लीवरेज का क्या मतलब होता है 2022| What is Leverage in Trading in Hindi
दोस्तों, आज कि इस पोस्ट में हम आपको लिवरेज के बारे में जानकारी दी है. (what is leverage in trading in hindi, what is leverage in stock market in hindi) लिवरेज का मतलब होता है उधर लेना होता है आप उधार लेकर उन पैसो का उपयोग कर सकते है लेकिन leverage लेने के बाद आपको उसका interest देना होता है.
शेयर मार्किट में लोग ट्रेडिंग करना भी इसी leverage की वजह से करते है. ट्रेडर शेयर खरदने के लिए खुद के पैसो और leverage के पैसो से काफी शेयर खरीद लेते है. यदि आप cash में intraday trading करते है तो आपको 5X leverage मिलेगा. साधारण भाषा में- यदि आपके पास 1000 रूपए है तो आपको 5X leverage की मदद से 5000 रूपए के शेयर को खरीद और बेच सकते हो.
लोग Leverage का उपयोग क्यों करते है?
यदि आप शेयर मार्किट के जरिये कम पैसो में अधिक पैसा कमाना चाहते है तो आप leverage का उपयोग कर सकते है. जो लोग शेयर मार्किट में पैसा इन्वेस्ट करते हा उनके पास सिमित मात्रा में पैसे होते है लेकिन इस मार्किट में जितना पैसा इन्वेस्ट करोगे उतना ही अधिक मुनाफा होगा.
Example- यदि आपके पास एक 2 लाख रूपए है और इन पैसो से ट्रेडिंग क्या इन्वेस्ट करते हो तो आपको इन पैसो से महीने का 5,लीवरेज खतरनाक क्यों है 000-10,000 ही कमा सकते है लेकिन जब आप 5X leverage का उपयोग करोगे तो 2 लाख से ही महीने का 20,000-10000 का मुनाफा कमा सकते है.( what is leverage in trading in hindi, what is leverage in stock market in hindi)
Leverage जरुरी क्यों है? What is leverage in trading in Hindi
कोई भी बिज़नस हो उसको बढ़ाने के लिए उसके लिए leverage का उपयोग कर सकते है. जो लोग नई कंपनी सुरु करते है उनको बिज़नस को बढ़ाने के किये leverage का उपयोग करना जरुरी है. यदि कम्पनी अपने मुनाफे के से बढती है तो इसमें बहुत समय लग जायगा. और कम्पनी leverage का उपयोग करती है तो कम समय में अधिक बढ़ोतरी होगी. leverage का उपयोग कंपनिया ही नहीं बल्कि सरकर भी करती है.
Leverage के नुकसान क्या होते है?
Leverage से जितना फायदा होता है ठीक उतना ही नुक्सान भी होता है. यदि अपने अधिक एअर्निंग के लालच में leverage के उपयोग गलत हो गया तो आप अपना सभी कैपिटल ख़त्म हो जायगा. आमिर होने की जगह गरीब भी जल्दी हो सकते है. इसलिए leverage का उपयोग सही जगह करे.
ब्लड शुगर का कम होना क्यों है खतरनाक, ये संकेत देते हैं वार्निंग
ब्लड शुगर का बढ़ना जितना सेहत के लिए नुकसानदायक है, इसका कम होना भी उतना ही या कई बार उससे ज्यादा नुकसानदायक है। यह बात सिर्फ डायबिटीज के मरीजों पर नहीं, बल्कि हर स्वस्थ्य इन्सान पर लागू होती है।.
