Fixed Deposit: ये 5 बैंक दे रहे हैं तगड़ा रिटर्न! मुनाफे में रहना है तो आप भी करें निवेश
Fixed Deposit: फिक्स्ड डिपॉजिट या एफडी स्कीम को निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। फिक्स्ड डिपॉजिट आपके शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म लक्ष्यों को पूरा करने में आपकी मदद कर सकती है।
- एफडी में निवेशकों को आयकर कटौती का लाभ मिलता है।
- FD की दरें बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होती।
- ब्याज दरों की जानकारी बैंकों की वेबसाइटों पर प्रकाशित होती हैं।
नई दिल्ली। फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) निवेशकों को ब्याज दरों के जरिए निश्चित रिटर्न की गारंटी देती है। बैंक वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर विशेष ब्याज दर प्रदान करते हैं। इसके अलावा उन्हें विभिन्न ब्याज भुगतान ऑप्शन भी मिलता है। इसमें आपके द्वारा चुनी गई अवधि के आधार पर आपको एक निश्चित रिटर्न मिलता है। आइए जानते हैं उन बैंकों के बारे में, जो आपको अपने मुनाफे को कैसे सुरक्षित करें? 3 से 5 साल की एफडी पर 7 से 7.5 फीसदी का ब्याज प्रदान करते हैं।
- फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक 3 से 5 साल की अवधि की एफडी पर 7.5 फीसदी ब्याज दे रहा है।
- जन स्मॉल फाइनेंस बैंक इस अवधि के लिए 7.35 फीसदी ब्याज दे रहा है।
- इस अवधि के लिए उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक 7.20 फीसदी ब्याज दर प्रदान करता है।
- ड्यूश बैंक में निवेशकों को 7 फीसदी का लाभ मिल रहा है।
- बंधन बैंक में 3 से 5 साल की अवधि की फिक्स्ड डिपॉजिट पर 7 फीसदी रिटर्न मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट का बड़ा लाभ
अगर आप दो साल की अवधि के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, तो हर तिमाही में अर्जित ब्याज प्रारंभिक डिपॉडिट में जुड़ जाएगा। ऐसे में अगली तिमाही में, ब्याज की गणना बढ़ी हुई जमा राशि पर की जाती है। चक्रवृद्धि लाभ के साथ, जिस राशि पर ब्याज की गणना की जाती है, वह हर तिमाही में बढ़ जाती है।
तीन से पांच साल की फिक्स्ड डिपॉजिट के अलावा आप एक साल से कम समय के लिए भी एफडी में निवेश कर सकते हैं। एफडी की सबसे खास बात यह है कि ब्याज दर सेविंग अकाउंट से ज्यादा होता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खोला जा सकता है। आप बैंक की वेबसाइट पर जाकर या नजदीकी बैंक ब्रांच में जाकर ऑनलाइन FD में निवेश कर सकते हैं। ऑनलाइन पैसे जमा करने के बाद आपको ईमेल पर रसीद मिलती है। वहीं अगर बैंक में जाते हैं, तो आप बैंक से रसीद ले सकते हैं।
(Disclaimer: यहां टाइम्स नाउ नवभारत द्वारा किसी भी योजना में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है। यह सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी योजना में निवेश करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।)
Share Market Tips: निवेश के पहले कम्पनी की Dividend History देखना है बेहद महत्वपूर्ण
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट में निवेश के पहले हर निवेशक उस कम्पनी के बारे में अच्छी तरह से रिसर्च करते हैं। ये रिसर्च कम्पनी के फायदे, नुकसान, उनके भविष्य, कर्ज आदि के बारे में होती है। किसी कम्पनी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद उसमें निवेश करने से आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं। इसी रिसर्च के क्रम में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है डिविडेंड का। अगर आप भी किसी कम्पनी के शेयर में निवेश करना चाहते हैं तो उसके डिविडेंड हिस्ट्री को अच्छे से समझना बेहद जरूरी है।
क्या है डिविडेंड
