सरकार की ओर से आया एक बयान और बाजार ने देखी सबसे बड़ी रिकवरी

भारतीय शेयर बाजार के लिए शुक्रवार का दिन कई मायने में ऐतिहासिक रहा. इस दिन लोअर सर्किट के बाद सेंसेक्‍स और निफ्टी ने अब तक की सबसे बड़ी रिकवरी देखी.

सेंसेक्‍स 5000 अंक से अधिक रिकवर हुआ

aajtak.in

  • मुंबई,
  • 13 मार्च 2020,
  • (अपडेटेड 13 मार्च 2020, 5:43 PM IST)
  • शुक्रवार को शेयर बाजार में लगा लोअर सर्किट
  • दोपहर बाद शेयर बाजार ने देखी रिकॉर्ड रिकवरी

कोरोना वायरस भारत समेत दुनियाभर में महामारी का रूप ले चुका है. इस वायरस की विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें वजह से अलग-अलग देशों के शेयरों में हर दिन गिरावट के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. इन हालातों से भारतीय शेयर बाजार भी अछूता नहीं है.

बीते 10 कारोबारी दिन में सेंसेक्‍स 8000 अंक से अधिक लुढ़क चुका है तो वहीं निफ्टी ने भी 2000 अंक के करीब गिरावट देखी है. सप्‍ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को तो भारतीय शेयर बाजार खुलते के साथ ही लोअर सर्किट लग गया और कारोबार 45 मिनट के लिए रोक दिया गया. हालांकि, दोपहर बाद ही शेयर बाजार ने रिकॉर्ड रिकवरी देखी. लेकिन सवाल है कि आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि शेयर बाजार में इतनी बड़ी तेजी दर्ज की गई.

सरकार ने दिलाया भरोसा

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से बाजार में बैठ रहे ‘डर’ से निपटने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक सभी अनिवार्य कदम उठाएंगे. सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय शेयर बाजारों की गिरावट दुनिया के अन्य बाजारों की तुलना में काफी कम है. अगले कुछ सप्ताह में घरेलू बाजार में स्थिरता देखने को मिलेगी क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी संकेत मजबूत बने हुए हैं. उन्‍होंने बताया कि मुद्रास्फीति घट रही है, औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है और देश के पास पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार है.

सेबी ने भी की है तैयारी

शेयर बाजार की हालत देखते हुए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि वह किसी भी तरह की अनिवार्य कार्रवाई के लिए तैयार है. सेबी ने एक बयान में कहा कि कोराना वायरस की वजह से कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें भी गिरी हैं और आर्थिक मंदी की आशंका का डर भी बढ़ा है. नियामक ने कहा, ‘‘सेबी और शेयर बाजार जरूरत के हिसाब से उपयुक्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं.’’

सेबी के मुताबिक भारतीय बाजार में गिरावट का रुख अन्य देशों के बाजारों के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम है. बयान के मुताबिक सेबी, बीएसई और एनएसई ने जोखिम प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था की है. यह व्यवस्था बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी के साथ-साथ कंपनियों के शेयरों (नकद और डेरीवेटिव) की चाल में बहुत ज्यादा परिवर्तन होने पर स्वत: काम करने लगती है.

बता दें कि शुक्रवार सुबह के कारोबार में सेंसेक्स में 3,200 अंक से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गयी जबकि निफ्टी करीब 8,600 अंक के स्तर पर पहुंच गया. इसके चलते शेयर बाजारों को 45 मिनट के लिए बंद करना पड़ा. हालांकि, बाद में शेयर बाजारों में सुधार का रुख देखा गया. एक दिन पहले कारोबार में सेंसेक्स 2,919.26 अंक गिरकर 32,778.14 अंक पर और निफ्टी 868.25 अंक टूटकर 9,590.15 अंक पर बंद हुआ था.

सोना-रुपया का क्‍या रहा हाल?

राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को सोना 1,097 रुपये टूटकर 42,600 रुपये प्रति दस ग्राम पर आ गया. इससे पिछले सत्र विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें में सोना 43,697 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ था. सोने की तर्ज पर चांदी भी 1,574 रुपये के नुकसान के साथ 44,130 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. गुरुवार को चांदी 45,704 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी. इस बीच, डॉलर के मुकाबले रुपया 32 पैसे मजबूत होकर 73.92 के स्तर पर बंद हुआ विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें है. कारोबार के दौरान रुपये में जबरदस्‍त उतार-चढ़ाव रहा.

ऑफ कैंपस कार्यक्रम

The special features of the Programme are as follows:

  • सम्पूर्ण कार्यक्रम, निर्यात/आयात के सभी पहलुओं को कवर करते हुए प्रतिभागियों को देश भर के भिन्न-भिन्न नगरों में और निकटवर्ती देशों में चार महीनों के दौरान प्रदान किया जाता है।
  • कक्षाएं केवल सप्ताहान्त आयोजित की जाती है (शनिवार दोपहर-बाद व रविवार)।
  • कक्षा सत्रों में किसी भी स्थान से (घर, कार्यालय आदि) भाग लिया जा सकता है, जहां उत्तम वायर्ड इन्टरनेट कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध है।
  • सभी कक्षा सत्र सजीव होते हैं और प्रतिभागियों व संकाय के बीच दोतरफा अन्योन्यक्रिया की सुविधा प्राप्त है। प्रतिभागी संकाय व स्लाइडों को देख सकते हैं तथा प्रश्नोत्तर भी कर सकते हैं।
  • व्याख्यान पूर्णतः अनुसंधान समर्थित होते हें जिनका आयोजन संस्थान द्वारा व्यापार व उद्योग तथा सरकार दोनों के लिए नियमित रूप से किया जाता है।
  • प्रत्येक पहलू पर विस्तृत मामला अध्ययन, कक्षा सत्रों की विशेषता है।
  • नियमित मूल्‍यांकन से सुनिश्चित होता है कि प्रतिभागी ने वस्तुतः ज्ञान और उसके अनुप्रयोग दोनों का आत्मसात किया है।

पात्राता

  • किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय अथवा संस्थान से स्नातक अथवा समकक्ष विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें डिग्री, अथवा
  • डिप्लोमा-पश्चात दो वर्ष के पूर्णकालिक कार्य अनुभव के साथ डिप्लोमाधारी। .
चयन

उम्मीदवारों की उनके प्रोफाइल-अर्हताएं, अनुभव आदि के आधार पर एक संक्षिप्त सूची तैयार की जाएगी। जिन उम्मीदवारों का नाम संक्षिप्त सूची में है उन्हें ऑनलाइन/टेलिफोनिक साक्षात्कार के लिए बुलाया जा सकता है।

कार्यक्रम प्रणाली

कार्यक्रम आईआईएफटी दिल्ली में 4 दिन के कार्यक्रम के साथ शुरू होगा जिसके बाद प्रत्येक सप्ताहान्त ऑनलाइन सत्र आयोजित किए जाएंगे। कैम्पस में माड्यूल के दौरान, प्रतिभागी व्याख्यानों में भाग लेंगे और एनसीआर क्षेत्र में ''इनलेण्ड कन्टेनर डिपो'' का दौरा करेंगे।

