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थाॅमस हाॅब्स की जीवन परिचय

थाॅमस हाॅब्स का जन्म 1588 ई. में इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित मेम्सबरी( maimsbury) नामक नगर में हुआ था। उसके जन्म के पूर्व स्पेन की जनसेना (Armada) ने इंग्लैंड पर आक्रमण किया था। सभी लोग भयाक्रांत थे। कहा जाता है कि भय के वातावरण में जन्मा हाॅब्स जिंदगी भर ऐसे ही ग्रस्त रहा। स्वयं हाॅब्स ने भय को अपना ‘जुड़वा भाई’ कहा है।

हाॅब्स में पढ़ने लिखने और सोचने समझने की विलक्षण और असाधारण योग्यता शुरू से ही देखी जाने लगी थी। 14 साल की अवस्था में ही उसने यूरीपीडीज के मीडिया नाटक का, जो यूनानी भाषा में था लैटिन में अनुवाद किया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उसने गणित, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र आदि का गहन अध्ययन किया। उसने वहां से स्नातक की उपाधि ग्रहण की। इसके बाद वह केवेंडिश परिवार में विलियम केवेंडिश पढ़ाने लगा। इस सिलसिले में उसे साहित्य प्रेमियों से संपर्क हुआ तथा उसके ज्ञान में पर्याप्त वृद्धि हुई। उसने अपने शिष्य के साथ यूरोप यात्रा भी की। 16 से 28 ई. में हाॅब्स सर जरबस क्लिंटन के पुत्र का शिक्षक हो गया। हम देखते हैं कि अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद हाॅब्स ने शिक्षा को ही अपनी आजीविका और ज्ञानार्जन का साधन बनाया। उसने अपने नए शिष्य के साथ यूरोप की पुनः यात्रा की, जिसके दौरान उसने इटालियन वैज्ञानिक गैलीलियो तथा फ्रांस के दार्शनिक डेकार्ट के साथ संपर्क स्थापित किया।

इंग्लैंड में राजा और संसद में संघर्ष चल रहा था, क्योंकि हाॅब्स राजतंत्र का समर्थक था, अतः वह इंग्लैंड छोड़कर फ्रांस चला गया। यही वह लेवायाथन ग्रंथ का लेखन कार्य करने लगा। 1651 ईस्वी में यह ग्रंथ प्रकाशित हुआ, जिससे हाॅब्स की ख्याति सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गई। उसने लेवायथन में कैथोलिक धर्म की कठोर आलोचना की थी। अतः बाध्य होकर वह अपने देश इंग्लैंड लौट गया। इंग्लैंड के सिंहासन पर चार्ल्स द्वितीय आसीन हुआ, जो का शिष्य रह चुका था। अतः हाॅब्स अपने शिष्य राजा के संरक्षण में रहने लगा। लेकिन उसकी नास्तिकता संबंधी बदनामी काफी जोर पकड़ रही थी। कुछ विशप हाॅब्स को जिंदा जला देने की बात करने लगे।

उसने राजा के परामर्श को मानकर अपना शेष जीवन शांति से बिताने का संकल्प लिया। उसने 84 वर्ष की आयु में अपनी आत्मकथा लिखी। फिर उसने प्राचीन यूनानी कभी होमर की इलियट और ओडिसी का अंग्रेजी में रूपांतरण किया। 1679 ई. में उसका स्वर्गवास हो गया।

थॉमस हॉब्स की रचनाएं : उसने अपने जीवन काल में सर्व प्रमुख पुस्तकों की रचना की : (1) De Corpore , इसमें प्रकृति का विवेचन है तथा यह बताया गया है कि जनता को संप्रभु का विरोध नहीं करना चाहिए। (2) de cive, इसमें संप्रभुता और उसकी आवश्यकता पर जोर दिया गया है। (3) लेवायाथन ( Leviathan ), जिसमें निरंकुश राजतंत्र का समर्थन किया गया है। (4) (elements of law), जिसमें विधि और उसके स्वरूपों का वर्णन किया गया है। हॉब्स कि उपरोक्त पुस्तकों में लेवायाथन को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्रदान किया जाता है। इस ग्रंथ के चलते हॉब्स की ख्याति अमर हो गई है।

