आप 10 लाख रुपये निवेश करना चाहते हैं? संजीव गोविला ने बताया जबर्दस्त कमाई वाला इनवेस्टमेंट फॉर्मूला
गोविला ने कहा कि अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको आज बाजार के सूचकांकों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सबसे पहले आपको अपनी रिस्क प्रोफाइल को समझना चाहिए। उसके बाद अपने फाइनेंशियल गोल (लक्ष्य) तय करने चाहिए
Sanjeev Govila करीब तीन दशक तक इंडियन आर्मी में देश की सेवा करने के बाद पिछले कुछ समय से सेना के जवानों को पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी सलाह दे रहे हैं।
कई इनवेस्टर्स शेयर बाजार (Stock Markets) के उतार-चढ़ाव (Market Volatility) को देखते हुए इनवेस्टमेंट करने से कतरा रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि अभी पैसा कहां लगाना चाहिए। बाजार एक कदम आगे बढ़ाने के बाद दो कदम पीछे बढ़ा देता है। इसके बावजूद आपको निवेश का फैसला रोकना नहीं चाहिए। यह कहना है Sanjeev Govila का। करीब तीन दशक तक इंडियन आर्मी में देश की सेवा करने के बाद पिछले कुछ समय से गोविला सेना के जवानों को पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी सलाह दे रहे हैं। उनकी कंपनी Hum Fauji Fianacial Services के देश और विदेश में 3,300 क्लाइंट्स हैं।
गोविला ने कहा कि अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको आज बाजार के सूचकांकों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सबसे पहले आपको अपनी रिस्क प्रोफाइल को समझना चाहिए। उसके बाद अपने फाइनेंशियल गोल (लक्ष्य) तय करने चाहिए। अगर आप बहुत छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आपको सैटेलाइट पोर्टफोलियो बनाना चाहिए।
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गोविल ने कहा, "अगर आपका गोल पांच साल से लेकर सात साल का है तो आप अपना पूरा पैसा शेयरों में लगा सकते हैं। आपको बाजार के उतार-चढ़ाव पर ध्यान नहीं देना चाहिए। लेकिन, इससे पहले आपको अपने रिस्क प्रोफाइल को समझ लेना होगा। अगर आप ज्यादा रिस्क नहीं ले सकते तो फिर आपको इक्विटी में ज्यादा निवेश नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप हाइब्रिड फंड्स के बारे में सोच सकते हैं।"
गोविल ने बताया, "इनवेस्टमेंट के लिए 100 माइनस एज (उम्र) का एक थंब रूल है। लेकिन, मैं इसमें भरोसा नहीं करता हूं। मैं ज्यादा महत्व व्यक्ति की रिस्क प्रोफाइल और उसके इनवेस्टमेंट गोल को देता हू। अगर आप कम से कम पांच साल के लिए पैसे लगा सकते हैं और आपकी उम्र 40 प्लस है तो आपको अपना 70 फीसदी पैसा शेयरों में लगाना चाहिए। अगर आपकी उम्र इससे कम है या आप 29 प्लस हैं तो आप अपना 80-85 फीसदी पैसा शेयरों में लगा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि लंबी अवधि के निवेश पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता है। "
उनकी सलाह है कि जो इनवेस्टर्स अपनी रिस्क प्रोफाइल को समझे बगैर मार्केट में निवेश करते हैं, उन्हें बाजार के रोजाना के उतार-चढ़ाव की वजह से ठीक से नींद नहीं आती। उन्होंने निवेशकों को डायवर्सिफिकेशन के लिए विदेश में इनवेस्ट करने की भी सलाह दी। जहां तक रिटेल इनवेस्टर्स का सवाल है तो उनके लिए तो इंडियन मार्केट के डायनेमिक्स को भी ठीक तरह से समझना आसान नहीं है। इसलिए आप जर्मनी, ब्राजील, वियतनाम और यहां तक कि चीन के बाजार के बारे में अंदाजा नहीं लगा सकते। इसलिए आप एक्सपर्ट एडवाइस की मदद से निवेश के फैसले ले सकते हैं।
कमाई का मौका! HDFC MF के खुल गए 2 नए फंड, महज ₹500 से शुरू कर सकते हैं निवेश
Mutual fund NFOs: म्यूचुअल फंड कंपनी HDFC म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने अपने स्मार्ट बीटा ईटीएफ पोर्टफोलियो का विस्तार किया है. फंड हाउस ने इस कैटेगरी में और 2 NFOs (New Fund Offer) लॉन्च किए हैं.