क्र.सं. विषय विवरण
1 विश्व व्यवसाय परिवेश वैश्वीकरण की प्रेरक शक्तियां तथा उभरती पद्धतियां, अंतरराष्‍ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के विभिन्न परिप्रेक्ष्य, अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार के बहुपक्षीय फ्रेमवर्क के आधार, विश्व व्यापार में समकालीन मुद्दे। संगठन, बैंकिंग, वित्त और कॉरपोरेट शासन के समकालीन मुद्दे।
2 अंतरराष्‍ट्रीय विपणन प्रबंधन औद्योगिक और उपभोक्ता उत्पादों का विपणन, निर्यात बाजारों की पहचान, उत्पाद विकास और अनुकूलन, निर्यात कीमत पद्धति, एजेन्टों व अन्य वितरण चैनलों का चयन, निर्यात के लिए खरीद, व्यापार विवादों का निपटान, विपणन सूचना प्रणाली और विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें अंतरराष्‍ट्रीय निविदा पद्धति व उप-संविदा।
3 भारत का विदेश व्यापार और नीति विदेश व्यापार में प्रवृत्तियां, निर्यात प्रोत्साहन के लिए संस्थागत रूपरेखा, निर्यात प्रोत्साहन और सुविधाएं, ईपीजेड/एफटीजेड की अवधारणा, तथा 100 प्रतिशत ईओयू, निर्यात के लिए गुणवत्ता नियंत्राण, चुनिन्दा उत्पादों के लिए निर्यात सम्भावनाएं तथा चुनिन्दा बाजारों की बाजार विशेषताएं।
4 अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार लॉजिस्टिक्स अंतरराष्‍ट्रीय परिवहन पद्धतियों पर, समुद्र, वायु और बहु-माडल परिवहन का कानूनी पहलुओं सहित, तथा परिवहन व प्राथमिक पण्य वस्तुओं और विनिर्माण के भौतिक आवागमन के लिए अवसंरचना के अन्य पहलुओं पर बल के साथ भौतिक वितरण के माइक्रो-आर्थिक पहलू।
5 व्यापार प्रलेखन और व्यापार वित्त निर्यात प्रलेखन फ्रेमवर्क, निर्यात विक्रय संविदा, ''इनकोट्रम्‍स'', विदेशी मुद्रा विनियमन और सुविधाएं, सग्जिम पॉलिसी फ्रेमवर्क, ईपीसीजी स्कीम और डीईपीबी स्कीम, निर्यात गृह स्कीम, अदायगी की शर्तें, केन्द्रीय उत्पाद स्वीकृति, सीमा शुल्क विनियम और कार्गो की निकासी, शुल्क वापसी स्कीम, फ्रेट फोरवर्डिंग, निर्यात वित्त जोखिम प्रबंधन, निर्यात आदेश की प्रोसेसिंग तथा कार्यान्वयन तथा सीमा शुल्क की निकासी से सम्बद्ध ईडीआई।

(यह पाठ्यक्रम सूची संकेतात्मक है और इसमें परिवर्तन हो सकता है। कैम्पस सत्रों के दौरान आवास की जिम्मेदारी आईआईएफटी की नहीं है))

कार्यक्रम फीस

Rs 75,000/- ( अनु.जाति/अनु.जनजाति/शारीरिक विकलांग उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत फीस रियायत)।

महत्वपूर्ण तारीखें

आवेदन की विधि

भरा हुआ आवेदन-पत्र प्रमाणपत्रों की स्केन की हुई प्रतिलिपियों के साथ ई-मेल के जरिए [email protected] को प्रेषित की जा सकती है। या
आवेदन-पत्र, प्रमाणपत्रों की फोटोप्रतियों के साथ डाक/कोरियर के जरिए नीचे दिए गए पते पर आईआईएफटी को भेजी जा सकती है।

अर्हताओं और अनुभव प्रमाणपत्रों की जांच सफल आवेदकों के पंजीकरण के समय मूल प्रमाणपत्रों के साथ की जाएगी।

अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें:
श्री बी. प्रसन्नकुमार
अनुभाग अधिकारी, एमडीपी
ई-मेलः [email protected]
टेलिफोन नं.: 011- 26965124, 26968318 (एक्‍सटेंसन 518)

रुपये को बचाने की कोशिश नही हो रही, घरेलू करंसी खुद इसमें सक्षम- मुख्य आर्थिक सलाहकार

अगस्त में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 80.15 प्रति डॉलर पर आ गया था. फिलहाल ये विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें 79 से 80 प्रति डॉलर के बीच पर बना है

रुपये को बचाने की कोशिश नही हो रही, घरेलू करंसी खुद इसमें सक्षम- मुख्य आर्थिक सलाहकार

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि भारत अपनी मुद्रा रुपये का बचाव नहीं कर रहा है और केंद्रीय बैंक द्वारा रुपये के उतार-चढ़ाव को धीमा और बाजार के रुख के अनुरूप रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. नागेश्वरन ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि रुपये का प्रबंधन जिस तरीके से किया जा रहा है वह अर्थव्यवस्था की बुनियाद को दर्शाता है. अगस्त में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 80.15 प्रति डॉलर पर आ गया था. फिलहाल ये 79 से 80 प्रति डॉलर के बीच पर बना है