विचार पद्धति: हॉब्स ने अपनी रचनाओं में अपने पूर्व ग्रामीणों से सर्वथा भिन्न विचार पद्धति को ग्रहण किया। उसने मैकियावेली की अनुभवजन्य विधि अथवा बोंदा की ऐतिहासिक तुलनात्मक पद्धति का अनुसरण नहीं किया। वह अपने समय की वैज्ञानिक क्रांति से अत्यधिक प्रभावित था। भौतिक विज्ञान और गणित विज्ञान में उसकी विशेष रूचि रहती थी। तर्क द्वारा रेखा गणित की विधि और प्रमाणिकता प्रस्तुत करने की भी उसकी आदत थी। इस प्रकार हॉब्स ने भौतिक विज्ञान (physics), मनोविज्ञान(psychology) तथा ज्यामिति (geometry) की पद्धतियों को प्रतिष्ठित किया।

इलियट वेव थिअरी: यह क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है? (Elliott Wave Theory In Hindi)

शेयर बाजार की दिशा और बाजार की भविष्य में क्या चाल हो सकती है इसकी पहचान करने के लिए, कई व्यापारी, शेयर बाजार विशेषज्ञ और विश्लेषक विभिन्न शेयर बाजार सिद्धांतों के आधार पर चार्ट या ग्राफ का उपयोग करके पिछले बाजार के आंकड़ों का अध्ययन करते हैं। आज हम ऐसी ही एक थिअरी यानि की इलियट वेव थिअरी के बारे में बात करेंगे जो शेयर बाजार सिद्धांतों में से एक है। इलियट वेव थिअरी (Elliot Wave Theory Hindi) वेव्स पैटर्न के आधार पर बाजार की चाल की भविष्यवाणी करने में मदद करती है। इलियट वेव थिअरी की खोज राल्फ नेल्सन इलियट (Ralph Nelson Elliot) ने की थी और उन्होंने जो सुझाव दिया था कि बाजार पहचानने योग्य पैटर्न में ऊपर या नीचे चलता है। उन्होंने इन पहचानने योग्य पैटर्न को एक संरचना दी और उन्होंने वेव्स के रूप में उनका प्रतिनिधित्व किया या यूँ कहें कि उन्होंने जो पाया वह यह था कि बाजार में ये संरचनात्मक उतार चढाव विशिष्ट वेव्स के रूप में हुए। बाजार के सिद्धांतों को दो तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है एक भविष्य कहनेवाला सिद्धांत (Predictive Theory) और एक प्रतिक्रियाशील सिद्धांत (Reactive Theory)। प्रतिक्रियाशील सिद्धांत वह है जो बाजार का अनुसरण करता है जबकि एक भविष्य कहनेवाला सिद्धांत वह है जो कुछ हद तक आपको बाजार की संभावित भविष्य की दिशा के बारे में बताता है। इलियट वेव थिअरी एक पूर्वानुमान उपकरण नहीं पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत है, यह आपको केवल मार्केट सेंटीमेंट्स की जानकारी देता है।

इस ब्लॉग में आप आगे देखेंगे,

३. इलियट वेव थिअरी के नियम

५. क्या इलियट वेव थिअरी सच में काम करता है या नहीं ?

इलियट वेव थिअरी क्या है? (What is Elliot Wave Theory)

राल्फ नेल्सन इलियट (२८ जुलाई १८७१ - १५ जनवरी १९४८ ) एक अमेरिकी लेखाकार और लेखक ने अपने शोध के आधार पर एक सिद्धांत प्रस्तुत किया था कि वेव्स के अपने आप को दोहराने वाले पैटर्न को देखकर और पहचान कर शेयर बाजार की गति की भविष्यवाणी की जा सकती है। यही सिद्धांत इलियट वेव थिअरी (Elliot Wave Theory Hindi) के रूप में जाना जाता है।

इलियट ने बाजार का गहराई से विश्लेषण और अध्ययन किया, वेव पैटर्न की विशिष्ट विशेषताओं की पहचान की,और उन पैटर्न के आधार पर विस्तृत बाजार भविष्यवाणियां की। इलियट ‘डॉव थिअरी’ (Dow Theory) से प्रेरित थे और उन्होंने इसकी मदद ली, जो वेव्स के संदर्भ में मूल्य के उतार-चढाव को परिभाषित करता है। उन्होंने १९३० में इस सिद्धांत की पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत खोज की, लेकिन उन्होंने १९३८ में “द वेव प्रिंसिपल”(The Wave Principle) नामक पुस्तक में बाजार के पैटर्न के अपने सिद्धांत को पहली बार प्रकाशित किया।