Mutual fund NFOs: म्यूचुअल फंड कंपनी HDFC म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने अपने स्मार्ट क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है? बीटा ईटीएफ पोर्टफोलियो का विस्तार किया है. फंड हाउस ने इस कैटेगरी में और 2 NFOs (New Fund Offer) लॉन्च किए हैं. कंपनी के दोनों इंडेक्स फंड HDFC निफ्टी 200 मोमेंटम 30 ईटीएफ (HDFC NIFTY200 Momentum 30 ETF) और HDFC निफ्टी100 लो वॉलेटाइल 30 ईटीएफ (HDFC NIFTY100 Low Volatility 30 ETF) का सब्सक्रिप्शन 26 सितंबर को खुल गया है. निवेशक इसमें 6 अक्टूबर 2022 तक बोली लगा सकते हैं. ये दोनों ओपन एंडेड फंड हैं. यानी, इनमें से निवेश जब चाहें पैसा निकाल सकते हैं.
₹500 से शुरू कर सकते हैं निवेश
एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की दोनों स्कीम में मिनिमम 500 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं. इसके बाद 1 रुपये के मल्टीपल में पैसा लगाया जा सकता है. HDFC निफ्टी 200 मोमेंटम 30 ईटीएफ का बेंचमार्क इंडेक्स Nifty 200 Momentum 30 TRI और HDFC निफ्टी100 लो वॉलेटाइल 30 ईटीएफ का NIFTY 100 Low Volatility 30 TRI है.
फंड हाउस का कहना है कि स्मार्ट बीटा निवेश में स्टॉक चयन और वेइटिंग शामिल है. स्मार्ट बीटा ईटीएफ - निफ्टी 200 मोमेंटम 30 ईटीएफ और निफ्टी100 लो वॉलेटाइल 30 ईटीएफमें शामिल सूचकांकों ने निफ्टी 200, 100 100 और निफ्टी 50 टीआरआई की तुलना में 1, 3, 5 और 10 साल के लिए हाई एवरेज औसत रोलिंग रिटर्न दिया है.
किसे करना चाहिए निवेश
HDFC AMC के एमडी एंड सीईओ नवनीत मुनोट ने कहा, "स्मार्ट बीटा निवेश ग्लोबल स्तर पर लोकप्रिय है और एयूएम लगातार बढ़ रहा है. एचडीएफसी एएमसी अनुभव आधारित रिसर्च पर आधारित है. स्मार्ट बीटा ईटीएफ कम लागत पर पोर्टफोलियो के वन-शॉट डायवर्सिफिकेशन मिलता है. यह ऐसे निवेशकों के लिए लाभदायक है, जो लंबी अवधि में रिटर्न चाहते हैं. फंड हाउस के पास पैसिव फंड्स के मैनेजमेंट में 20 साल का अनुभव है.
क्या होते हैं स्मार्ट बीटा फंड?
स्मार्ट बीटा फंड दरअसल एक्टिव और पैसिव के बीच का एक फंड होता है. इसमें पैसिव फंड की तरह एक इंडेक्स फंड बनाया जाता है. इसके अलावा, फंड मैनेजर इसमें एक्टिव फंड की तरह शेयरों के वेटेज में बदलाव या किसी तय पैटर्न पर नया इंडेक्स जैसे छोटे-छोटे बदलाव करते रहते हैं. इसका मकसद स्कीम में रिस्क को कम करना और रिवार्ड को बनाए रखना होता है. इसमें एक्टिव फंड्स की तुलना में खर्च कम रहता है. बेंचमार्क इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
Mutual Funds: 5 साल में पैसा ट्रिपल करने वाली 5 स्कीम, सालाना 28% तक मिल रहा है रिटर्न
बाजार में उठापठक के चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड में भले ही शॉर्ट टर्म या 1 साल तक का रिटर्न बिगड़ा है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों ने इसके जरिए अच्छा पैसा बनाया है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में निवेश का एक सुरक्षित तरीका है. (File)
Best Equity Mutual Fund Scheme: बाजार में उठापठक के चलते इक्विटी म्यूचुअल फंड में भले ही शॉर्ट टर्म या 1 साल तक का रिटर्न बिगड़ा है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों ने इसके जरिए अच्छा पैसा बनाया है. बीते 5 साल की बात करें तो कई म्यूचुअल फंड स्कीम ने निवेशकों का पैसा 3 गुना या इससे भी अधिक बढ़ा दिया है. असल में इक्विटी म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार में निवेश का एक सुरक्षित तरीका है. अगर निवेशक इक्विटी में निवेश करना चाहें, लेकिन उनकी रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा नहीं है तो यह एक बेहतर विकल्प है. एडवाइजर म्यूचुअल फंड में रिस्क क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है? प्रोफाइल समझकर एक लक्ष्य तयकर लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह देते हैं. लंबी अवधि में निवेश के चलते इनमें कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. निवेशक एकमुश्त या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है? प्लान (SIP) के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं.
