भारत द्वारा हस्ताक्षरित 12 मुक्त व्यापार समझौता
भारत द्वारा हस्ताक्षरित नवीनतम मुक्त व्यापार समझौता (CEPA)
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 18 फरवरी, 2022 को एक मुक्त व्यापार समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 80 प्रतिशत वस्तुओं के लिए टैरिफ कम करने और भारत के निर्यात के 90 प्रतिशत तक शून्य शुल्क पहुंच प्रदान करने के लिए निर्धारित है। भारत-यूएई सीईपीए अफ्रीका और एशिया के बीच नए व्यापार मार्गों को खोलने में मदद करेगा। भारत मुक्त व्यापार समाप्त होता है? के निर्यातकों को न केवल संयुक्त अरब अमीरात के बाजार में, बल्कि अरब और अफ्रीकी बाजारों में भी व्यापक पहुंच प्राप्त होगी।
- इस समझौते के 5 वर्षों के भीतर वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की उम्मीद है, जो वर्तमान में लगभग $ 60 बिलियन से अधिक है।
- 88 दिनों की बातचीत के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री द्वारा व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
- सीईपीए रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, कृषि और खाद्य उत्पाद, प्लास्टिक, इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण, खेल के सामान आदि जैसे कई श्रम-केंद्रित क्षेत्रों में 10 लाख नौकरियां पैदा करेगा।
मुक्त व्यापार समझौता यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) क्या है :
- मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दुनिया के दो देशों के बीच व्यापारिक संधि है, जिसके तहत देशों के बीच आयात व निर्यात शुरू होता है। इसमें कई तरह की छूट दी जाती है, जिससे सामान सस्ता हो जाता है।
- भारत ने अपना पहला मुक्त व्यापार समझौता श्रीलंका के साथ 1998 मे किया था।
- 1994 से 2010 के बीच भारत ने दूसरे देशों से 79 बायलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (व्यापारिक संधियां) की, लेकिन इनमें से 54 देशों के साथ समझौते रद्द कर दिए।
- दरअसल, एफटीए की वजह से भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ा है।
- नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत के नेतृत्व में जारी डॉक्यूमेंट के मुताबिक वित्त वर्ष 2001 में भारत का व्यापार घाटा 6 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2017 में बढ़ कर 109 अरब डॉलर पहुंच गया।
विभिन्न ट्रेडिंग ब्लॉकों के बारे में जानकारी
अधिमान्य व्यापार समझौता (Preferential trade agreement)
- क्षेत्र के अन्य सदस्यों से आयातित चयनित वस्तुओं पर टैरिफ बाधाओं को कम या समाप्त करता है।
मुक्त व्यापार समझौता (Free trade agreement)
- अन्य सदस्यों से आने वाले सभी सामानों पर व्यापार के लिए बाधाओं को कम या समाप्त करता है।
सीमा शुल्क संघ (Custom union)
Free Trade Agreement Explainer: दो देशों के बीच क्या होता है मुक्त व्यापार समझौता; जानें नियम, छूट और प्रतिबंधों की डिटेल
2021 में, ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने भारत को 13.6 अरब डॉलर का सामान निर्यात (Export) किया और भारत से वहां 6.4 अरब डॉलर का सामान गया। इसके अलावा, दोनों देश एक दूसरे के साथ सेवाओं (Services) में लगभग 7 अरब डॉलर का व्यापार (Trade) करते हैं। भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच FTA के पूरी तरह से लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का 85% निर्यात ड्यूटी फ्री स्टेटस प्राप्त कर लेगा।
Free Trade Agreement Explainer: दो देशों के बीच क्या होता है मुक्त व्यापार समझौता; जानें नियम, छूट और प्रतिबंधों की डिटेल
व्यापार को बनाता है सरल
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का इस्तेमाल देशों के बीच व्यापार को सरल बनाने के लिए किया जाता है। एफटीए के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है। इसका एक बड़ा लाभ यह होता है कि जिन दो देशों के बीच में यह समझौता होता है, उनकी उत्पादन लागत, बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है। इससे व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलती है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।
एफटीए, प्रत्येक देश द्वारा आयात की विशाल मेजॉरिटी पर तत्काल टैरिफ कटौती और उनके अंतिम उन्मूलन का प्रावधान करता है। जब दो देश एफटीए में एंटर होते हैं तो दोनों देशों के खरीदारों को शुल्क मुक्त आयात का फायदा मिलता है। इससे उत्पादकों की लागत में कमी आती है और प्रतिस्पर्धा में सुधार होता है। उपभोक्ताओं को कम कीमतों का सीधा लाभ मिलता है। सेवाओं में एफटीए वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार मुक्त व्यापार समाप्त होता है? और पेशेवर सेवाओं जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है।
अगर विकसित देश शामिल हों.
