पूरी तरह अंतरसंबद्ध है हमारी पारिस्थितिकी

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन के पक्षकारों का 15वां सम्मेलन (कॉप15) मॉन्ट्रियल में गत 19 दिसंबर को संपन्न हुआ। इस आयोजन में वै​श्विक जैव विविधता प्रारूप को अपनाया गया जो यह लक्ष्य तय करता है कि 2030 तक कम से कम 30 प्रतिशत क्षेत्रीय, आंतरिक जल और वै​श्विक समुद्रों का प्रबंधन संर​क्षित क्षेत्र के रूप में किया जाएगा। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन लक्ष्यों को राष्ट्रीय लक्ष्यों में कैसे बदला जाएगा या फिर राष्ट्रीय सीमाओं और दायरे के बाहर आने वाले समुद्रों का प्रबंधन कैसे होगा? रासायनिक पोषकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर एक अहम लक्ष्य है जो भारत जैसे देशों के लिए सीधे तौर पर प्रासंगिक है।

रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से होने वाले उत्सर्जन को 2030 तक आधा करने तथा जहरीले कीटनाशकों के इस्तेमाल को एक तिहाई करने का लक्ष्य है। भारतीय पर्यावरण मंत्री पहले ही इस प्रावधान को लेकर आप​त्ति जता चुके हैं। एक और लक्ष्य है जो काफी अ​धिक महत्त्वाकांक्षी साबित हो सकता है और वह है 2030 तक प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य। इसके लिए धनरा​शि जुटाना हमेशा की तरह एक समस्या है। खासतौर पर ऐसे समय में जबकि वै​श्विक अर्थव्यवस्था गहरी मु​श्किलों से दो-चार है।

इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सभी संभव स्रोतों से वित्तीय संसाधन जुटाए जाएंगे ताकि सालाना कम बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें से कम 200 अरब डॉलर की रा​शि जुटाई जा सके। इसमें नए, अतिरिक्त और प्रभावी वित्तीय संसाधन शामिल होंगे और विकासशील देशों को मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता से सालाना 10 अरब डॉलर का इजाफा किया जा सकता है। मैं इसकी व्याख्या विकासशील देशों को सालाना 10 अरब डॉलर की राशि की आश्व​स्ति के रूप में कर रहा हूं जो काफी कम धनरा​शि होगी।

एक उल्लेख यह भी है कि सालाना 500 अरब डॉलर की अतिरिक्त रा​शि उन सब्सिडी को खत्म करके भी जुटाई जाएगी जो जैव विविधता के लिए नुकसानदेह हैं लेकिन यह सभी देशों पर लागू होगी। यह स्पष्ट है कि इस प्रारूप में तय लक्ष्यों को हासिल करने के​ लिए जरूरी संसाधन सभी पक्षों को जुटाने होंगे और वह भी बिना साझा लेकिन बंटी हुई जिम्मेदारी तथा संबंधित क्षमताओं का सिद्धांत लागू किए हुए। इस प्रारूप का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि कम से कम इसके माध्यम से सभी पक्षों ने एक इरादा जताया है लेकिन ऐसा लगता नहीं कि इसके ​लिए जरूरी पैमाने पर संसाधन जुटाए जा सकेंगे।

बैठक के एजेंडे में एक अहम मुद्दा जेनेटिक संसाधनों और जेनेटिक संसाधनों की डिजिटल सीक्वेंस सूचना तथा जेनेटिक संसाधनों के वा​णि​ज्यिक लाभ से जुड़े पारंपरिक ज्ञान से संबं​धित है। उदाहरण के लिए औष​धीय उत्पादों के विकास में इनका इस्तेमाल। प्रारूप के लक्ष्यों में से एक है यह सुनिश्चित करना कि ऐसी उपयोगिता से हासिल होने वाले लाभ साझा और समतापूर्ण ढंग से बांटे जाएं और इस दौरान स्वदेशी लोग और समुदाय भी इसमें शामिल हों। एक सहमति इस बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें बात पर बनी कि ऐसी व्यवस्था बने जिसके माध्यम से जेनेटिक संसाधनों और उनके उपयोगकर्ताओं से संबं​धित डिजिटल सीक्वेंसिंग सूचना (जीएसआई) के जरिये हासिल बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें होने वाले लाभों को समतापूर्ण ढंग से साझा भी किया जा सकेगा। इसके लिए एक बहुपक्षीय फंड की स्थापना की जाएगी। इस पहल को तुर्की में 2024 में आयोजित अगली कॉप में अंतिम रूप दिया जाएगा।