मजबूत अर्थव्यवस्था से रुपया बेहतर स्थिति में

उन्होंने कहा, भारत अपने रुपये का बचाव नहीं कर रहा है. मुझे नहीं लगता है कि देश की बुनियाद ऐसी है जहां हमें अपनी मुद्रा का बचाव करना पड़े. रुपया इसमें खुद सक्षम है. सीईए ने कहा, रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित कर रहा है कि रुपया जिस भी दिशा में जा रहा है, वह काफी तेजी से नहीं हो और बाजार रुख के अनुरूप हो. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट पर उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचाव का रुख पूंजी को यहां आने से रोक रहा है. निश्चित रूप से इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है.रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 26 अगस्त को समाप्त सप्ताह में तीन अरब डॉलर से अधिक घटकर 561.04 अरब डॉलर रह गया.

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रुपये में आज मजबूती

दुनिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर के मूल्य में गिरावट तथा विदेशी कोषों का निवेश बढ़ने से करंसी मार्केट में मंगलवार को रुपया 36 पैसे बढ़कर 79.17 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 79.30 पर खुला था. दिन के कारोबार में रुपये ने 79.03 का ऊपरी और 79.33 का निचला स्तर देखा. अंत में यह डॉलर के मुकाबले 79.17 पर बंद हुआ। यह रुपये के पिछले बंद भाव के मुकाबले 36 पैसे का सुधार है. रुपया सोमवार को 79.53 पर बंद हुआ था.

विदेश की खबरें | 2022 की अमेरिकी जलवायु आपदाएं: बहुत ज्यादा-और बहुत कम बारिश की कहानी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. डेटन (यूएस), 21 दिसंबर (द कन्वरसेशन) वर्ष 2022 को अमेरिका में विनाशकारी बाढ़ और तूफानों के लिए - और इसकी अत्यधिक गर्मी की लहरों और सूखे के लिए भी याद किया जाएगा, जिसमें एक बहुत गंभीर भी शामिल है, जब मिसिसिपी नदी पर यातायात को संक्षिप्त रूप से बंद कर दिया गया था।

विदेश की खबरें | 2022 की अमेरिकी जलवायु आपदाएं: बहुत ज्यादा-और बहुत कम बारिश की कहानी

डेटन (यूएस), 21 दिसंबर (द कन्वरसेशन) वर्ष 2022 को अमेरिका में विनाशकारी बाढ़ और तूफानों के लिए - और इसकी अत्यधिक गर्मी की लहरों और सूखे के लिए भी याद किया जाएगा, जिसमें एक बहुत गंभीर भी शामिल है, जब मिसिसिपी नदी पर यातायात को संक्षिप्त रूप से बंद कर दिया गया था।

गर्मियों में पांच सप्ताह की अवधि के दौरान, सेंट लुइस, पूर्वी केंटकी, दक्षिणी इलिनोइस, कैलिफोर्निया की डेथ वैली और डलास में 1,000 साल में बारिश की पांच घटनाएं हुईं, विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें जिससे विनाशकारी और कभी-कभी घातक अचानक बाढ़ आ गई।

मिसिसिपी में गंभीर बाढ़ ने जैक्सन की हफ्तों तक पानी की आपूर्ति को बाधित कर दिया।

मोंटाना में एक ऐतिहासिक बाढ़, भारी बारिश और पिघलने वाली बर्फ के कारण, येलोस्टोन नेशनल पार्क के बड़े क्षेत्रों को खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पतझड़ में, इयान और फियोना तूफानों ने फ्लोरिडा और प्यूर्टो रिको को अधिक बारिश और घातक, विनाशकारी तूफान की वृद्धि के साथ दो फुट पानी से भर दिया।

इयान अमेरिकी इतिहास के सबसे महंगे तूफानों में से एक बन गया। और एक आंधी ने अलास्का तट की 1,600 किमी की दूरी तय की।

जबकि बहुत अधिक वर्षा ने कुछ क्षेत्रों को खतरे में डाल दिया, अत्यधिक गर्मी और बहुत कम वर्षा ने अन्य स्थानों पर जोखिम बढ़ा दिया।

