आज से 111 साल पहले आज ही के दिन यानी 21 दिसंबर, 1911 में स्थापना हुई थी भारत के पहले स्वदेशी बैंक की. एक बैंक हिंदुस्तानियों का, हिंदुस्तानियों के द्वारा, हिंदुस्तानियों के लिए. इस बैंक की शुरुआत करने वाले थे एक पारसी व्यक्ति सोराबजी पोचखानावाला. यह इस देश का पहला बैंक था, जिसका पूर्ण स्वामित्व और प्रबंधन भारतीयों के हाथों में था.
मोबाइल लिंकिंग से मिलेगी ई-बैंकिंग सुविधा-केके यादव
लखनऊ। अब डाकघर के खाता धारकों को मिलेगी ई-बैंकिंग की सुविधा । मंगलवार को भारत सरकार ने डाकघर की सभी बचत योजनाओं में मोबाइल लिंकिंग अनिवार्य कर दिया है। इससे डाकघर बचत योजनाओं में जमा राशि और भी सुरक्षित हो न्यूनतम जमा और निकासी न्यूनतम जमा और निकासी जायेगी। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि ऐसे खाताधारक जिनके खातों में मोबाइल नंबर लिंक नहीं है, उन्हें डाकघरों में जाकर अपना केवाईसी अपडेट कराना होगा और अपने खातों को मोबाइल नंबर से लिंक कराना होगा। इसके लिए अंतिम तिथि 31 मार्च, 2023 निर्धारित की गयी है।
डाकघरों में खुल रहे नए खातों और एनएससी,केवीपी में मोबाइल नंबर अनिवार्यत: लिया जाता है। बहुत ऐसे पुराने खाते और एनएससी केवीपी भी हैं। जिसमें अभी तक मोबाइल नंबर लिंक नहीं किया गया है। 31 मार्च तक अपने खातों में मोबाइल नंबर लिंक न कराने वाले खाताधारक अपने खातों से न तो रुपयों को निकाल पाएंगे, न ही जमा कर पाएंगे और न ही खाता को बंद कर पाएंगे। डाकघर बचत योजनाओं में बचत खाता, आरडी, टीडी, एमआईएस, पीपीएफ, सीनियर सिटिजन सेविंग्स स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना, एनएससी, केवीपी शामिल हैं।
इस बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए दिया तोहफा! अब एसएमएस अलर्ट और आरटीजीएस सहित 25 बैंकिंग सुविधाएं मिलेगी, फ्री में!
The Chopal, New Delhi: बैंक खाता खुलवाने के बाद ग्राहकों को कई तरह के शुल्क चुकाने पड़ते हैं. इसमें डेबिट कार्ड से लेकर क्रेडिट कार्ड, चेकबुक, एसएमएस अलर्ट आदि सबकुछ अपलोड होता है. ये सभी शुल्क एक बैंक से दूसरे बैंक में न्यूनतम जमा और निकासी अलग-अलग होते हैं. लेकिन निजी क्षेत्र के बैंक ने ग्राहकों को शानदार तोहफा दिया है. इस बैंक ने ग्राहकों को 25 मुफ्त बैंकिंग सुविधाएं प्रदान की हैं.
यह आईडीएफसी का पहला निजी क्षेत्र का बैंक है. दरअसल, निगमन दिवस के मौके पर बैंक ने ग्राहकों से जुड़ी कई सेवाओं के लिए शुल्क में छूट या छूट की घोषणा की थी. बैंक द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं में कई बैंकिंग सुविधाएं शामिल हैं.
अटल पेंशन योजना APY
जब भी हम पेंशन के बारे में सुनते है, तो सरकारी कर्मचारियों, बृद्धा पेंशन या बिकलांग व विधवा पेंशन आदि के बारे में दिमाग में आता है। लेकिन केंद्र सरकार ने न्यूनतम जमा और निकासी युवाओं के लिए एक पेंशन योजना शुरू की है। इसमें शामिल होने के लिए लिए उम्र 18 एवं अधिकतम 40 वर्ष है। आपको 60 वर्ष की उम्र तक प्रीमियम राशि जमा करनी होगी। इसे बाद आपको न्यूनतम 1000 एवं अधिकतम 5000 रूपये मासिक पेंशन दी जाएगी.
