आयुष्मान भारत "निरामयम"
योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में कोरोना, कैंसर, गुर्दा रोग, हृदय रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया डायलिसिस, घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण, नि:संतानता, मोतियाबिंद और अन्य चिह्नित गंभीर बीमारियों का नि:शुल्क उपचार इस योजना मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं के तहत किया जाता है। मुख्यमंत्री कोविड-19 उपचार योजना के तहत भी पात्र लाभार्थियों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है।
कैसे और कहां बनवाएं आयुष्मान कार्ड एवं नि:शुल्क उपचार का लाभ कैसे प्राप्त करें?
कहां है टैक्स का पैसा: केजरीवाल ने पूछा- मुफ्त की योजना का केंद्र क्यों कर रहा विरोध, ठगा महसूस कर रहे लोग
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र की इस बात पर एक शक पैदा हो रहा है, कहीं केंद्र सरकार की हालत खराब तो नहीं है। पिछले सत्तर सालों से जनता को कई सुविधाएं फ्री में दी जा रही हैं।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सीएम ने कहा कि देश का पैसा देश की जनता के लिए है। यह पैसा नेताओं के दोस्तों के लोन माफ करने के मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं लिए नहीं है। सीएम ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जनता को मुफ्त में मिलने वाली सुविधाओं का विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर सरकारें फ्री में सुविधाएं देंगी तो कंगाल हो जाएंगी। इससे देश को नुकसान होगा। सीएम ने कहा कि केंद्र की इस बात पर एक शक पैदा हो रहा है, कहीं केंद्र सरकार की हालत खराब तो नहीं है। पिछले सत्तर सालों से जनता को कई सुविधाएं फ्री में दी जा रही हैं।
सीएम ने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार अग्निपथ योजना लाई। इसके पीछे तर्क दिया कि पेंशन का बोझ खत्म होगा। आखिर ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सरकार सैनिकों की पेंशन देने में असमर्थ है। उधर, आठवें वेतन आयोग को लेकर सरकार ने कहा इसे हम नहीं लाएंगे। इसके पीछे तर्क दिया कि पैसा नहीं। ऐसा क्या हुआ कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने में असमर्थ है।
सीएम अरविंद ने कहा कि मनरेगा को लेकर भी केंद्र सरकार का ऐसा ही हाल है। देश के सबसे गरीब, किसान और मजदूर जो साल में सौ दिन दिहाड़ी करते थे, उसमें भी सरकार ने कटौती कर दी है। केंद्र सरकार जितना भी टैक्स एकत्र करती है, उसमें से मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं एक हिस्सा राज्य सरकारों को देती है। अब इसमें भी कटौती कर दी गई है। आखिर केंद्र सरकार का पैसा कहां गया। मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं आजादी के आज हम 75 साल मना रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार खाने वाली चीजों पर भी सरकार ने टैक्स मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं लगा दिया, ऐसा क्रूर कदम किसी भी सरकार ने नहीं उठाया।
सीएम ने कहा कि ऐसी क्या वजह है कि गरीब के खाने पर मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं भी टैक्स लगाना पड़ गया। अब जनता को मिलने वाली सभी फ्री सुविधाएं बंद करने के लिए कह रहे हैं। अगर, सरकारी स्कूलों में बच्चों को फीस देनी पड़ गई तो बच्चों को कोई नहीं पढ़ा पाएगा। आधे से ज्यादा बच्चे अनपढ़ रह जाएंगे। कई राज्य सरकारों ने सरकारी स्कूलों ने फीस लेनी शुरू भी कर दी है।
तो आज ये दिन न देखना पड़ता
सीएम ने कहा कि इतना ही नहीं केंद्र की सरकारी अस्पतालों में भी फीस लेने की तैयारी है। जिसके पास पैसे नहीं हैं उनका क्या होगा। ऐसे तो लोग मर जाएंगे। आजादी के बाद से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार ने अपने साथियों के 10 लाख करोड़ के कर्जे माफ किए हैं। अगर ये कर्जे माफ नहीं किए जाते तो आज ये दिन न देखना पड़ता।
