबले इस ट्रेडिंग प्रकार मे काफी अंतर है अल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये की जाती है की बाजार के हालत के अनुसार खदु निर्णय लेता है और ट्रेडिंग करता है। अल्गो ट्रेडिंग मे कंप्यूटर प्रोग्राम को जरुरी मार्किट डाटा अपलोड किया जाता है और उसके बाद उस डाटा के आधार पर कंप्यूटर प्रोग्राम ट्रेडिंग के लिए शेयर चुनता है और बेचने की सलाह भी देता है। इस तरह के ट्रेडिंग मे लोस्स होने की सम्भवना काफी कम हो जाती है हलाकि भारत मे यह विकल्प इतना ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। सिर्फ बड़े पैमाने पर ट्रेड करने वाले निवेशक ट्रेडर ही इस तरह के तकनीक का इस्तेमाल करते है।
एंजल ब्रोकिंग में इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें
आप ना केवल मूल्य में वृद्धि होने पर अभी तो मूल्य में गिरावट आने पर भी कमा सकते हैं। यदि शेयर का प्राइस गिर रहा है और आपको लगता है कि यह और गिरेगा तो इस स्थिति में आप शेयर बेचकर करके पैसे कमा सकते हैं।
निम्नलिखित कदमों का उपयोग करके आप इंट्राडे में स्टॉक्स बेचकर कमाई कर सकते हैं:
- अपने एंजल ब्रोकिंग ऐप से सर्च आइकन को क्लिक कीजिए तथा उस स्टॉक को ढूंढिए जिसमें आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं। सबसे पहले रिजल्ट पर क्लिक कीजिए। आप यदि यह सोचते हैं की मूल्य पहले से ही बहुत अधिक है और निश्चित ही इनमें गिरावट आएगी ट्रेडिंग कैसे की जाती है? तो Sell बटन को दबाइए।
- Quatity फील्ड में जितने शेयर आप बेचना चाहते हैं उनकी संख्या लिखिए और उसके बाद यह निश्चित कीजिए की क्या आप मार्केट ऑर्डर प्लेस करना चाहेंगे या लिमिट ऑर्डर (मैं ऊपर समझा चुका हूं)।
- Intraday को Product Type के रूप में चुने।
- बाकी बचे दो फील्ड्स को ना छुएं और सेल ऑर्डर को प्लेस करने के लिए Sell बटन को दबाएं।
- अपने सेल आर्डर के विवरण को कंफर्म करने के लिए Confirm को क्लिक करें।
- आपका ऑर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा और आप तभी कमा पाएंगे यदि मूल्य में गिरावट आती है तथा आपको हानि होगी यदि मूल्य में वृद्धि होती है।
- होने वाली हानि को सीमित करने के लिए स्टॉप लॉस ऑर्डर को प्लेस करना ना भूलें।
- तय किए गए लक्ष्यों की प्राप्ति के बाद एग्जिट करें और अपने स्टॉप लॉस ऑर्डर को कैंसिल करें।
इस प्रकार, एंजल ब्रोकिंग में इंट्राडे में बेचकर आप कमाई कर सकते हैं।
अस्वीकरण: इस पोस्ट में उपलब्ध सूचना केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। कृपया किसी भी सुझाव को निवेश की सलाह के रूप में ना लें। ट्रेडिंग जोखिम से संबंधित होती है इसीलिए इसे ध्यानपूर्वक ट्रेडिंग कैसे की जाती है? करें।
ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग कैसे करे – Online Trading In Hindi
ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग कैसे करे ट्रेडिंग कैसे की जाती है? – Online Trading In Hindi
Online Trading In Hindi – स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग ( शेयरों की ट्रेडिंग कैसे की जाती है? खरीद – फरोख्त ) के कई तरीके मौजूद है ! हालाँकि ट्रेडिंग की एक सुनिश्चित प्रक्रिया होती है ! इस प्रक्रिया में कई सारे लोग भाग लेते है ! जो व्यक्ति शेयर खरीदता है वह अपने ब्रोकर से जुड़ा होता है और ब्रोकर का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के साथ होता है ! इसी प्रकार इस ट्रांजेक्शन के दूसरी तरफ बिक्रीकर्ता अपने ब्रोकर के द्वारा एक्सचेंज से जुड़ा होता है !