यह बात विकासशील देशों के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकती है जिनके यहां जैव विविधता बहुत संपन्न है और उनकी कीमती और दुर्लभ औष​धीय जड़ी-बूटियों का विकसित देश लंबे समय से अपने वाणि​ज्यिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। बदले बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें में उन देशों को कुछ नहीं मिलता। हालांकि औद्योगिक बौद्धिक संपदा को पेटेंट आदि के माध्यम से सुर​क्षित करने पर जोर दिया गया लेकिन विकासशील देशों से थोक में जेनेटिक संसाधन लिए गए। उनमें से कई तो इस बात से भी अन​भिज्ञ थे कि वे क्या गंवा रहे हैं। जीएसआई के लिए एक बहुपक्षीय सुविधा केंद्र बनने से ऐसे संसाधनों की रक्षा करने में मदद मिलेगी और फायदों के समतापूर्ण बंटवारे के साथ उनका वा​णि​ज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।

प्रारूप में जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी के बीच के जरूरी संबंध को स्पष्ट किया जाना था। अब यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन एक बड़े और गंभीर पारि​स्थितिकी संकट का केवल एक घटक है। जलवायु परिवर्तन और पारि​स्थितिकी में आ रही गिरावट के बीच मजबूत संबंध है। समुद्र कार्बन अवशोषण का सबसे बड़ा जरिया हैं। परंतु प्ला​स्टिक तथा अन्य हानिकारक कचरे को समुद्र में डालने से समुद्र की कार्बन अवशोषण की क्षमता काफी हद तक प्रभावित हो रही है। धरती के वन भी कार्बन अवशोषण में अहम भूमिका निभाते हैं। वनों के नष्ट होने से उनकी यह क्षमता भी कमजोर पड़ रही है। समुद्र में मौजूद प्ला​स्टिक समुद्री जीवों के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है। मछलियां सूक्ष्म प्ला​स्टिक कणों को खा रही हैं जो उनके माध्यम से इंसानी शरीर में भी पहुंच रहा है। समुद्रों की तापवृद्धि का असर भी समुद्र की पारि​स्थितिकी पर पड़ रहा है।

प्रारूप के मुताबिक वि​भिन्न जीव चौंकाने वाली गति से खत्म हो रहे हैं और यही वजह है कि उसने यह लक्ष्य तय किया है​ कि इंसानों के कारण जीव प्रजातियों के नष्ट होने पर नियंत्रण किया जाए। सन 2050 तक इसकी दर में 10 गुना कमी करने का लक्ष्य है। ऐसे लक्ष्यों का हासिल होना इस बात पर निर्भर करता है कि अन्य मोर्चों पर किस प्रकार के कदम उठाए जाते हैं। उदाहरण के लिए वनों में ऐसे जीवों के प्राकृतिक आवासों को नष्ट होने से रोकना ऐसा ही एक कदम है। अत्य​धिक मछली मारना तथा समुद्री सतह से छेड़छाड़ को रोकना होगा ताकि समुद्री प्रजातियों को नष्ट होने से रोका जा सके।

एक पर्यावरणविद की मानें तो बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें जैव विविधता को अगर दार्शनिक नजरिये से देखा जाए तो इसका संबंध उस ज्ञान से है जो लाखों वर्षों के दौरान जीवों की उत्पत्ति से सीखा गया है। इसका संबंध इस बात से भी है कि पृथ्वी के निरंतर बदलते माहौल और पर्यावरण में कैसे बचा रहा जा सके। इस नजरिये से देखें तो इस समय मनुष्य जैव विविधता को बहुत तेजी से नष्ट कर रहा है। हमारी वै​श्विक चर्चाओं में भी इस विषय पर अ​धिक बात नहीं होती है। अब समय आ गया है कि धरती की पा​रि​स्थितिकी की परस्पर संबद्ध व्यवस्था पर नजर डाली जाए। इसके लिए एक व्यापक दृ​ष्टिकोण अपनाना होगा। हमें एक ऐसे वै​श्विक सम्मेलन पर नजर डालनी होगी जहां इस नजरिये को लेकर बातचीत हो सके।

