करोड़ों की विदेशी मुद्रा के साथ राष्ट्रीय खिलाड़ी समेत 3 तस्कर गिरफ्तार
नई दिल्ली (ब्यूरो)। विदेशी मुद्रा और सोने की दूसरे देशों से तस्करी करने वाले एक गिरोह को दबोचा गया। आरोपियों में एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी वीरेंद्र वमाज के साथ तीन अन्य तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
डायरेक्टर रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) विदेशी मुद्रा खिलाड़ी ने आईजीआई एयरपोर्ट पर चेकिंग के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से 4.47 करोड़ कीमत के विदेशी मुद्रा खिलाड़ी यूरो और यूएस डॉलर भी बरामद किए। रैकेट से जुड़े दो अन्य तस्करों को मुंबई में गिरफ्तार किया गया है।
डीआरआई ने राष्ट्रीय खिलाड़ी वीरेंद्र वमाज के अलावा उसके साथी रोहित विज एवं अंकुश खुराना को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि मूलरूप से दिल्ली निवासी वीरेंद्र एक राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी है और वह एक संभ्रांत परिवार का है, लेकिन एक वर्ष पहले वह तस्करों के संपर्क में आया था, जिसके बाद उन्होंने बाकायदा गिरोह बनाकर गोरखधंधा चलाना शुरू कर दिया।
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पूछताछ में वीरेंद्र ने बताया कि वे विदेशी मुद्रा की तस्करी नए तरीके से करते थे। एक व्यक्ति के बजाय तस्करी में कई लोग शामिल होते थे। एक के बाद एक कई तस्करों को हैंड ओवर करते थे। तस्कर एक दूसरे के समय पर ही फ्लाइट बुक करके एक एयरपोर्ट पर मिलते थे। कॉमन लॉज में वे एकत्रित होते थे।
फिर एयरपोर्ट से बाहर आकर वीरेंद्र को नकली नोटों से भरा बैग दे देते थे, जिसके कारण चेकिंग में पकड़ में नहीं आते। जांच में यह भी पता चला कि वीरेंद्र को इससे पहले 2015 में 9 किलो सोना और 80 लाख के विदेशी नकली नोट के साथ पकड़ा गया था, लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गया था।
वीरेंद्र कई बार तस्करी के लिए विदेशों में भी जा चुका है। जांच अधिकारियों के अनुसार अगर वीरेंद्र और उसके साथी इस तस्करी में कामयाब हो जाते तो इसके बदले उन्हें सात लाख रुपए मिलते।
दिल्ली और मुंबई से गिरफ्तार किए गए पांचों तस्करों के खिलाफ कस्टम एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। मुंबई में पकड़े गए तस्करों को टीम ट्रांजिट रिमांड पर लेकर राजधानी आयी और सभी पांच तस्करों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के रुख को पलटते हुए 11 नवंबर को खत्म हुए हफ्ते में यह 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. यह अगस्त 2021 के बाद सबसे तेज बढ़ोतरी है.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के रुख को पलटते हुए 11 नवंबर को खत्म हुए विदेशी मुद्रा खिलाड़ी हफ्ते में यह 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. यह अगस्त 2021 के बाद सबसे तेज बढ़ोतरी है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शनिवार को यह जानकारी दी. हालांकि, मार्च के बाद विदेशी मुद्रा खिलाड़ी से विदेशी मुद्रा भंडार में 110 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट आई है. वैश्विक अस्थिरता के बीच आरबीआई द्वारा रुपये को सहारा देने के चलते यह कमी हुई है.
देश का सोने का भंडार भी बढ़ा
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 11 नवंबर को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर हो गया है. 4 नवंबर को यह 529.99 अरब डॉलर के स्तर पर रहा था.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन हफ्ते के दौरान फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) 11.8 अरब डॉलर बढ़कर 482.53 अरब डॉलर हो गईं विदेशी मुद्रा खिलाड़ी हैं. वहीं, स्वर्ण भंडार का मूल्य 2.64 अरब डॉलर बढ़कर 39.70 अरब डॉलर रहा है.
इससे पहले 21 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 117.93 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रहा था. आरबीआई ने सितंबर में शुद्ध आधार पर 10.36 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा की बिक्री की है. सितंबर विदेशी मुद्रा खिलाड़ी में डॉलर के मुकाबले रुपया 79.5 के भाव से गिरकर 81.5 पर आ गया है. इससे विदेशी मुद्रा खिलाड़ी पहले अक्टूबर में यह 83.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया था. इसके बाद 21 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच रुपया 2.3 फीसदी चढ़ा और शुक्रवार को 10 पैसे गिरकर 81.74 पर बंद हुआ.
RBI ने भी दिया था दखल
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के विदेशी मुद्रा खिलाड़ी दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है.