देश के कई हिस्सों में लगातार गर्मी की लहरें बनी हुई हैं, जो तापमान के रिकॉर्ड स्थापित कर रही हैं।

एरिज़ोना और न्यू मैक्सिको में जंगल की आग दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में मेगा सूखे की पृष्ठभूमि पर फैली हुई है, जो कम से कम 1,200 वर्षों में इस क्षेत्र के अनुभव से कहीं अधिक गंभीर है।

पतझड़ में मेम्फिस के पास मिसिसिपी नदी में सूखा इतना नीचे चला गया था कि बिना अतिरिक्त ड्रेजिंग और नदी में पानी छोड़े बिना नावें नहीं चल सकती थीं।

फसल की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान इसने अनाज की शिपिंग को रोक दिया। कोलोराडो नदी के साथ, अधिकारियों ने जल उपयोग प्रतिबंधों पर भी चर्चा की क्योंकि प्रमुख जलाशयों में जल स्तर खतरनाक रूप से निम्न स्तर के करीब था।

अमेरिका अपनी जलवायु आपदाओं में शायद ही अकेला था।

पाकिस्तान में, रिकॉर्ड मानसूनी बारिश ने देश के एक तिहाई से अधिक को बाढ़मग्न कर दिया, जिससे 1,500 से अधिक लोग मारे गए।

भारत और चीन में लंबे समय तक चलने वाली गर्मी की लहरों और सूखे ने नदियों को सुखा दिया, बिजली ग्रिड को बाधित कर दिया और अरबों लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा का खतरा पैदा हो गया।

मूसलाधार बारिश से आई व्यापक बाढ़ और कीचड़ धंसने से भी दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और नाइजीरिया में सैकड़ों लोग मारे गए।

यूरोप में, गर्मी की लहरें ब्रिटेन और महाद्वीप के अन्य हिस्सों में रिकॉर्ड तापमान में योगदान करती हैं, जिससे गंभीर सूखे के साथ ही नदी का प्रवाह कम होता है जिससे शिपिंग धीमा हो जाता है, और महाद्वीप के कई हिस्सों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती है।

पूर्वी अफ्रीका का अधिकांश भाग अभी भी बहुवर्षीय सूखे की चपेट में है - संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 40 से अधिक वर्षों में सबसे खराब - लाखों लोगों को भोजन की कमी और भुखमरी की चपेट में ले रहा है।

यह केवल एक वर्ष की बात नहीं है: ऐसी चरम घटनाएं बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता के साथ घटित हो रही हैं।

जलवायु परिवर्तन इन आपदाओं को और तेज कर रहा है

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल के सबसे हालिया वैश्विक जलवायु मूल्यांकन में चरम तापमान और वर्षा की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे अधिक सूखा और बाढ़ आती है।

2022 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जलवायु विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें जोखिमों को प्रबंधित करने की क्षमता में सुधार के बावजूद अत्यधिक बाढ़ और सूखा भी घातक और बहुत नुकसानदेह हो रहा है।

इसका एक कारण यह भी है कि आज की चरम घटनाएँ, जो जलवायु परिवर्तन से बढ़ी हैं, अक्सर समुदायों की प्रबंधन क्षमताओं से अधिक हो जाती हैं।

चरम घटनाएं, परि के अनुसार, शायद ही कभी होती हैं। 100 साल की बाढ़ में किसी भी वर्ष में होने की 1% संभावना होती है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

विदेश की खबरें | सीओपी15 शिखर सम्मेलन में जैव विविधता पर हुआ ऐतिहासिक समझौता

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. चार साल विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें तक चली जटिल वार्ता के बाद भारत सहित लगभग 200 देशों ने सोमवार को कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र सीओपी 15 शिखर सम्मेलन में पेरिस शैली के एक ऐतिहासिक समझौते को मंजूरी दे दी।

