ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनाने में कंपनियों को नहीं है रुचि! दो बार के टेंडर में एक भी कंपनी ने नहीं लिया भाग

ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनाने में कंपनियों को नहीं है रुचि! दो बार के टेंडर में एक भी कंपनी ने नहीं लिया भाग

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। छत्तीसगढ़ में परिवहन विभाग के द्वारा बनाए जा रहे आटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक निर्माण में निजी कंपनियां रुचि नहीं दिखा रही हैं। परिवहन विभाग ने दो बार टेंडर निकाला है पर किसी कंपनी ने इसमें भाग नहीं लिया। चूंकि इसे पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल पर बनाना है। यानी कंपनी को पहले पैसा लगाना होगा। खर्च भी लगभग 100 करोड़ का है। इस बड़ी राशि को खर्च करने में कंपनियां सामने नहीं आ रही है। थक-हारकर विभाग को तीसरी बार फिर से टेंडर निकालना पड़ा है।

जो नियम हैं उसके अनुसार, टैंक बनने के बाद कंपनी आवेदकों से अगले 15 वर्षो तक फीस वसूल सकती है। तीसरी बार निकाले गए टेंडर की अंतिम तिथि 17 जून तक है। इसे प्रदेश के सभी 28 परिवहन कार्यालयों में बनाया जाना है। छत्तीसगढ़ में लाइसेंस बनवाने के लिए मैन्युअल टेस्ट देकर लाइसेंस बनवाने वाले अभ्यर्थियों को ट्रैक पर गाड़ी चलानी होगी। टैक पर लगा सेंसर प्रदर्शन के आधार पर वाहन चालक को पास अथवा फेल कर देगा। इससे भविष्य में केवल ट्रेंड चालक ही सड़क जिग जैग इंडिकेटर का उपयोग पर वाहन चला सकेंगे। जिससे सड़क हादसे भी कम होंगे।

जानिए कैसा बनाना है ट्रैक

परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो ट्रैक आठ आकार का बनना है। ट्रैक में कई जगहों पर सेंसर रहेंगे। आवेदक द्वारा गाड़ी ट्रैक पर लाते ही जिग जैग इंडिकेटर का उपयोग सेंसर काम करना शुरू कर देगा। ट्रैक पर चालक ने गाड़ी को दाएं ओर मोड़ते समय यदि वाहन के दाएं ओर का इंडिकेटर नहीं जलाया तो सेंसर उसे फेल कर देगा। ट्रैक पर नियम के अनुसार ही गाड़ी चलाने वाले ही पास होंगे। यदि ऐसी स्थिति में आवेदक टेस्ट में फेल हो जाता हैं तो अगले दो सप्ताह में उसे दोबारा टेस्ट देना होगा। विभाग द्वारा ट्रैक पर जिग जैग, स्ट्रेट, ऊंचाई, पहाड़ी, ढलान और ब्रिज बनाया जाना है, जहां पर गाड़ी सीधी, बैक चलाकर, पार्क करके दिखानी होगी। इस पूरी प्रक्रिया को वाच कर रहे टीएसआइ आवेदक की ड्राइविंग देखकर ओके कर देते हैं। इसके बाद स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है।

इलियट वेव थ्योरी (Elliott Wave Theory) क्या है?

दोस्तों ऐसा माना जाता है कि मार्केट की चाल इलियट वेव थ्योरी (Elliott Wave Theory) के हिसाब से चलता है यानी मार्केट का ऊपर या नीचे जाने को इस थ्योरी के द्वारा आसानी से प्रेडिक्ट किया जा सकता है। हालांकि इलियट वेव एक इंडिकेटर के रूप में वर्गीकृत नहीं है, लेकिन ये टेक्निकल एनालिसिस में काफी लोकप्रिय है। इसके सिद्धांत पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं, यहाँ इस लेख का उद्देश्य थ्योरी की मूल बातें शामिल करना है। तो चलिए इस लेख में इलियट वेव थ्योरी के बारे में जानते हैं।

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इलियट वेव थ्योरी स्टॉक मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस का एक टूल है। यह स्टॉक्स, फ्यूचर एंड ऑप्शन, करेंसी, कमोडिटी, क्रिप्टो आदि सभी प्रकार के टेक्निकल चार्ट में काम करता है। साथ ही यह हर प्रकार के टाइम फ्रेम (जैसे - 1m, 5m, 15m, 1h, 1d, 1w etc.) में काम करते है। इलियट वेव थ्योरी का नाम राल्फ नेल्सन इलियट (Ralph Nelson Elliott) के नाम पर रखा गया है। वह एक अमेरिकी अकाउंटेंट और लेखक थे। डॉव थ्योरी से प्रेरित और पूरे प्रकृति के अवलोकन से इलियट ने निष्कर्ष निकाला कि स्टॉक मार्केट की मूवमेंट की भविष्यवाणी वेव्स (Waves) के दोहराव वाले पैटर्न को देखकर पहचान किया जा सकता है।

इलियट वेव थ्योरी डॉव थ्योरी पर आधारित है। डॉव थ्योरी के अनुसार मार्केट में तीन तरह के मूवमेंट होता है- पहला अपट्रेंड, दूसरा डाउनट्रेंड और तीसरा साइडवेज। इलियट ने इन्ही ट्रेंडो को एक पूर्ण चक्र के रूप में लेबल किया है और ये चक्र समय के साथ दोहराते रहते है। इलियट का मानना था कि अधिकतर ट्रेडर्स और इन्वेस्टर की साइकोलॉजी एक ही समय में लगभग एक समान व्यवहार करते है और यह व्यवहार एक विशिष्ट पैटर्न में दिखाई देता है। जैसे कोई इन्वेस्टर या ट्रेडर्स आशावादी और लालच में हो तो मार्केट तेजी (बुलिस) में दिखाई देता है और यदि वही इन्वेस्टर या ट्रेडर्स निराशावादी और डरे हुए हो तो मार्केट मंदी (बेयरिस) में दिखाई देता है। इसी वजह से मार्केट में कभी तेजी से खरीदारी होती है या कभी तेजी से बिकवाली होती है। इस प्रकार किसी ट्रेडर्स और इन्वेस्टर के बदलते साइकोलॉजी को एक पैटर्न के रूप में पहचान किया जा सकता है और यह पैटर्न अक्सर दोहराये जाते है।