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा प्लेटफार्म बन जाता है जहाँ सभी एक साथ इकठे हो जाते है और उस जगह पर डिमांड तथा सप्लाई का मिलान होता है और खरीद – बिक्री होती है ! वर्तमान में आधुनिक तकनीक के आ जाने से स्टॉक मार्केट में होने – वाले लेन – देन ( ट्रेडिंग ) के तरीके में भी बदलाव आया है ! आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि शेयरों की ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे होती है तथा ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान क्या है ? तो आइये जानते है Online Share Kaise Kharide In Hindi
ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या है ? ( What Is Online Trading In Hindi )
ऑनलाइन ट्रेडिंग में शेयरों की ट्रेडिंग ब्रोकर के माध्यम से ही की जाती है ! यद्यपि ऑनलाइन ट्रेडिंग में ब्रोकर अदृश्य रहता है तथा इसका कोई नाम या पहचान नहीं होती है ! वर्तमान में ऑनलाइन ट्रेडिंग में ब्रोकर की भूमिका इन्टरनेट तथा अन्य सिस्टम , जो वेबसाइट के माध्यम से कार्य करते है , ने ले ली है ! इस प्रकार पारम्परिक तरीके से अलग ऑनलाइन ट्रेडिंग में कुछ बदलाव आ गया है तथा इसमें निवेशक का अनुभव भी पुर्णतः अलग रहता है !
ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक को ब्रोकर की वेबसाइट पर निवेशक को Registration करवाना पड़ता है तथा उसके नाम से ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट खोला जाता है ! जब कभी निवेशक को ट्रेडिंग करनी होती है , वह ब्रोकर की वेबसाइट पर जाकर अपना नाम तथा पासवर्ड डालकर ब्रोकर की वेबसाइट के ट्रेडिंग पेज पर अपनी निर्धारित खरीद – बिक्री करते है ! इसमें निवेशक को मार्केट ऑर्डर तथा लिमिट ऑर्डर दोनों सुविधाये उपलब्ध होती है ! निवेशक के खाते में आवश्यक फण्ड रहने पर तथा पासवर्ड सही होने पर उसके द्वारा किया गया लेन – देन मान्य हो जाता है !
निवेशक के खाते में शेयरों का खरीद मूल्य एवं ब्रोकर का कमीशन निकल जाता है तथा उसके डी – मेट खाते में ख़रीदे गए शेयर जमा हो जाते है ! शेयरों की बिक्री की अवस्था में निवेशक के डी – मेट खाते से शेयर स्थान्तरित हो जाते है तथा उसके बैंक अकाउंट में शेयरों का बिक्री मूल्य कमीशन घटा कर दर्ज हो जाता है !
ऑनलाइन ट्रेडिंग के फायदे ( Online Trading Benefits )
- ऑनलाइन ट्रेडिंग में निवेशक अपने समय व् सुविधानुसार ट्रेडिंग कर सकता है !
- निवेशक को फिजिकली उपस्थित होने की जरुरत नहीं होती !
- फॉर्म आदि भरने की प्रक्रिया का कोई झंझट नहीं होता है !
- निवेशक के लिए प्राथमिक बाजार व् द्वितीयक बाजार में निवेश बहुत ही आसान व् सरल होता है !
- इसमें आप मोबाइल से भी कही भी ट्रेडिंग कर सकते है !
- इसमें गलती की सम्भावना बहुत ही कम होती है !
ऑनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान ( Disadvantages of Online Trading )
- आपका अकाउंट हैकर्स द्वारा हैक किया जा सकता है !
- जो लोग कंप्यूटर और नेट की जानकारी नहीं रखते है वे ऑनलाइन ट्रेडिंग का लाभ नहीं उठा सकते है !
- इलेक्ट्रॉनिक गति से transaction होने के कारण निवेशक को अपना निर्णय बदलने की सुविधा नहीं होती है !
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