विदेश की खबरें | सीओपी15 शिखर सम्मेलन में जैव विविधता पर हुआ ऐतिहासिक समझौता

मॉन्ट्रियल, 19 दिसंबर चार साल तक चली जटिल वार्ता के बाद भारत सहित लगभग 200 देशों ने सोमवार को कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र सीओपी 15 शिखर सम्मेलन में पेरिस शैली के एक ऐतिहासिक समझौते को मंजूरी दे दी।

इस समझौते को सम्मेलन के अंतिम सत्र में गहन चर्चा के बाद स्वीकृति दी गई। यह समझौता दुनिया में भूमि व जल के संरक्षण और विकासशील देशों को जैव विविधता को बचाने के लिए धन मुहैया कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

एकत्रित प्रतिनिधियों की ज़ोरदार तालियों के बीच, सीओपी15 जैव विविधता शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष एवं चीनी पर्यावरण मंत्री हुआंग रुनकिउ ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल समझौते को अपनाने की घोषणा की। यह सम्मेलन सात दिसंबर को शुरू हुआ था।

अध्यक्ष ने कांगो के अंतिम मिनट के कदम को नज़रअंदाज़ करने के लिए तरकीब से काम किया, जिसने मसौदा पाठ का समर्थन करने से इनकार कर दिया था और समझौते के हिस्से के रूप में विकासशील देशों के लिए अधिक धन की मांग की थी।

इस समझौते का उद्देश्य भूमि, महासागरों और प्रजातियों को प्रदूषण, क्षरण तथा जलवायु परिवर्तन से बचाना है।

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (एलपीआर) 2022 के अनुसार, निगरानी वाली वन्यजीव आबादी- स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृप और मछलियों की संख्या में 1970 विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें के बाद से औसतन 69 प्रतिशत की विनाशकारी गिरावट देखी गई है।

वार्ताओं में सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक विश्व स्तर पर और विशेष रूप से विकासशील देशों में संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिए वित्त पैकेज था।

समझौते में 2030 तक सभी स्रोतों से वित्तीय संसाधनों के स्तर को उत्तरोत्तर बढ़ाने और प्रति वर्ष कम से कम 200 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता जताई गई है। यह मोटे तौर पर 2020 की आधार-रेखा से दोगुना अधिक की बात करता है।

इसकी बड़ी उपलब्धि 2025 तक अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रवाह में 20 अरब अमेरिकी डॉलर और 2030 तक 30 अरब अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता भी है।

समझौते के 23 लक्ष्यों में पर्यावरणीय रूप से "विनाशकारी" कृषि सब्सिडी में कटौती, कीटनाशकों से जोखिम को कम करना और आक्रामक प्रजातियों से निपटना शामिल है।

पिछले हफ्ते, भारत ने कहा था कि कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों की कमी के लिए एक संख्यात्मक वैश्विक लक्ष्य अनावश्यक है और इसका फैसला देशों पर छोड़ विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें दिया जाना चाहिए।

इसने यह भी कहा था कि भारत में कृषि क्षेत्र, अन्य विकासशील देशों की तरह, "लाखों लोगों के लिए जीवन, आजीविका और संस्कृति" का स्रोत है, और इसके प्रति विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन के 5 मूल बातें समर्थन को उन्मूलन लक्ष्य नहीं बनाया जा सकता।

अनेक लोगों द्वारा इस समझौते की तुलना वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने संबंधी पेरिस समझौते से की जा रही है।

पर्यावरण समूहों ने जहां नए समझौते के संभावित परिवर्तनकारी प्रभावों का स्वागत किया है, वहीं कई लोग महसूस करते हैं कि इसमें वित्तीय सहायता और संरक्षण के बारे में महत्वपूर्ण विवरण गायब है।

इसके तहत 2030 के लिए वैश्विक लक्ष्यों में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज और सेवाओं के वास्ते विशेष महत्व के क्षेत्रों पर जोर देने के साथ ही दुनिया की कम से कम 30 प्रतिशत भूमि, अंतर्देशीय जल, तटीय क्षेत्रों और महासागरों का प्रभावी संरक्षण एवं प्रबंधन शामिल है।

वर्तमान में, दुनिया के क्रमशः 17 और 10 प्रतिशत जमीनी एवं समुद्री क्षेत्र संरक्षण के दायरे में हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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