विस्तार
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सीएम ने कहा कि देश का पैसा देश मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं की जनता के लिए है। यह पैसा नेताओं के दोस्तों के लोन माफ करने के लिए नहीं है। सीएम ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जनता को मुफ्त में मिलने वाली सुविधाओं का विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर सरकारें फ्री में सुविधाएं देंगी तो कंगाल हो जाएंगी। इससे देश को नुकसान होगा। सीएम ने कहा कि केंद्र की इस बात पर एक शक पैदा हो रहा है, कहीं केंद्र सरकार की हालत खराब तो नहीं है। पिछले सत्तर सालों से जनता को मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं कई सुविधाएं फ्री में दी जा रही हैं।
सीएम ने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार अग्निपथ योजना लाई। इसके पीछे तर्क दिया कि पेंशन का बोझ खत्म होगा। आखिर ऐसा क्या हो गया कि केंद्र सरकार सैनिकों की पेंशन देने में असमर्थ है। उधर, आठवें वेतन आयोग को लेकर सरकार ने कहा इसे हम नहीं लाएंगे। इसके पीछे तर्क दिया कि पैसा नहीं। ऐसा क्या हुआ कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने में असमर्थ है।
सीएम अरविंद ने कहा कि मनरेगा को लेकर भी केंद्र सरकार का ऐसा ही हाल है। देश के सबसे गरीब, किसान और मजदूर जो साल में सौ दिन दिहाड़ी करते थे, उसमें भी सरकार ने कटौती कर दी है। केंद्र सरकार जितना भी टैक्स एकत्र करती है, उसमें से एक हिस्सा राज्य सरकारों को देती है। अब इसमें भी कटौती कर दी गई है। आखिर केंद्र सरकार का पैसा कहां गया। आजादी के आज हम 75 साल मना रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार खाने वाली चीजों पर भी सरकार ने टैक्स लगा दिया, ऐसा क्रूर कदम किसी भी सरकार ने नहीं उठाया।
सीएम ने कहा कि ऐसी क्या वजह है कि गरीब के खाने पर भी टैक्स लगाना पड़ गया। अब जनता को मिलने वाली सभी फ्री सुविधाएं बंद करने के लिए कह रहे हैं। अगर, सरकारी स्कूलों में बच्चों को फीस देनी पड़ गई तो बच्चों को कोई नहीं पढ़ा पाएगा। आधे से ज्यादा बच्चे अनपढ़ रह जाएंगे। कई राज्य सरकारों ने सरकारी स्कूलों ने फीस लेनी शुरू भी कर दी है।
तो आज ये दिन न देखना पड़ता
सीएम ने कहा कि इतना ही नहीं केंद्र की सरकारी अस्पतालों में भी फीस लेने की तैयारी है। जिसके पास पैसे नहीं हैं उनका क्या होगा। ऐसे तो लोग मर जाएंगे। आजादी के बाद से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया। सरकार ने अपने साथियों के 10 लाख करोड़ के कर्जे माफ किए हैं। अगर ये कर्जे माफ नहीं किए जाते तो आज ये दिन न देखना पड़ता।
WhatsApp Free Calling अब नहीं रहेगी फ्री, इसके लिए देने होंगे पैसे; सरकार उठा सकती है बड़ा कदम
Telecom Operators ऐसे कानून की मांग कर रहे हैं जहां इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर जैसे ही अधिकारों का पालन उनके द्वारा भी किया जाए. अगर ऐसा हुआ तो सोशल मीडिया ऐप भी कॉलिंग चार्जेस मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं लागू कर सकते हैं.
By: ABP Live | Updated at : 12 Sep 2022 05:57 PM (IST)
Social Media Calling to be Chargeable : व्हाट्सएप (Whatsapp) के साथ- साथ अन्य सभी सोशल मीडिया ऐप जैसे कि फेसबुक, इंस्टाग्राम से आप फ्री विडियो कॉलिंग या फ्री वॉइस कॉलिंग का लाभ उठाते हैं, मगर अब आपके लिए एक बुरी खबर है. अब ये ऐप्स फ्री कॉलिंग की सुविधा अपने यूजर्स को नहीं दे पाएंगे. अगर ट्राई (TRAI) का प्रस्ताव लागू हुआ तो आपको कॉल करने के लिए चार्ज देना पड़ सकता है.
