Rupee Vs Dollar: कल रुपये में दिखी भारी गिरावट, आज भी कमजोरी के साथ 79.53 प्रति डॉलर तक नीचे आया

Rupee: अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.23 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही 79.53 के स्तर पर खिसक गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया.

By: ABP Live | Updated at : 04 Aug 2022 10:56 AM (IST)

Rupee Vs Dollar: अमेरिका-चीन के बीच तनाव और निराशाजनक व्यापक आर्थिक आकंड़ों से निवेशकों का सेंटीमेंट प्रभावित हुआ है. इसके चलते बृहस्पतिवार को रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.53 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर आ गया है जबकि इसकी शुरुआत 79.23 के भाव पर हुई थी.

कैसा रहा रुपये में ट्रेड
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.23 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही यह 79.53 के स्तर पर खिसक गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया. बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे गिरकर 79.17 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो चालू वित्त वर्ष में एक दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट थी.

डॉलर इंडेक्स की तस्वीर
दुनिया की छह प्रमुख करेंसी की तुलना में डॉलर की अंतर दिवसीय विदेशी मुद्रा व्यापार मजबूती को परखने वाला डॉलर इंडेक्स 0.08 फीसदी गिरकर 106.41 पर आ गया है. ग्लोबल ऑयल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.24 फीसदी चढ़कर 97.01 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.

क्या कहते हैं जानकार
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के मुताबिक ऊंचे व्यापार घाटे का आंकड़ा और डॉलर की भारी मांग के बीच रुपया कमजोर रहेगा क्योंकि व्यापारियों में अमेरिका-चीन तनाव से जुड़े जोखिमों के कारण डॉलर की मांग बढ़ गई है.

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बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि भारत के निराशाजनक वृहत आर्थिक आंकड़ों के सामने आने से रुपये पर दबाव बढ़ चुका है. जुलाई में भारत का सर्विस पीएमआई घटकर 55.5 रह गया, जो जून में 59.2 था, जबकि इसी अवधि के दौरान पीएमआई 58.2 से घटकर 56.6 रह गया है, जबकि भारत का व्यापार घाटा जून के 26.18 अरब डॉलर की तुलना में जुलाई में बढ़कर 31.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. इन सब कारणों से रुपये के कारोबार पर निगेटिव असर देखा जा रहा है और ये बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. इसके आगे भी निगेटिव जोन में ही रहने के संभावना बनी हुई है.

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Published at : 04 Aug 2022 10:56 AM (IST) Tags: China USA Rupee currency dollar Dollar index हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

विदेशी मुद्रा धुरी अंक और समर्थन और प्रतिरोध के विदेशी मुद्रा स्तरों में क्या अंतर है? | इन्वेस्टोपेडिया

धुरी प्वाइंट ट्रेडिंग संकेतक - समर्थन और की पहचान करें, प्रतिरोध स्तर (दिसंबर 2022)

विदेशी मुद्रा धुरी अंक और समर्थन और प्रतिरोध के विदेशी मुद्रा स्तरों में क्या अंतर है? | इन्वेस्टोपेडिया

विदेशी मुद्रा ध्रुवता बिंदु अंतर दिवसीय विदेशी मुद्रा व्यापार और समर्थन और प्रतिरोध के विदेशी मुद्रा स्तर दोनों तकनीकी विश्लेषण में उपयोग किए जाने वाले उपकरण हैं जो व्यापारियों को महत्वपूर्ण जानकारी और जगह लेनदेन को पहचानने में मदद करते हैं। मूल्य आंदोलनों की पुष्टि करने में विशेष रूप से रेंज-बाउंड मार्केट में, इसका उपयोग एक दूसरे के साथ किया जा सकता है। हालांकि, धुरी अंक और समर्थन और प्रतिरोध स्तर मौलिक रूप से अलग चीजों का पता चलता है।