डिविडेंड यानी लाभांश कम्पनी के मुनाफे को उसके शेयर धारकों के बीच बांटने को कहते हैं। जब कोई कम्पनी मुनाफे में होती है तो वह अपने शेयर धारकों को अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती है। यह लाभांश हर शेयरधारक को उनके द्वारा खरीदे गये शेयरों की संख्या के अनुपात में होता है।
कई तरीके से कम्पनियां करती हैं डिविडेंड का वितरण
अपना डिविडेंड शेयर धारकों के बीच वितरित करने के लिए कम्पनियां कई तरीके अपनाती हैं। अक्सर डिविडेंड नकदी के रूप में उनके बैंक खाते में डाल दिया जाता है। इसके अतिरिक्त डिविडेंड के लिए कम्पनियां म्युचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आदि के द्वारा भी अपने शेयर धारकों को लाभांश प्रदान करती हैं।
डिविडेंड हिस्ट्री होती है बेहद महत्वपूर्ण
अगर कम्पनियां डिविडेंड दे रही हैं तो इसका मतलब है कि उनका कैश फ्लो अच्छा है, वो कम्पनी फायदे में है। ऐसे में इन कम्पनियों में पैसा लगाना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। ऐसी कम्पनियां आमतौर पर फंडामेंटल रूप से मजबूत होती हैं और लम्बे समय तक अपने शेयर धारकों को अच्छा रिटर्न दे सकती हैं।
अगर आप भी शेयर मार्केट में पैसे लगा रहे हैं तो रिसर्च के लिए डिविडेंड की जानकारी प्राप्त करना बेहद आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त अगर आप भी शेयर मार्केट में पैसे लगा रहे हैं तो 5paisa.com पर जाएं और अपने निवेश के बारे में पूरी रिसर्च कर अपने निवेश के सफर को और भी बेहतर बनाएं। साथ ही DJ2100 - Coupon Code के साथ बनाइये अपना Demat Account 5paisa.com पर और पाएं ऑफर्स का लाभ।
Post Office Senior Citizen Savings Scheme: रिटायरमेंट के बाद अपने मुनाफे को कैसे सुरक्षित करें? अपने भविष्य को करें सुरक्षित, छोटे से इन्वेस्टमेंट से पाएं 5 साल में 7 लाख रुपये
पोस्ट ऑफिस सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के तहत 60 साल या उससे ज्यादा की उम्र का कोई भी व्यक्ति खाता खोल सकता है. हालांकि, 55 साल से ज्यादा की उम्र के नागरिक कर्मचारी भी रिटायरमेंट वाले फायदे लेने के लिए एक महीने के भीतर एससीएसएस अकाउंट खोल सकते हैं. डिफेन्स से रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए इस उम्र की सीमा को 50 साल रखा गया है.
Post Office Senior Citizen savings scheme
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 22 फरवरी 2022,
- (Updated 22 फरवरी 2022, 12:17 PM IST)
5 साल में पा सकेंगे लगभग 7 लाख रुपये
एससीएसएस 60 से अधिक की उम्र वाले बुजुर्गों के लिए है
रिटायरमेंट के बाद सभी अपने भविष्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं. लेकिन आपको इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ऐसे कई स्कीम हैं जिनसे आप अपने बुढ़ापे में बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. सीनियर सिटीजन (Senior Citizen) के लिए पोस्ट ऑफिस द्वारा एक स्कीम चलाई जाती है. इससे आप अपने बुढ़ापे को सुरक्षित बना सकते हैं.
दरअसल, भारत में कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं जो तकनीक के आभाव के कारण इन योजनाओं तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में पोस्ट ऑफिस के सीनियर सिटीजन स्कीम सबसे लोकप्रिय स्कीमों में से एक है. पोस्ट ऑफिस की सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम या एससीएसएस 60 से अधिक की उम्र वाले बुजुर्गों के लिए है.
कैसे खोल सकते हैं अपना खाता?
इस योजना का फायदा लेने के लिए उस समय ग्राहक की उम्र 60 से ज्यादा होनी चाहिये. हालांकि, इसमें कुछ शर्तें भी हैं जिसकी मदद से कुछ दूसरे लाभार्थी भी इसका फायदा उठा सकते हैं. इसके जरिये लाभार्थी को एक तरह जहां पोस्ट ऑफिस से अच्छा रिटर्न मिलता है, तो वहीं दूसरी ओर गारंटीड इनकम भी मिलती है.