Pratima Thu, 19 Dec 2019 12:28 PM
ब्लड शुगर का बढ़ना जितना सेहत के लिए नुकसानदायक है, इसका कम होना भी उतना ही या कई बार उससे ज्यादा नुकसानदायक है। यह बात सिर्फ डायबिटीज के मरीजों पर नहीं, बल्कि हर स्वस्थ्य इन्सान पर लागू होती है। दरअसल, ब्लड शुगर हमारे शरीर में एनर्जी का स्रोत है। इसी के माध्यम से ग्लुकोज शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचता है। ब्लड शुगर कम होने की स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। यह कई बीमारियों का कारण बन सकता है और कई अंगों पर असर डालता है। जैसे - किडनी, लिवर, हार्ट। इसके कारण हेपेटाइटिस हो सकता है, इन्सान कमजोरी महसूस कर सकता है, उसे बेचैनी रह सकती है और बार-बार चक्कर आ सकते हैं।
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार मरीज के लिए तत्काल इलाज यह है कि उसे शरीर में शुगर बढ़ाने वाली चीजें खिलाई जाएं। इसका सही स्तर लगभग 70 से 110 मिली ग्राम डेसीलीटर होता है।
ब्लड शुगर कम होने के संकेत
थकान महसूस होना
घबराहट
हाथ-पैर कांपना
पसीना आना
भूख लगना
नींद के दौरान रोना
चिड़चिड़ापन
हमेशा चिंता में रहना
धुंधला दिखाई देना
बेहोश होना
किसी बात को नहीं समझ पाना
इसलिए बहुत खतरनाक है ब्लड शुगर
ब्लड शुगर कमी के कारण हाइपोग्लाइसीमिया का दौरा कभी भी पड़ सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया अटैक के कारण मरीज वाहन चलाते समय सड़क पर गिर सकता है। या सीढ़िया चढ़ते समय गिर सकता है। जो लोग अकेले रहते हैं, उन्हें बेहोशी के कारण हाइपोग्लाइसीमिया अटैक के दौरान तत्काल इलाज नहीं मिल पाना बहुत घातक हो सकता है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए
डायबिटीज वाले मरीज अपनी ब्लड शुगर पर लगातार नजर रखते हैं, इसलिए उनका इलाज तत्काल हो जाता है, लेकिन यदि आप पूरी तरह स्वस्थ्य हैं और बार-बार ऊपर बताए संकेत नजर आ रहे हैं तो बिना देरी किए डॉक्टर से मिलना चाहिए। कई बार हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि इन्सान पहचान नहीं पाता है। यह घातक स्थिति होती है। बेहतर यही है कि हर 3 महीने या 6 महीने में ब्लड शुगर की जांच करवाते रहें।
क्या है हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज
यदि हाइपोग्लाइसीमिया यानी ब्लड शुगर बार-बार कम हो रही तो अपने खान-पान में शुगर बढ़ाने वाली चीजों को शामिल करना होगा। डॉ. अनुराग शाही के अनुसार, कार्बोहाइड्रेट युक्त खादय् पदार्थों का सेवन करें। तत्काल इलाज चाहिए तो चॉकलेट खाएं, फलों का जूस पीएं, ठंडे पेय पदार्थ जैसे कोक और पेप्सी भी तत्काल राहत दिलाते हैं। जिन लोगों में ब्लड शुगर अनियमित रूप से कम हो जाती है, उन्हें ग्लूकोज की टेबलेट और चॉकलेट हमेशा अपने साथ रखना चाहिए।
शुगर का स्रोत चीनी के अलावा भी ढेर सारे पदार्थ हैं। जैसे - बेकरी प्रॉडक्ट, ड्रिंक्स, प्रॉसेस्ड फूड्स। अमेरिकन डायबीटीज असोसिएशन के अनुसार, स्वस्थ पुरुष को एक दिन में 37.5 ग्राम या 9 चम्मच से ज्यादा शुगर नहीं खाना चाहिए। लीवरेज खतरनाक क्यों है स्वस्थ महिला को एक दिन में 25 ग्राम या 6 चम्मच से ज्यादा शुगर नहीं खाना चाहिए। इसके कम के सेवन पर ब्लड शुगर स्तर कम हो सकता है।
जो लोग एक्सरसाइज करते हैं, उन्हें अपने ब्लड शुगर स्तर पर ध्यान रखने की जरूरत होती है। पहले कुछ ऐसे मामले में भी सोशल मीडिाय में आए हैं, जहां जिम में पसीना बहाते स्वस्थ्य युवा अचानक ब्लड शुगर की कमी के कारण बेहोश होकर गिर पड़े। गलत खान-पान से परहेज करें और नशे से दूर रहें।
वो चीज जो पीएम 2.5 से कहीं ज्यादा खतरनाक है, प्रदूषण मापने में सरकारें क्यों नहीं लेतीं इनका नाम
पिछले कई दिनों में हमारे देश में प्रदूषण को लेकर बहुत शोर मचा है। अक्सर हवा खराब होने और सांस लेना दूभर होने की शिकायतें मिल रही हैं। लीवरेज खतरनाक क्यों है इस दौरान एक शब्द का इस्तेमाल बार-बार किया जा रहा है, जिसे आप सभी ने सुना ही लीवरेज खतरनाक क्यों है होगा। वो है PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5)।