ट्रैफिक सेंस की कमी मुसीबत बनी, रेड सिग्नल में भी निकालते हैं वाहन, पुलिस कार्रवाई का भी नहीं रहता डर

ट्रैफिक सेंस की कमी मुसीबत बनी, रेड सिग्नल में भी निकालते हैं वाहन, पुलिस कार्रवाई का भी नहीं रहता डर

सिग्नल, ट्रैफिक पुलिस कर्मी, डिवाइडर. फिर भी सड़क पर जाम. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शनिवार को शहर में कई स्पॉट का जायजा लिया. इस दौरान कई स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल दुरुस्त थे, पुलिसकर्मी भी तैनात थे, लेकिन फिर भी वाहन जाम में फंसे थे. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह वाहन चालकों में ट्रैफिक सेंस की कमी.

आगरा(ब्यूरो)। कारगिल चौराहे पर शाम सात बजे करीब ट्रैफिक सिग्नल प्रॉपर वर्क कर रहे थे। ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी तैनात थे। लेकिन ग्रीन सिग्नल होने से पहले ही वाहन निकल पड़ते। इसी तरह रेड सिग्नल होने के बाद भी वाहनों का गुजरना जारी रहता। इसके चलते हादसे होने के साथ जाम की स्थिति भी बनी रहती है।

इन चौराहों पर भी ऐसी रहती है स्थिति
बोदला, साईं का तकिया, नामनेर, कलक्ट्रेट चौराहा, धौलपुर हाउस चौराहा आदि।

ट्रैफिक सिग्नल को भी समझें
रेड लाइट यानी लाल बत्ती: लाल बत्ती काफी दूर से दिखाई दे जाती है और इसका इस्तेमाल गाड़ी रोकने के लिए किया जाता है। रेड सिग्नल का यह भी मतलब होता है कि आगे आपको खतरा है।

येलो सिग्नल: इसका मतलब यह होता है कि आप वाहन के इंजन को स्टार्ट करके धीरे धीरे आगे बढ़ सकते हैं।

ग्रीन सिग्नल: इस सिग्नल का प्रयोग वाहन को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। ग्रीन सिग्नल का मतलब है आगे रास्ता खाली है आप आगे बढ़ सकते हैं।

फोन पर बात न करें
गाड़ी चलाते समय फोन का इस्तेमाल न करें। और न ही कोई पढ़े या लिखें। अगर बहुत जरूरी हो तो गाड़ी को किसी सुरक्षित जगह खड़ी कर मोबाइल का प्रयोग करें।

फोर व्हीलर वाले रखे इन बातों का ध्यान
- सीट बेल्ट बांध कर रखें
- इमरजेंसी व्हीकल जैसे एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड गाड़ी को आगे जाने का रास्ता दें।
- चौराहे पर गाड़ी की रफ्तार काफी कम रखें।
- सड़क पर आगे चलने वाली गाड़ी से दूरी बना कर रखें।
- गाड़ी को अपनी लेन में ही चलाएं और दूसरी लेन में न जाएं।
- ट्रैफिक सिग्नल को कभी जिग जैग इंडिकेटर का उपयोग अनदेखा न करें।
- पैदल राहगीर को पहले रोड क्रॉस करने दें।
- सड़क पर गाड़ी पार्क न करें।

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टू व्हीलर चालक इनका रखें ध्यान

- अच्छी क्वालिटी का हेलमेट पहनें।
- टर्न लेते समय इंडिकेटर जरूर दें।
- सड़क पर दूसरे वाहनों से सुरक्षित दूरी बनाते हुए ड्राइव करें।
- गाड़ी चलाने से पहले आगे और पीछे की लाइट को अच्छे से चेक कर लें - कभी भी जिग-जैग (टेढ़े मेढ़े) तरीके जिग जैग इंडिकेटर का उपयोग से ड्राइव न करे।
- ज्यादा वजन लाद कर बाइक कभी न चलाएं।
- गलत साइड से कभी ओवरटेक न करें।

जल्दी के चक्कर में लोग रेड सिग्नल होने के बाद भी वाहन निकालते हैं। जो जाम और हादसे की सबसे बड़ी वजह बनते हैं।
प्रिया

ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराना चाहिए। जिससे चौराहों पर जाम नहीं लगे। रेड सिग्नल पर गाड़ी निकालने वालों पर सख्ती हो।
उमेश मिश्रा

शहर में ट्रैफिक माह के तहत नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों पर कार्रवाई की जा रही है। ट्रैफिक रूल्स का प्रॉपर तरीके से पालन कराया जा रहा है।
अरुन चंद, एसपी ट्रैफिक

निम्नलिखित में से विषम विकल्प को पहचानिए।

F1 Ankita Singh 2.6.21 Pallavi D1

National Hydroelectric Power Corporation (NHPC) has finally released the result for NHPC JE (Junior Engineer). The exam was held from 4th to 6th April 2022. A total vacancy of 133 was released. The candidates can check their NHPC JE Result by following the steps mentioned here. Also, the link to check the NHPC JE Cut-Off is given here. The notification for the next recruitment cycle is expected to be released very soon.

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