दूरसंचार विभाग का प्रस्ताव
The Economic Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार विभाग द्वारा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को इंटरनेट बेस्ड कॉल को विनियमित करने के प्रस्ताव पर अपने विचार देने के लिए कहा गया था. TRAI ने साल 2008 में इस प्रस्ताव को लौटा दिया था. दरअसल, उस समय भारत में इंटरनेट का विकास होना शुरू ही हुआ था. अब डिजिटल की बढ़ती दुनिया को देखते हुए दूरसंचार विभाग ने फिर से अपने इस प्रस्ताव को आगे करते हुए TRAI से इस पर विचार करने को कहा है. दूरसंचार विभाग की ओर से कंप्लीट इंडस्ट्री के लिए Same Service, Same Rules के सिद्धांत पर काम करने का विचार पेश किया गया है.
इंटरनेट पर मुफ्त कॉलिंग की सुविधा क्या समाप्त होगी
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ट्राई ने 2008 में कहा था कि Internet Service Providers को General Telephone Network पर इंटरनेट कॉल करने की परमिशन दी जा सकती है मगर उनको इंटर कनेक्शन चार्ज पे करना होगा. इसी के साथ वैध अवरोधन उपकरण की स्थापना जरूरी होगी और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों का अनुपालन किया जाना होगा. उसके बाद फिर से 2016-17 में इस बात पर प्रतिक्रिया दी गई थी. खबरों के मुताबिक दूरसंचार विभाग फिर से इन बातों पर विचार कर रहा है.
काफी समय से टेलीकॉम ऑपरेटर (Telecom Operator) सभी इंटरनेट बेस्ड कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाओं के लिए वैसा की कानून लागू करवाना चाहते हैं, जैसा कि दूरसंचार ऑपरेटरों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (Inernet Service Provider) के लिए है.
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Published at : 12 Sep 2022 05:57 PM (IST) Tags: Tech news WhatsApp हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
कटे-फटे नोटों से हैं परेशान, मुफ्त में बदलने और पूरा पैसा वापस पाने के लिए यहां चेक करें डिटेल
कटे-फटे नोटों को बदलने के लिए रिजर्व बैंक ने दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं.
कटे-फटे नोट किसी भी बैंक के किसी भी ब्रांच में आसानी से बदले जा सकते हैं. अगर कोई बैंक इन नोटों को बदलने से मना करते है . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : April 19, 2022, 12:26 IST
नई दिल्ली. कई बार बाजार में कोई दुकानदार आपको कटे-फटे नोट पकड़ा देता है. उस समय आपकी नजर उस पर नहीं जाती है. बाद में जब आप उसे देखते हैं तो ये सोच कर परेशान हो जाते हैं कि अब ये बाजार में चलेंगे कैसे. इसे किसे दूं या इसे बदलूं कहा. इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है.
कटे-फटे नोट किसी भी बैंक के किसी भी ब्रांच में आसानी से बदले जा सकते हैं. अगर कोई बैंक इन नोटों को बदलने से मना करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि नोट की हालत जितनी बुरी होगी उसकी कीमत उतनी कम होती जाएगी. रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे नोटों को बदलने के लिए दिशा-निर्देश दे रखे हैं. इन्हें जानना सभी के लिए बेहद जरूरी है.