Tata Digital India Fund
5 साल में रिटर्न: 28% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3.45 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11.56 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 5000 रुपये
कम से कम SIP: 150 रुपये
कुल एसेट्स: 5512 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.35% (30 अप्रैल, 2022)
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ICICI Pru Technology Fund
5 साल में रिटर्न: 27.5% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3.36 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11.97 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 5000 रुपये
कम से कम SIP: 100 रुपये
कुल एसेट्स: 8772 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.71% (30 अप्रैल, 2022)
ABSL Digital India Fund
5 साल में रिटर्न: 26% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3.21 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11.27 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 1000 रुपये
कम से कम SIP: 100 रुपये
कुल एसेट्स: 3028 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.70% (30 अप्रैल, 2022)
SBI Tech Opportunities Fund
5 साल में रिटर्न: 24.70% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 3 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 11 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 1000 रुपये
कम से कम SIP: 500 रुपये
कुल एसेट्स: 2416 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.90% (30 अप्रैल, 2022)
Quant Infrastructure Fund
5 साल में रिटर्न: 21.30% CAGR
5 साल में 1 लाख की वैल्यू: 2.65 लाख रुपये
5 साल में 10 हजार मंथली SIP की वैल्यू: 12.15 लाख रुपये
कम से कम एकमुश्त निवेश: 5000 रुपये
कम से कम SIP: 1000 रुपये
कुल एसेट्स: 573 करोड़ (31 मई, 2022)
एक्सपेंस रेश्यो: 0.64% (31 मई, 2022)
पीपीएफ निवेश: हर महीने 500 रुपये जमा करके पाएं 61 लाख रुपये, जानें- क्या है गणना का तरीका और कैसे मिलेगा लाभ?
PPF Investment: हर महीने 500 रुपये जमा करके 61 लाख रुपये की भारी भरकम धनराशि तैयार की जा सकती है, जो आपके भविष्य का सहारा बन सकती है. पीपीएफ खाते में एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक जमा किए जा सकते हैं. यह अधिकतम निवेश 12 किस्तों में भी किया जा सकता है. इसमें कम से कम 500 रुपये का निवेश करना जरूरी है.
Updated: May 24, 2022 9:28 AM IST
The PPF interest is calculated based on the minimum balance between the close of fifth day and last day of every month.
PPF Investment: लंबी अवधि के निवेश के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक बेहतर विकल्प है. सैलरीड क्लास के लिए 15 साल की मैच्योरिटी वाले पीपीएफ अकाउंट को फ्यूचर फंड जुटाने का बेहतर तरीका माना जाता है. इस खाते की खास बात यह है कि इसे मैच्योरिटी (PPF Maturity) के बाद भी 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में अगर आप 30 से 35 साल की उम्र में भी इस योजना से जुड़ते हैं तो 25 साल में ही आप पीपीएफ के जरिए करोड़पति बन सकते हैं.
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वित्तीय क्षेत्र के जानकार भी सलाह देते हैं कि अगर आपको 15 साल की मैच्योरिटी पर फंड की जरूरत नहीं है तो इसे और आगे बढ़ाया जाना चाहिए. खास बात यह है कि आप पीपीएफ खाते से टैक्स छूट का भी लाभ उठा सकते हैं. इसमें अर्जित ब्याज और परिपक्वता आय भी कर मुक्त है.
पीपीएफ का लाभ कैसे प्राप्त करें?
पीपीएफ खाते की परिपक्वता अवधि 15 वर्ष है. इस खाते पर 7.1 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि ब्याज मिल रहा है. इसमें आप एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कर सकते हैं. इस लिहाज से 25 साल की मैच्योरिटी पर आप अधिकतम 62 लाख रुपये (PPF Maturity Benefits) का फंड बना सकते हैं.