इलियट वेव थिअरी के मूल सिद्धांत (Principals of Elliot Wave Theory)

इलियट वेव थिअरी में वेव पैटर्न का अध्ययन होता है, यानी ट्रेंड की दिशा में गति १ ,२,३,४,५ के रूप में लेबल की गई पाँच वेव में प्रकट होती है और इसे मोटिव वेव कहा जाता है, जबकि ट्रेंड के खिलाफ कोई भी सुधार तीन वेव में होता है। A, B, C से लेबल की हुई वेव करेक्टिव वेव कहलाती हैं।

ये पैटर्न लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म चार्ट में देखे जा सकते हैं। इलियट वेव थिअरी (Elliot Wave Theory Hindi) के अनुसार पांच-वेव पैटर्न मौजूद है। जैसा कि आप ग्राफ में देख सकते हैं कि यह एक पांच-वेव्स की संरचना है जहां वेव १, ३ और ५ अनिवार्य रूप से बाजार की दिशा निर्धारित करती हैं।

वेव २ और वेव ४ मूल रूप से १, ३ और ५ वेव के लिए काउंटर वेव्स हैं। छोटे पैटर्न को बड़े पैटर्न में पहचाना जा सकता है।

वेव्स के बीच फिबोनेस्की (Fibonacci) संबंधों के साथ मिलकर बड़े पैटर्न में फिट होने वाले छोटे पैटर्न के बारे में यह जानकारी, व्यापारी को बड़े इनाम/जोखिम अनुपात के साथ व्यापारिक अवसरों की खोज और पहचान करने की क्षमता देती है।

इलियट वेव थिअरी के नियम (Rules of Elliot Wave Theory)

आगे दिये हुए तीन आवश्यक नियम हैं जिन्हें इलियट वेव ( Elliot Wave) का प्रयोग करने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं तोड़ सकता है। यदि कोई इन नियमों को तोड़ता है तो वह जो अभ्यास कर रहा होगा वह वास्तविक इलियट वेव पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत सिद्धांत नहीं होगा और यहीं पर कई विश्लेषक गलतियाँ करते हैं। वे अक्सर तर्क देते हैं कि आप यहां एक नियम जानते हैं और इसका उल्लंघन किया जा सकता है लेकिन जो कोई भी किसी भी नियम का उल्लंघन कर रहा है तो ऐसा समझना चाहिए की वह अन्य सिद्धांत का अभ्यास कर रहा है। आइए अब इन नियमों को देखें,

इलियट वेव थिअरी नियम १ :-

वेव २ कभी भी वेव १ से नीचे नहीं जाता है : - यह नियम है कि वेव २ का निचला हिस्सा वेव १ से कम नहीं हो सकता है। वेव २ पूरी तरह से वेव १ के निचले हिस्से तक रिट्रेस कर सकता है और फिर भी इसे वेव २ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

इलियट वेव थिअरी नियम २ :-

वेव ३ कभी भी सबसे छोटा नहीं हो सकता : - किसी भी तरह से, वेव १ सबसे छोटा हो सकता है या वेव ५ सबसे छोटा हो सकता है लेकिन वेव ३ सबसे छोटा नहीं हो सकता। यह मापते समय कि वेव ३ सबसे लंबी या सबसे छोटी है, आपको अपने चार्ट को सेमी - लॉगरिथमिक या लॉगरिथमिक पैमाने पर रखने की आवश्यकता है, लेकिन इसे अंकगणितीय पैमाने पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी यह जानना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी वेव सबसे लंबी है और कौन सी है सबसे छोटी। आमतौर पर शेयर बाजारों में वेव ३ सबसे लंबी वेव होती है लेकिन कमोडिटी पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत में वेव ५ सबसे लंबी होती है।