ये हैं आरबीआई के नियम
अगर आपके पास कम कीमत वाले नोट जैसे 5,10,20 या 50 रुपये के फटे नोट हैं तो ऐसे नोटों का कम से कम आधा हिस्सा हिस्सा होना जरूरी है. ऐसे में आपको इसके पूरे पैसे मिलेंगे, नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा. यानी अगर 10 रुपये का फटा नोट है और उसका 50 फीसदी हिस्सा सुरक्षित है तो बदले में 10 रुपये के दूसरे अच्छे नोट मिलेंगे. अगर फटे हुए नोटों की संख्या 20 से अधिक है और उनकी कीमत 5,000 रुपये से ज्यादा है तो इसके लिए फीस चुकानी होगी. नोट बदलने का सीधा नियम ये है कि अगर उसमें सुरक्षा चिन्ह जैसे गांधीजी का वाटरमार्क, आरबीआई गवर्नर के दस्तखत और सीरियल नंबर दिख रहा है तो ऐसे कटे-फटे नोट बदलने से बैंक मना नहीं कर सकते हैं.
कई टुकड़ों वाले नोट भी बदल सकते हैं
अगर नोट कई टुकड़ों में बंट चुका है तो उन्हें भी बदलवाने का नियम है. लेकिन इसमें समय ज्यादा लगता है. इसके लिए रिजर्व बैंक की ब्रांच में पोस्ट के जरिये ये नोट भेजना होता है. रिजर्व बैंक को अपना बैंक अकाउंट नंबर, ब्रांच का नाम, IFSC कोड, नोट की वैल्यू की जानकारी भी देनी पड़ती है.
रिजर्व बैंक इन कटे-फटे नोटों को बैंकिंग सिस्टम से हटा देता है और इसकी जगह नए नोट छापता है. पहले इन नोटों को रिजर्व बैंक जला देता था. अब इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में रिसाइकल किया जाता है और उससे कागजी चीजें बनाई जाती हैं जिन्हें बाजार में बेचा जाता है.
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फ्री राशन के गेहूं, चावल और दाल के लिए दुकानों के नहीं लगाने होंगे चक्कर, ATM से अब रुपये नहीं निकलेगा अनाज
जिस तरह बैंकों के एटीएम से आप अपनी जरूरत के वक्त पैसा निकालते हैं, ठीक उसी तरह से अब आप उत्तराखंड में अनाज भी ले सकेंगे। राशन कार्ड धारकों को यह मुफ्त और मुफ्त में पैसा कहां से लाएं सुविधा मिलेगी। फ्री राशन का गेहूं चावल-दाल मिलेगी।
जिस तरह बैंकों के एटीएम से आप अपनी जरूरत के वक्त पैसा निकालते हैं, ठीक उसी तरह से अब आप उत्तराखंड में अनाज भी ले सकेंगे। विश्व खाद्य कार्यक्रम के खास योजना के तहत उत्तराखंड में फूड ग्रेन एटीएम शुरू होने जा रहा है। राज्य का पहला अनाज एटीएम देहरादून में धर्मपुर क्षेत्र में लगाया जाएगा।
खाद्य सचिव सचिन कुर्वे ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत इस संबंध में मंजूरी मिल चुकी है। वर्तमान में फूड ग्रेन एटीएम की योजना उड़ीसा और हरियाणा में चल रही है। उत्तराखंड देश का तीसरा राज्य होगा जहां यह व्यवस्था लागू होगी।
यूं काम करेगी मशीन : यह सिस्टम एटीएम मशीन की तरह होगा। इस पर भी एटीएम मशीन की तरह स्क्रीन होगी। यह मशीन बड़े आकार के भंडार ड्रमों से जुड़ी रहेगी। राशन कार्ड धारक यहां आकर एक तय स्थान पर अपना अंगूठा लगाएगा। अंगूठा स्कैन होते ही स्क्रीन पर कार्ड धारक का पूरा विवरण आ जाएगा। इसके बाद मशीन में अनाज का मूल्य नकद रूप में डाल कर या फिर आनलाइन जमा कराना होगा। फिर मशीन में बने एक छेद पर अपना झोला लगाना होगा। एक तय समय में मशीन कार्ड धारक को उसके लिए तय अनाज दे देगी।
इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जा रहा है। जून अंत तक इसे शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद प्रथम चरण में राज्य के मैदानी जिलों में इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।
सचिन कुर्वे, खाद्य सचिव
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