मार्जिन पर ख़रीदना, जिसे लीवरेज्ड इन्वेस्टमेंट के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी रणनीति है जिसमें हानि का एक महत्वपूर्ण जोखिम होता है और सावधानी के साथ नियोजित किया जाना चाहिए, खासकर नौसिखिए निवेशकों द्वारा।
ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार
लीवरेज को हिन्दी में उत्तोलन कहते है जिसका अर्थ किसी ऐसी चीज पर लाभ होना है जो बेहतर परिणाम उत्पन्न करती है। लीवरेज वह शब्द है जिसका उपयोग निवेश के लिए ऋण या उधार के पैसे के उपयोग का वर्णन करने के लिए किया जाता है। लीवरेज का उपयोग निवेश रिटर्न को बहुत अधिक बढ़ाने के लिए किया जाता है।
यह एक सेवा है जो एक ब्रोकर अपने ग्राहकों को कम नकदी के साथ अधिक स्टॉक खरीदने में सक्षम बनाने के लिए प्रदान करता है। जब आप उत्तोलन का उपयोग करते हैं तो आपकी क्रय शक्ति में सुधार होता है। उत्तोलन का उपयोग स्टॉक में निवेश करने से लेकर घर खरीदने तक, किसी भी चीज़ को निधि (Fund) देने में मदद के लिए किया जा सकता है।
लीवरेज का उपयोग अक्सर व्यवसायों द्वारा उनके विस्तार को वित्त देने के लिए, परिवारों द्वारा बंधक ऋण के माध्यम से घरों के अधिग्रहण के वित्तपोषण के लिए और वित्तीय पेशेवरों ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार द्वारा अपने निवेश के तरीकों को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
लीवरेज का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
निवेश का पहला नियम है कि लाभ की ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार संभावना जितनी अधिक होगी, जोखिम की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी। अगर आप लीवरेज का उपयोग करके 100 शेयर खरीदते हैं और कीमत 10 रुपये से गिरकर 5 रुपये हो जाती है, तो आप 50 नहीं बल्कि अपनी पूंजी का 100% खो सकते है।
इस वजह से, लीवरेज विकल्प का उपयोग करना सबसे अच्छा है यदि आपने किसी निश्चित स्टॉक पर व्यापक शोध किया है और जोखिम के लिए उच्च सहनशीलता है। आखिरकार, यह एक ऋण है जिसे आपको चुकाना होगा चाहे आप पैसा कमाएं या नहीं।
अगर हम इसको एक लाइन में कहे, तो लीवरेज आपके ब्रोकर से शेयर बाजार में निवेश करने के लिए पैसा उधार लेना है। मोस्टली, लिवरेज का उपयोग अनुभवी व्यापारियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने शेयरों पर व्यापक अध्ययन किया है और लाभ कमाने में विश्वास रखते हैं।
इसके अतिरिक्त, स्टॉप लॉस टूल का उपयोग करके जोखिम को कम किया जा ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार सकता है, जिससे आप अपनी जोखिम सहनशीलता के अनुसार नुकसान की सीमा तय कर सकते हैं।
लीवरेज में मार्जिन खाते की भूमिका
उधार ली गई धनराशि से प्रतिभूतियों की खरीद को मार्जिन पर खरीदारी के रूप में जाना जाता है। मार्जिन पर ख़रीदना आम तौर पर एक मार्जिन खाते में होता है, जो मुख्य प्रकार के निवेश खातों में से एक है।
मार्जिन खाते में अपने स्वयं के कम पैसे से बड़ा दांव लगाने के लिए, आप पैसे उधार ले सकते हैं। आपके द्वारा खरीदी गई प्रतिभूतियों और आपके खाते में मौजूद किसी भी नकदी से ऋण सुरक्षित होता है और ब्रोकर आपसे ब्याज वसूल करेगा।
मार्जिन पर ख़रीदना आपके संभावित लाभ के साथ-साथ संभावित नुकसान को भी बढ़ाता है। यदि आपका निवेश खराब प्रदर्शन करता है तो आपके द्वारा मार्जिन पर खरीदी गई प्रतिभूतियों ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार का मूल्य घट सकता है, लेकिन फिर भी आप अपने मार्जिन ऋण और ब्याज का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
आमतौर पर, आपको मार्जिन इन्वेस्टमेंट की लागत का 50% तक उधार लेने की अनुमति है लेकिन कुछ ब्रोकर्स 75% तक इसकी अनुमति देते है, परिणामस्वरूप आप अपनी क्रय शक्ति को प्रभावी रूप से दोगुना कर सकते हैं।
Kota News: 65 देशों के प्लास्टिक के नोट देखकर रह जाएंगे हैरान, यहां करें दुनियाभर के सिक्कों और नोटों का दीदार
By: दिनेश कश्यप, कोटा | Updated at : 18 Dec 2022 06:59 PM (IST)
(वियतनाम का नोट, फोटो क्रेडिट- दिनेश कश्यप)
Rajasthan News: राजा-महाराजाओं के समय में सिक्कों का प्रचलन था, महाराजाओं की तस्वीर सिक्के पर होते थी जो वहां की रियासत को इंगित करती थी. उसके बाद नोट का प्रचलन विभिन्न देशों ने शुरू किया, किसी ने गत्ते के नोट बनाए तो किसी ने कागज के नोटों को अपनी रियासत में शामिल किया. समय बदलता गया मांग के अनुरूप नोटों के आकार, प्रकार और नोटों के बनाने में इस्तेमाल होने वाली ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार धातु भी बदलती गई. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कागज के नोट प्रचलित हुए लेकिन अब वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कागज के नोट के साथ प्लास्टिक के नोट भी प्रचलन में आ रहे हैं. कोटा फ्लेटली एण्ड न्यूम्समेटिक सोसायटी की ओर से एग्जीबिशन ट्रेड फेयर ऑफ कॉइंस, करंसी एण्ड कलेक्टेबल्स के तहत देश की विभिन्न रियासतों और भारत के विभिन्न कालखंड में प्रचलित मुद्राओं को यहां देखने का अवसर मिल रहा है.