वस्तुओं के मामले में एफटीए पर विश्व व्यापार संगठन के नियम कहते हैं कि जब भी एफटीए में सदस्य के रूप में एक या अधिक विकसित देश शामिल हों, तो सभी सदस्य देशों को उनके बीच व्यापार किए जाने वाले सभी उत्पादों पर शुल्कों और अन्य व्यापार प्रतिबंधों को समाप्त करना होगा। इसका अर्थ है कि जब भी एक या एक से अधिक विकसित देश एफटीए के सदस्य होते हैं, तो एफटीए में आंशिक व्यापार वरीयताओं का आदान-प्रदान प्रतिबंधित है। लगभग सभी ट्रेड्स को कवर किया जाना चाहिए और व्यापार बाधाओं को कम करने के बजाय समाप्त किया जाना चाहिए।
अगर FTA सदस्य सभी विकासशील देश हों तो .
अगर एफटीए सदस्य सभी विकासशील देश हों तो नियम काफी ढीले होते हैं। ऐसे में सदस्य देश व्यापार बाधाओं को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय केवल कम करने का विकल्प चुन सकते हैं और अपनी पसंद के अनुसार कम या अधिक उत्पादों पर कटौती लागू कर सकते हैं। भारत-जापान एफटीए को छोड़ दें तो भारत के सभी एफटीए अन्य विकासशील देशों (2005 में सिंगापुर, 2010 में दक्षिण कोरिया, 2010 में आसियान, 2011 में मलेशिया और 2022 में यूएई) के साथ हैं। नतीजतन उन सभी में आंशिक व्यापार प्राथमिकताएं शामिल हैं, जिसमें उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा उदारीकरण से पूरी तरह से बाहर रखा गया है।
ऑस्ट्रेलिया के साथ FTA क्यों महत्वपूर्ण?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर और नीति आयोग के पहले वाइस चेयरमैन रह चुके अरविंद पनगढ़िया के टीओआई में छपे लेख के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया पहला महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है जिसके साथ भारत ने वास्तविक मुक्त व्यापार संबंध स्थापित किया है। वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार संतुलन, व्यापक अंतर से ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है। भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच एफटीए के पूरी तरह से लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का 85% निर्यात ड्यूटी फ्री स्टेटस प्राप्त कर लेगा।
2021 में, ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 13.6 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया और भारत से वहां 6.4 अरब डॉलर का सामान गया। इसके अलावा, दोनों देश एक दूसरे के साथ सेवाओं में लगभग 7 अरब डॉलर का व्यापार करते हैं। ऑस्ट्रेलिया से भारत को अब तक सबसे ज्यादा निर्यात होने वाले आइटम्स मोती, सोना, तांबा अयस्क, एल्यूमीनियम, शराब, फल और मेवे, कपास, ऊन और कोयला है। वहीं भारत से ऑस्ट्रेलिया में प्रमुख रूप से पेट्रोलियम उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, विद्युत मशीनरी, लोहे और स्टील से बने आर्टिकल्स, वस्त्र और परिधान जाते हैं।
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मुक्त व्यापार (Free trade) क्या है?