जानिए- पीपीएफ कैलकुलेटर से कैसे बनें करोड़पति
अगर आप रोजाना 250 रुपये पीपीएफ खाते में डालते हैं तो यह रकम एक महीने में 7500 रुपये हो जाती है. इस तरह एक साल में यह रकम 90,000 रुपये तक पहुंच जाती है. अगर आप 25 साल के लिए पीपीएफ खाते में निवेश करते हैं तो इस अवधि तक आप 22.50 लाख रुपये जमा कर चुके होंगे. इसी के साथ 25 साल की मैच्योरिटी पूरी होने पर आपको 61,84,809 रुपये की बड़ी रकम मिलती है. इसमें 39,34,809 रुपये ब्याज का है.
पीपीएफ खाते में जमा की जा सकती है 1.50 लाख रुपये तक की रकम
पीपीएफ खाते में एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक जमा किए जा सकते हैं. यह अधिकतम निवेश 12 किस्तों में भी किया जा सकता है. इसमें कम से कम 500 रुपये का निवेश करना जरूरी है. खास बात यह है कि पीपीएफ खाता 10 साल से कम उम्र के बच्चे के नाम से शुरू किया जा सकता है. हालांकि, अभिभावक को वयस्क होने तक खाते को बनाए रखना होता है.
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Investment Tips: उम्र और जरूरत के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर करें फोकस, नए साल में अपनाएं ये स्ट्रैटेजी
Investment Tips: बीते साल बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक, संभावित मंदी जैसे फैक्टर बाजार में हावी रहे. बाजार ने 2022 में मिक्स्ड रिटर्न दिया है. अब जब साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्या स्ट्रैटेजी रखनी चाहिए?
आइडियल एसेट एलोकेशन किस तरह का हो? (Photo- Pixabay)
Investment Tips: साल 2022 अब खत्म होने वाला है और नए साल की शुरुआत ऐसे समय में हो रही है, जब शेयर बाजार अपने रिकॉर्ड हाई के करीब ट्रेड क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है? कर रहे हैं. हालांकि बीते साल बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक, संभावित मंदी जैसे फैक्टर बाजार में हावी रहे. बाजार ने 2022 में मिक्स्ड रिटर्न दिया है. अब जब साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्या स्ट्रैटेजी रखनी चाहिए? आने वाले कुछ सालों में निवेश की कौन सी थीम बेहतर साबित हो सकती है. आइडियल एसेट एलोकेशन किस तरह का हो? आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
ये इन्वेस्टमेंट थीम हो सकती बेहतर
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CIO श्रीनिवास राव रावुरी भारत खुद ही वैश्विक परिप्रेक्ष्य से एक उभरती हुई निवेश थीम है. भारत अभी विश्व स्तर पर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के मामले में तीसरे नंबर पर है. वैश्विक क्षेत्र में और विशेष रूप से उभरते बाजारों में भारत का महत्व और प्रासंगिकता बढ़ी है. यह ट्रेंड अभी जारी रहने का अनुमान है.
भारत में राजनीतिक स्तर पर स्थिरता दिख रही है, कंजम्पशन मजबूत है और सरकार द्वारा रिफॉर्म जारी है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिलता दिख रहा है. ऐसे में अगले दशक में भारत में निवेश में तेजी आएगी. दूसरी थीम भारत में मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) क्षमता बढ़ना है. अस्थिर जियो पॉलिटिकल स्थिति, कच्चे माल की अनिश्चितता और डाइवर्सिफाइंग सोर्सिंग की आवश्यकता को देखते हुए, चाइना प्लस वन स्ट्रैटेजी में बढ़ोतरी देखी जानी चाहिए.
हमारी GDP का योगदान सर्विसेज की ओर बहुत ज्यादा झुका हुआ है और ग्रोथ का अगला फेज प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा जैसी योजनाओं द्वारा सहायता प्राप्त मैन्युफैक्चरिंग से आना चाहिए. तीसरी थीम प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के आधार पर कंजम्पशन पर होगा. जैसे-जैसे भारत की अधिक से अधिक आबादी आर्थिक रूप से आगे बढ़ती है, कंजम्पशन की मात्रा और क्वालिटी दोनों में ग्रोथ देखी जाती है. यह ट्रेंड संबद्ध क्षेत्रों जैसे कि फाइनेंशियल, डिजिटलाइजेशन में भी फ्लो होती है.