मंगलवार, 20 दिसंबर के लिए राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal) के चुनिंदा शेयर
एयूएम कैपिटल के रिसर्च प्रमुख राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal) ने मंगलवार (20 दिसंबर) के एकदिनी कारोबार (intraday trade) के लिए शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Shipping Corporation of India), पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस (PNB Housing Finance), लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Life Insurance Corporation of India), अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports and Special Economic Zone) और इंटरग्लोब एविएशन (Interglobe Aviation) के शेयर खरीदने की सलाह दी है।
इन सौदों के लिए राजेश अग्रवाल की सलाह इस प्रकार है :
Scrip Close Call Stop Loss Target
Lucknow News: मुसलमानों की ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार गरीबी सियासी छल का परिणाम : नकवी
जवाब : इस तरह के आक्रामक दुश्मन के खिलाफ लगातार रक्षात्मक बने रहना भारतीय सुरक्षा बलों पर बड़ा बोझ डालता है। क्योंकि चीनी सैन्य आक्रामकता का अनुमान लगाने या प्रतिक्रिया देने में एक भी चूक महंगी साबित हो सकती है। हमें अप्रैल 2020 की घटना से सबक लेना चाहिए, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कुछ प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में चुपके से अतिक्रमण कर लिया था। चीनी हमेशा भारतीयों को आश्चर्यचकित करने के लिए समय और स्थान चुनते हैं। ‘सलामी स्लाइसिंग’ या चुपके से आक्रामकता केवल चीनी पक्ष का विशेषाधिकार क्यों होना चाहिए? भारत क्यों नहीं चीन को इसी अंदाज में जवाब देता है? किसी मुल्क द्वारा अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य अभियान के जरिये धीरे-धीरे किसी बड़े इलाके पर कब्जा कर लेने की नीति को ‘सलामी स्लाइसिंग’ कहा जाता है।
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जवाब : भारत, चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है ट्रेडिंग रणनीतियों के प्रकार कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं। इस प्रकार के कदमों के साथ ही भारत को अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंधों के रास्ते को भी अपनाने की आवश्यकता है। वास्तव में, भारत के पास गैर-आवश्यक आयातों को प्रतिबंधित करके चीन के साथ अपने बड़े पैमाने पर व्यापार घाटे को ठीक करने के लिए अपनी खरीद शक्ति का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
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बता दें, वैश्विक जलवायु परिवर्तन आज के दौर में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है और जीवन के सभी आयामों का प्रभावित करता है। इससे अछूता कृषि क्षेत्र भी नहीं है।
खरीफ के मौसम में की जाती है लघु धान्य फसलों की खेती:
लघु धान्य फसलों की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है। सांवा, काकुन एवं रागी को मक्का के साथ मिश्रित फसल के रूप में लगाते हैं। रोगी को कोदो के साथ भी मिश्रित फसल के रूप में लेते हैं। ये फसलें गरीब एवं आदिवासी क्षेत्रों में उस समय लगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलें है जिस समय पर उनके पास किसी प्रकार अनाज खाने को उपलब्ध नहीं हो पाता है। ये फसलें अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितम्बर के प्रारंभ में पककर तैयार हो जाती है जबकि अन्य खाद्यान्न फसलें इस समय पर नहीं पक पाती और बाजार में खाद्यान्नों का मूल्य बढ़ जाने से गरीब उन्हें नहीं खरीद पाते है। इसलिए समय पर 60-80 दिनों में पकने वाली सांवा, कुटकी एवं कंगनी जैसी फसलें महत्वपूर्ण खाद्यान्न के रूप प्राप्त होती है।
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