देशों द्वारा आयात-निर्यात में भेदभाव को समाप्त करने की नीति को “मुक्त व्यापार” (Free trade) कहते हैं। टैरिफ और कुछ ग़ैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने से मुक्त व्यापार भागीदारों की एक-दूसरे के बाज़ारों में पहुँच आसान होती है। कोई भी देश सभी वस्तुएँ नहीं बना सकता या कम-से-कम कीमत पर बेहतरीन गुणवत्ता चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिये सभी सेवाएँ मुहैया नहीं करा सकता। इसे देखते हुए मुक्त व्यापार व्यवस्था की ज़रूरत होती है। मुक्त व्यापार किसी भी प्रकार की व्यापार नीतियों का निषेध है और इसके लिये किसी सरकार को कोई विशेष कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसे व्यापार उदारीकरण (Laissez-faire Trade) के रूप में जाना जाता है। इसके तहत विभिन्न अर्थव्यवस्था वाले देशों के ख़रीददार और विक्रेता स्वेच्छा से सरकार, वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या किसी अन्य प्रतिबंध की चिंता किये बिना व्यापार कर सकते हैं। इससे क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।
मुक्त व्यापार (Free trade) के फ़ायदे
- इसके समर्थकों का मानना है कि दूसरे देशों के उत्पादों के सरल आयात से उपभोक्ता को निश्चित ही लाभ होता है।
- मुक्त व्यापार (Free trade) समझौते विदेशी निवेश के प्रवाह को बढ़ावा देते हैं तथा व्यापार, उत्पादकता और नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं।
- प्रत्येक देश में उपभोक्ता आयात बाधाओं को कम करने के पक्ष में होते हैं क्योंकि ऐसा होने पर बेहद प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उन्हें सहज-सुलभ हो जाते हैं।
- मुक्त व्यापार समझौते विकासशील देशों के लिए सहायक होते हैं साथ ही इससे व्यापार हेतु गतिशीलता का वातावरण भी तैयार होता है।
- मुक्त व्यापार बढ़ने से न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी, बल्कि सभी मुक्त व्यापार समाप्त होता है? देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इससे फायदा होगा।
मुक्त व्यापार (Free Trade) की अवधारणा
ब्रिटेन के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ‘एडम स्मिथ’ (Adam Smith) और ‘डेविड रिकार्डो’ (David Ricardo) ने तुलनात्मक लाभ की आर्थिक अवधारणा के ज़रिये मुक्त व्यापार के विचार को समझाया था। इनके अनुसार, जब कोई देश किसी अन्य देश से बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करता है तब तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage) होता है। ऐसे देश जिनके पास इन उत्पादों की सीमित मात्रा होती है, वे अन्य देशों से इनका आयात कर सकते हैं। एक मुक्त व्यापार उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन हेतु आर्थिक संसाधनों के उपयोग को भी मुक्त व्यापार समाप्त होता है? प्रभावित करता है।
Free trade के सामने उत्पन्न चुनौतियाँ
विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार वर्तमान विश्व की आर्थिक आवश्यकता है और इसीलिये मुक्त व्यापार की राह में आने वाली बाधाओं को समाप्त किया जाना भी ज़रूरी है जिससे आर्थिक विकास का लाभ सभी देशों को प्राप्त हो सके। मुक्त व्यापार तथा व्यापार का उदारीकरण जिस रफ़्तार से होना चाहिये था वह नहीं हो पाया है। जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है। टैरिफ वॉर (Tariff War or Customs War) को लेकर बढ़ती चिंता और विश्वभर में अपने उद्योगों के हितों की रक्षा के लिये अन्य देशों मुक्त व्यापार समाप्त होता है? के सामने उत्पन्न बाधाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की आशंका है। मुक्त व्यापार में कोई भी प्रतिबंध केवल कुछ पूंजीपतियों के हित में काम करता है और बड़े पैमाने पर यह जनता के हित में नहीं होता।
भारत के सन्दर्भ में
भारत द्वारा 1990 के दशक में अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया गया। जिसके तहत उन क्षेत्रों को खोला गया जो अब तक केवल सार्वजनिक क्षेत्रा के लिये संरक्षित माने जाते थे। विश्वभर के निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया गया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था का समग्र आर्थिक वातावरण उदार बन सके। भले ही मुक्त व्यापार समाप्त होता है? ये कहना मुश्किल हो कि भारत अपने प्रयासों में कहाँ तक कामयाब हुआ है किन्तु कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से भारत ने एक सही दिशा की ओर क़दम बढ़ाया है।
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भारत और जीसीसी मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने पर सहमत: वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल
India, GCC FTA: भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को फिर से शुरू करने को लेकर गुरुवार को बैठक हुई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जीसीसी के महासचिव नायेफ फलाह एम अल-हजरफ के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम जीसीसी और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने और वार्ता को फिर से शुरू करने तथा इसे जल्द से जल्द पूरा करने पर सहमत हुए हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में बातचीत फिर से शुरू की जाएगी।
जीसीसी खाड़ी क्षेत्र के छह देशों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन का संघ है। परिषद भारत का सबसे बड़ा कारोबारी ब्लॉक भी है। यह एफटीए वार्ता की एक प्रकार से बहाली होगी क्योंकि भारत और जीसीसी के बीच दो दौर की वार्ता 2006 और 2008 में हो चुकी है।
भारत-जीसीसी व्यापार
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जीसीसी को भारत से किया जाने वाला निर्यात साल 2021-22 में 58.26 फीसदी बढ़कर 43.9 अरब डॉलर हो गया जो साल 2020-21 में 27.75 अरब डॉलर था।
भारत के कुल निर्यात में इन छह देशों की हिस्सेदारी 2021-22 में बढ़कर 10.41 फीसदी मुक्त व्यापार समाप्त होता है? हो गई जो 2020-21 में 9.51 फीसदी थी। इसी प्रकार जीसीसी के साथ द्विपक्षीय व्यापार भी 2021-22 में बढ़कर 154.73 अरब डॉलर हो गया। 2020-21 में यह 87.4 अरब डॉलर था।
वहीं भारत के कुल आयात में जीसीसी सदस्यों की हिस्सेदारी 2021-22 में बढ़कर 18.06 फीसदी हो गई जो 2020-21 में 15.5 फीसदी थी। इसी प्रकार आयात भी 85.81 फीसदी बढ़कर 110.73 अरब डॉलर हो गया जो 2020-21 में 59.6 अरब डॉलर था।
भारत सऊदी अरब और कतर जैसे खाड़ी देशों से मुख्य रूप से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता है। वहीं प्राकृतिक मोती, बहुमूल्य रत्न, धातु, लोहा और इस्पात, मानव निर्मित सूत, हैंडलूम, खनिज तेल, जैविक रसायन आदि का भारत इन देशों को निर्यात करता है।
जीसीसी देशों के साथ भारत का व्यापार
2021-22 में यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जबकि सऊदी अरब चौथे स्थान पर था। यूएई के साथ व्यापार पिछले साल के 43.3 अरब डॉलर की तुलना में 2021-22 में बढ़कर 72.9 अरब डॉलर हो गया। सऊदी अरब के साथ कुल द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 22 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021-22 में लगभग 43 बिलियन डॉलर हो गया।
भारत कतर से प्रति वर्ष 8.5 मिलियन टन तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात करता है और अनाज से लेकर मांस, मछली और रसायनों सहित अन्य उत्पादों का निर्यात करता है। कुवैत भारत का 27वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसका व्यापार 2020-21 में 6.3 बिलियन के मुकाबले 2021-22 में 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। ओमान 2021-22 में भारत का 31वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जो एक साल पहले 5.5 बिलियन डॉलर था। वहीं बहरीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 1 बिलियन डॉलर के मुकाबले 2021-22 में 1.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) क्या होता है
मुक्त व्यापार (FTA) दो अथवा दो से अधिक देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क को कम करने या समाप्त करने के लिए एक तरह का समझौता है। एफटीए के तहत संबंधित देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है। एफटीए के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा को कम करने के लिए समझौता किया जाता है। इससे पक्षों के व्यापार को बढ़ावा मिलता है और दोनो की अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। आपको बता दें ऑस्ट्रेलियाई संसद ने 22 नवंबर को ही भारत के साथ इस समझौते को मंजूरी दी है। इसके अलावा भारत की ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, कनाडा और इजराइल समेत कई देशों के साथ एफटीए को लेकर वार्ता चल रही है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक मुक्त व्यापार क्षेत्र होता है, जहां
एक मुक्त व्यापार क्षेत्र, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में होता है, जहां सदस्य देश व्यापार पर शुल्क और कोटा समाप्त कर देते हैं लेकिन गैर-सदस्य देशों से आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्रता बनाए रखते हैं।
Key Points
- मुक्त व्यापार समझौते दो या दो से अधिक देशों द्वारा किए जाते हैं जो आपस में आर्थिक सहयोग को सील करना चाहते हैं और व्यापार की शर्तों पर सहमत होते हैं।
- समझौते में, सदस्य देश विशेष रूप से उन कर्तव्यों और शुल्कों की पहचान करते हैं जो आयात और निर्यात के मामले में सदस्य देशों पर लगाए जाने हैं।
- एक मुक्त व्यापार क्षेत्र ( FTZ ) विशेष आर्थिक क्षेत्र का एक वर्ग है। यह एक भौगोलिक क्षेत्र है जहां विशिष्ट सीमा शुल्क विनियमों के तहत माल का आयात, भंडारण, संचालन, निर्माण, या पुन: मुक्त व्यापार समाप्त होता है? कॉन्फ़िगर और पुन: निर्यात किया जा सकता है और आम तौर पर सीमा शुल्क के अधीन नहीं होता है।
