एजेंट और ब्रोकर में अंतर ब्रोकर कई कंपनियों की, पर एजेंट एक की ही पॉलिसी बेच सकता है

सरकार स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम इंश्योरेंस ब्रोकिंग क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे सकती है। हाल में हुई मंत्री-स्तरीय बैठक में इस पर चर्चा हुई। इस कदम से बीमा सेक्टर को बढ़ावा मिल सकेगा। फिलहाल बीमा क्षेत्र में 49% विदेशी निवेश की अनुमति है। एफडीआई के मामले देखने वाले औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) की परिभाषा के अनुसार इसमें इंश्योरेंस ब्रोकिंग, बीमा कंपनियां, थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर, सर्वेयर और नुकसान का आकलन करने वाले सब शामिल हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया, समय-समय पर मांग उठती रही है कि इंश्योरेंस ब्रोकर को दूसरे फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज के समान माना जाना चाहिए। उनमें 100% एफडीआई की अनुमति है। इंश्योरेंस ब्रोकिंग अन्य फाइनेंशियल ब्रोकिंग की तरह ही है। सूत्र ने स्पष्ट किया कि बीमा कंपनियों के लिए एफडीआई सीमा 49% ही रहेगी। वित्त मंत्री ने इस मसले पर हाल में बैठक की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी इस बारे में डीआईपीपी से विचार मांगे हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा सेक्टर कमजोर वितरण नेटवर्क से प्रभावित हो रहा है। ऐसे में इसे मजबूत करने की जरूरत है।

स्वास्थ्य बीमा कलेक्शन में 28% हिस्सेदारी ब्रोकर्स की है
देश में इस समय 433 इंश्योरेंस ब्रोकर हैं। इनमें 368 डायरेक्ट, 60 कंपोजिट और 5 रिइंश्योरेंस ब्रोकर हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कलेक्शन में इनकी 28% हिस्सेदारी और जीवन बीमा प्रीमियम कलेक्शन में 1.25% है।

बीमा में ब्रोकिंग 2003 से है। 30 जनवरी 2003 को इरडा ने पहला इंश्योरेंस ब्रोकिंग लाइसेंस जारी किया था।

2014 में दुनियाभर के बीमा ब्रोकर्स ने 3.5 लाख करोड़ रु. प्रीमियम जुटाया, 2019 में यह 4.2 लाख करोड़ हो जाएगा : ईवाई

बीमा एजेंट: बीमा कंपनी जिस व्यक्ति को अपना एजेंट बनाती है, वह सिर्फ उसी कंपनी की पॉलिसी बेच सकता है। फॉर्म की सही प्रोसेसिंग, पेपर वर्क और प्रीमियम के लिए जिम्मेदार होता है।

इंश्योरेंस ब्रोकर : इसके लिए इरडा से लाइसेंस लेना पड़ता है। एक से अधिक कंपनियों की पॉलिसी बेच सकता है। बीमा कंपनियों-प्रोडक्ट्स के बीच उपयुक्त पॉलिसी चुनने में मदद करता है।

घरों की डिमांड को बढ़ाने के लिए ब्रोकर्स क्या कर सकते हैं?

यहां हम आपको कई तरीके बता रहे हैं, जिसके जरिए ब्रोकर्स कोरोना वायरस के कारण आए स्लोडाउन में स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम हाउसिंग डिमांड को सकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकते हैं और अपने बिजनेस को बढ़ा सकते हैं.

Table of Contents

भारत के रियल एस्टेट सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स ऐसे विभिन्न तरीके खोज रहे हैं, ताकि ग्राहकों को प्रॉपर्टी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. ये ऐसा वक्त है, जब घरों की बिक्री लगातार गिर रही है. हाउसिंग डॉट कॉम का डेटा दिखाता है कि देश के 9 अग्रणी रिहायशी बाजारों में जनवरी से मार्च 2020 तक 69,स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम 235 यूनिट्स ही बिक पाईं. ऐसी स्थिति में, यह रियल एस्टेट एजेंटों और ब्रोकरेज फर्मों के लिए जरूरी हो जाता है, ताकि खरीदारों की भावनाओं और बिक्री को बेहतर किया जा सके.

अपने स्तर पर सरकार ने टैक्स कटौती की सीमा को पहली बार घर खरीद रहे खरीदारों के लिए सेक्शन 80ईईए के तहत बढ़ा दी है. आरबीआई ने भी रेपो रेट में काफी कटौती की है, जिस पर वह 4 प्रतिशत के ब्याज पर बैंकों को पैसे देता है. इस कदम से होम लोन्स पर ब्याज दर रिकॉर्ड स्तर तक घट गई है. डेवेलपर्स भी ग्राहकों को लुभाने के लिए कीमतों पर आकर्षक डिस्काउंट दे रहे हैं.

भले ही एजेंट लेन-देन में केवल सुविधा के रूप में काम करते हैं और किसी सौदे के विभिन्न पहलुओं वे कुछ नहीं कह सकते लेकिन सकारात्मक बदलावों को लागू करने में सक्षम हैं.