बाजार में व्यापार की दिशा में पिवोट अंक बदलाव हैं, जब उत्तराधिकार में वर्गीकृत किया जाता है, तो इसका उपयोग समग्र मूल्य रुझानों की पहचान करने के लिए किया जा सकता है। निकट भविष्य में समर्थन या प्रतिरोध के स्तर का आकलन करने के लिए वे पूर्वकाल की उच्च, निम्न और समापन संख्या का उपयोग करते हैं। तकनीकी विश्लेषण में धुरी अंक सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख संकेतक हो सकते हैं। कई विभिन्न प्रकार के धुरी बिंदु हैं, प्रत्येक अपने स्वयं के सूत्रों और व्युत्पन्न फ़ार्मुलों के साथ, लेकिन उनके निहित व्यापारिक दर्शन एक समान हैं।

जबकि विशिष्ट बिंदुओं के आधार पर धुरी अंक की पहचान की जाती है, जिससे महत्वपूर्ण प्रतिरोध और प्रतिरोध स्तरों को स्थानांतरित करने में सहायता मिलती है, समर्थन और प्रतिरोध स्तर खुद को अधिक व्यक्तिपरक प्लेसमेंट पर भरोसा करते हैं ताकि संभव ब्रेकआउट ट्रेडिंग के अवसरों को स्थानांतरित करने में सहायता मिल सके।

समर्थन और प्रतिरोध लाइन एक सैद्धांतिक निर्माण होती है जिसका उपयोग व्यापारियों के लिए अनिवार्यता को समझने के लिए किया जाता है ताकि कुछ बिंदुओं से परे परिसंपत्ति की कीमत बढ़ जाए। अगर बैल ट्रेडिंग को रोकने और वापस लेने / पीछे करने से पहले एक सुसंगत स्तर तक बढ़ना प्रतीत अंतर दिवसीय विदेशी मुद्रा व्यापार होता है, तो कहा जाता है कि प्रतिरोध को मिला है अगर भालू व्यापार फिर से फिर से व्यापार करने से पहले एक निश्चित मूल्य बिंदु पर एक फर्श मारा लगता है, यह समर्थन मिले हैं कहा जाता है

व्यापारी नए स्तरों को विकसित करने और त्वरित मुनाफे के मौके के रूप में पहचान के समर्थन / प्रतिरोध स्तरों के माध्यम से कीमतों को तोड़ने की तलाश में हैं। व्यापार रणनीतियों की एक बड़ी संख्या समर्थन / प्रतिरोध लाइनों पर भरोसा करती है

विदेशी मुद्रा व्यापार में धुरी बिंदुओं का उपयोग करना

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अधिक लाभ के लिए पारंपरिक तकनीकी उपकरणों के साथ इस शक्तिशाली उपकरण को गठबंधन करना सीखें।

मैं 50-दिवसीय, 100-दिवसीय और 200-दिवसीय चलती औसतों के बारे में सुनना करता हूं। उनका क्या मतलब है, वे एक दूसरे से कैसे भिन्न होते हैं, और उन्हें समर्थन या प्रतिरोध के रूप में कैसे कार्य करता है?

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क्या आप 50-दिन, 100-दिवसीय या 200-दिवसीय मूविंग एवरेस का उपयोग कर रहे हैं, गणना की विधि और जिस तरीके से चलती औसत व्याख्या की गई है वह वही रहता है। एक चलती औसत केवल एक निश्चित अंक डेटा बिंदु का अंकगणितीय मतलब है।

मैं विदेशी मुद्रा धुरी अंक की गणना कैसे करूं?

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मौजूदा या आगामी सत्र में समर्थन और प्रतिरोध स्तरों की भविष्यवाणी करने के लिए व्यापारियों द्वारा धुरी अंक का उपयोग किया जाता है ये समर्थन और प्रतिरोध स्तर व्यापारियों द्वारा प्रवेश और निकास बिंदुओं को निर्धारित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है - स्टॉप लॉज़ और लाभ लेने के लिए दोनों।

रुपया फिर रसातल की ओर, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.51 पर आया

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.21 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही यह 79.51 के स्तर पर खिसक गया। इस तरह पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया।

रुपया फिर रसातल की ओर, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.51 पर आया

अमेरिका और चीन के बीच तनाव तथा निराशाजनक व्यापक आर्थिक आकंड़ों से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई और इसके चलते गरुवार को रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.51 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर आ गया।