SIP के जरिए निवेश रखें जारी
किसी भी निवेशक और विशेष रूप से रिटेल निवेशकों के लिए बाजार में समय बिताने की तुलना में टाइमिंग अधिक महत्वपूर्ण है. छोटी अवधि की अस्थिरता से निपटने के लिए SIP सही तरीका है और निवेशकों को SIP के जरिए निवेश जारी रखना चाहिए. छोटी अवधि में बाजार अस्थिर हो सकता है, हालांकि लंबी अवधि में अस्थिरता बहुत कम होती है. अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का है तो अस्थिरता के दौरान बेहतर यह है कि डेली बेसिस पर पोर्टफोलियो को न देखें. निवेश को पेशेवर फंड मैनेजरों पर छोड़ दें.
निवेशकों को उम्र के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए जिससे लक्ष्य आधारित कॉर्पस जमा करने में मदद मिलती है. साथ ही रिटायरमेंट जैसी लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. अगर आपके पास विश्वसनीय और सक्षम एडवाइजर है तो वित्तीय चिंता कम हो जाती है. वहीं इससे फाइनेंशियल फ्रीडम भी हासिल करने में मदद मिलती है.
डाइवर्सिफिकेशन के जरिए रिस्क करें कम
भारतीय बाजारों ने पिछले दिनों अन्य ग्लोबल मार्केट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि वैल्युएशन सस्ते नहीं हैं, लेकिन बहुत हाई भी नहीं हैं, क्योंकि भारत में आय में भी अच्छी ग्रोथ देखी गई है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता, सप्लाई चेन को लेकर अनिश्चितता, महंगाई और आगामी रेट हाइक जैसे जोखिम बाजार में बने रह सकते हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश वैश्विक या अस्थायी प्रकृति के हैं. फिलहाल, जोखिम इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है. हमें इसे स्वीकार करना चाहिए हैं और डाइवर्सिफिकेशन के जरिए उन्हें कम करने का प्रयास करना चाहिए.
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड में, हर फंड मैनेजर को फंड के मैनडेट और उनके विचारों के अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह विशेष रूप से पोर्टफोलियो के दोहराव और हमारे द्वारा किसी भी सेक्टर/स्टॉक में अधिक निवेश से बचने के लिए किया जाता है. इसलिए इस सवाल का कोई जवाब नहीं है. हालांकि, सामान्य तौर पर हम फाइनेंशियल (एसेट क्वालिटी में सुधार क्रेडिट ग्रोथ में सुधार) और इंडस्ट्रियल्स (घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पुश) पर पॉजिटिव है, जबकि एफएमसीजी, एनर्जी और यूटिलिटीज पर अंडरवेट लेकिन अंडरवेट रहे हैं.
पहली बार निवेश करने वालों के लिए टिप्स
पहली बार निवेश करने वालों के लिए, लंबी अवधि के लक्ष्य के साथ अपेक्षाकृत कम अस्थिरता, डाइवर्सिफाइड प्रोजेक्ट में निवेश करना सही स्ट्रैटेजी होगा. डायवर्सिफाइड/फ्लेक्सी कैप, ELSS और लार्ज कैप फंड सही विकल्प हो सकते हैं. ELSS कटेगिरि को 3 साल के लॉक इन से लाभ मिलता है. उम्र और अन्य प्रतिबद्धताओं के आधार पर, निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता/उम्र और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार मिड और स्मॉल कैप फंड या बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड में पैसा लगाना चाहिए.
इक्विटी मार्केट से आपने क्या सीखा?
प्रमुख सीख में से एक है, उत्साह से दूर न होना. यह सामान्य तौर पर किसी भी स्टॉक, सेक्टर या बाजार में हो सकता है. बाजार अत्यधिक आशावाद और निराशावाद की अवधि के बीच स्विंग करता है. उम्मीदों को सामान्य और व्यावहारिक बनाए रखने से इन सीमाओं से लाभ उठाने में मदद मिलती है. दूसरा रीजनेबल प्राइस यानी उचित कीमतों पर ग्रोथ रिस्क रिवार्ड को काफी हद तक बैलेंस करता है और लंबी अवधि के अल्फा बनाने में मदद करता है. ओवर लिवरेज, निवेश की कैश फ्लो पैदा करने की क्षमता की कमी और संदिग्ध कॉर्पोरेट प्रशासन जैसे जोखिमों से बचें. इन जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पोर्टफोलियो में बड़ी गलतियां करने से बचने में मदद मिलती है.
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