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कनाडाई स्टॉक्स पर CFD ट्रेडिंग

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शेयरों में निवेश का पहला कदम रखने से पहले जानें क्या करें और क्या नहीं

Guide to Stock Market: किसी कंपनी के शेयर में पैसा लगाने से पहले आपको कुछ बिंदुओं पर रिसर्च करना जरूरी है क्योंकि निवेश के बाद कंपनी से जुड़े सवाल करना पानी में कूदने के बाद तैरना सीखने जैसा है.

  • Khushboo Tiwari
  • Updated On - June 1, 2021 / 04:23 PM IST

शेयरों में निवेश का पहला कदम रखने से पहले जानें क्या करें और क्या नहीं

Stock Market: बड़ी कमाई करने के इरादे से शेयर बाजार में पहला कदम रखने जा रहे हैं तो आपको पहले अपना होमवर्क करना होगा. अपनी गाढ़ी कमाई पर शेयर बाजार से जुड़े रिस्क लेने की सोच रहे हैं तो जरूरी है कि इस होमवर्क को आप खुद ही करें. क्योंकि कमाई आपकी है, तो फैसले भी आपके होने चाहिए. निवेश करने से पहले आपको प्रक्रिया से लेकर सही कंपनी का चुनाव करने को लेकर कुछ बातों पर गौर करना होगा.

जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं उस कंपनी की ग्रोथ का हिस्सा बनते हैं. शेयरों में मार्केट के सेंटिमेंट, कंपनी के आय और मुनाफे, सरकारी नीतियों, विदेशी बाजार के संकेतों स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम और अन्य कई कारणों से उतार-चढ़ाव आता है. शेयर बाजार में जोखिम भी है. अगर आप जोखिम ले सकते हैं तो ही सीधे शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं.

डीमैट खाता होना अनिवार्य

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेस के वाइस प्रेसिडेंट गौरांग शाह का कहना है कि शेयरों में निवेश का पहला हिस्सा है डीमैट खाता खुलवाना. निवेशक को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) में रजिस्टर्ड ब्रोकर के पास ही अपना डीमैट खाता खुलवाना चाहिए. ये खाता आप ऑनलाइन भी खुलवा सकते हैं.

बिजनेस समझ आए तभी करें निवेश

शाह कहते हैं कि जब आप निवेश के लिए कोई कंपनी चुनें तो लोगों की कही-सुनी पर फैसले ना लें. अपने पैसों के निवेश से पहले आपको रिसर्च स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम करने की जरूरत है. रिसर्च के लिए आपको ढेर सारे रेश्यो या बैलेंस शीट खोलकर देखने की जरूरत नहीं है. लेकिन आपको कंपनी के बिजनेस को समझना होगा कि कंपनी क्या काम करती है, क्या सर्विस या कौन से प्रोडक्ट बनाती है, पिछला प्रदर्शन कैसा रहा है, मैनेजमेंट में कौन से लोग हैं. अगर आपको कंपनी का बिजनेस समझ आया तो ही निवेश करें.

पानी में कूदने से पहले सीखें तैरना

निवेश से पहले आपको कई सवाल पूछने होंगे. आप कंपनी से जुड़े इन सवालों को या अपनी उलझनों को एक्सपर्ट से पूछ सकते हैं या रिसर्च कर सकते हैं. गौरांग शाह कहते हैं कि आप निवेश से पहले जितने सवाल पूछना चाहें, जितनी सलाह लेना चाहें उतना रिसर्च करें, लेकिन निवेश के बाद कंपनी से जुड़े सवाल करना पानी में कूदने के बाद तैरना सीखने जैसा है.

लंबी रेस का बनें हिस्सा

एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि शेयर बाजार में हमेशा लंबे समय के लिए निवेश करें और उन शेयरों को चुनें जिनमें अच्छी ग्रोथ की संभावना है और अच्छी क्वालिटी की कंपनी है. शाह के मुताबिक आपको स्मॉलकैप कैटेगरी के उन शेयरों से दूर रहना है जिनके बारे में ज्यादा जानकारी आपको नहीं पता. ये अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है.

नए निवेशक रहे संभलकर

अगर आप शेयर बाजार में शुरुआती स्टॉक ब्रोकर को चुनने के लिए कदम निवेशक हैं तो STBT, BTST जैसे ट्रेड लेने से बचें जिनमें आपके लिए जोखिम ज्यादा हो सकता है. यानी, आज खरीदारी कर कल मुनाफे के लिए बेच देना या आज बेचकर कल खरीदारी करना जैसे ट्रेड. शेयर बाजार के निवेश में अनुशासन जरूरी है.

मुनाफा है जरूरी

शेयर की हुई ग्रोथ से तब तक आपका मुनाफा नहीं हुआ जब तक आपने उसे बुक नहीं किया है. गौरांग शाह का कहना है कि निवेशक को जब लगे कि उसका लक्ष्य हासिल हो गया है तब उसे मुनाफा बुक कर लेना है और ज्यादा लालच में नहीं फंसना चाहिए. वे कहते हैं कि कंजर्वेटिव आधार पर अगर आपको 10-15 फीसदी का मुनाफा हुआ है तो आप कुछ शेयर बेचकर मुनाफा बुक कर सकते हैं. लंबी अवधि में आपको अनुशासन बनाना होगा और अपने निवेश का ट्रैक रखना होगा.

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