दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार

Indian Foreign researve

यूक्रेन संकट के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में $80 बिलियन से अधिक की कमी दर्ज हुई है. अकेले वर्तमान हफ्ते में $ 2 बिलियन से ज्यादा की गिरावट सामने आई है. इसकी मुख्य वजह डॉलर के भाव को 80 रुपए प्रति डॉलर से ऊपर जाने से रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से मुद्रा बाजार में डॉलर की बिकवाली को बताया जा रहा है. इसके साथ ही इसकी दूसरी वजह देश के चालू खाते के घाटा भी है, जिसकी वजह से देश का विदेशी मुद्रा रोकने में मदद नहीं मिल सकी. आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 9 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार $ 2.234 बिलियन गिरकर $550.871 बिलियन ही रह गया है, जो एक सप्ताह पहले $553.105 बिलियन था. देश का विदेशी मुद्रा भंडार इस वक्त दो साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.

फरवरी 2022 के अंत में रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद 29 सप्ताह में से 23 हफ्तों में लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट गिरावट दर्ज हुई है, इस दौरान मात्र 6 हफ्ता ही ऐसा रहा, इस दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज हुई थी. इस दौरान डॉलर आधारित संपत्तियों में भारी मात्रा में निवेश की वजह से डॉलर के मूल्य में तेजी विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता के साथ इजाफा होने लगा. लिहाजा, रुपए की कीमत को स्थिर रखने के लिए आरबीआई को खुले बाजार में डॉलर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसकी वजह से देश की विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. यही वजह है कि पिछले साल अक्टूबर में देश के विदेशी मुद्रा भंडार के मुकाबले इस वक्त 90 अरब डॉलर से अधिक नीचे है.

एक साल एक डॉलर के मुकाबले रुपया 74 के मुकाबले 80 पर पहुंचा
देश के बाजारों में विदेशी पूंजी के निरंतर प्रवाह के बावजूद बढ़ते चालू खाते के घाटे की वजह से देश का विदेशी विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता मुद्रा रोकने में मदद नहीं मिल सकी. दरअसल, डॉलर के मुकाबले रुपया इस साल नाटकीय रूप से लगभग 74 से गिरकर 80 प्रति डॉलर के कमजोर रिकॉर्ड स्तर पर आ गया है. लिहाजा, आरबीआई ने रुपए की कीमत को स्थिर रखने के लिए भारी मात्रा में डॉलर को खुले बाजार में बेच दिया, जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे आ गया है. शुक्रवार को जारी आरबीआई ताजा मासिक बुलेटिन से भी इसकी पुष्टि हो रही है. इसमें दिखाया गया कि केंद्रीय बैंक ने जुलाई में हाजिर विदेशी मुद्रा बाजार में शुद्ध $ 19.05 बिलियन की बिक्री की. जानकार इस बात की आशंका जता रहे हैं कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट अभी कुछ और समय के लिए बनी रहेगी, क्योंकि डॉलर अब भी नए शिखर पर पहुंच रहा है, जो कि अधिकांश प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले दो दशकों में नहीं देखा गया है.

रुपया कमजोर होने से शेयर बाजार में आई भारी गिरावट
गौरतलब है कि भारतीय रुपए का शुक्रवार को पिछले पांच सप्ताह में सबसे खराब रहा, क्योंकि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए नए रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया और विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बढ़ती मुद्रास्फीति पृष्ठभूमि के साथ आर्थिक विकास को धीमा करने की चेतावनी दी है. यही वजह है कि शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई.

पड़ोसियों से बेहतर है भारत की स्थित
विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं के मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास को डॉलर के संदर्भ में व्यक्त विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में शामिल किया गया है। लेकिन सोने के भंडार का मूल्य 340 मिलियन डॉलर बढ़कर 386.44 बिलियन डॉलर हो गया. समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 63 मिलियन डॉलर घटकर 17.719 अरब डॉलर हो गया, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में देश की आरक्षित स्थिति 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.91 अरब डॉलर हो गई. गौरतलब है कि इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट दर्ज हुई है. इसके बावजूद देश अब भी अपने उभरते बाजार के साथियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रहा है. गौरतलब है कि भारत के कई पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार संकट के स्तर तक गिर गया है.

रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवाह से जुड़े मानकों को उदार बनाया

बिजनेस रेमेडीज/मुंबई। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा प्रवाह से संबंधित मानकों को उदार बनाने के साथ ईसीबी (विदेशों से वाणिज्यिक उधारी) मार्ग के तहत बाह्य उधारी सीमा दोगुनी कर दी। आरबीआई ने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता 593.3 अरब डॉलर था।

रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ”विदेशी मुद्रा बाजार में व्याप्त अस्थिरता कम करने और वैश्विक झटके को झेलने के लिए विदेशी मुद्रा वित्तपोषण के स्रोतों के विस्तार और विविधीकरण करने के लिए पांच कदम उठाने का फैसला लिया गया है। इन कदमों में ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश मानकों को सरल करना और एक वित्त वर्ष में स्वचालित मार्ग से ईसीबी सीमा को 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर करना शामिल है। ईसीबी व्यवस्था के तहत सभी तरह की लागत की सीमा को भी एक प्रतिशत अंक बढ़ाया जा रहा है, बशर्ते कि उधारकर्ता निवेश स्तर की रेटिंग रखता हो। यह व्यवस्था 31 दिसंबर, 2022 तक उपलब्ध रहेगी। रिजर्व बैंक ने यह कदम चालू वित्त वर्ष में अबतक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ चुकी 4.1 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए उठाया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि रुपये में आई यह गिरावट उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं की भी तुलना में ठीक है। आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में तरलता की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है।

RBI विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान संहिता बनाने पर रखे पक्ष : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने काले धन एवं बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित एक समान बैंकिंग संहिता लागू करने का आग्रह करने वाली याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से अपना पक्ष रखने को कहा है.

RBI विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान संहिता बनाने पर रखे पक्ष : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने काले धन एवं बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित एक समान बैंकिंग संहिता लागू करने का आग्रह करने वाली याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से अपना पक्ष रखने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सोमवार को एक जनहित विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता याचिका की सुनवाई करते हुए आरबीआई को नोटिस जारी किया. इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी. वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से दायर इस याचिका में विदेशी कोष के अंतरण से संबंधित प्रणालीगत खामियों को दुरुस्त करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि नक्सली, माओवादी, कट्टरपंथी एवं आतंकवादी इन खामियों का फायदा उठाते रहे हैं.

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इस मामले में सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता याची ने एक गंभीर मसला उठाया है जिसपर सरकार की तरफ से गौर किया जाएगा.इस मामले में जवाब देने के लिए सरकार को छह हफ्ते का वक्त और दिया गया है. पहले भी गृह मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को नोटिस दिया गया था.

इस याचिका में यह सुनिश्चित करने की अपील की गई है कि आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीएस जैसी लेनदेन प्रणालियों का इस्तेमाल भारतीय बैंकों में विदेशी मुद्रा जमा करने में न किया जाए. याचिका में कहा गया है कि सभी भारतीय बैंकों से जुड़े खातों में विदेशी मुद्रा जमा करने से संबंधित समान प्रावधान किए जाएं. भारतीय बैंकों और भारत में स्थित विदेशी बैंकों की शाखाओं के जरिये किए जाने वाले विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित सूचनाएं दर्ज करने की भी अपील की गई है. इस बारे में आरबीआई को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है.

विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट, RBI ने बताए आंकड़े

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11.173 अरब डॉलर घटकर 606.475 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पूर्व 25 मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.03 अरब डॉलर घटकर 617.648 अरब डॉलर रह गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट, RBI ने बताए आंकड़े

विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट आई है। वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाक्रमों की वजह से मुद्रा के दबाव में विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता आने के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11.173 अरब डॉलर घटकर 606.475 अरब डॉलर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपने आंकड़ों में यह जानकारी दी। इससे पूर्व 25 मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.03 अरब डॉलर घटकर 617.648 अरब डॉलर रहा था।

आरबीआई के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) के घटने की वजह से आई जो कुल मुद्राभंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। आंकड़ों के अनुसार एफसीए 10.727 अरब डॉलर घटकर 539.727 अरब विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता डॉलर रह गया।

डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्रा में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

आमतौर पर, आरबीआई अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर बेचकर मुद्रा बाजार में अस्थिरता को विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता कम करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है। यूक्रेन पर रूस के हमले ने मुद्रा बाजारों में समस्या पैदा कर दी है। इससे पहले, 11 मार्च को समाप्त सप्ताह में 9.6 अरब डॉलर की सर्वाधिक कमी आयी थी। आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 50.7 करोड़ डॉलर घटकर 42.734 अरब डॉलर रह गया।

समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विदेशी मुद्रा जोड़े अस्थिरता पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 5.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.879 अरब डॉलर हो गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 40 लाख डॉलर बढ़कर 5.136 अरब डॉलर हो गया।

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