अटल पेंशन योजना APY हेतु प्रवेश की उम्र 18 से 40 वर्ष है। इसके लिए कोई भी भारतीय नागरिक जो इस उम्र सीमा के अंदर आता है, वह इसके लिए पात्र हो जाता है। योजना की परिपक्वता 60 वर्ष पुरे होने पर होती है। आपको 60 वर्ष तक प्रीमियम राशि देनी होगी। उसके बाद आपको 1000 से 5000 रुपये के बीच पेंशन प्राप्त होगी। प्रीमियम राशि उम्र कम होने पर प्रीमियम राशि भी कम है। और जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है, प्रीमियम राशि भी बढ़ती जाती है.
अटल पेंशन योजना पात्रता
- आवेदक भारत का निवासी होना चाहिए।
- आवेदक की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- पेंशन पाने के लिए न्यूनतम 20 साल का निवेश अनिवार्य है।
- केवल वे व्यक्ति जो आयकर स्लैब से बाहर हैं, वे अटल पेंशन योजना में आवेदन कर सकते हैं।
- आधार कार्ड
- मोबाइल नंबर
- पहचान पत्र
- स्थाई पते का प्रमाण
- पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक पासबुक
Pradhan Mantri Modi Pension Yojana Scheme 2022
Pradhanmantri Pension Yojana 2022 Apply Prime Minister’s Pension Scheme and get ₹ 3000 per month pension: What is Prime Minister’s Pension Scheme 2022, how to take advantage of Prime Minister’s Pension Scheme 2022, here today we will provide you complete information about Prime Minister’s Pension Scheme 2022. Let us inform that Pradhan Mantri Shram Yogi Maandhan (PMSYM) 2022) is currently being run by the Central Government, which has been started by the Central Government with Pradhan Mantri Shramayogi Maandhan Yojana 2019, this scheme has been announced in the budget 2019-20. Under the Shramyogi Maandhan Yojana, a pension of Rs 3000 per month will be provided to the employees of all unorganized sectors by the Central Government, for unrecognized employees. By step information has been made available related to Pradhan Mantri Shramyogi Maandhan Yojana, Shramyogi Maandhan Yojana, Shram Yogi Maandhan Yojana Pdf, Pradhan Mantri Shramyogi Mandhan Yojana All other information is given below.
सरकार की इस योजना में मात्र 500 रुपये से शुरू करें Investment, होगा बंपर फायदा!
आज के समय में हर कोई चाहता है कि अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अपने पैसों को अच्छी जगह पर निवेश (Investment) करें ताकि उसे शानदार रिटर्न हासिल हो सके. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार (Government) की तरफ से लोगों को बचत के लिए प्रोत्साहित करने और इन्वेस्टमेंट करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जाती है. इसी कड़ी में सरकार की तरफ से पीपीएफ (PPF) यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund) की योजना चलाई जाती है. इस योजना में 500 रुपये का निवेश शुरू कर सकते हैं.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड योजना एक लोकप्रिय योजना है. इसमें निवेशक का पैसा सुरक्षित रहता है यानी भारत सरकार फंड में निवेश पर गारंटी देती है. ब्याज दर हर तिमाही में सरकार ही निर्धारित करती है. पीपीएफ में निवेश कर आप कई एक्स्ट्रा फायदे भी प्राप्त कर सकते हैं. आपका निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर मुक्त है और पीपीएफ से मिलने वाला रिटर्न भी कर योग्य नहीं है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का हिंदुस्तानी अकाउंटेंट
सोराबजी ने 7 साल उस बैंक में काम किया. उसी समय शुरू हुआ था स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, जो ब्रिटिश पैसे और सहयोग से कुछ भारतीय व्यापारियों के द्वारा शुरू किया गया था. उन्हें बैंक ऑफ इंडिया में अकाउंटेंट की नौकरी मिल गई और इस बार तंख्वाह थी 200 रुपए.
इस बैंक में काम करते हुए सोराबजी को पहली बार अंग्रेजों और हिंदुस्तानियों के बीच का फर्क समझ में आया. उन्हें तो अपनी 200 रुपए की तंख्वाह ही बहुत बड़ी लगती थी, लेकिन फिर उन्हें पता चला कि उनसे निचले पदों पर काम करने वाले अंग्रेज अफसरों की तंख्वाह हजारों रुपए थी. ज्यादातर मेहनत का काम हिंदुस्तानियों से करवाया जाता और प्रमोशन और सैलरी हाइक मिलती गोरे अंग्रेजों को. इतना ही नहीं, जब लोने देने की बात आती तो भी गोरों को ही न्यूनतम जमा और निकासी वरीयता मिलती थी.
