विदेशी मुद्रा भंडार में थमी गिरावट, हुई 20.4 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी (File Photo)

विदेशी मुद्रा

Rates above are EOD average spot rate of previous day. In case of US Dollar to other currencies, values are quoted on basis of USD as base currency whereas in Indian Rupee to other currencies, values are quoted on basis of INR as quote currency.

आंकड़ों का स्रोत:: Mecklai Financial Services - 5 Minute delayed currency spot data, EOD currency forward and futures data, reports, deposit rates. Oanda – Currency Spot EOD data for Forex convertor, continent based currency data and historical performance. All times stamps are reflecting IST (Indian Standard Time). By using this site, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.

डॉलर की मजबूती के आगे फीके पड़े बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार, अमेरिका और जापान के मुकाबले कहां है भारत

Foreign Reserve डॉलर की मजबूती के कारण पिछले कुछ महीनों में यूरो ब्रिटिश पाउंड और येन की कीमत में तेजी के गिरावट हुई है जिससे दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ी मात्रा में गिरा है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। डॉलर के लगातार मजबूत रहने के कारण वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। भारत ही नहीं, यूरोप के बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे गिरे हैं। इसके पीछे का कारण इन देशों की ओर से अपनी मुद्रा को सहारा देने के लिए डॉलर को बड़ी संख्या में खर्च करना है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से अब तक दुनिया के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की कमी आ चुकी है और यह घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर रह गया है। ब्लूमबर्ग की ओर से 2003 से आंकड़े एकत्रित किए जाने के बाद से अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट है।

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डॉलर दो साल की ऊंचाई पर

अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड की ओर से ब्याज दर लगातार तीसरी बार 0.75 प्रतिशत बढ़ाने के एलान के बाद से डॉलर पूरी दुनिया की मुद्राओं के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर, यूरो और येन जैसी मजबूती मुद्राओं के सामने 20 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

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विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

डॉलर की मजबूती के कारण दुनिया के विभिन्न देशों के पास विदेशी मुद्रा भंडारों में मौजूद अन्य विदेशी मुद्राओं जैसे यूरो और पाउंड की कीमत में तेजी से गिरावट हुई हैं। इसके कारण दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडारों का मूल्यांकन गिरा है। वहीं, दुनिया के सभी देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का एक अन्य बड़ा कारण डॉलर के सामने अपने देश की मुद्रा के अवमूल्यन में कमी लाने के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर को बेचना है।

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उदाहरण के लिए, भारत का विदेश मुद्रा भंडार इस साल की शुरुआत से अब तक 96 बिलियन डॉलर गिरकर 538 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इसमें 67 प्रतिशत गिरावट दुनिया की अन्य मुद्राओं में कमी के कारण है, जबकि बाकी की गिरावट भारतीय रुपये में गिरावट रोकने के लिए डॉलर खर्च करने के कारण हुई है। इस साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 10 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।

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जापान अपनी मुद्रा येन को संभालने के लिए करीब 20 बिलियन डॉलर की राशि को खर्च कर चुका है। 1998 के बाद यह पहला मौका था, जब जापान ने डॉलर के मुकाबले येन की स्थिति को संभालने के लिए करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप किया था। इस साल से अब तक डॉलर के मुकाबले येन की कीमत में 19 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक के विदेशी मुद्रा भंडार में भी 19 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

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भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। यह अभी भी 2017 के स्तर से 49 प्रतिशत अधिक है, जो कि नौ महीने के आयात के लिए काफी है।

विदेशी मुद्रा भंडार 27 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा, 82 के नीचे और कितना फिसल सकता है रुपया?

Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटाकर 27 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है. लगातार नौवें सप्ताह इसमें गिरावट दर्ज की गई. रॉयटर्स सर्वे के मुताबिक, इस साल के अंत तक रुपया 83 के स्तर तक फिसल सकता है.विदेशी मुद्रा की कीमतें

Foreign Exchange Reserves: रुपए में गिरावट जारी है. शुक्रवार को यह डॉलर के मुकाबले 82.32 के नए रिकॉर्ड लो स्तर पर बंद हुआ. गिरते रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक अपने खजाने से लगातार डॉलर रिजर्व बेच रहा है. इसी का नतीजा है कि लगातार नौवें सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई. 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में फॉरन एक्सचेंज रिजर्व में 4.85 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह फिसल कर 532.66 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. इसमें फॉरन करेंसी असेट्स यानी एफसीए में 4.4 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है. विदेशी मुद्रा भंडार में फॉरन करेंसी असेट्स की बड़ी हिस्सेदारी होती है.

जुलाई 2020 के बाद न्यूनतम स्तर पर डॉलर रिजर्व

विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2020 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर आ गया है. यह 27 महीने का न्यूनतम स्तर है. इस वित्त वर्ष के शुरू होने पर देश का विदेशी मुद्रा भंडार 607 बिलियन डॉलर था, जबकि 3 सितंबर 2021 को यह 642.45 बिलियन डॉलर के ऑल टाइम हाई पर था. ऑल टाइम हाई के मुकाबले इसमें 110 बिलियन डॉलर से ज्यादा की गिरावट आई है.