रक्षा कर्मचारियों के लिए है विशेष छूट
आपको बताते चलें, पोस्ट ऑफिस सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम के तहत 60 साल या उससे ज्यादा की उम्र का कोई भी व्यक्ति खाता खोल सकता है. हालांकि, 55 साल से ज्यादा की उम्र के नागरिक कर्मचारी भी रिटायरमेंट वाले फायदे लेने के लिए एक महीने के भीतर एससीएसएस अपने मुनाफे को कैसे सुरक्षित करें? अकाउंट खोल सकते हैं. डिफेन्स से रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए इस उम्र की सीमा को 50 साल रखा गया है.
5 साल में पा सकेंगे लगभग 7 लाख रुपये
अगर कोई ग्राहक हर महीने इस पॉलिसी में 8,334 रुपये जमा करता है, तो खाते के मैच्योर होने के पांच साल बाद उसे लगभग 7 लाख रुपये की राशि मिलती है. खाताधारक हर महीने 8,334 अपने मुनाफे को कैसे सुरक्षित करें? रुपये जमा करता है, तो ग्राहक सालाना एक लाख रुपये जमा करेगा. इसका मतलब यह हुआ कि 5 साल में जमा राशि 5 लाख रुपये हो जाएगी. ब्याज सहित यह राशि करीब सात लाख रुपये होगी.
कितना है ब्याज प्रतिशत?
इस योजना के तहत अभी ब्याज प्रतिशत 7.4 है. उसके हिसाब से गणना करें तो ब्याज की राशि 1 लाख 85 हजार रुपये है. इसलिए, पांच साल की अवधि में ग्रॉस अमाउंट 6,85,000 रुपये हो जाएगा. गौरतलब है कि इस योजना के तहत ब्याज की गणना तिमाही आधार पर की जाती है, जिसका मतलब है कि लाभार्थी को हर तिमाही में 9,250 रुपये की ब्याज राशि मिलेगी. ये राशि उतनी ही है जितनी किसी भी पीपीएफ अकाउंट में मिलती है.
कितने साल में निकाल सकते हैं अपना पैसा?
इस योजना के तहत मैच्योरिटी पीरियड (Maturity Period) 5 साल है, लेकिन इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. एक लाभार्थी अकाउंट की मैच्योरिटी के एक साल के अंदर ज्यादा फायदा लेने के लिए तीन साल के वन-टाइम-एक्सटेंशन के लिए आवेदन कर सकता है.
Investment Tips: छोटी-छोटी बचत बना देगी आपको अमीर, सिर्फ 1000 रुपये से इन योजनाओं में करें निवेश
Best Investment Options: पहली बार निवेश करने वालों के लिए पीपीएफ एक अच्छा विकल्प है। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है। साथ ही इस निवेश विकल्प में कोई टैक्स (Tax) देनदारी नहीं है। यहां निवेशक को चक्रवद्धि ब्याज दर (Interest Rate) का फायदा मिलता है। यहां आप हर महीने 1,000 रुपये निवेश करें तो एक साल में आप 12,000 रुपये निवेश करेंगे। यहां आप 15 साल तक नियमित निवेश करेंगे तो कुल 1,80,000 रुपये निवेश होंगे
यहां अपनी छोटी बचत निवेश कर बना सकते हैं अच्छा फंड
म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) इस समय अपने मुनाफे को कैसे सुरक्षित करें? काफी लोकप्रिय निवेश विकल्प है। अगर आप अपने निवेश पोर्टफोलियों में इक्विटी को शामिल कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, यह पीपीएफ और आरडी की तरह सुरक्षित निवेश विकल्प नहीं है। म्यूचुअल फंड में रिटर्न अच्छा मिलता है, लेकिन इसमें थोड़ा जोखिम भी होता है। एसआईपी (SIP) के जरिए हर महीने एक तय राशि म्यूचुअल फंड में निवेश की जाती है। अगर आप एक हजार रुपये की एसआईपी बनाते हैं, तो पांच साल में आप म्यूचुअल फंड में कुल 60,000 रुपये निवेश कर पाएंगे। इस राशि पर 10 फीसद के औसत रिटर्न के हिसाब से आपका 78,082 रुपये का फंड बनेगा। अगर आप निवेश की अवधि को 15 साल के लिए ले जाते हैं तो 1,80,000 रुपये जमा कर पाएंगे ओर 4,17,924 रुपये का फंड बनेगा।
मुश्किल में फेसबुक, अब पूर्व कर्मचारी ने लगाया यूजर्स की सुरक्षा से ज्यादा मुनाफे को तवज्जो देने का आरोप
फेसबुक के लिए यह काफी बुरा वक्त चल रहा है। दो दिन पहले छह घंटे से अधिक समय के लिए उसके सभी प्रॉडक्ट्स ठप्प रहे, जिससे कंपनी को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ और अब व्हिसलब्लोअर ने अमेरिकी सीनेट की.