ये वो छोटे-छोटे कण होते हैं, जिनकी वजह से प्रदूषण होता है। इनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर होता है। कहा जाता है कि ये हमारे फेफड़ों से होते हुए हमारे खून की नली तक पहुंच जाते हैं। लेकिन, हकीकत ये है कि इनमें से जयादातर प्रदूषण के कण फेफड़ों की छननी के पार नहीं जा पाते।
हमें ये भी बताया जा रहा है कि नाइट्रस ऑक्साइड गैसें, जिसमें नाइट्रोजन ऑक्साइड भी शामिल है, वो ही शहरों में वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। लेकिन, रिसर्च बताती हैं कि यूरोप में प्रदूषण से होने वाली मौतों में से केवल 14 प्रतिशत के लिए ही नाइट्रस ऑक्साइड गैसें जिम्मेदार होती हैं।
पानी में बढ़ा अमोनिया का स्तर, जानें सेहत के लिए कितना खतरनाक
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मुताबिक पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा नहीं होनी जबकि फिलहाल इसका स्तर पानी में काफी ज्यादा है। ऐसे में लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ने से फिर से लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है। इस वजह से प्रदेश में पानी की किल्लत की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। इस बीच दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से अपील की गई है कि पानी को पीने और खाने में इस्तेमाल ना करें क्योंकि इसमें अमोनिया की मात्रा ज्यादा है जो शरीर के लिए हानिकारक है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मुताबिक पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम से ज्यादा नहीं होनी जबकि फिलहाल इसका स्तर पानी में काफी ज्यादा है। ऐसे में लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शेखर मांडे का कहना है कि पानी में अमोनिया के स्तर के बढ़ने का मुख्य कारण औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट हो सकते हैं। सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र अमोनिया को पानी से निकालने में बहुत अधिक प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।
क्या है अमोनिया और इसके दुष्प्रभाव
अमोनिया एक कलरलेस गैस है जिसका इस्तेमाल उर्वरक, प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, रंजक और अन्य उत्पादों के उत्पादन में एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है। जैविक अपशिष्ट पदार्थ के टूटने से अमोनिया पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। यह औद्योगिक अपशिष्टों के जरिए या मल द्वारा संदूषण के माध्यम से जमीन या जल स्रोतों के के द्वारा लोगों तक पहुंच सकता है।
यदि पानी में अमोनिया की मात्रा 1 पीपीएम से ऊपर है तो यह मछलियों के लिए खतरनाक होती है वहीं यदि मनुष्य 1 पीपीएम या इससे ज्यादा के अमोनिया स्तर वाले पानी का लंबे समय तक उपयोग करते हैं तो उनके शरीर में इससे कई समस्याएं हो सकती हैं। इसका सबसे ज्यादा लीवर पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पीलिया, हेपेटाइटिस समेत कई बीमारियां भी हो सकती हैं। इससे कोमा में जाने का खतरा भी काफी ज्यादा होता है। पानी में अमोनिया का स्तर 0.5 पीपीएम से ज्यादा होने पर डीहाइड्रेशन और लीवर इंफेक्शन जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। इन सब से बचने के लिए पानी को उबालकर पीना चाहिए।
यमुना में क्यों बढ़ रहा अमोनिया का स्तर
यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ने के लिए हरियाणा के पानीपत और सोनीपत जिलों में डाई यूनिट, डिस्टिलरी और अन्य फैक्ट्रियों को संभावित स्रोत माना जाता है। इसके अलावा नदी के इस खंड में कुछ ऐसी कॉलोनियों से सीवेज का पानी भी जाता है, जहां सीवेज की व्यवस्था नहीं है।
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