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.21 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही यह 79.51 के स्तर पर खिसक गया। इस तरह पिछले कारोबारी अंतर दिवसीय विदेशी मुद्रा व्यापार दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया।

बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में शोध विश्लेषक, अनुज चौधरी ने कहा, भारत के निराशाजनक वृहत आर्थिक आंकड़ों के सामने आने से रुपये पर दबाव बढ़ गया। जुलाई में भारत का सेवा पीएमआई घटकर 55.5 रह गया, जो जून में 59.2 था, जबकि इसी अवधि के दौरान समग्र पीएमआई 58.2 से घटकर 56.6 रह गया। उन्होंने कहा, भारत का व्यापार घाटा जून के 26.18 अरब डॉलर की तुलना में जुलाई में बढ़कर 31.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

बुधवार को, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 62 पैसे गिरकर 79.15 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो चालू वित्त वर्ष में एक दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट थी। दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर सूचकांक 0.08 प्रतिशत गिरकर 106.41 पर आ गया।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.24 प्रतिशत चढ़कर 97.01 डॉलर प्रति बैरल पर था।

Rupee Vs Dollar : रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 पर पहुंचा

Rupee Vs Dollar : रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 पर पहुंचा

सकारात्मक आर्थिक आंकड़ों और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने के बीच रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शुरुआती कारोबार में 14 पैसे मजबूत होकर 81.14 के भाव पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी की आवक बनी रहने से भी भारतीय मुद्रा को समर्थन मिल रहा है। सोमवार को आए आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति और थोक मुद्रास्फीति दोनों में ही गिरावट आई है।

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया। इस तरह पिछले बंद भाव के मुकाबले रुपये में 14 पैसे की मजबूती दर्ज की गई। पिछले कारोबारी दिवस पर रुपया 50 पैसे की भारी गिरावट के साथ 81.28 के भाव पर बंद हुआ था।

इस बीच अमेरिकी डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर सूचकांक 0.30 प्रतिशत बढ़कर 106.97 पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.13 प्रतिशत नुकसान के साथ 93.02 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में निवेश का सिलसिला जारी रखा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने सोमवार को 1,089.41 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की थी।

दिवालिया होने से बचने के लिए श्रीलंका ने सोना बेचना किया शुरू, दिया भारत का उदाहरण

श्रीलंका अपने रिजर्व सोने का भंडार बेचकर देश को दिवालिया होने से बचा रहा है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है जिससे आयात पर बुरा असर हुआ है. ऐसे में श्रीलंका सोना बेचकर विदेशी मुद्रा का इंतजाम कर रहा है. श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री ने भारत का उदाहरण देते हुए कहा है कि भारत ने भी सोना गिरवी रखा था.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2022,
  • (अपडेटेड 19 जनवरी 2022, 3:17 PM IST)
  • दिवालिया होने से बचने के लिए सोना बेच रहा श्रीलंका
  • विदेशी भंडार हो चुका है खाली
  • दिया भारत का उदाहरण

श्रीलंका खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए सोना बेचने की स्थिति में पहुंच चुका है. श्रीलंका सोना बेचकर अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है. श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसने खत्म होते विदेशी मुद्रा के भंडार को देखते हुए अपने गोल्ड रिजर्व का एक हिस्सा बेच दिया है. श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने ने हाल ही में एक ट्वीट भी किया था जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व कम हो गया है.

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि सेंट्रल बैंक का गोल्ड रिजर्व 38.2 करोड़ डॉलर से घटकर 17.5 करोड़ डॉलर का हो गया है.

श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर निवार्ड कैब्राल ने कहा है कि श्रीलंका ने अपने सोने के भंडार के एक हिस्से को लिक्विड फॉरेन एसेट्स (नकदी) को बढ़ाने के लिए बेचा है.

चीन से करेंसी स्वैप (डॉलर के बजाय एक-दूसरे की मुद्रा में व्यापार करना) के बाद साल के अंत में ही श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया था.