अपने ही देश में हाशिए पर भारतीय
सोराबजी को दिखने लगा था कि यह पूरा सिस्टम भारतीयों के प्रति किस कदर पूर्वाग्रह से ग्रस्त है. उनके दिमाग में एक ऐसा बैंक खड़ा करने का विचार आया, जो पूरी तरह भारतीयों के नियंत्रण में हो. जहां सिर्फ भारतीयों को नौकरी मिले और उन्हें ही प्रमुखता दी जाए.
सोराबजी ने इस सपने न्यूनतम जमा और निकासी को साकार करने के लिए लोगों से संपर्क करना शुरू किया. बंबई के एक नामी व्यापारी कल्याणजी वर्धमान जेतसी आर्थिक मदद करने को तैयार हो गए. सोराबजी ने बंबई की कई नामी न्यूनतम जमा और निकासी लोगों से मदद की और सबने मदद की थी.
दीपक पारेख, जिन्होंने बाद में HDFC बैंक की स्थापना की, उनके दादा ठाकुरदास पारेख भी सोराबजी के साथ जुड़े हुए थे. उनके बैंक में उन्होंने चालू खाता और बिल अधीक्षक के रूप में काम किया था. हिंदू, मुसलमान, पारसी सभी धर्मों के लोग इस बैंक का हिस्सा थे. शर्त सिर्फ एक ही थी कि सभी हिंदुस्तानी ही होने चाहिए.
50 लाख रुपए से हुई सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शुरुआत न्यूनतम जमा और निकासी
21 दिसम्बर, 1911 को 50 लाख रुपये की शुरुआती पूंजी से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई. शहर के नामी-गिरामी लोग इस बैंक के निदेशक मंडल में शामिल थे. उस जमाने के प्रख्यात वकील फिरोजशाह मेहता को इस बैंक के निदेशक मंडल का अध्यक्ष बनाया गया. शुरु में 50-50 रुपये के 40000 शेयर जारी किए गए. पहले हफ्ते में ही 70 खाते खुले, जिनमें डेढ़ लाख रुपये जमा हुए.
शुरू-शुरू में सोराबजी के सामने भी कई तरह की चुनौतियां और आर्थिक संकट रहे, लेकिन उन्होंने सब संकटों का सामना किया. तकरीबन उसी समय जमशेदजी टाटा ने भी एक बैंक बनाया था. 1917 में बने इस बैंक का नाम था टाटा इंडस्ट्रियल बैंक. लेकिन जब 1920 में मंदी आई तो ये बैंक भी उसकी चपेट में आ गया. 1923 में सोराबजी ने टाटा इंडस्ट्रियल बैंक को बचाने के लिए उसे सेंट्रल बैंक के साथ जोड़ दिया ताकि एक हिंदुस्तानी के बनाए दूसरे बैंक को डूबने से बजाया जा सके.
भारतीय बैंकिंग के इतिहास में पहली बार
इस देश के बैंकिंग के इतिहास में बहुत सारी चीजें पहली बार करने का श्रेय सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को जाता है. जैसे सेंट्रल बैंक भारत में सुरक्षित डिपॉजिट वॉल्ट शुरू करने वाला पहला बैंक था. इसी बैंक ने पहली बार सेविंग अकाउंट से नकद निकासी की प्रक्रिया भी शुरू की.
सेंट्रल बैंक महिलाओं को नौकरी पर रखने और महिला कर्मचारियों द्वारा महिला ग्राहकों को अपना अकाउंट खुलवाने और बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करने वाला भी देश का पहला बैंक था.
1929 में सेंट्रल बैंक ने ग्राहक निवेश योजना शुरू की. यदि कोई व्यक्ति अपने अकाउंट में न्यूनतम 10 रुपये रखता है तो बैंक की तरफ से उसे आजीवन मुफ्त जीवन बीमा दिया गया. 1981 में क्रेडिट कार्ड सर्विस शुरू करने वाला भी सेंट्रल बैंक देश का पहला बैंक था.
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