इलियट वेव थिअरी नियम ३ :-

वेव ४ का मूल्य क्षेत्र वेव १ के मूल्य क्षेत्र में प्रवेश नहीं करता है : - इसका मतलब है कि वेव १ का हाई, वेव ४ के लो में प्रवेश नहीं कर सकता है।

इलियट वेव थ्योरी

इलियट का मानना था कि बड़े पैमाने पर मनोविज्ञान वित्तीय बाजारों में एक ही आवर्ती पैटर्न को दर्शाया गया है । वह 5-3 चालों में तरंगों के बारे में बोलता है, जिसमें पांच तरंगें मुख्य प्रवृत्ति की ऊपर की दिशा में चलती हैं, आवेग के रूप में जाना जाता है और तीन तरंगों सुधारात्मक चरण में चलते हैं। इन 3 चालों को एबीसी भी कहा जाता है।

यह सिद्धांत ऊपर की प्रवृत्ति और निकट भविष्य में होने वाले सुधार को मापने में मदद करता है।

जैसा कि प्रवृत्ति उल्टा और सुधार दिखाती है, इलियट वेव थ्योरी के माध्यम से प्रवृत्ति की पहचान लाभ की रक्षा करने और ट्रेडों से बाहर निकलने में मदद करती है।

सिद्धांत सबसे छोटी से सबसे बड़ी लहरों की नौ डिग्री स्थापित करता है, ग्रांड सुपरसाइकिल, सुपरसाइकिल, साइकिल, प्राथमिक, मध्यवर्ती, माइनर, मिनट, उप मिनट के रूप में वर्णित ।

About the Trainer

Sachin Sharma

I have 9+ years of experience in the stock market working almost in all segments like Equity, Commodity and Currency. I have been tracking the Indian and global market for a long time and creating content alongside, I create educational videos on YouTube related to the market. I manage portfolios and believe in sharing knowledge to train people for the stock market.

Objective

उद्देश्य है की ये कोर्स उम्मीदवारों को समझने के लिए और इलियट वेव प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए तैयार पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत है ।

Benefits

  • तरंग पैटर्न के आधार पर बाजार की प्रवृत्ति की भविष्यवाणी करें ।
  • प्रवृत्ति के दोनों ओर अवसर। यहां तक कि सुधारात्मक चालों की पहचान की जा सकती है।
  • इलियट वेव थ्योरी की 5वीं लहर द्वारा दिखाए गए परिभाषित मूल्य लक्ष्य के आधार पर एक दीर्घकालिक निवेश को सफलतापूर्वक बुक किया जा सकता है।
  • यह बाजार भावना को पहचानने में सहायता करता है।
  • इस तरह के डबल टॉप, ट्रिपल टॉप, और सिर और कंधे के रूप में तकनीकी गठन इलियट लहर के साथ निर्धारित किया जा सकता है ।

Topics Covered

1. इलियट वेव थ्योरी का परिचय

7. डब्ल्यू एक्स टी पैटर्न

8. इलियट वेव पैटर्न का प्रवेश और निकास

Intended Participants

ये कोर्स फ्रेशर्स के लिए उपयोगी है जो बाजार के लिए नए हैं और शेयर मार्किट की दुनिया में एक नया कैरियर शुरू करना चाहते हैं।
नए निवेशक, खुदरा व्यापारी, ब्रोकर और सब - ब्रोकर, वित्तीय सेवा प्रदान करने वाले और पुराने पेशेवर खिलाड़ी भी इस पाठ्यक्रम से लाभान्वित होंगे क्योंकि यह उनके ज्ञान को बढ़ाएगा।

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Anko Me Chipa Bhavishya By Chiro In Hindi PDF Free Download || अंको मे छिपा भविष्य हिंदी में चीरो द्वारा पीडीफ़ मुफ्त डाउनलोड

अंक ज्योतिष एक संख्या और एक या एक से अधिक संयोग वाली घटनाओं के बीच दैवीय या रहस्यमय संबंध में छद्म वैज्ञानिक विश्वास है। यह शब्दों, नामों और विचारों में अक्षरों के संख्यात्मक मान का भी अध्ययन है। यह अक्सर अपसामान्य से जुड़ा होता है, ज्योतिष के साथ, और दैवीय कलाओं के समान।

अंकशास्त्रीय विचारों के लंबे इतिहास के बावजूद, “अंकशास्त्र” शब्द सी से पहले अंग्रेजी में दर्ज नहीं है। १९०७.