- एक FTA के समान एक सीमा शुल्क संघ, अपने सदस्यों के बीच टैरिफ को मुक्त व्यापार समाप्त होता है? भी हटा देता है, लेकिन यह आयात और निर्यात किए गए सामानों पर गैर-सदस्यों के लिए एक सामान्य बाहरी टैरिफ भी स्थापित करता है। एक FTA और एक सीमा शुल्क संघ के बीच मुख्य अंतर यह है कि FTA लेनदेन के तहत अधिक अनुपालन (नौकरशाही) शामिल है।
- कुछ उद्योगों की सुरक्षा के लिए व्यापार प्रतिबंध लागू किए जाते हैं जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा की सुरक्षा के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। रक्षा उद्योगों को अक्सर एक महत्वपूर्ण स्तर की सुरक्षा प्राप्त होती है क्योंकि इसे राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- कई देश घरेलू बाजारों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात को प्रतिबंधित करते हैं। इस तरह के व्यवहार को संरक्षणवाद के रूप में जाना जाता है। देश मुख्य रूप से घरेलू राजनीतिक मांगों को पूरा करने के लिए ऐसा करते हैं। जो की प्रकार के व्यापार अवरोध हैं।
- प्रवेश के बंदरगाहों में या उसके निकट विशेष वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र जहां सीमा शुल्क के भुगतान के अधीन विदेशी और घरेलू माल लाया जा सकता है। राष्ट्रीय सीमा शुल्क प्राधिकरण में पुन: निर्यात या प्रवेश से पहले कच्चे माल, घटकों और तैयार माल सहित व्यापारिक वस्तुओं को संग्रहीत, बेचा, प्रदर्शित, पुन: पैक, इकट्ठा, क्रमबद्ध, वर्गीकृत, साफ किया जा सकता है, या अन्यथा हेरफेर किया जा सकता है। माल (या माल से निर्मित वस्तुओं) पर शुल्क तभी लगाया जाता है जब माल सीमा शुल्क मुक्त व्यापार समाप्त होता है? के अधीन क्षेत्र से देश के किसी क्षेत्र में जाता है। विदेशी व्यापार क्षेत्र को विदेशी मुक्त क्षेत्र, मुक्त बंदरगाह या बंधुआ गोदाम भी कहा जाता है।
Additional Information
एक मुक्त व्यापार क्षेत्र कई लाभ प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:
- एक मुक्त व्यापार क्षेत्र के बारे में अच्छी बात यह है कि यह प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप अपने प्रतिस्पर्धियों के बराबर होने के लिए देश की दक्षता में वृद्धि होती है। उत्पाद और सेवाएं तब कम लागत पर बेहतर गुणवत्ता के हो जाते हैं।
- जब तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है, तो देश उन उत्पादों या वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए प्रवृत्त होंगे जिनमें वे सबसे अधिक कुशल हैं। संसाधनों के कुशल उपयोग का अर्थ है लाभ को अधिकतम करना।
- जब मुक्त व्यापार होता है, और टैरिफ और कोटा समाप्त हो जाते हैं, तो एकाधिकार भी समाप्त हो जाता है क्योंकि अधिक खिलाड़ी आ सकते हैं और बाजार में शामिल हो सकते हैं।
- जब प्रतिस्पर्धा होगी, विशेष रूप से वैश्विक स्तर पर, कीमतें निश्चित रूप से नीचे जाएंगी, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च क्रय शक्ति का आनंद लेने की अनुमति मिलेगी।
- आयात कम लागत पर उपलब्ध होने के साथ, उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के उत्पादों तक पहुंच प्राप्त होती है जो कि सस्ते होते हैं।
एक मुक्त व्यापार क्षेत्र द्वारा लाए गए सभी लाभों के बावजूद, कुछ संबंधित नुकसान भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
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मुक्त व्यापार समाप्त होता है?
- जब आयातों का स्वतंत्र रूप से व्यापार किया जाता है, तो घरेलू उत्पादक अक्सर उत्पादों की नकल करने में सक्षम होते हैं और बिना किसी कानूनी नतीजों के डर के उन्हें नॉक-ऑफ के रूप में बेचते हैं। इसलिए, जब तक FTA में बौद्धिक संपदा कानूनों और प्रवर्तन के प्रावधान शामिल नहीं हैं, तब तक निर्यातक कंपनियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है।
- चूंकि सदस्य देश अब आयात करों के अधीन नहीं हैं, इसलिए उन्हें कम कर राजस्व की भरपाई के तरीकों के बारे में सोचने की जरूरत है।
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Last updated on Dec 17, 2022
University Grants Commission (Minimum Standards and Procedures for Award of Ph.D. Degree) Regulations, 2022 notified. As, per the new regulations, candidates with a 4 years Undergraduate degree with a minimum CGPA of 7.5 can enroll for PhD admissions. The notification for the 2023 cycle is expected to be out soon. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, candidates will be deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.
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