(लेखक पूर्व विदेश सचिव और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो हैं)

बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार यूपीआई और डिजिटल लेनदेन के तरीकों ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। एसएमएस भेजने या इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप का उपयोग करने की तरह, उपयोगकर्ता सेकंड के भीतर किसी भी बैंक खाते में धन हस्तांतरण शुरू कर सकते हैं। डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन बैंकिंग आसान, तेज़ और सुरक्षित भी हैं। लेकिन दूसरी तरफ, इसने ऑनलाइन धोखाधड़ी की दर भी बढ़ा दी है। पिछले कुछ वर्षों में, फ़िशिंग लिंक, सिम स्वैप, विशिंग कॉल, और अन्य के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी में काफ़ी वृद्धि हुई है। स्कैमर्स लोगों को बरगलाने और ठगने के नए-नए तरीके खोज रहे हैं। ऐसा ही एक फ्रॉड जो नया नहीं है लेकिन फिर भी लोगों को इसके झांसे में ले रहा है, वह है क्यूआर कोड स्कैम।

कई लोग कथित तौर पर क्यूआर कोड घोटालों के शिकार हो जाते हैं जहां धोखेबाज क्यूआर कोड का उपयोग करके अपने बैंक खातों को साफ करते हैं। यहां तक कि इंडिया टुडे टेक टीम के सदस्यों को भी एक ऐसी घटना का पता चला जहां एक व्यक्ति ने धोखा देने की कोशिश की और क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर पैसे भेजने को कहा. इसलिए, जब हमारी टीम के सदस्य ने OLX पर एक आइटम को सूचीबद्ध किया, तो एक उपयोगकर्ता सूचीबद्ध कीमत पर आइटम खरीदने के लिए सहमत हो गया। प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए, उपयोगकर्ता ने तुरंत भुगतान शुरू करने के लिए यूपीआई आईडी, बैंक खाता मांगा। जबकि यह पहले से ही संदिग्ध था, क्योंकि वह न तो सामान देखने आया और न ही मोलभाव किया। अलार्म बजने वाली बात यह थी कि उसने व्हाट्सएप पर एक क्यूआर कोड भेजा, जिस पर राशि लिखी हुई थी और भुगतान प्राप्त करने के लिए इसे स्कैन करने के लिए कहा। इस बीच उन्होंने लगातार फोन और मैसेज भी किया कि प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए।

जबकि क्यूआर कोड का उपयोग करके पैसे भेजना कोई नई या समस्या नहीं है, यहाँ पेच यह था कि प्रेषक प्राप्तकर्ता को कोड स्कैन करने और पैसे प्राप्त करने के लिए ओटीपी दर्ज करने के लिए कह रहा था। सौभाग्य से, हमारी टीम के सदस्यों को पता चला कि यह एक घोटाला था, और कई निर्दोष लोग अक्सर इसके झांसे में आ गए। तो, क्यूआर कोड घोटाला वास्तव में क्या है, और पैसा कैसे काटा जाता है बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें क्योंकि हम पैसे भेजने के लिए दैनिक आधार पर क्यूआर कोड स्कैन करते हैं?

क्यूआर कोड घोटाला क्या है

तो, ये जालसाज क्या करते हैं, वे लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं कि वे उन्हें क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान भेज रहे हैं। और प्राप्तकर्ता को कोड को स्कैन करना होगा और वह राशि दर्ज करनी होगी जो वे प्राप्त करना चाहते हैं और फिर ओटीपी दर्ज करें। विशेष रूप से, क्यूआर कोड केवल पैसे भेजने के लिए स्कैन किया जाता है, पैसे प्राप्त करने के लिए नहीं। ऐसे में जब लोग पैसे लेने के बहाने किसी के क्यूआर कोड को स्कैन करते हैं और ओटीपी डालते हैं तो पैसा भेजने वाले के बजाय उनके खाते से कट जाता है।

और यहां आपकी टीम के सदस्यों के मामले में होने वाली लगातार कॉल अक्सर लोगों को गुमराह करती हैं और वे स्थिति का मूल्यांकन करने के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं। वे चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करते हैं और धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं।

QR कोड स्कैम को कैसे रोकें


अपनी यूपीआई आईडी या बैंक खाते का विवरण कभी भी अनजान लोगों के साथ साझा न करें।

यदि संभव हो तो, यदि आप OLX या अन्य साइटों पर कुछ बेच रहे हैं तो आप नकद में सौदा करते हैं।