अंकशास्त्री शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जो संख्यात्मक पैटर्न में विश्वास रखते हैं और उनसे छद्म वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालते हैं, भले ही वे लोग पारंपरिक अंकशास्त्र का अभ्यास पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत न करें। उदाहरण के लिए, उनकी 1997 की पुस्तक न्यूमरोलॉजी: ऑर व्हाट पाइथागोरस रॉट में, गणितज्ञ अंडरवुड डुडले ने स्टॉक मार्केट विश्लेषण के इलियट वेव सिद्धांत के चिकित्सकों पर चर्चा करने के लिए इस शब्द का उपयोग किया है,

Numerology is the pseudoscientific belief in the divine or mystical relationship between a number and one or more coinciding events. It is also the study of the numerical पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत value of the letters in words, names, and ideas. It is often associated with the paranormal, alongside astrology, and similar to divinatory arts.

Despite the long history of numerological ideas, the word “numerology” is not recorded in English before c. 1907.

विष्णु खरे

विष्णु खरे का जन्म 1940 ई. में छिंदवाड़ा (म. प्र.) में हुआ। समकालीन हिंदी कविता और आलोचना में विष्णु खरे एक विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। उन्होंने हिंदी जगत को अत्यंत गहरी विचारपरक कविताएँ दी हैं, तो साथ ही बेबाक आलोचनात्मक लेख भी दिए हैं। विश्व-साहित्य का गहन अध्ययन उनके रचनात्मक और आलोचनात्मक लेखन में पूरी रंगत के साथ दिखलाई पड़ता है। विश्व-सिनेमा के भी वे गहरे जानकार हैं और पिछले कई वर्षो से लगातार सिनेमा की विधा पर गंभीर लेखन करते रहे हैं। 1971-73 के अपने विदेश-प्रवास के दरम्यान उन्होंने तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग के प्रतिष्ठित फिल्म-क्लब की सदस्यता प्राप्त कर संसार-भर की सैकड़ों उत्कृष्ट फिल्में देखीं। यहाँ से सिनेमा-लेखन को वैचारिक गरिमा और गंभीरता देने का उनका सफर शुरू हुआ। ‘दिनमान’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दि पायोनियर’, ‘दि हिंदुस्तान’, ‘जनसत्ता’, ‘भास्कर’, ‘हंस’, ‘कथादेश’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं मे उनका सिनेमा विषयक लेखन प्रकाशित होता रहा है। वे उन विशेषज्ञों में से हैं, जिन्होंने फिल्म को समाज, समय और विचारधारा के आलोक में देखा तथा इतिहास, संगीत, अभिनय, निर्देशन की बारीकियों के सिलसिले में उसका विश्लेषण किया। अपने लेखन के द्वारा उन्होंने हिंदी के उस अभाव को थोड़ा भरने में सफलता पाई है जिसके बारे में अपनी एक किताब की भूमिका में वे लिखते हैं-”यह ठीक है कि अब भारत में भी सिनेमा के महत्व और शास्त्रीयता को पहचान लिया गया है और उसके सिद्धांतकार भी उभर आए हैं लेकिन दुर्भाग्यवश जितना पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत गंभीर काम हमारे सिनेमा पर यूरोप और अमेरिका में हो रहा है शायद उसका शतांश भी हमारे यहाँ नहीं है। हिंदी में सिनेमा के सिद्धांतों पर शायद ही कोई अच्छी मूल पुस्तक हो। हमारा लगभग पूरा समाज अभी भी सिनेमा जाने या देखने को एक हल्के अपराध की तरह देखता है।”

प्रमुख रचनाएँ: एक गैर रुमानी समय में, खुद अपनी आँख से, सबकी आवाज पर्दे में, पिछला बाकी (कविता-संग्रह); आलोचना की पहली किताब (आलोचना); सिनेमा पढ़ने के तरीके (सिने आलोचना); मरु प्रदेश और अन्य कविताएँ (टी. एस. इलियट), यह चाकू समय (अतिला योझेफ), कालेवाला (फिनलैंड का राष्ट्रकाव्य) (अनुवाद)।