फेसबुक के लिए यह काफी बुरा वक्त चल रहा है। दो दिन पहले छह घंटे से अधिक समय के लिए उसके सभी प्रॉडक्ट्स ठप्प रहे, जिससे कंपनी को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ और अब व्हिसलब्लोअर ने अमेरिकी सीनेट की उपसमिति के सामने पेश होकर मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कंपनी पर आरोप है कि उसने अपने प्लैटफॉर्म्स पर टीनेज सेफ्टी खासकर इंस्टाग्राम पर, फायदे कमाने के लिए विवाद समाधान जैसे मुद्दों की अनदेखी की। कंपनी ने अपने उस इंटरनल सर्वे को भी छिपाया, जिसमें खुलासा हुआ था कि कैसे इंस्टाग्राम का ऐल्गरिदम युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस हाउगन ने कहा कि जब भी लोगों के हितों का सवाल उठा तो फेसबुक ने उससे ज्यादा अपने मुनाफे को तवज्जो दी। फेसबुक के पूर्व कर्मचारी हाउगन ने कंपनी की शिकायत यूएस सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमिशन के समक्ष भी की है, जिनमें भारत से जुड़ी शिकायतें भी शामिल हैं। हाउगन ने अपनी शिकायत के साथ कुछ दस्तावेज भी सौंपे हैं, जिनमें से एक में यह बताया गया है कि कैसे फेसबुक ने आरएसएस की ओर से संचालित या उससे जुड़े अकाउंट्स को प्रमोट किया था। यही नहीं हेट स्पीच वाली पोस्ट्स पर भी फेसबुक पर ऐक्शन न लेने का आरोप लगा है। हाउगन ने कहा कि कंपनी ने ऐसी महज 0.2 फीसदी पोस्ट्स पर ही ऐक्शन लिया था।
इसके अलावा फेसबुक के पास लैंग्वेज क्लासीफायर्स की भी कमी है। इसके चलते कंपनी हिंदी और बंगाली जैसी भाषाओं में आए कॉन्टेंट की जांच में सक्षम नहीं है। शिकायत में कहा गया है कि फेसबुक के पास हिंदी और बंगाली समझने वाले क्लासीफायर्स की कमी थी। इसके चलते उसने इन भाषाओं में पोस्ट की जाने वाली हेटस्पीच पर कोई ऐक्शन नहीं लिया। बता दें कि भारत में फेसबुक के 34 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं। यह दुनिया भर में उसके कुल सक्रिय 2.89 बिलियन यूजर्स में से बड़ी संख्या है। क्लासीफायर्स एक ऑटोमेटेड सिस्टम और ऐल्गरिदम है, जिसे फेसबुक पर पोस्ट की गई हेट स्पीच को डिटेक्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। फेसबुक ने 2019 में दावा किया था कि उसके पास 4 भारतीय भाषाओं बंगाली, हिंदी, उर्दू और तमिल में क्लासीफायर्स हैं, लेकिन इस खुलासे से पता चलता है कि बंगाली में उसके पास इसकी कमी थी।
जकरबर्ग ने दिया कंपनी पर लगे सभी आरोपों का जवाब
इस बीच हाउगन की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को मार्क जकरबर्ग ने गलत और आधारहीन करार दिया है। जकरबर्ग ने हाउगन के आरोपों पर कहा कि यदि हम रिसर्च को इग्नोर करने वाली कंपनी होते तो फिर इंडस्ट्री लीडिंग रिसर्च प्रोग्राम क्यों शुरू करते। जकरबर्ग ने कहा, 'हाउगन ने अपने आरोपों में कहा है कि हमने सुरक्षा और लोगों के हितों से ज्यादा मुनाफे पर फोकस किया है। यह पूरी तरह से गलत है।' जकरबर्ग ने कहा कि हम विज्ञापनों से कमाई करते हैं। इसलिए हम ऐड मेकर्स से भी बता देते हैं कि ऐसे विज्ञापन न दिए जाएं, जो लोगों के लिए नुकसान दायक हों या फिर उन्हें नाराज करते हों।
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