यदि आप राशि प्राप्त कर रहे हैं तो कभी भी क्यूआर कोड को स्कैन न करें।

पैसे भेजते समय भी क्यूआर कोड स्कैनर द्वारा दिखाए गए विवरणों को हमेशा क्रॉस-चेक करें।

क्यूआर कोड को स्कैन करने से बचें अगर यह किसी अन्य क्यूआर कोड को कवर करने वाले स्टिकर जैसा दिखता है।

ओटीपी को कभी भी किसी के साथ शेयर न करें। ओटीपी गोपनीय नंबर होते हैं और आपको उनके साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए।

आईसीआईसीआई बैंक क़र्ज़ मामला: वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत गिरफ़्तार

इससे पहले सीबीआई ने बीते सप्ताह आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ़्तार किया है. The post आईसीआईसीआई बैंक क़र्ज़ मामला: वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत गिरफ़्तार appeared first on The Wire - Hindi.

इससे पहले सीबीआई ने बीते सप्ताह आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 2012 में बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ़्तार किया है.

वेणुगोपाल धूत की बीते माह की बैंक में जाए बिना शेयर कैसे खरीदें तस्वीर, जब वह नई दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय पहुंचे थे. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईसीआईसीआई बैंक ऋण मामले में वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि एजेंसी ने मुंबई में सुबह धूत (71) से थोड़ी देर पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया. इससे कुछ घंटे पहले ही आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को विशेष अदालत में उनकी हिरासत संबंधी सुनवाई के लिए पेश किया था.

उन्होंने बताया कि सीबीआई इन तीनों और अन्य संदिग्धों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने पर विचार कर रही है.

कोचर दंपति की तीन दिन की हिरासत सोमवार को समाप्त हो रही है , उन्हें 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था.

सीबीआई ने चंदा कोचर और उनके पति दीपक को जांच में सहयोग नहीं करने और स्पष्ट जवाब न देने के आरोप में हिरासत में ले लिया था.

चंदा कोचर ने अपने पति और धूत के बीच किसी भी तरह के आर्थिक लेन-देन की जानकारी होने से इनकार किया, जिसका एजेंसी ने 24 दिसंबर को मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान दावा किया था.

कोचर दंपति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा, ‘ऋण लेने वाले मुख्य कर्जदार को गिरफ्तार नहीं किया गया है और वर्तमान आरोपी किसी भी राशि के लाभार्थी नहीं थे.’

देसाई ने जुलाई 2021 में आईसीआईसीआई बैंक द्वारा सीबीआई को लिखे एक पत्र को भी अदालत के संज्ञान में रखा, जिसमें कहा गया था कि उसे उन गतिविधियों से कोई नुकसान नहीं हुआ है, जो सवालों के घेरे में है.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कोचर दंपति और धूत के अलावा दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-2019 के तहत दर्ज एफआईआर में आरोपी बनाया है.

एजेंसी का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं.

एफआईआर के अनुसार, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2019 में सीबीआई ने कोचर, धूत और नूपावर रिन्यूएबल्स एवं वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज समेत कुछ फर्मों के खिलाफ कथित रूप से आईसीआईसीआई बैंक से 1,730 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी.

अपनी एफआईआर में सीबीआई ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) और अज्ञात लोक सेवकों को मामले में आरोपी बनाया है.

इसने आरोप लगाया कि ‘आरोपी (चंदा कोचर) ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए अन्य आरोपियों के साथ एक आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ ऋण मंजूर किए.’ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

सीबीआई ने कहा कि यह राशि 40,000 करोड़ रुपये के ऋण का हिस्सा थी, जिसे वीडियोकॉन समूह ने एसबीआई के नेतृत्व वाले 20 बैंकों के समूह से हासिल किया था. 3,250 करोड़ रुपये के ऋण का लगभग 86 प्रतिशत (2,810 करोड़ रुपये) का भुगतान नहीं किया गया. वीडियोकॉन के खाते को 2017 में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया था.

सीबीआई ने एफआईआर में यह भी कहा था कि जून 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच वीडियोकॉन समूह की पांच कंपनियों को दिए गए सावधि ऋण ‘बैंक के क्रेडिट नियमों के उल्लंघन कर दिए गए थे.’

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