इकोनॉमी नेक्ट्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमान है कि श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पास 2021 की शुरुआत में 6.69 टन सोने का भंडार था जिसमें से लगभग 3.6 टन सोना बेचा गया है, जिससे उसके पास लगभग 3.0 से 3.1 टन सोना ही रह गया है.

2020 में भी केंद्रीय बैंक ने सोना बेचा था. साल की शुरुआत में श्रीलंका के पास 19.6 टन सोने का भंडार था जिसमें से 12.3 टन सोना बेच दिया गया. श्रीलंका ने साल 2015, 2018 और 2019 में भी सोना बेचा था.

गवर्नर कैब्राल ने कहा कि सोने की बिक्री विदेशी मुद्रा के भंडार को बढ़ावा देने के लिए की गई. उन्होंने कहा, 'जब विदेशी भंडार कम होता है तो हम सोने की होल्डिंग को कम करते हैं. जब विदेशी भंडार बढ़ रहा था तो हमने सोना खरीदा. एक बार जब रिजर्व स्तर 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बढ़ जाएगा तो केंद्रीय बैंक अंतर दिवसीय विदेशी मुद्रा व्यापार सोने की होल्डिंग बढ़ाने पर विचार करेगा.'

कम होते सोने के भंडार पर क्या बोले श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री

डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने ने सोना बेचे जाने को लेकर श्रीलंका के अखबार डेली मिरर से बातचीत की है. उन्होंने श्रीलंका की स्थिति की तुलना 1991 के भारत से की है जब भारत ने खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए सोना गिरवी रखा था.

उन्होंने कहा, 'सोना एक रिजर्व है जिसे किसी देश को डिफ़ॉल्ट के कगार पर होने पर अंतिम उपाय के रूप में उपयोग करना होता है. इसलिए जब कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध न हो तो सोने की बिक्री संयम से की जानी चाहिए. भारत ने भी 1991 में अपना सोना गिरवी रखा था.'

उन्होंने आगे कहा, 'भारत की सरकार ने इसे देश से छुपाया लेकिन कहानी बाहर आई और सरकार की छवि खराब हुई लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बाद में लोकसभा में स्वीकार किया कि देश के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था. तो श्रीलंका द्वारा आज सोने की बिक्री का मतलब है कि देश की स्थिति 1991 के भारत जैसी ही है.'

भारत ने दो बार गिरवी रखा था सोना

साल 1991 में उदारीकरण से पहले भारत की अर्थव्यवस्था इतनी खराब हालत में थी कि दो बार सोना गिरवी रखना पड़ा था. पहली बार सोना गिरवी रखने की नौबत तब आई जब यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री. उस दौरान अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत की रेटिंग गिरा दी थी. भारत के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दिवालिया हो जाने का खतरा मंडराने लगा था. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो गया था.

ऐसे मुश्किल समय में अंतिम विकल्प के रूप में अंतर दिवसीय विदेशी मुद्रा व्यापार सोना गिरवी रखने का फैसला किया गया. 20 हजार किलो सोने को चुपके से मई 1991 में स्विट्जरलैंड के यूबीएस बैंक में गिरवी रखा गया. इनके बदले में सरकार को 20 करोड़ डॉलर मिले थे.

सोना गिरवी रखने के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था को कोई खास लाभ नहीं हुआ. सरकार के पास विदेशी आयात के भुगतान के लिए पैसे नहीं थे. विदेशी मुद्रा का भंडार लगभग खाली हो चुका था. 21 जून 1991 को पीवी नरसिम्हा राव की सरकार आई. इस सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह को बनाया गया. नई सरकार के पास दिवालिया हो रहे देश को बचाने की चुनौती थी. ऐसे में एक बार फिर सोना गिरवी रखा गया जिसकी खबर देश को नहीं दी गई.

40 करोड़ डॉलर के बदले में 47 टन सोना गिरवी रखा गया. इस खबर को इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार शंकर अय्यर ने ब्रेक कर दिया जिसके बाद देश को सोना गिरवी रखे जाने की बात पता चली. हालांकि, बाद में जब आर्थिक स्थिति सुधरी तो उसी साल सोना वापस खरीद लिया गया.

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