विदेशी मुद्रा खिलाड़ी
विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगा श्रीलंका
कोलंबो, 1 अगस्त (आईएएनएस)। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (सीबीएसएल) ने चेतावनी दी है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन पर सभी नियमों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों और व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी, स्थानीय मीडिया ने सोमवार को इसकी सूचना दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएसएल ने कहा कि देश में मौजूदा संकट में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक बैंकिंग प्रणाली में विदेशी मुद्रा तरलता की कमी है।
बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त विदेशी मुद्रा तरलता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बैंक को निर्यात आय पर समर्पण आवश्यकताओं को लागू करना पड़ा।
बैंक ने कहा, इन नियामक उपायों की सफलता और इच्छित परिणामों को प्राप्त करने की क्षमता व्यापारिक समुदाय और बैंकिंग प्रणाली के समर्थन और सहयोग पर निर्भर करती है। हालांकि, यह सीबीएसएल के ध्यान में लाया विदेशी मुद्रा खिलाड़ी गया है कि कुछ बाजार खिलाड़ी इन नियमों का पूरी तरह से अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
इस तरह की प्रथा, अगर जारी रहती है, तो मुश्किल समय में सरकार से अपेक्षित समर्थन से लोगों को वंचित कर देगी, जबकि समान बोझ बंटवारे के नैतिक दायित्व को कम कर देगी, जो कठिन और असाधारण परिस्थितियों में सभी हितधारकों से अपेक्षित है।
इन घटनाओं को देखते हुए और राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में सीबीएसएल ने अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों को चेतावनी दी कि विदेशी मुद्रा लेनदेन पर सभी नियमों की कड़ाई से निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
यह कहा, गैर-अनुपालन के किसी भी उदाहरण से सभी लागू कानूनों के प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और विदेशी भंडार की कमी के कारण आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं हो पा रहा है।
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विदेशी मुद्रा खिलाड़ी
विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करेगा श्रीलंका
कोलंबो, 1 अगस्त (आईएएनएस)। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (सीबीएसएल) ने चेतावनी दी है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन पर सभी नियमों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों और व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी, स्थानीय मीडिया ने सोमवार को इसकी सूचना दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएसएल ने कहा कि देश में मौजूदा संकट में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक बैंकिंग प्रणाली में विदेशी मुद्रा तरलता की कमी है।
बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त विदेशी मुद्रा तरलता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बैंक को निर्यात आय पर समर्पण आवश्यकताओं को लागू करना पड़ा।
बैंक ने कहा, इन नियामक उपायों की सफलता और इच्छित परिणामों को प्राप्त करने की क्षमता व्यापारिक समुदाय और बैंकिंग प्रणाली के समर्थन और सहयोग पर निर्भर करती है। हालांकि, यह सीबीएसएल के ध्यान में लाया गया है कि कुछ बाजार खिलाड़ी इन नियमों का पूरी तरह से अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
इस तरह की प्रथा, अगर जारी रहती है, तो मुश्किल समय में सरकार से अपेक्षित समर्थन से लोगों को वंचित कर देगी, जबकि समान बोझ बंटवारे के नैतिक दायित्व को कम कर देगी, जो कठिन और असाधारण परिस्थितियों में सभी हितधारकों से अपेक्षित है।
इन घटनाओं को देखते हुए और राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में सीबीएसएल ने अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों को चेतावनी दी कि विदेशी मुद्रा लेनदेन पर सभी नियमों की कड़ाई से निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
यह कहा, गैर-अनुपालन के किसी भी उदाहरण से सभी लागू कानूनों के प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और विदेशी भंडार की कमी के कारण आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं हो पा रहा है।
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अगर नहीं थामा गया घटता विदेशी मुद्रा भंडार, तो श्रीलंका जैसी हो सकती है भारत की स्थिति, AIBEA ने जताई चिंता
AIBEA के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने विदेशी मुद्रा खिलाड़ी इंदौर में संगठन की केंद्रीय समिति की बैठक के बाद कहा, ‘‘सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है। हमारा आयात लगातार बढ़ रहा है, जबकि निर्यात घटता जा रहा है।’’
Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Updated on: September 29, 2022 18:39 IST
Photo:FILE Representational Image
AIBEA: भारत के घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर चिंता जताते हुए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि अगर इस समस्या की अनदेखी की जाती रही, तो आगे चलकर देश को पड़ोसी श्रीलंका जैसे भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने इंदौर में संगठन की केंद्रीय समिति की बैठक के बाद कहा, ‘‘सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है। हमारा आयात लगातार बढ़ रहा है, जबकि निर्यात घटता जा रहा है।’’
वेंकटचलम ने कहा,‘‘अगर हम विदेशी मुद्रा भंडार घटने की समस्या की यूं ही अनदेखी करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं, जब हमें श्रीलंका जैसे बुरे आर्थिक हालात का सामना करना पड़ सकता है।’’ वेंकटचलम ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि सरकार सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME) के संकटग्रस्त क्षेत्र की मदद करे ताकि आयात पर निर्भरता घटे और निर्यात को गति मिल सके।
पब्लिक सैक्टर बैंकों के निजीकरण जताया विरोध
AIBEA महासचिव ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार के ‘मंसूबों’ पर विरोध जताते हुए कहा, ‘‘अगर सरकारी बैंकों का निजीकरण हो गया, तो न केवल जनता की बचत खतरे में आ सकती है, बल्कि ग्रामीणों, किसानों, एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों और महिलाओं को कर्ज लेने में भारी परेशानी भी होगी।’’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक विदेशी मुद्रा खिलाड़ी क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की राह आसान करने के लिए सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश कर सकती है।
अगर ऐसा किया तो करेंगे हड़ताल
वेंकटचलम ने चेतावनी दी कि अगर ऐसा कोई विधेयक पेश किया गया, तो सरकारी, निजी, सहकारी और अन्य क्षेत्रों के बैंकों के कर्मचारियों की नुमाइंदगी करने वाला एआईबीईए तत्काल हड़ताल पर चला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी बैंक कार्यबल की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं और पर्याप्त तादाद में विदेशी मुद्रा खिलाड़ी नयी भर्तियां करके इस कमी को जल्द दूर नहीं किया गया, तो एआईबीईए को हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा।
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न्यूनतम अंक: 1
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