प्रमुख पुरस्कार: रघुवीर सहाय सम्मान हिंदी अकादमी (दिल्ली) का सम्मान शिखर सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान फिनलैंड का राष्ट्रीय सम्मान नाइट ऑफ दि डेर ऑफ दि ह्वाइट रोज।

यदि यह वर्ष चैप्लिन की जन्मशती का न होता तो भी चैप्लिन के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण वर्ष होता क्योंकि आज उनकी पहली फिल्म ‘मेकिंग ए लिविंग’ के 75 वर्ष पूरे होते हैं। पौन शताब्दी से चैप्लिन की कला दुनिया के सामने है और पाँच पीढ़ियों को मुग्ध कर चुकी है। समय, भूगोल और सांस्कृतिक की सीमाओं से खिलवाड़ करता हुआ चार्ली आज भारत के लाखों बच्चों को हँसा रहा है जो उसे अपने बुढ़ापे तक याद रखेंगे। पश्चिम में तो बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता ही है, विकासशील दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन और वीडियो का प्रसार हो रहा है, एक बहुत बड़ा दर्शक वर्ग नए सिरे से चार्ली को ‘घड़ी सुधारते’ या जूते ‘खाने’ की कोशिश करते हुए देख रहा है। चैप्लिन की ऐसी कुछ फिल्में या इस्तेमाल न की गई रीलें भी मिली हैं जिनके बारे में कोई जानता न था। अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्ष तक काफी कुछ कहा जाएगा।

अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चार्ली के टिली ही होते हैं जिसके रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं। हमारे महानतम क्षणों में कोई भी हमें चिढ़ाकर पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत या लात मारकर भाग सकता है। अपने चरमतम शूरवीर क्षणों में हम क्लैव्ज औश्र पलायन के शिकार हो सकते हैं। कभी-कभार लाचार होते हुए जीत भी सकते हैं। मूलत: हम सब चार्ली हैं क्योंकि हम सुपरमैन नहीं हो सकते। सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्षों में जब हम आइला देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिये-
इसलिए भारत में चैप्लिन के इतने व्यापक स्वीकार का एक अलग सौंदर्यशास्त्रीय महत्व तो है ही, भारतीय जनमानस पर उसने जो प्रभाव डाला होगा उसका पर्याप्त मूल्यांकन शायद अभी होने को है। हास्य कब करुणा में बदल जाएगा और करुणा कब हास्य में परिवर्तित हो जाएगी इससे पारंपरीण या सैद्धांतिक रूप से अपरिचित भारतीय जनता ने उस ‘फिनोमेनन’ को यूँ स्वीकार किया जैसे बतख पानी को स्वीकारती है। किसी ‘विदेशी’ कला-सिद्धांत पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत को इतने स्वाभाविक रूप से पचाने से अलग ही प्रश्न खड़े होते हैं और अंशत: एक तरह की कला की सार्वजनितकता को ही रेखांकित करते हैं।
1. अभी चार्ली के बारे में क्या कुछ होना पुस्तक इलियट के द वेव सिद्धांत शेष है?
2. क्या किसमें परिवर्तित हो जाता है?
3. इसे भारतीय जनता किस रूप में स्वीकार करती है?
4. हम कला की किस बात को रेखांकित करते हैं?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
चैप्लिन ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। यह अकारण नहीं है कि जो भी व्यक्ति, समूह या तंत्र गैर बराबरी नहीं मिटाना चाहता वह अन्य संस्थाओं के अलावा चैप्लिन की फिल्मों पर भी हमला करता है। चैप्लिन भीड़ का वह बच्चा है जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना मैं हूँ और भीड़ हँस देती है। कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने ऊपर हँसना पसंद नहीं करता। एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री का बेटा होना, बान में भयावह गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना, साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज द्वारा बदुरदुरायाजाना-इन सबसे चैप्लिन को वे जीवन-मूल्य मिले जो करोड़पति हो जाने के बावजूद अंत तक उनमें रहे।
1. पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।
2. चैप्लिन ने क्या युगांतरकारी परिवर्तन किए?
3. चैप्लिन पर कौन लोग हमला करते हैं?
4. चैप्लिन के जीवन में कौन-से मूल्य अंत तक रहे?

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