एक्सचेंज रेट का डॉलर रिजर्व पर सबसे बुरा असर

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की घोषणा के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा की कीमतें भंडार में हुई कमी में विनिमय दर में हुए बदलाव का 67 फीसदी योगदान है. फेडरल रिजर्व की तरफ से इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी के कारण डॉलर मजबूत हो रहा है. दूसरी तरफ ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी की आहट से निवेशकों में डॉलर के प्रति लगाव बढ़ गया है. यही वजह है कि तमाम करेंसी के मुकाबले डॉलर में लगातार उछाल आ रहा है. बीते एक सप्ताह में इंडियन करेंसी में 1 रुपया, एक महीने में 2.5 रुपया और इस साल अब तक 8 रुपए की गिरावट आई है.

510 बिलियन डॉलर तक घट सकता है रिजर्व

डच बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि करेंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ने के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में और गिरावट आ सकती है. यह गिरावट इस साल के अंत तक जारी रह सकती है. IDFC First बैंक का तो मानना है कि चालू वित्त वर्ष में अगर करेंट अकाउंट डेफिसिट 4 फीसदी तक पहुंचता है तो विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 510 बिलियन डॉलर तक आ सकता है. हालांकि, अभी भी रिजर्व बैंक का भंडार बहुत बड़ा है. 2013 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने जब टैप टैंट्रम किया था तब यह घटकर 300 बिलियन डॉलर के नीचे आ गया था.

इस साल रुपए में 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है

रॉयटर्स सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल रुपए पर दबाव बना रहेगा और यह रिकॉर्ड लो स्तर के करीब रहेगा. दो फैक्टर बहुत अहम है. फेडरल रिजर्व इंट्रेस्ट रेट बढ़ा रहा है जिससे डॉलर मजबूत हो रहा है, साथ ही क्रूड ऑयल प्रोडक्शन कट से कीमत में उछाल आएगा और रुपए पर दबाव बढ़ेगा. रिजर्व बैंक की तरफ से डॉलर रिजर्व लगातार बेचा जा रहा है. इस समर्थन के बावजूद इस साल अब तक रुपए में 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.

इस साल के अंत तक 83 तक फिसल सकता है रुपया

रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट बढ़ाया. अब तक 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है. क्रूड इंपोर्ट बिल बढ़ रहा है. एक्सपोर्ट में कमी आ रही है. इन तमाम फैक्टर्स से रुपए पर दबाव है. सर्वे में शामिल 40 एक्सपर्ट्स में 19 का मानना है कि इस साल के अंत तक रुपया 83 के स्तर तक फिसल सकता है. इसका रेंज 82-84 के दायरे में रहेगा. डॉलर का डोमिनेंस 2022 के बाद भी जारी रहेगा.

रुपया रसातल में, अब विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, 4.50 करोड़ डॉलर की बड़ी गिरावट

अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया शुक्रवार को चार पैसे की तेजी के साथ 82.75 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। रुपये में शुरू में गिरावट आई थी लेकिन घरेलू शेयर बाजार में तेजी के साथ यह बढ़त में बंद हुआ।

रुपया रसातल में, अब विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, 4.50 करोड़ डॉलर की बड़ी गिरावट

भारतीय करेंसी रुपया में हर दिन नई गिरावट आ रही है। इस गिरावट के बीच अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पहले, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।

इसमें इस साल अगस्त के बाद से पहली बार किसी साप्ताह में वृद्धि हुई थी। बता दें कि एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

लगातार आ रही गिरावट: देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार कम हो रही है। दरअसल, तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है।

आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.828 अरब डॉलर घटकर 468.668 अरब डॉलर रह गयीं। एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है। डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है।

स्वर्ण भंडार के मूल्य में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.35 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी। जबकि 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 1.502 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 37.453 अरब डॉलर रह गया।

रुपया का हाल: बता दें कि अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया शुक्रवार को चार पैसे की तेजी के साथ 82.75 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। रुपये में शुरू में गिरावट आई थी लेकिन घरेलू शेयर बाजार में तेजी के साथ यह बढ़त में बंद हुआ।

Foreign Currency Reserve: नौ सप्ताह की गिरावट के बाद संभला विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए कितनी हुई बढ़ोतरी

पिछले एक सप्ताह को छोड़ दें तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve) लगातार नौ सप्ताह तक कमी हुई थी। इस वजह से यह दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन एक अच्छी खबर आई है। बीते 7 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें 20.4 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।

Slowdown in foreign exchange reserves, an increase of Doller 204 million (File Photo)

विदेशी मुद्रा भंडार में थमी गिरावट, हुई 20.4 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी (File Photo)

हाइलाइट्स

  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट थम गई है
  • लगातार नौ सप्ताह की गिरावट के बाद बीते सप्ताह इसमें 20.4 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी हुई है
  • बीते 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 4.854 अरब डॉलर की कमी हुई थी

फॉरेन करेंसी असेट घटे
आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में गिरावट के कारण 7 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए दरअसल समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 1.311 अरब डॉलर घटकर 471.496 अरब डॉलर रह विदेशी मुद्रा की कीमतें गया। इससे एक सप्ताह पहले भी इसमें 4.406 अरब डॉलर की कमी हुई थी। डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है।

स्वर्ण भंडार में हुई बढ़ोतरी
आरबीआई ने कहा कि सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में सोने के सुरक्षित भंडार (Gold Reserve) के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है। इस दौरान सोने के सुरक्षित भंडार का मूल्य 1.35 अरब डॉलर बढ़कर 38.955 अरब डॉलर पर आ गया।

एसडीआर में कमी
केंद्रीय बैंक के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) 15.5 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.582 अरब डॉलर रह गया है। इसके अलावा समीक्षाधीन सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि 10 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.836 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई।

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